SWAPNAVASAVDATTA BY BHAS BOOK REVIEW SUMMARY

महाकवि भास के प्रसिद्ध नाटक स्वप्नवासवदत्तम् (Swapnavasavadatta) का कवर और हिंदी रिव्यू

स्वप्नवासवदत्ता
कवि भास द्वारा लिखित

रिव्यू –

कवि भास के बारे मे – 

कवि भास यह बड़े प्रसिद्ध और महान कवि थे | इसीलिए कालिदास , बाणभट्ट , राजशेखर जैसे कवियों ने इनकी बहुत प्रशंसा की | वामन , भामह , अभिनव गुप्त जैसे आचार्यों ने उनके रूपकों का उल्लेख किया है | वह इतने प्रसिद्ध होने पर भी यह विटम्बना ही है कि उनके बारे में कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है |
उनके बारे में यह भी पता नहीं लगता की वह कब और कहां हुए ? विद्वानों के मतानुसार उनका काल तीसरी शताब्दी का माना जाता है | उनके द्वारा लिखित तेरह रूपकों के बारे में पता चला पर विद्वानों में यह भ्रम है कि वह उनके द्वारा रचित है भी या नहीं लेकिन “स्वप्नवासवदत्ता” के बारे में उनका ठोस मत है कि यह रचना उन्ही की है |
प्रस्तुत नाटक में कवि की कला का अपूर्व रूप उभर कर आया है | हम इसे 5 स्टार की रेटिंग देते है | 

नाटक की कहानी – 

नाटक में वत्स देश के राजा उदयन और मगध की राजकुमारी पद्मावती की कहानी है पर असलियत में उदयन की पहली रानी “वासवदत्ता” के असीम प्रेम और मंत्री यौगन्धरायन के स्वामीभक्ति की कहानी है |

यहाँ दूसरे नाटकों की तरह राजा की कामुकता का वर्णन नहीं है | नाहीं तो रनिवास के षडयंत्रों का | बल्कि यहाँ तो जहाँ – तहां प्रेम का निवास है | नाटक में सम्मिलित हर एक पात्र एक दूसरे के प्रति अपार प्रेम और अपनेपन का प्रदर्शन करते हैं |
यह संस्कृत का एक सफल नाटक है | कवि भास छोटे-छोटे वाक्य लिखने के लिए ही प्रसिद्ध है लेकिन इनमें गहरा अर्थ समाया होता है | उनकी भाषा सरल , स्वाभाविक और भावपूर्ण होती है |
इन्होंने प्रकृति का चित्रण भी अद्भुत  किया है | उदाहरण के लिए – प्रमदवन का | इन्होंने मानव हृदय की सच्ची भावनाओं को उजागर किया है | उनके नाटकों का पता सन 1909 और 1912 में लगा है |
यह उनके द्वारा रचित नाटकों मे सबसे उत्कृष्ट माना जाता है | इस नाटक में छह अंक हैं और यह एक प्रेम कथा को आधार बनाकर लिखा गया है |

प्रस्तुत नाटक के –
रचयिता है – कवि भास (संस्कृत मे )
हिन्दी रूपांतरकार – विराज
पृष्ठ संख्या है – 96
प्रकाशक – राजपाल एण्ड संस
उपलब्ध है – अमेजन और किन्डल पर
उदयन का मंत्री योगन्धरायण, जो बहुत दूरदर्शी है, समझता है कि राज्य को मजबूत करने के लिए उदयन को मगध के राजा दर्शक की बहन पद्मावती से विवाह करना चाहिए लेकिन उदयन अपनी पत्नी वासवदत्ता से बहुत प्रेम करते हैं और उन्हें छोड़ना नहीं चाहते |
इसलिए, योगन्धरायण एक योजना बनाता है | नाटक के अंत में, योगन्धरायण की योजना सफल होती है | योगन्धरायण की बुद्धि, उदयन का प्रेम, और वासवदत्ता का त्याग दर्शनीय है | नाटक में मुख्यतः शांत रस और करुण रस का मिश्रण है, लेकिन श्रृंगार रस भी प्रमुख है | छह अंकों का यह नाटक कथा को धीरे-धीरे विकसित करता है और अंत तक दर्शकों को बांधे रखता है | “स्वप्नवासवदत्तम्” को भारतीय नाट्य परंपरा में एक महान कृति माना जाता है, जो प्रेम, त्याग, और बुद्धिमत्ता की कहानी कहती है | यह आज भी संस्कृत साहित्य के प्रेमियों के बीच बहुत लोकप्रिय है |

