JAGAT AUR TANTRIK BOOK REVIEW SUMMARY

BOOK REVIEW AND SUMMARY IN HINDI
टॉप 10 छोटी लेकिन प्रभावशाली किताबो मे दूसरी किताब है – जगत और तांत्रिक
जगत – भूतनाथ सीरीज
जगत और तांत्रिक
ओम प्रकाश शर्मा द्वारा लिखित
रिव्यू –
पूर्वकाल से ही भारतभूमि में लोग आध्यात्मिक विकास करने और मन की शांति पाने के लिए आते थे | आज भी यह क्रम जारी है | बस फर्क सिर्फ यह है कि , आजकल के नकली संत इन विदेशियों को और अपने ही लोगों को ठगते हैं | ऐसे ही एक ठग की यह कहानी है जो खुद को एक सिद्ध तांत्रिक मानता है |
नाम है उसका “सत्यानंद”| वैसे तंत्र सिद्धि के नाम पर उसके पास कुछ वशीकरण विद्याएं है जिससे वह लोगों को अपने वश में कर उनके वजूद पर कब्जा जमा लेता है | लोग इसे ही सिद्धि समझते हैं और उसके भक्त बने हुए हैं | इनमें बड़े-बड़े नेता , राजनेता , व्यवसायी और राजघराने के लोग भी शामिल है |
इन लोगों की मदद कर के स्वयं सत्यानंद भी बहुत ही ऐशों – आराम की जिंदगी गुजर – बसर करता है | गरीबों और सामान्य लोगों की बात सुनने के लिए तो उसके पास जैसे वक्त ही नहीं | ऐसे इस सत्यानंद से मन की शांति पाने के लिए कनाडा से एक विदेशी महिला आई है जिसका नाम “मेरी जेकिन्स” है | योगायोग से यह महिला अंतर्राष्ट्रीय ठग और प्रस्तुत उपन्यास के नायक जगत की मित्र है |
अब इस महिला मार्फत सत्यानंद का सामना जगत रूपी मुसीबत से होनेवाला है | अब देखना यह है कि क्या सत्यानंद की वशीकरण विद्या जगत पर असर करती है या जादूगर भुवन जैसे दिग्गज के शिष्य रहे जगत ही सत्यानंद पर भारी पड़ते हैं ?
हमने अब तक जितनी किताबे पढ़ी | उससे तो हमे यही पता चलता है की असल जो साधु या संत होते हैं | उन्हें इस नश्वर संसार से कोई लेना-देना नहीं होता और नाही तो इसमें बसनेवाले मनुष्य और उनकी प्रॉब्लम से ही …
हाँ , अगर कोई व्यक्ति उनके या भगवान के किसी कार्य से जुड़े हुए हो तो उन्हें वह दर्शन जरूर देते हैं जैसा की सुप्रसिद्ध सीरियल रामायण के निर्माता रामानंद सागरजी के जीवनी में लिखा है | नहीं तो वह लोग प्रायः मनुष्य से दूर ही रहते हैं | वह अपनी विद्याओं का प्रदर्शन नहीं करते जैसा कि “गुप्त भारत की खोज” इस किताब में लिखा है |
भारतभूमि को देवताओं का देश कहा जाता है | हमारी संस्कृति हजारों वर्ष पुरानी है | यह धरती आध्यात्मिकता , योग और बाकी सारी बातों में पारंगत है | विशेषतः हिमालय पर्वत और उसका प्रदेश .. अभी भी असल साधु अपनी तपस्या पूर्ण करने के लिए हिमालय को ही चुनते हैं जैसा कि रॉबिन शर्मा की किताब “द मोंक हु सोल्ड हिज् फेरारी” में दर्शाया है की एक विदेशी मन की शांति पाने के लिए हिमालय पर ही जाता है |
प्रस्तुत किताब में लेखक ने इन झूठे साधुओं द्वारा फैलाए गए पाखंड पर कड़ा प्रहार किया है | जैसा कि हमने बताया था कि लेखक अपनी कहानियों से कुछ ना कुछ सीख अवश्य देते हैं | प्रस्तुत उपन्यास के माध्यम से उन्होंने यही बताने की कोशिश की है कि भगवान पर विश्वास रखो | ढोंगी साधु और तांत्रिकों के जाल में मत फँसो क्योंकि भाग्य में जो होना है वही होगा क्योंकि उस पर किसी का बस नहीं | भगवान पर किसी का बस नहीं …. इसीलिए तो कमलाकरण का भाग्य बदलने के लिए सत्यानंद अनेकों साधनाए करता है पर हर बार वह अधूरी ही रह जाती है |
प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा
प्रकाशक है – नीलम जासूस कार्यालय
पृष्ठ संख्या है – 109
उपलब्ध है – अमेजॉन और किंडल पर
सारांश –
“मेरी जेकिन्स” कनाडा से महान तांत्रिक “सत्यानंद” से मिलने आई है | वह जगत को वाराणसी में ही मिलती हैं क्योंकि आजकल सत्यानंद भी वाराणसी में ही आया हुआ है | बहुत सी घटनाएं गंगा नदी के पानी में , घाटों पर ही घटती है |
एक दिन जगत अपनी महिला मित्र को डोंगी में गंगा नदी की सैर कराते ही रहता है कि तभी , एक व्यक्ति उसे डूबते हुए दिखाई देता है | आनन – फानन में जगत उसे बचा लेता है लेकिन वह व्यक्ति जगत का आभार मानने के बजाय उस से यह बात छुपाने के लिए कहता है |
