SAANJAVAAT BOOK REVIEW SUMMARY HINDI

सांजवात

वि. स. खांडेकर द्वारा लिखित

रिव्यु –

     यह किताब पुरे पांच साल बाद प्रकाशित हुई थी | बहुत सारे साहित्यिको एवं विचारवन्तो को लगा की खांडेकर की लिखने की कला उनको छोड़कर चली गई | किसी किसी ने तो उनका उपहास भी उड़ाया लेकिन उन्होंने किसी पे ध्यान नहीं दिया | उन सब को उनकी बातो के लिए अपनी लेखनी से जवाब दिया | किताब के पहले “दो शब्द” में उन्होंने अपने मन की दशा वर्णित की है की क्यों उनकी लिखने की इच्छा नहीं होती थी | दुसरे विश्वयुद्ध के बाद इंसानों की इंसानियत , उनकी इमानदारी कही गुम हो गई थी जो खांडेकर जी को पग – पग पर महसूस होती थी | उनका अंतःकरण उतना ही दुःखी होता था |

      अपने मन की स्थिति से उबरने के लिए उनको पाच साल लगे | पुरे पाच साल बाद उन्होंने पहली कहानी लिखी जिसका नाम था “मौनव्रत” | उन्होंने लिखना तो शुरू किया लेकिन वह इस नई सामाजिक रचना ( विचारधारा) से खुश नहीं थे | वह ऐसी रचना और मूल्य चाहते थे जिससे हर व्यक्ति खुश रहे सके | इस किताब में जो कहानिया सम्मिलित की गई है उनके द्वारा उन्होंने यह दिखाने की कोशिश भी की है | जिसमे पहली है –

तीन जगे – जिसमे गरीब , मध्यम और उच्च वर्ग के बारे में बताया गया है | इस कहानी में १३७ रुपये ५० पैसे तीन वर्गों के लिए अलग – अलग मायने रखते है | गरीब तबके का विद्यार्थी होनहार होकर भी इतने ही पैसो के कर्जे के लिए अपनी पढाई हमेशा हमेशा के लिए छोड़ देता है तो वही अमीर आदमी इतने ही पैसो के आम अपनी प्रियसी के भाई को खरीदकर देता है | मध्यम वर्ग का आदमी इतने ही पैसे जमा करने के लिए सालो से मेहनत करता है ताकि वह अपने बच्चे को कम से कम एक जन्मदिन पर तो तोहफा दे सके | माध्यम वर्ग का आदमी मदद तो करना चाहता है पर उसके पास पैसे नहीं | अमीर के पास पासे है लेकिन इंसानियत नहीं |

शिखर – ऐसे इंसान की कहानी जो धोके को सच मानकर पीछा करते करते बुढ़ा हो जाता है |

दो मोसंबी – ऐसे लोगो की कहानी जो गाँधीवादी मुल्योपर जीवन जीते है | तकलीफ और गरीबी कुछ वक्त के लिए उनको ,उनके रास्ते से भटका देती है | अपने पथ पर वापस आने के लिए उनको फिर से आदर्शवादी लोगो की जरुरत होती है |

ऐसे ही सोन्याची गाड़ी , दोन भूते ,शांति और सांजवात है | इन सारी कहांनियो में कुछ न कुछ सिख है | सारी कहानिया स्वतंत्रता के पहले की है करीब १९४५ की…..

लेखक कहते है की “सांजवात” यह ज्यादा लोगो को पसंद आई कहानियो में से एक है जिसमे कहानी के पात्र की माँ तुलसी के पास दिया लगाती है अपनी उस पूर्वज महिला की याद में जिसका किसी परपुरुष द्वारा अपहरण हो जाता है | वह लड़की अपने आप को चरित्रवान रखने के लिए पहाड़ी की चोटी से छलांग लगा देती है |

लेकिन हमें तो “दोन भूते” कहानी अच्छी लगी | जिसमे गाँव के लोग उन्ही दो लोगो को मौत के घाट उतार देते है जो उनको अंधश्रद्धा छोड़कर , कुछ मेहनत का काम करने का बताते है जिससे गाँव में फैले सूखे से लोगो की रक्षा हो सके | आखिर गाँव में इन्ही दो लोगो की आत्माए , भूतो के रूप में रहती है | बाकी सब लोग या तो भूख से मर जाते है या फिर गाँव छोड़कर भाग जाते है |

वैसे वि. स. खांडेकर मराठी के प्रसिद्ध लेखको में से एक रहे है | उनकी लिखी हर एक किताब अच्छी रही है | यह किताब भी बहुत अच्छी है | जो आप को कुछ न कुछ जरूर सिखाएगी |

तो पढ़िए जरूर…….

धन्यवाद !

Wish you happy reading……..

 

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