सारांश –

पहले पात्रों का परिचय जान लेते है –
उदयन – वत्स देश का राजा |
वासवदत्ता – उदयन की पत्नी और उज्जैन के राजा प्रद्योत की पुत्री
योगन्धरायण – उदयन का बुद्धिमान मंत्री
पद्मावती – मगध के राजा दर्शक की बहन
लाक्षणिक – मगध के राजा का गुप्तचर
वत्स नाम के प्रसिद्ध राज्य की राजधानी “कौशांबी” थी | वहां के महाराज उदयन थे | उनकी रानी का नाम “वासवदत्ता” था | वह उज्जैन के प्रसिद्ध राजा प्रद्योत की बेटी थी | वह अपनी वीरता के कारण “चंड महासेन” के नाम से प्रसिद्ध थे |
उदयन एक वीर राजा थे | यौगन्धरायण और रूमण्वान जैसे नीतिकुशल उनके मंत्री थे | फिर भी वह हार गए जब उनके शत्रु “आरुणि” ने कौशांबी पर हमला किया | यह सब लोग वहां से पलायन कर गए और अब “लवाणक” में रहने लगे |
यह एक छोटा सा जनपद था जो मगध की सीमा पर और वत्सराज के भीतर ही स्थित था | महाराज उदयन तो अपनी इस परिस्थिति में भी खुश थे लेकिन उनके मंत्री नहीं | मंत्री यौगन्धरायण हमेशा अपना राज्य वापस पाने के बारे में सोचा करते |
इस पर विचार करके उन्होंने एक योजना बनाई और उस पर अमल भी शुरू किया | अब उनकी योजना क्या थी ? उस पर उन्होंने कैसे काम किया ? उसी की पृष्ठभूमि पर आधारित यह नाटक है |
मगध की राजधानी थी “राजगृह” | इसके के पास ही एक तपोवन था | उस तपोवन में मगध की “राजमाता” रहती थी | उनकी बेटी उनको वही मिलने आया करती | एक बार उनकी बेटी उनसे मिलकर राजधानी राजगृह वापस जा रही थी | मार्ग मे विश्राम के लिए किसी आश्रम में ठहरी |
यहां उनके आने के साथ ही , उनके अंगरक्षकों ने सामान्य जनता को हटाना प्रारंभ किया | इसमें वासवदत्ता भी शामिल थी | उसके साथ सामान्यों जैसे व्यवहार से वह दुखी हो गई | इस पर यौगन्धरायण ने उसे समझाया कि सुख-दुख आते जाते रहते हैं | वह एक पहिए के समान घूमते रहते हैं | आपने तो अपने पति के कल्याण के लिए सुखों का त्याग किया है | इसीलिए आपको मान – अपमान के बारे में इतना नहीं सोचना चाहिए |
इस समय वासवदत्ता मालवा के स्त्रियों की वेशभूषा मे थी और यौगन्धरायण सन्यासियों के वेश में थे | आश्रम में रुकनेवाली राजकुमारी , मगध की राजकुमारी पद्मावती थी | उसके बारे में ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी कि वह राजा उदयन की रानी होगी |
वासवदत्ता को पूछताछ करने पर पता चला की राजकुमारी पद्मावती के विवाह की बात उज्जैन के राजा प्रद्योत के पुत्र के साथ चल रही है | यह जानकर वासवदत्ता को बेहद खुशी हुई क्योंकि उज्जैन का राजकुमार उसका भाई था | इस नाते वह उसकी भाभी होने जा रही थी |
राज परिवार के लोगों से सन्यासी लोग कुछ मांगे तो वह मना नहीं करते थे | इसी बात का फायदा उठाकर मंत्री यौगन्धरायण ने वासवदत्ता को राजकुमारी पद्मावती के पास रखा | यह कहकर कि यह मेरी छोटी बहन है | इसका पति परदेश गया हुआ है | इसे मैं आपके पास धरोहर के रूप में छोड़ना चाहता हूं | पद्मावती ने वासवदत्ता को अपने पास रख लिया |
इसी वक्त वहां एक ब्रह्मचारी आया | वह लावानक में रहकर पढ़ाई करता था | उसने बताया कि महाराज उदयन जब शिकार करने चले गए थे | तभी वहां के गांव में आग लग गई | इस आग में रानी वासवदत्ता जलकर मर गई | उसे बचाने के चक्कर में मंत्री यौगन्धरायण भी जल गए |
महाराज ने बहुत विलाप किया | मंत्रियों ने उन्हें रोका | नहीं तो वह खुद भी उस आग में जलकर भस्म हो जाते | मंत्री रूमण्वान राजा को उस गांव से लेकर चले गए | राजा के जाते ही वह गांव भी उजड़ गया | इसलिए वह भी वहां से चला आया | अब तक यौगन्धरायण ने राजकुमारी पद्मावती से जाने की आज्ञा ले ली थी |

