द लॉस्ट सिम्बॉल
by Dan Brown
रिव्यू –
श्रीमान ब्राउन एक बहुत ही प्रसिद्ध लेखक है | उनकी लिखी “द विंन्सी कोड” यह किताब भी अच्छी खासी प्रचलित है | उनके किताबों के बारे मे बहुत ही दिग्गज लोगों ने अच्छी – अच्छी राय बताई है | किताब के ही शुरुवात मे लेखक के बारे मे जानकारी दी है | यह किताब उन्होंने , उनकी पत्नी ब्लीथ को समर्पित की है | उनकी कहानी मे वर्णित जगह , इमारते , रास्ते ई. यह वास्तव मे होते है लेकिन इनके इर्द – गिर्द गढ़ी हुई कहानी काल्पनिक होती है |
किताब मे वर्णित जगाहों का इतिहास आप को जानना है तो आप को उनकी किताबे जरूर पढनी चाहिए | इन सारी चीजों के लिए लेखक की पत्नी बहुत मेहनत और रिसर्च करती है क्योंकि वह ऐतिहासिक कलाकृति और चित्रकला की अच्छी जानकार है | जब भी वह कभी नया विषय अपनी किताब के लिए चुनते है , तब उनके पत्नी का उसके लिए रिसर्च शुरू हो जाता है | बहेरहाल , द लॉस्ट सिम्बल इसकी शॉर्ट मूवी का ट्रेलर आप यू – ट्यूब पर देख सकते है | प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – डैन ब्राउन
मराठी अनुवाद – अशोक पाध्ये
प्रकाशक – मेहता पब्लिशिंग हाउस
पृष्ठ संख्या – 712
उपलब्ध – अमेजन , किन्डल
यह किताब बहुत लंबी है इसलिए इसको पढ़ने मे भी उतना ही वक्त लगा | हमे खुशी है की हम सारांश बुक ब्लॉग पढ़ने वालों के लिए अच्छी किताबे लेकर आते है फिर उसकी पृष्ठ संख्या हमारे लिए मायने नहीं रखती | वैसे भी उत्तम किताबों की श्रेणी मे आने वाली “ययाति , मृत्युंजय , श्रीमान योगी ” जिनकी पृष्ठ संख्या भी 800 से 900 के करीब है फिर भी इन किताबों का रिव्यू और सारांश भी हम आप के लिए लेकर आए है | यह हमारी वेबसाईट पर उपलब्ध है | इन्हे भी एक बार जरूर पढिए |
अब प्रस्तुत किताब के बारे मे जानकारी देते है | किताब जैसे ही पढ़नी शुरू की , किताब मे कोई थ्रिल नहीं आया जिसके लिए लेखक की किताबे प्रसिद्ध है | फिर बारह – तेरह अध्याय हो गए फिर भी कहानी बोरिंग ही लग रही थी | कहानी बहुत धीरे आगे बढ़ रही थी जैसे कोई ट्रेन स्टेशन छोड़ने के पहले चलती है | जब 50 से 55 अध्याय हो गए तब जाकर कहानी ने रफ्तार पकड़ी फिर किताब को पढे बगैर छोड़ने की इच्छा नहीं हुई |
वैसे तो कहानी का नायक रॉबर्ट अपनी हुशारी से सबका मन मोह लेता है लेकिन साटो जो गुप्तचर संस्था की वरिष्ठ अधिकारी है और जितनी हुशार बतायी गई है , उस हिसाब से उसका पात्र पाठकों को नाराज करता है क्योंकि कहानी का खलनायक “मालख” एक बहुत ही खतरनाक व्यक्ती है | यह पता होने के बावजूद वह अपने सिर्फ एक एजेंट को रॉबर्ट और कॅथरीन के साथ भेजती है | उसे यह लगता है क्या , की पूरी दुनिया को खतरा पैदा करने वाले उस खलनायक को सिर्फ एक एजेंट संभाल लेगा ?
