सूर्यास्त
वि. स. खांडेकर द्वारा लिखित
रिव्यू –
यह वि. स. खांडेकर द्वारा लिखित एक कथासंग्रह है | यह 19 वी सदी के मराठी के दिग्गज लेखकों मे से एक रहे है | इनके बारे मे जानकारी सारांश बुक ब्लॉग पर उपलब्ध “ययाति ” इस ब्लॉग मे दी है | इस मे इन मीन चार कहानिया है जिनके नाम इस प्रकार है – बुद्धाची गोष्ट , अनाथ , सूर्यास्त ,प्रतिमा | प्रस्तुत किताब के
प्रकाशक है – मेहता पब्लिशिंग हाउस
पृष्ठ संख्या – 50
उपलब्ध – अमेजन , किन्डल पर मराठी भाषा मे
सारांश –
बुद्धाची गोष्ट मे बालासाहब एक छोटा बच्चा है जो स्कूल मे पढ़ता है | बड़े जो बताते है वह उसे ही सच मानता है क्योंकि उसका मन निष्पाप है | बड़ों की दुनिया का छल कपट उसे छु नहीं पाया है | इसी बच्चे को एक अनाथआश्रम मे बुद्ध की कहानी सुनानी है | उस आश्रम की अध्यक्ष उसकी मम्मी ही है | कहानी याद करते वक्त वह बुद्ध के चरित्र को अपने मास्टरजी से जान लेता है की वह कितने दयालु थे | लोगों के दुःखों का इलाज ढूँढने के लिए उन्होंने अपना राजमहल तक त्याग दिया | वह भी बुद्ध के जैसा बनना चाहता है | दयालु और दूसरों के दुःख दूर करने वाला ………………..
दूसरे दिन आश्रम जाते समय रास्ते पर उसकी माँ को गरीब लोगों के साथ बुद्ध के जैसा व्यवहार न करते देखकर बच्चा अपनी माँ से गुस्सा हो जाता है | अनाथ आश्रम की एक छोटी बच्ची को वह अपनी बहन मान उसे हमेशा जरूरत पड़ने पर उसका साथ देने का वादा करता है लेकिन वह अपना वादा निभा नहीं पाता क्योंकि उसके माता – पिता बाते तो बड़ी ऊंची सोच वाली करते है पर जब इन्ही बातों को अमल मे लाने की बात आती है तो वह अपना व्यवहार ही बदल लेते है जैसे की उनके घर की खाना बनानेवाली को कोड हो जाता है तो बालासाहब की मम्मी उससे बात करना तो दूर उसे पहेचानती तक नहीं | बालासाहेब जिसे अपनी बहन मानता है उसकी मदद के लिए , उसके माता – पिता जाने तक नहीं देते और उसकी बातों को मजाक मे उड़ा देते है | लोगों की कथनी और करनी मे कितना फर्कहोता है | यह बताने वाली इस कहानी को आप जरूर पढे |
दूसरी है अनाथ – यह एक अनाथ बच्चे की ही कहानी है जिसे अमीरों के घर से खाना मिलने की आशा रहती है पर उसकी यह आशा कभी पूरी नहीं होती | आखिर उसे खाना एक पागल भिखारिन खिलाती है |
तीसरी है सूर्यास्त – एक समाज सेवक की कहानी है जिसे अर्धांगवायू हुआ है | उसका वक्त बीत जानेपर उसके साथी जो अभी बड़ी पोजीशन पर पहुँच चुके है | उसे पहेचानने से भी इनकार कर देते है | उनका एक गरीब विद्यार्थी अभी भी उसे अपना भगवान मानता है | लोग उसे अभी भी याद करते है और उसने कम से कम एक की तो जिंदगी सवारी है | वह इसी बात से खुश है |
बाकी प्रतिमा इस कहानी को जानने के लिए आप को किताब पढनी होगी |समाज की वास्तविकता दर्शानेवाली इस किताब को जरूर पढिए |
धन्यवाद !
Wish you happy reading………………….
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