THE ROOM ON THE ROOF BOOK REVIEW

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द रूम ऑन द रुफ
रस्किन बॉन्ड द्वारा लिखित
रिव्यू –
प्रस्तुत उपन्यास “द रूम ऑन द रूफ ” उनके द्वारा लिखा पहला उपन्यास है जिसे उन्होंने 17 साल की उम्र में लिखा | इसके लिए उन्हे “जॉन ल्यूलीन राइज़ पुरस्कार” मिला | यह एक दिल छू लेनेवाली कहानी है | यह उपन्यास लिखने की कल्पना उन्हे बरसात मे खिड़की से बाहर देखते हुए आई | प्रस्तुत उपन्यास मनोरंजन के साथ -साथ जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों को भी उजागर करता है |
‘द रूम ऑन द रूफ’ किताब मे किशोरावस्था की भावनाओं, दोस्ती के अटूट बंधन और आज़ादी की अहमियत को खूबसूरती से दर्शाया गया है | यह उन सभी पाठकों के लिए एक बढ़िया किताब हो सकती है जो रस्किन बॉन्ड की सादगी भरी और दिल छू लेनेवाली कहानियों को पसंद करते हैं |
यह उपन्यास पढ़कर आपको आप के बचपन और किशोरावस्था की यादें ताज़ा हो आएगी और आपको जीवन के छोटे-छोटे सुखों की सराहना करना सिखाएगी |
रस्किन बॉन्ड की लेखन शैली बेहद सरल, सहज और संवेदनशील है | उन्हे प्रकृति से लगाव है | इसीलिए वह देहरादून की प्राकृतिक सुंदरता का वर्णन करते हुए , वहाँ की खूबसूरत वादियों, छोटे शहरों की ज़िंदगी और आम लोगों की भावनाओं का सजीव चित्रण करते है |
वह प्रकृति और मनुष्य के बीच के रिश्ते को बड़ी सरलता से दर्शाते हैं | उनकी भाषा पाठक को कहानी से जोड़े रखती है | रस्किन बॉन्ड बच्चों और प्रकृति के बारे में लिखने के लिए विशेष रूप से जाने जाते है |
प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – रस्किन बॉन्ड
प्रकाशक है – राजपाल एंड संस
हिंदी अनुवाद किया है – ऋषि माथुर इन्होंने
पृष्ठ संख्या है – 144
उपलब्ध है – अमेजन और किन्डल पर |
आईए , अब थोड़ा लेखक के बारे मे जान लेते है |
रस्किन बॉन्ड का जन्म 19 मई 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली के एक फ़ौजी अस्पताल में हुआ | वह विश्वप्रसिद्ध ब्रिटिश भारतीय लेखक हैं | वह अपना लेखन अंग्रेजी भाषा में ही करते है |
उनके पिता का नाम अब्रे बॉन्ड और माता का नाम एरिथ क्लार्के था | जब वे चार साल के थे , तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया | उनके पिता ब्रिटिश रॉयल एयर फोर्स में कार्यरत थे |
उनके पिता की मृत्यु के बाद उनकी परवरिश उनके अलग – अलग रिश्तेदारों द्वारा शिमला, जामनगर, मसूरी, देहरादून और लंदन में हुई | उन्होंने शिमला के बिशप कॉटन स्कूल में पढ़ाई की | बाद में वे लंदन चले गए और वहीं से अपने लेखन की शुरुआत की पर उनका मन वहाँ नहीं लगा | भारत मे पले – बढ़े रस्किन को भारत देश बहुत याद आ रहा था | इसलिए फिर वे भारत देश वापस लौट आए और यहीं बस गए |
वे पिछले 50 वर्षों से भी अधिक समय से मसूरी के लँडौर में अपने दत्तक परिवार के साथ रह रहे हैं | उन्होंने बच्चों के लिए सैकड़ों शॉर्ट स्टोरीस , निबंध, उपन्यास और किताबें लिखी |
उन्होंने साहित्य की विभिन्न शैलियों में लेखन किया है | उनकी 500 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं |
द ब्लू अम्ब्रेला बच्चों के लिए एक मशहूर कहानी है |
उनके द्वारा लिखित किताबों मे शामिल है –
1. अवर ट्रीज़ स्टिल ग्रो इन देहरा (Our Trees Still Grow in Dehra)
2. ए फ्लाइट ऑफ पिजन्स (A Flight of Pigeons)
3. एंग्री रिवर (Angry River)
4. रोड्स टू मसूरी (Roads to Mussoorie)
5. द चेरी ट्री (The Cherry Tree)
6. द नाइट ट्रेन एट देओली (The Night Train at Deoli)
7. ग्रैंडफादर्स प्राइवेट ज़ू (Grandfather’s Private Zoo)
8. इट्स अ वंडरफुल लाइफ (It’s a Wonderful Life)
लाइफ मैजिक मोमेंट्स (Life Magic Moments) हाल ही में उनके 91वें जन्मदिन पर प्रकाशित किताब है |
उनकी कई कहानियों पर फ़िल्में और टीवी सीरियल बन चुके हैं | जिनमे शामिल है –
‘ए फ्लाइट ऑफ पिजन्स’ | इस पर आधारित हिंदी फिल्म ‘जुनून’ (1978) बनी थी |इसमे गुजरे जमाने के सुपर स्टार शशि कपूर जी ने अभिनय किया है |
