राइज़ ऑफ शिवगामी
आनंद नीलकंठन द्वारा लिखित
रिव्यू –
प्रस्तुत किताब बाहुबली खंड 1 – द राइज़ ऑफ़ शिवगामी आनंद नीलकंठन द्वारा लिखित है | यह किताब एस.एस. राजामौली की प्रसिद्ध फिल्म ‘बाहुबली’ की कहानी पर आधारित तीन किताबों की श्रृंखला ‘बाहुबली – बिफोर द बिगनिंग’ की पहली कड़ी है |
किताब मे बहुत सारे पात्र है जो माहिष्मति के राजनीतिक दांव-पेंच और रहस्यों को उजागर करते हुए दिखायी देंगे | कहानी मुख्य रूप से शिवगामी और कटप्पा के इर्द-गिर्द घूमती है | किताब माहिष्मति साम्राज्य की पृष्ठभूमि पर आधारित है |
यह किताब बाहुबली फिल्म की घटनाओं से पहले की कहानी बयां करती है और माहिष्मति साम्राज्य और उसके महत्वपूर्ण पात्रों के अतीत को समझने में मदद करती है | उपन्यास बाहुबली फिल्म की दुनिया को और गहराई से समझने मे मदद करता है |
कहानी में राजनीतिक षड्यंत्र, धोखा, प्रतिशोध और सत्ता की भूख जैसे प्रमुख विषय दिखाई देते है | अगर आप बाहुबली फिल्म के प्रशंसक हैं या ऐतिहासिक फिक्शन पसंद करते हैं, तो यह उपन्यास आपके लिए एक रोमांचक अनुभव हो सकता है | हमे यह किताब पसंद आयी | हमारी तरफ से इसे 4.5 की रेटिंग है |
शिवगामी का चरित्र –
ऐसा है जिसमे साहस, विद्रोह, बुद्धिमत्ता और भावनात्मक जटिलता का मिश्रण है | उसके पिता को देशद्रोही कहेकर मृत्युदंड दिया जाता है | यह घटना उसके भीतर माहिषमती सत्ता के प्रति विद्रोह और न्याय की तीव्र लालसा को जन्म देती है |
वैसे देखा जाए तो शिवगामी इस वक्त एक मामूली लड़की है | उससे कई ज्यादा ताकतवर पात्र उसके इर्द – गिर्द मंडरा रहे है | अब देखना है की शिवगामी उनसे कैसे निबटती है या फिर उनके ही षड्यन्त्र का शिकार हो जाती है | प्रस्तुत किताब मे शिवगामी के बचपन, उसके जीवन के शुरुआती संघर्ष और माहिष्मति में उनकी यात्रा को दर्शाया गया है |
कटप्पा के पात्र के बारे मे –
कहाँ जाए तो वह कई बार ऐसे आदेशों का पालन करता है जो उसके अंतर्मन को पीड़ा देते हैं, लेकिन वह अपने धर्म पर अडिग रहता है | बाहुबली फिल्म में जब वह अमरेंद्र बाहुबली की हत्या करता है, तो यह उसका चरम नैतिक द्वंद्व बन जाता है | एक ऐसा क्षण जो उसके चरित्र को अमर कर देता है |
शिवप्पा विद्रोही है, जबकि कटप्पा व्यवस्था का रक्षक | यह द्वंद्व उनके संवादों में स्पष्ट होता है | उसका चरित्र हमें यह सोचने पर मजबूर करता है की क्या कर्तव्य हमेशा सही होता है ? क्या वफादारी की भी सीमा होती है ?
