शिखंडी
रिव्यु और सारांश –
शिखंडी यह देवदत्त पट्टनायक द्वारा लिखित किताब है जिसके प्रकाशक है – राजपाल एंड संस और इसकी पृष्ठ संख्या है -190 | इस किताब को हिंदी में अनुवादित किया है – रमेश कपूर इन्होने | किताब छोटी सी है इसलिए रिव्यु और सारांश एकसाथ दे रहे है |
आज की तारीख में देवदत्त को कौन नहीं जानता ? उन्होंने M.B.B.S. किया है | अतः उन्होंने डॉक्टरी पेशे को अपनाने के बजाय अपने पैशन को प्राधान्य दिया | वे न तो सिर्फ भारतीय पुरानो एवं शास्त्रों के बारे में जानते है बल्कि उन्होंने विदेशी माइथोलॉजी भी पढ़ी है | इसलिए उनकी किताबो में हमें विदेशी पुरानो से सम्बंधित कहानिया भी मिल जाती है | वे इन सारी चीजो को विज्ञान की दृष्टी से समझाते है | उनके किताबो के चित्र वे खुद ही ड्रा करते है | वैसे तो देवदत्त की किताबे समझने में बहुत कठिन लगती है फिर भी किताब पढ़कर जो समझ में आया आप को बताने की कोशिश कर रहे है |
प्रस्तुत पुस्तक एक ऐसे विषय पर आधारित है जिसे पहले के मनुष्य ने तो आसानी से अपनाया लेकिन बदलते वक्त के साथ उन बातो को बुरा माना गया | उन बातो के साथ सम्बंधित लोगो को समाज में नकारा गया | अभी फिर से वक्त के साथ समाज की विचारधारा बदली और उन लोगो को समाज में अपना स्थान प्राप्त हो गया | अब आप समझ ही गए होंगे की हम किन के बारे में बात कर रहे है | जी हां – प्रस्तुत किताब उभयलिंगी लोगो के बारे में बताती है जो ना तो पूरी तरह स्त्री थे न तो पूरी तरह पुरुष ……… फिर भी समाज में सन्मान का स्थान पाते थे | पुराण ऐसी कहानियो से भरे पड़े है | उसमे से ही बहुत सी कहानिया लेखक ने इसमें बताई है जो अलग – अलग पृष्ठ भूमि से है जैसे महाभारत से , पुराणों से , बंगाल की वाचिक कथाओ से , पीढ़ी दर पीढ़ी बताई गई कथाये , लोकगीतों के द्वारा बताई कथाये ई.
लेखक ने इस किताब को शिखंडी यह नाम शायद इसलिए दिया हो क्योंकि यह महाभारत का एक प्रसिद्ध पात्र है जो भीष्म की मौत का कारण बना या बनी | किताब के कहानियो की शुरुवात भी उसी की कहानी से होती है | जो पहले के जन्म में अम्बा है | उसके जीवन की बर्बादी का कारण भीष्म है | वह भीष्म का सर्वनाश चाहती है लेकिन स्त्री होने के नाते यह संभव नहीं | इसलिए वह आत्महत्या कर द्रौपदी के बहन बनकर नया जन्म लेती है | उसका पिता उसका पालनपोषण पुत्र के जैसा करता है और शादी भी एक स्त्री के साथ करा देता है |
अपने पत्नी को संतुष्ट करने के चक्कर में वह पुरुष बनने के लिए तपस्या करती है | उसकी तपस्या के कारण एक यक्ष अपना पुरुषत्व उसे दे देता है जो शिखंडी के मरने के बाद ही अब उसको वापस मिलेगा | दूसरी है बुध और ईला की कहानी | बुध की माँ का नाम तारा है , तारा के पति है देवो के गुरु बृहस्पति | तारा चंद्रदेव के साथ भाग जाती है | जब बृहस्पति उसे वापस लाते है तब वह गर्भवती रहती है | देव पूछते है की बच्चा किसका है ? तब बुध अपनी माँ के गर्भ से ही अपने पिता चंद्रदेव का नाम बताते है | इससे बृहस्पति शर्मिंदा हो जाते है और बुध को शाप देते है की वह न तो पुरे समय पुरुष रह पायेगा न तो स्त्री……
एक जंगल में महादेव और उनकी पत्नी पार्वती एकसाथ समय बिता रहे है | उनके पत्नी को डिस्टर्ब ना हो इसलिए वह उस जंगल में एक मंत्र फूंक देते है | जिससे सारे नर चाहे वह जानवरों के हो या पक्षियों के | उस जंगल से गायब हो जाते है | यहा तक की उस जगह पर प्रवेश करनेवाला पुरुष भी नारी हो जायेगा | ऐसे ही सामवान नाम का राजकुमार जंगल में प्रवेश कर नारी बन जाता है | उसका नाम स्त्री रूप में ईला है | अब बुध और इला ने शादी कर ली | कभी इला स्त्री बनकर बुध की पत्नी बन जाती है तो कभी पुरुष बनकर बुध का पती ……
और इसी तरह बुध भी कभी पत्नी तो कभी पति …… इन दोनों की वजह से चन्द्रवंश की शुरुवात हुई | ऐसे ही चुडाला एक ज्ञानवान रानी है पर स्त्री होने के कारण पति को उसके ज्ञान की कदर नहीं | लेकिन यही ज्ञान जब वह पुरुष बनकर देती है तो वह उसे स्वीकार करता है और ज्ञानवान हो जाता है | यहाँ ऐसी बहुत सी कहनिया है जिसमे नारी पुरुष बना और पुरुष नारी | इन कथाओ में तो पुरुषो ने बच्चो को जन्म दिया | अब सवाल यह उठता है की जन्म देनेवाले पुरुष अपने बच्चो की माता हुए या पिता | अगर माता हुए तो ,माता अपने बच्चो को अपना उताराधिकार नहीं दे सकती | फिर बच्चे अपने जन्म देनेवाले पुरुष को पिता कहे या माता | ऐसे कई सवाल लिए यह कहानिया है जिसमे शामिल है भागीरथ ,कार्तिकेय ,चुडाला , सामवान ,कृष्ण के नारी रूप की कहानिया ई.
धन्यवाद !
wish you happy reading……..