इसका परिणाम उन तीनों को मौत से रूबरू होना पड़ता है | कहानी का बहुत सा हिस्सा दो पात्रों के संभाषण मे ही चला जाता है | जिस पिरामिड के आजू – बाजू यह कहानी गुत्थी हुई है | वह पिरामिड भी कोई खास रहस्य नहीं खोल पाता | पूरी किताब भर जिन गूढ और प्राचीन रहस्यों की बात की है उस हिसाब से लगता है की कोई बहुत ही अद्भुत रहस्य प्रकट होगा पर ऐसा कुछ नहीं होता और ऐसे से वाचकों के हाथ मे निराशा आती है |
एक बात माननी पड़ेगी , लेखक बहुत ज्ञानी है | उन्होंने बहुत सारे धर्मग्रंथों के साथ और भी बहुत सी किताबों को पढा है | इसकी प्रचीती उनके किताब मे आती है जहां उन्होंने अपना ज्ञान उड़ेल कर रख दिया है | कहानी के उसी हिस्से मे थ्रिल आता है जहां कहानी का खलनायक “मालख” शामिल है | इस पात्र को लेखक ने बखूबी अंजाम दिया है | चलिए तो , किताब के बारे मे बहुत जान गए , अभी इसकी कहानी के बारे मे थोड़ा जान लेते है | आईए , इसी के साथ देखते है इसका सारांश –
सारांश –
पीटर सोलोमन एक उच्चस्तरीय , मेसन पंथिय व्यक्ति है | यह पंथ प्राचीन और गूढ रहस्यों का रक्षण करता है | पीटर के पास एक प्राचीन पिरामिड है जो वंश परंपरगत रीति से उसके पास पहुँचा है | इसी पिरामिड को खतरे मे जानकार , इसकी सुरक्षा के लिए पीटर यह पिरामिड रॉबर्ट को देता है | इस पिरामिड को हासिल करने वाले लोग रॉबर्ट को प्राचीन गूढ तरीके से इन्विटैशन देते है ताकि रॉबर्ट प्राचीन गूढ रहस्यों का द्वार उन्हे ढूंढ कर दे और अपने सबसे अच्छे दोस्त पीटर की जान बचा ले |
मालख को ऐसा इसलिए लगता है क्योंकि रॉबर्ट चिन्हशास्त्र का प्रोफेसर है और प्राचीन चिन्हों के अर्थ समझ सकता है | रॉबर्ट के पास जो पिरामिड है उसको हासिल करने के लिए मालख बेकरार है | उसे लगता है की उस पिरामिड की वजह से वह कीसी गुप्त शक्ती के भंडार तक पहुँच सकता है जिससे वह देवताओ की श्रेणी मे आ जाएगा | इसी पिरामिड की वजह से पीटर को अपना दाया हाथ गवाना पड़ता है , पीटर की माँ और बेटे झकारी को अपनी जान गवानी पड़ती है | पीटर की बहन कैथरीन को भी मौत से गुजरना पड़ता है |
कैथरीन की पूरी पूंजी उसकी लैब थी जहां वह नोएटिक साइंस पर बेस अपना संशोधन किया करती थी | वह लैब भी मालख पूरी तरह नष्ट कर देता है | रॉबर्ट को भी वह कॉफीन मे बंद कर के मार देता है | और भी बहुत सारे लोगों को उसकी वजह से अपनी जान गवानी पड़ती है | आखिर मालख को पीटर के परिवार से इतनी दुश्मनी क्यों ? किताब के अंत मे , जब पीटर के हाथ मे बड़ी सी छुरी होती है उसके बावजूद वह मालख को क्यों नहीं मार पाता ? बल्कि उसके मरने पर आँसू बहाता है | कहानी के आखिर मे जो सच्चाई वाचकों के सामने आती है वैसा ट्विस्ट पूरे कहानी मे कीसी ने भी एक्स्पेक्ट नहीं किया होगा | लेखक की यही खूबी उनकी किताबों को एक श्रेष्ठ श्रेणी मे लेकर जाती है |
पीटर का कटा हुआ हाथ जैसे ही कैपिटोल इमारत मे मिलता है वैसे ही साटो वहाँ पहुँच जाती है | उनके पास ऐसे – ऐसे उपकरण बताए है जिससे वह अपराधियों का कम वक्त मे ही पता लगा लेने मे सक्षम है | पीटर का दोस्त बेलामी जिस साटो को अपना दुश्मन मानते है वही साटो उनकी मददगार साबित होती है | पर कैसे ? साटो के पास ऐसी कौनसी जानकारी है जिसे दिखाकर रॉबर्ट और बेलामी उस पर विश्वास करने लगते है ? वह कौन सी बात है जिसे वह बार – बार राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला बताती है ? आखिर वह लॉस्ट सिम्बल कहानी के पात्रो को मिलता है या नहीं ? क्या वह सचमुच अस्तित्व मे है या फिर कहानी के बाकी चीजों की तरह वह भी प्रतीकात्मक है ?
उपर्युक्त सारे सवालों के जवाब आप को किताब पढ़कर मिल जाएंगे | किताब मिली – जुली प्रतिक्रिया वाली है , न तो बहुत बुरी , न तो बहुत अच्छी | हाँ , किताब की एन्डिंग बहुत ही लाजवाब है | किताब का वह भाग हमे बहुत पसंद आया | किताब एक बार पढ़ने लायक जरूर है | तो इस किताब को जरूर पढिए | लेखक के बहुत सारे ज्ञान का अनुभव लीजिए |
धन्यवाद !
Wish you happy reading…….