शिवप्पा का चरित्र –
शिवप्पा महिष्मती साम्राज्य की दासता को अन्याय मानता है | वह कटप्पा की तरह वफादारी नहीं निभाता, बल्कि स्वतंत्रता और सम्मान के लिए लड़ता है | उसके निर्णय भावनात्मक नहीं , नैतिक होते हैं | वह जानता है कि सत्ता की सेवा में आत्मा खो सकती है और वह उस रास्ते पर नहीं जाना चाहता |
शिवप्पा खुलकर बोलता है, सवाल करता है, और सत्ता के सामने झुकने से इनकार करता है | उसकी भाषा में आग और सच दोनों होते हैं | यह द्वंद्व केवल दो भाइयों का नहीं, बल्कि परंपरा और परिवर्तन का है | शिवप्पा स्वतंत्र चेतना का प्रतीक है | वह दासता को भाग्य नहीं, अन्याय मानता है |
स्कंददास का चरित्र –
स्कंददास ने महिष्मती के भ्रष्ट और षड्यंत्रों से भरे वातावरण में अपनी योग्यता, बुद्धिमत्ता और ईमानदारी से प्रधानमंत्री का पद पाया | वह भी निन्म जाती का होते हुए | यह अपने आप में एक असाधारण उपलब्धि है |
वह निर्णय लेते समय राजसत्ता के हितो के साथ – साथ जनहित और न्याय को प्राथमिकता देता है | स्कंददास अपने काम को सेवा मानता है, न कि स्वार्थ का साधन | उसके इस योग्यता को मुख्य प्रधान परमेश्वर पहेचनाते है और उसे अपना सहायक बनाते है | स्कंददास का चरित्र हमें यह सिखाता है कि सत्ता में रहकर भी ईमानदार रहा जा सकता है | प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – आनंद नीलकंठन
हिन्दी अनुवाद – आदित्य शुक्ला
प्रकाशक – वेस्टलँड प्राइवेट लिमिटेड
पृष्ठ संख्या – 560
उपलब्ध – अमेजन
सारांश –
शिवगामी अपने परिवार के साथ –
यह माहिष्मती , शिवगामी और कटप्पा के युवावस्था की कहानी है | माहिष्मती नगरी को स्थापित हुए महज 300 साल ही हुए है | तब माहिष्मती के महाराज सोमदेव थे | उनके दो पुत्र थे | बड़े राजकुमार का नाम बिज्जल देव था | वह एक अच्छा योद्धा तो था पर दिमाग उतना नहीं था | छोटा राजकुमार महादेव एक कवि था | वह उतना अच्छा योद्धा नहीं था |
इन दोनों पर उनकी माता का शासन था | वह अपने दोनों पुत्रों को एक दुर्धर योद्धा और अच्छा राजनीतिज्ञ बनाना चाहती थी | जैसे उसके मायके के पूर्वज थे |
शिवगामी इस वक्त महज 17 साल की है | उसके पिता एक भूमिपति थे , जिन्हें राजदोही के रूप में मृत्युदंड दिया गया था | इसलिए वह महिष्मति राज्य और उसके कुल को बर्बाद करना चाहती है | उसके पिता की मृत्यु के वक्त वह महज पाँच वर्ष की थी | उसका पालन पोषण उसके पिता के मित्र “थिम्मा”ने किया |
अनाथालय मे शिवगामी … क्यों ?
वह और उनका परिवार शिवगामी से बहुत प्यार करते थे , पर पता नहीं क्यों ? उन्होंने 17 वर्ष की होने के बाद उसे माहिष्मती के राजकीय अनाथालय में रख छोड़ा | जहां उसका जीवन बाकी अन्य बच्चों जैसे नरक बन गया | अनाथालय की प्रमुख रेवम्मा बाकी बच्चों की तरह शिवगामी को भी बिना बात के बेंत से मारती थी | तीन-तीन दिन तक खाना नहीं देती | अनाथालय की सुंदर और किशोर युवतियों को “केकी” के हाथ बेच देती |
“केकी” एक किन्नर है जो कलीका जैसी चरित्रहीन स्त्रियों को लड़कियां बेचती है जो एक बदनाम एरिया में रहती है | अनाथालय की बदतर परिस्थितियों के बावजूद शिवगामी एक अच्छी योद्धा थी |
यही उसकी मुलाकात कामाक्षी से हुई | वह दोनों अच्छी सहेलियां बनी | कामाक्षी , कटप्पा के छोटे भाई शिवप्पा से प्रेम करती है | शिवप्पा और कटप्पा एक गुलाम है |
विद्रोही शिवप्पा –
शिवप्पा को गुलामी की यह जिंदगी बिल्कुल पसंद नहीं जो पशु से भी बदतर है | वह इसके खिलाफ विद्रोह के विचार रखता है |
कटप्पा एक गुलाम है ?
