WISE AND OTHERWISE BOOK REVIEW IN HINDI

वाईज एण्ड अदरवाईज

सुधा मूर्ती द्वारा लिखित

रिव्यू –

    प्रस्तुत किताब एक कथासंग्रह है | यह लेखिका के सच्चे अनुभव है जो उन्होंने किताब मे कलमबद्ध किए है | किताब की –

लेखिका है – सुधा मूर्ती ( मूल लेखिका )

प्रकाशक है – मेहता पब्लिशिंग हाउस

मराठी अनुवादक – लीना सोहोनी

पृष्ठ संख्या – 216

उपलब्ध – अमेजन ,किन्डल ,फ्लिपकार्ट

किताब मे पूरी 51 कथाये है जिसमे शामिल है – सचोटी हृदयातून येते , शोकविरहित मरण , मला भेटलेला अति शहाणा , आपलाच इतिहास आपण विसरलो आहोत ,खरच स्टोव्ह भडकला का ,स्वातंत्र्यदिनाची सुट्टी ,तारेचा घोटाळा ,द आय.टी. डिव्हाइड , यातील बरोबर कोण ,चेन्नईचा तो अनामिक इ.

प्रस्तुत किताब सुधा मूर्ती द्वारा लिखी गई है | लेखिका को कौन नहीं जानता ? वह प्रसिद्ध कंपनी इंफ़ोसिस की C.E.O. है | वह एक शिक्षिका के साथ – साथ समजसेविका भी है | इसी समाजसेवा के चलते उन्हे बहुत यात्रा करनी पड़ती है | इस दौरान उन्हे तरह – तरह के लोग मिलते है | उन्ही लोगों के स्वभाव दर्शन इस किताब मे कहानियों के रूप मे आप को पढ़ने को मिलेंगे | जो की अपने साथ सत्यता लिए हुए है | लोगों के दुख देखकर वह सचमुच दुःखी होती है |

     समाजसेवा करते वक्त उन्हे दुःखी , समाधानी ,नफरत और मत्सर करने वाले , कृतज्ञ , कृतघ्न , अभिमानी ऐसे बहुत सारे लोग मिलते है | यह उनके अनुभवों की पोटली है | उनकी यह किताब खासी प्रचलित है इसलिए इसे मराठी मे अनुवादित कर के हिन्दी , मराठी वाचकों के लिए मेहता पब्लिशिंग हाउस लेकर आए है | वह लगभग भारत के गावों मे यात्रा करती है जहां ज्यादातर अशिक्षित और एकोनॉमिकली बैकवर्ड क्लास रहता है |

       वह पब्लिक ट्रांसपोर्ट से यात्रा करती है ताकि उन्हे वहाँ मिलनेवाले सामान्य लोगों की कहानी सुनने को मिले | कभी – कभी लोगों का निरीक्षण करना भी उन्हे अच्छा लगता है | वह पेशे से टीचर है और महाविद्यालय मे कॉम्पुटर साइंस पढ़ाती है | उनकी यात्रा के कारण ही उन्हे भारत के असली दर्शन होते है |

सारांश –

    समाजसेवा के कारण लेखिका को बहुत सारे पत्र और ई. मेल आते है | उनमे कुछ लोग ऐसे होते है जो स्वार्थपूर्ति के लिए भी पैसे की मदद मांगते है | जैसे की एक महिला ने शेयर मार्केट मे पैसे लगाकर उन्हे गवा दिया | इसके कारण उसपर पाँच करोड़ रुपये का कर्जा हो गया | अब वह यह चाहती थी की उसका यह कर्ज लेखिका की समाजसेवी संस्था चुकाये नहीं तो वह अपनी जान दे देगी | इस कहानी का नाम है “पैसे द्या , नाहीतर प्राण देइन |”

        बाद की कहानी मे ऐसे लोगों की कहानी है जिन्हे उनके घर के बुजुर्ग के मरने का कोई गम नहीं बल्कि वह तो उसके मरने के बाद ज्यादा खुश है | क्यों ? क्योंकि वह बुजुर्ग महिला उन्हे बुढ़ापे मे ज्यादा परेशान करती थी इसलिए…. इस कहानी का नाम है “शोकविरहित मरण ” |

लेखिका का मानना है की कृतज्ञता अच्छे संस्कारों की निशानी होती है | लेकिन फिर भी बहुत सारे लोग अपने ऊपर उपकार करनेवाले लोगों को भूल जाते है और वे कितने कृतघ्न है यह दिखा देते है | इस वक्तव्य से मिलती भी एक कहानी है जिसमे लेखिका तीन गरीब लड़कों की कॉलेज की फीस भरने मे मदद करती है | उसमे से पहला उनके प्रति आभार प्रकट कर उन्हे प्रेमस्वरूप एक साड़ी भेट देता है जो लेखिका के लिए एक अनमोल तोहफे की तरह है |

          दूसरा एक लड़का डॉक्टर बनकर पॉश इलाके मे क्लिनिक खोलता है | जब लेखिका उसके दवाखाने मे जाती है तब वह आभार प्रकट करना तो दूर उनसे पूरे 300 रुपये ले लेता है | क्यों ? क्योंकि वह बिना अपॉइन्ट्मेंट उसके क्लिनिक मे आ जाती है | लेखिका दो लोगों के स्वभाव मे यह फर्क देखकर दंग रह जाती है | उनके कुछ अनुभव ऐसे भी है जिसमे एक अमीर औरत 10 हजार रुपये देकर अपनी समाजसेवा का ढिंढोरा पीटती है तो दूसरा एक बुजुर्ग इंसान , बिना किसी आशा के उन्हे समाजसेवा के लिए 4 लाख रुपये देता है | दो लोगों के स्वभाव मे कितना फर्क होता है |

          यह इन कहानियों से देखने को मिलता है | ऐसे विपरीत स्वभाव वाले लोग भगवान इसीलिए बनाते होंगे शायद .. ताकि इस दुनिया का संतुलन बना रहे | उनका एक अनुभव तो दहेज प्रथा से जुड़ा हुआ है | लेखिका की एक सहेली डॉक्टर है | वह उन्हे एक ऐसे वार्ड मे लेकर जाती है जहां जली हुई , नवविवाहिताये उपचार ले रही है | वह सारी की सारी अपने बयान मे कहती है की वह स्टोव्ह से जल गई है जब की उनमे से किसी – किसी के घर मे तो स्टोव्ह था ही नहीं | ऐसे मे एक लड़की की तकलीफ उसकी माँ से देखी नहीं जा रही थी | वह अपनी ही बेटी की मौत के लिए भगवान से प्रार्थना कर रही थी | यह कैसी विटंबना है !!!!!!!!! क्या दशा रही होगी उस माँ की ….

कहानी खत्म होते होते लेखिका के आँखों मे आँसू आ जाते है तो कहानी पढ़ते – पढ़ते हमारे भी……………..| अभी राहत की बात यह है की दहेज प्रथा के खिलाफ सरकार ने कानून बनाए है | जिस कारण ऐसी बहुत सी लड़कियों को राहत की सास मिली है | फिर भी पता नहीं कितनी लड़कियों की जिंदगी बच पाती होगी | इसीलिए प्रत्येक लड़की ने शिक्षित होना चाहिए | आत्मनिर्भर होना चाहिए | यह एक अप्रतिम किताब है | छोटो से लेकर तो बड़ों तक सबने यह किताब जरूर पढनी चाहिए | किताब को जरूर पढिए |

धन्यवाद !

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