उनके उपन्यास ‘सूज़ेन्स सेवन हस्बैंड’ पर विशाल भारद्वाज ने फिल्म ‘7 खून माफ़’ बनाई जिसमे अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने अप्रतिम अभिनय किया था |
श्याम बेनेगल ने उनकी ‘रस्टी’ कहानियों पर आधारित ‘एक था रस्टी’ नामक दूरदर्शन सीरियल बनाया था |
रस्किन बॉन्ड को उनके साहित्यिक योगदानों के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है | जिनमे शामिल है –
1. साहित्य अकादमी पुरस्कार – सन 1992 मे | ‘अवर ट्रीज़ स्टिल ग्रो इन देहरा’ के लिए
2. पद्म श्री (1999): भारत सरकार द्वारा साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदानों के लिए |
3. दिल्ली सरकार का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार (2012) मे |
4. पद्म भूषण (2014) – साहित्य में उनके योगदान के लिए|
5. साहित्य अकादमी फेलोशिप – यह साहित्य अकादमी द्वारा दिया जानेवाला सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है | उन्हें 2021 में इस सम्मान के लिए नामित किया गया था|
सारांश –
यह कहानी सोलह साल के एंग्लो-इंडियन रस्टी नाम के लड़के की है | वह देहरादून मे रहता है | कहानी उसके इर्द-गिर्द ही घूमती है | वह अनाथ है | इसीलिए अपने अंग्रेज़ अभिभावक, श्री हैरिसन के साथ रहता है | वह स्वभाव से बड़े सख्त है |
हैरिसन रस्टी को भारतीय बच्चों से दूर रखना चाहते हैं | वह उसका पालन-पोषण अंग्रेज़ बच्चों की तरह करना चाहते है लेकिन रस्टी को यह पाबंदियाँ पसंद नहीं | वह आज़ादी से जीना चाहता है | अपनापन चाहता है | इसी की तलाश मे वह घर से भाग जाता है |
भागने के बाद, रस्टी को भारतीय दोस्तों का एक समूह मिलता है जिनमें सोमी और किशन मुख्य हैं | बाद मे सोमी उसका पक्का मित्र बन जाता है | सोमी के ही जरिए रणबीर , सूरी , किशन और किशन के ममी – पप्पा उसके चहेते बन जाते है | इन दोस्तों के साथ मिलकर वह देहरादून की गलियों, बाज़ारों और त्योहारों की चहल-पहल में खो जाता है | यह दोस्ती रस्टी को एक नई ज़िंदगी देती है और उसे जीना सिखाती है |
इन दोस्तों के साथ रहते हुए वह अपनी एंग्लो-इंडियन पहचान और भारतीय संस्कृति के बीच संतुलन बिठाने की कोशिश करता है | रस्टी के पास अब दोस्त है पर रहने के लिए घर नहीं | सर पर छत तो चाहिए |
इस छत के रूप में उसे वह रूम मिलती है जो रूम कहने लायक तो नहीं लेकिन वह उसकी अपनी है और उस मीना कपूर के घर की छत पर है | जिसे रस्टी प्यार करता है | इसीलिए उसे यह छतवाली रूम ज्यादा प्रिय है | यह रूम उसकी आज़ादी और सुकून का ठिकाना बन जाती है | यह कमरा उसके सपनों और इच्छाओं का प्रतीक है | रस्टी अपनी ज़िंदगी अपनी शर्तों पर जीना चाहता है | वह इसके लिए संघर्ष भी करता है |
मीना देहरादून मे ही रहती है | वह उसके जीवन में एक नया मोड़ लाती है | मीना के साथ प्रेम , रस्टी को भारतीय संस्कृति और अपनेपन का एहसास कराती है | रस्टी इस रिश्ते से भावनात्मक रूप से प्रभावित होता है |
अब उसका पूरा समय इन्हीं लोगों के साथ बितता है | समय के साथ इन लोगों के रिश्ते प्रगाढ़ होते जाते हैं | किशन जो कभी बदमाश किस्म का लड़का हुआ करता था | अभी सुधरकर रस्टी का करीबी बन जाता है |
उसकी मम्मी “मीना कपूर” के मरने के बाद किशन अपनी मौसी के घर चला जाता है | सोनी , सूरी और रणबीर भी देहरादून छोड़कर मसूरी और अमृतसर चले जाते हैं | अब रस्टी का मन यहां नहीं लगता | इसीलिए वह हिंदुस्तान छोड़कर इंग्लैंड जाना चाहता है |
वह हरिद्वार ट्रेन में बैठकर अपने सफ़र पर निकल पड़ता है | वहां उसकी मुलाकात किशन से होती है जो अभी छठा हुआ बदमाश बन चुका है क्योंकि उसके पिता मिस्टर कपूर ने दूसरी शादी कर ली है |
तो अब रस्टी क्या करेगा ? क्या वह अपने दोस्त को इस हाल में छोड़कर इंग्लैंड चला जाएगा या अपने दोस्त किशन के साथ वापस अपने प्रिय रूम में वापस चले जाएगा ?
पढ़कर जरूर जानिएगा | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ….
धन्यवाद !!

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