वासवदत्ता का त्याग – 

वासवदत्ता , राजकुमारी पद्मावती के साथ रहने लगी | वक्त के साथ दोनों में गहरी मैत्री हो गई | ऐसे में वासवदत्ता को पता चला कि पद्मावती उज्जैन के राजकुमार के साथ नहीं बल्कि राजा उदयन के साथ विवाह करना चाहती है क्योंकि उसे लगता है की राजा उदयन बहुत ही दयालु और स्नेही है |
तभी एक सेवक ने आकर बताया की उनका विवाह राजा उदयन से तय हो गया है | इस बात पर वासवदत्ता को बड़ा दुख हुआ | वह सोचने लगी पहली पत्नी के मृत्यु के तुरंत बाद ही राजा ने दूसरी शादी के लिए हां कर दी | इस पर उसे दासी ने बताया कि राजा यहां किसी और काम से आए थे | वह तो उनका रूप ,शील और व्यवहार देखकर मगध के राजा ने स्वयं ही अपने बहन का रिश्ता उनके साथ तय किया |
यह जानकर वासवदत्ता को थोड़ा अच्छा लगा | पद्मावती का विवाह उसी दिन होना तय था | इसीलिए सब तरफ शादी की तैयारीयां होने लगी | इस शादी से वासवदत्ता दुःखी थी | वह दुःखी मन के साथ ही प्रमदवन में बैठी थी कि विवाह के लिए वरमाला बनाने का काम उसी को दिया गया |
इस पर उसका मन और ज्यादा दुःखी हुआ | विवाह के बाद पद्मावती और उसकी सखियों में बातें होने लगी की महाराज किसे ज्यादा चाहते हैं | उसे की वासवदत्ता को | ऐसे में एक दिन राजा उदयन अपने विदूषक वसंतक के साथ प्रमदवन में आए |
उन्हें देखकर वासवदत्ता छिप गई क्योंकि उसका नियम था कि वह किसी पर पुरुष के आगे नहीं जाएगी | वासवदत्ता की याद मे जब उनकी आँखों मे आँसू आए तो वह उनको पोंछने लगे | तभी वासवदत्ता वहाँ से चली गई | वैसे तो उनको मगध के राजमहल में सब सुख प्राप्त था पर उनका मन अभी भी वासवदत्ता में ही अटका पड़ा था | नए विवाह से तो यह याद और तीव्र हो गई थी |
ऐसे में उदयन को पद्मावती के बीमार होने का पता चला | वह घबराकर समुद्रगृह की ओर चल पड़े | तब पद्मावती वहां नहीं थी | उसकी राह देखते हुए उदयन वही सो गए | उसी वक्त वासवदत्ता भी वहाँ आई | उसे भी पद्मावती के सिर दर्द के बारे में पता चल गया था |
वहां उदयन नींद मे भी वासवदत्ता का नाम लेकर बड़बड़ाने लगे | नींद मे राजा का हाथ पलंग से नीचे लटक रहा था | वासवदत्ता ने हाथ को उठाकर पलंग पर रख दिया | उसके स्पर्श से महाराज को पता चला कि यह वासवदत्ता है पर वह तब तक वहां से चली गई थी | वसंतक ने कहा कि आपने यह सब सपने में देखा | इसीलिए शायद इस ग्रंथ का नाम “स्वप्न वासवदत्ता” पड़ा होगा |