इसके बदले वह जगत को 10 हजार रुपये देने को तैयार है | जगत जब पहली बार मेरी जेकिन्स से मिलता है तो अपना थोड़ा सा जादू का कमाल दिखाता है | मेरी जेकिन्स ने सत्यानंद से मिलने की इच्छा जताई है |
जगत की इच्छा ऐसे तांत्रिकों से मिलने की कभी नहीं होती थी फिर भी सिर्फ मेरी की इच्छा पूरी करने के लिए जगत ने होटल के रूम से ही कई फोन घुमाये और मेरी का नंबर एक महीने से एक दिन पर आ गया |
जगत ने जिस व्यक्ति को बचाया था | श्याम को जगत मेरी को लेकर सत्यानंद से मिलने पहुंचा और उन्हें वही व्यक्ति सत्यानंद के रूप में मिला जिसे सुबह जगत ने बचाया था |
मेरी को लगा जब यह खुद को ही नहीं बचा पाया तो लोगों की मदद क्या खाक करेगा ? सेठ कमलाकरण जगत को 10 हजार रुपये देकर चला गया | सत्यानंद ने जैसे ही जगत को देखा वह आगबबूला हो गया | उसने जगत को जान से मारने की धमकी दी और मेरी पर वशीकरण कर उसे वश मे कर लिया क्योंकि वह धनी थी पर जगत ने उस के जादू को बेअसर कर दिया | यह देखकर तो वह और बौखला गया |
मेरी ने जगत को तुरंत वाराणसी छोड़ने की सलाह दे डाली क्योंकि यहां सत्यानंद एक पावरफुल व्यक्ति था | जगत को वापस जाते हुए लालमणि चौबे दिखे | वह इस जिले के सबसे बड़े पुलिस ऑफिसर थे | अब जगत की सहायता के लिए लालमणि चौबे ने कुछ खुफिया पुलिसवाले रख दिए | इंस्पेक्टर चेतसिंह और उसके शागिर्द आए तो थे सत्यानंद के आदमी बनकर पर लालमणि चौबे के सामने उनकी कुछ न चल सकी | उसने सच-सच बता दिया | अब जगत ने उसे सबक सिखाने की ठान ली |
सेठ कमलाकरण और सत्यानंद 20 वर्षों से एक साथ थे | सत्यानंद के कारण कमलाकरण को संतान प्राप्ति हुई थी और वह धनी और बहुत धनी होता गया था | अब कमलाकरण सत्यानंद के लिए और सत्यानंद कमलाकरण के लिए कुछ भी कर सकते थे | देखा जाए तो अपनी सिद्धियों का प्रयोग उसने सबसे पहली बार कमलाकरण पर ही किया था जो सफल हुआ था |
इसीलिए भी सत्यानंद का उसके साथ एक लगाव था | अब बुढ़ापे में कमलाकरण की जिंदगी कुछ ही दिनों की बची थी | उसके इस भाग्य को सत्यानंद अपने तंत्र – मंत्र से बदलना चाहता था | इसलिए इन लोगों ने एक गरीब बेसहारा लड़की “चैती” को देवी का रूप देकर , उसपर अपनी सिद्धियों का प्रयोग किया |
बिचारी “चैती” ने इन सब क्रियाओ से त्रस्त होकर गंगा नदी में खड़े , बजरे से पानी में छलांग लगा दी | उसको भी जगत ने ही बचाया तब , जब वह गंगा नदी की सैर कर रहा था | अब तो सत्यानंद जगत से और ज्यादा चिढ़ गया क्योंकि उसकी साधना अधूरी रह गई थी फिर भी उसने हार नहीं मानी |
अब तो उसने इससे भी बड़ी साधना करने की ठानी | उसके लिए नरबलि देने का संकल्प किया | वह भी किसकी ? अंतरराष्ट्रीय ठग …. जगत की ….
जगत और मेरी जब वाराणसी छोड़कर जा रहे थे , तभी सत्यानंद और कमलाकरण के आदमी जगत , मेरी और उसके अनोखे ड्राइवर को एक सुनसान जगह के काली मंदिर ले गए | वहां सत्यानंद ने मेरी को अपने वश में किया ताकि वह जगत की हत्या कर सके |
अब यहां जगत और लालमणि मिश्र ने पहले से ही अपने लोगों का जाल फैला रखा था जो जगत की रक्षा करनेवाले थे परंतु सत्यानंद ने इन्हीं पुलिसवालों पर अपना जादू चलाया तो जगत को ही इनकी रक्षा करनी पड़ी |
इस दुनिया में जगत की मदद करने के लिए तो बहुत लोग है | यह सब मिलकर कितने भी बदमाशों को संभाल सकते हैं पर जिनके पास पारलौकिक शक्तियां है , जैसे कि सत्यानंद ! तो इन लोगों से अच्छे लोगों की रक्षा कैसे हो ?
तो इसके लिए भी इनके पास एक व्यक्ति है जो उस पारलौकिक दुनिया का ही वासी है | वर्षों पहले वह भी एक मनुष्य था | अब मृत्यु के बाद पारलौकिक दुनिया ही उसकी जगह है | आप पाठक उसे जानते हैं | इसी के जरिए एक व्यक्ति तांत्रिक के शरीर में प्रवेश कर के क्या-क्या खेल खेलता हैं और जगत का वह मददगार आखिर है कौन ?
यह सब जानने के लिए आप जरूर पढ़िएगा | जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा द्वारा लिखित “जगत और तांत्रिक” | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए .. धन्यवाद !!
जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा की और कौन सी किताब आप ने पढ़ी है ? हमे कमेन्ट बॉक्स मे जरूर बताए |

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