अश्वत्थामा रहस्यकथा त्रय 2
विषकन्या
चंद्रप्रकाश पाण्डेय द्वारा लिखित
रिव्यू –
इस किताब को भी पूरे पाँच स्टार मिल चुके है | इसका प्रथम संस्करण अप्रैल 2021 मे भारत मे थ्रिल वर्ल्ड द्वारा प्रकाशित किया गया है | किताब किन्डल पर उपलब्ध है | पहले किताब के सारे राज खोलती यह किताब लिखी है चंद्रप्रकाश पाण्डेय इन्होंने | उपन्यास की कहानी इस कदर अच्छी है की आप इसे पूरा पढे बगैर रख ही नहीं पाएंगे | कुछ ही देर मे हम इसका सारांश भी आप को बताएंगे ताकि आप यह निश्चित कर सके की इसे पढ़ना है या नहीं | किताब जैसे ही शुरू होती है | आप को बहती हुई सुलक्षणा नदी का मानचित्र दिखाई देगा | जिसके एक ओर पंचमढ़ी है तो दूसरी ओर कालाक्ष मंदिर |
सुलक्षणा नदी और कालाक्ष मंदिर पाँच हजार साल वाली कहानी से लेकर तो अब तक विराजमान है | यहाँ सिर्फ पात्र बदले है और जगह मे थोड़ा बदल हुआ है | उसके बाद लेखक चंद्रप्रकाश पाण्डेय द्वारा लिखित एक और उपन्यास “मौत के बाद” पर दिग्गजों द्वारा लिखी सराहनीय टिप्पनीया है | इनसे तो ऐसा लगता है की यह भी उपन्यास काफी अच्छा होगा | उसके बाद है उपन्यास की अनुक्रमणिका – जो प्रस्तावना के बाद सीधे 18 वे अद्याय से ही शुरू हुआ है क्योंकि इसके पहले भाग मे 17 अध्याय थे | इन अद्यायों के नाम है – वह सर्पिणी है , अधर्म का प्रतिकार , उसके बाद है प्रारंभ से पूर्व की कहानी | उसके बाद और 8 अध्याय है | इसके बाद कहानी तीनों दौर से हो के आगे बढ़ती रहती है |
पुरानो के तथ्यों और पात्रो को लेकर लेखक ने अद्भुत कहानी गढ़ी है | उनकी कल्पना शक्ती कितनी अफाट है | यह उनकी लिखी किताबों से जान पड़ता है |
इसी के साथ आइए देखते है इसका सारांश –
सारांश –
सुलक्षणा नदी के तट पर जहां कालाक्ष मंदिर दिखाया गया है वह कौशलपुर है | यह क्षेत्रफल , शक्ती सम्पन्न और समृद्ध राज्य है | सुलक्षणा के दूसरों ओर है धर्मपुरी – जो कौशलपुर के मुकाबले छोटा राज्य है लेकिन यहाँ प्रजा के हितों की चिंता करने वाले लोग बसते है |
पाँच हजार साल पहले की कहानी का मुख्य किरदार है – दिगंबर | जो बचपन मे धर्मपुरी मे यह रहता है | अपने माता – पिता पर हुए अत्याचार के बाद वह कौशलपुर के जंगलों मे भाग जाता है | वह बुराई का चेहरा अधर्म उसे तांत्रिक विदयाए सीखने के लिए मना लेता है | अभीमंत्रित बाँसुरी बजाकर वह “कालाक्ष” नाम के भयानक नाग को बुलाता है | कालाक्ष अपनी भाषा मे उसे मृत्यु पर जीत हासिल करने के मंत्र बताते जाता है | यही मृत्युग्रंथ है जिसकी नागवंशी कबीला हिफाजत करता है | जैसे ही वह धर्मपुरी की राजकुमारी की वजह से फिर से अच्छाई के मार्ग पर लौट आता है तो वह उससे शादी करना चाहता है | इस विवाह के पीछे उसका एक उद्देश्य है | क्या है उसका वह उद्देश्य ? बरसों से तामसिक विद्या की साधना करने वाले एक निर्धन ब्राह्मण के साथ क्या एक राज कुमारी की शादी होगी ? अगर होगी तो क्यों और किस दशा मे ? अगर नहीं तो क्यों नहीं होगी ? पढ़कर जानिए की क्या आप के तर्क सही है ?
अब दिगंबर अधर्म के सपने अधूरे छोड़कर अच्छाई के मार्ग पर लौट आया है तो क्या वे सारे बुरे लोग उसे चैन से जीने देंगे ? इसका जवाब है नहीं | वह उसके खिलाफ षड्यन्त्र रचना आरंभ कर देते है जिसमे शामिल है कौशलपुर की रानी रत्नावती जो एक इच्छा धारी नागिन है | कभी दिगंबर का शिष्य रहा चक्रधर और खुद अधर्म | परिणाम स्वरूप उसे धर्मापुरी के सैनिकों द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाता है | इसके लिए चंद्रप्रभा की बचपन की सहेली सुगंधा का उपयोग होता है | जिसका जिक्र “विश्वासघात” इस अध्याय मे हुआ है | अब सुगंधा क्यों और किसलिए ऐसा करती है ? यह आप किताब पढ़कर ही जानिए |
इधर वर्तमान दौर मे अल्तमश की सच्चाई सब के सामने खुलती है | वह अपना हर गुनाह कबूल कर लेता है और अधर्म की धमकी के अनुसार खुदखुशी कर लेता है | अब अधर्म उसके साथ ऐसा क्यों करता है ? अल्तमश तो उसका अनन्य सेवक था ! फिर भी उसके साथ ऐसा व्यवहार क्यों ?
इन सारे षड्यंत्रों के जवाब लिए यह किताब है | पुनः एक बार बताते है | किताब बहुत अच्छी है | इसे जरूर पढे | इतनी अच्छी कहानी और किताब के लिए लेखक को हमारा बहुत – बहुत धन्यवाद !
Wish you happy reading…………
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