राजा उदयन ने अपना वत्स देश वापस लिया –  

मगध के महाराज दर्शक ने उन तक मैसेज भिजवाया की मंत्री रूमण्वान , बहुत सारी सेना लेकर आरुणि का वध करने के लिए वत्स देश की ओर जा रहा है | अब मगध की सेना भी उसका साथ देगी | साथ में वत्स देश के बहुत से शत्रु भी अब उनके मित्र बन गए हैं | अब आपकी जीत निश्चित समझो और आक्रमण के लिए तैयार हो जाओ !
इतना सुनकर महाराज उदयन तुरंत युद्ध के लिए निकल पड़े | वह युद्ध जीत गए | उनका वत्स देश उनके पास वापस आ गया था | कुछ दिनों के बाद वासवदत्ता के पिता और माता ने उदयन को नई शादी के लिए बधाई भेजी |
यह बधाई भेजने के लिए महाराज की तरफ से कंचुकी आया था | यह वह व्यक्ति होता है जो संदेश लेकर आता है और महारानी की तरफ से वासवदत्ता की धाय को भेज गया था | यह दोनों वासवदत्ता और उदयन का एक चित्र भी अपने साथ लाए थे |
पद्मावती ने उस चित्र को देखा तो चकित रह गई | वासवदत्ता का चित्र अवंतिका से मिलता था | महारानी को आश्चर्यचकित देखकर उदयन ने कारण पूछा तो महारानी पद्मावती ने अवंतिका के बारे में पूरी कहानी बता दी |

यौगन्धरायन और वासवदत्ता की असलियत क्या उदयन जान पाएंगे ? 

तभी ब्राह्मण बने यौगन्धरायन अपनी बहन को लेने वापस आ गए | पहले तो उन्होंने सोचा की महाराज उसके बारे में क्या सोचेंगे ? उन्होंने महाराज की जय जयकार की | यह आवाज सुनकर महाराज को आश्चर्य तो हुआ पर उन्होंने उसे दिखाया नहीं |
ब्राह्मण की बहन एक धरोहर के रूप में महारानी के पास थी | इसीलिए उसे लौटाते समय दो लोगों का होना अनिवार्य था | इसीलिए वासवदत्ता के मायके से आए कंचुकी और वासवदत्ता की धाय वसुंधरा को बुलाया गया |
अब जिस धाय ने वासवदत्ता का बचपन से पालन – पोषण किया था | वह तो उसको पहचानेगी ही | उसने पहचाना | महाराज ने वासवदत्ता को अंदर जाने के लिए कहा | इस पर यौगन्धरायन ने अपनी बहन को वापस करने पर जोर दिया |
अब इस बहस का निकाल क्या निकला ? यह तो आपको किताब पढ़कर ही जानना होगा | जानना होगा की वासवदत्ता और यौगन्धरायन ने अपने आप को प्रकट किया या नहीं ? या फिर महाराज ने सब कुछ जानने के बाद यौगन्धरायन को दंड दिया | उस यौगन्धरायन को जिसने महाराज पर जब-जब विपत्ति आई ,तब – तब तरह-तरह के उपाय करके , कूटनीति से , युद्ध से महाराज की रक्षा की | या फिर सबको माफ कर के इसकी सुखद सांगता की | पढ़कर जरूर जनिएगा | कवि भास द्वारा लिखित ,”स्वप्नवासवदत्ता” | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते है , और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ….
धन्यवाद !!

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” FAQ सेक्शन में आपका स्वागत है | 

सवाल है ? जवाब यहाँ है | (FAQs SECTION)

Q.1.स्वप्नवासवदत्ता का मुख्य विषय क्या है?

A. प्रेम , त्याग , विरह , युद्ध , स्वामीनिष्ठा और पराक्रम 

Q.2 वासवदत्ता की कहानी क्या है?

A. राजा उदयन और  वासवदत्ता की प्रेमकहानी है |

Q.3.नाटक में उदयन कौन है?

A.यह वत्स देश के महाराज और वासवदत्ता के पती है | 

Q.4. स्वप्नवासवदत्ता के रचयिता कौन है ? 

A.कवि भास इसके रचयिता है | 

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