इसके उलट कटप्पा 21 साल का हट्टा-कट्टा नौजवान है जो गुलामी को ही अपनी किस्मत मानता है | वह अपने पिता के कदमों पर चलता है | उसका पिता महाराज सोमदेव का निजी गुलाम है और कटप्पा राजकुमार बिज्जल देव का |
अपने प्राण देकर भी राजकुमार की रक्षा करना कटप्पा अपना कर्तव्य मानता है | इसके उलट बिज्जल देव उसका बात बात पर अपमान करता है | बिज्जल की गलती पर सजा भी कटप्पा ही पाता है क्योंकि वह एक गुलाम है |
उसको राजकुल के किसी भी व्यक्ति को छूने का अधिकार नहीं | बोलते वक्त मुंह बंद रखना पड़ता है और आनेजाने के लिए अलग रास्तों का इस्तेमाल करना पड़ता है |
पट्टराय माहिष्मती –
पट्टराय माहिष्मती का एक भूमिपति है | वह एक बेईमान व्यक्ति है | उसने बेईमानी से बहुत सा धन अर्जित किया है | उसकी बस एक ही पुत्री है – मालती | उसे वह प्राणों से भी प्यारी है | उसने माहिष्मती की अमूल्य धरोहर और गुप्त राज गौरीकांत पत्थर और गौरधूलि को कदरीमंडल की राजकुमारी को देने का वादा किया है |
इसके लिए उसे अपार धन मिलनेवाला है | उसके इस षड्यंत्र में शामिल है – दंडकार प्रताप और राजपुरोहित रूद्र भट्ट | यह लोग किसी तरह गौरीकांत पत्थर का रहस्य गुलाम नागप्पा के द्वारा पा तो लेते हैं पर उससे से हाथ धो बैठते हैं |
इसलिए अब वह राजकुमार बिज्जल देव को अपना मोहरा बनाना चाहते हैं | इसलिए वह उसे केकी के द्वारा कालिका का लालच देते हैं | कालिका को हासिल करने के लिए बिज्जल देव , उनके षड्यंत्र में शामिल होता हैं |
“स्कन्ददास” की हत्या का षड्यंत्र और शिवगामी के पिता की किताब –
इस षड्यंत्र के तहत वह “स्कन्ददास” की हत्या का महामाघम के दिन उसके ही कार्यालय में करना चाहते है | क्यों ? क्योंकि स्कंददास एक अति ईमानदार व्यक्ति है | वह इनका प्लान फेल कर सकता है |
शिवगामी के अनाथालय में “गुंडू रामू “नाम का एक नया बच्चा आता है | वह एक पंडित और कवि का बेटा है | वह दावा करता है कि उसे पुरानी लुप्त भाषा” पैशाची ” आती है जो की शिवगामी के पिता देवराय की किताब की भाषा है जो उसे उसके पुराने खंडहर बने घर के गुप्त स्थान में मिली थी | जिसका पता उसकी आया ने उसे मरने के पहले बताया था | इसलिए वह दौड़कर किताब लेकर आती है ताकि गुंडू रामू उसे पढ़े और शिवगामी को पता चले कि उसमें आखिर लिखा क्या है ?
क्या इसमें उसके पिता की बेगुनाही का सबूत है ? पर दोनों की हड़बड़ाहट में वह किताब नीचे गिर जाती है और केकी का ध्यान उस पर चला जाता है | अब रेवम्मा को भी उसके बारे मे पता चल जाता है | वह किताब और शिवगामी को लेकर प्रधानमंत्री स्कंददास के पास आती है | स्कंददास उस किताब की महत्ता जानता है | अतः उसे अपने पास रख लेता है |
वह दूसरी बार शिवगामी को बुलाकर आगाह करता है कि वह यहां से भाग जाए | नहीं तो ! उसे और उसके पिता के पुराने सेवकों और उनके परिवारों को मृत्युदंड दिया जाएगा | एक पल के लिए वह डर जाती है पर वह यह राज्य छोड़कर जाना नहीं चाहती | नहीं तो ! वह अपना बदला कैसे लेगी ?
इसीलिए वह महामाघम के दिन इस किताब को चुराने का निश्चय करती है | इसी दिन पट्टराय और उसके साथी अपने प्लान को अंजाम देनेवाले है | वह भी स्कंददास के कार्यालय मे ही क्योंकि स्कंददास माहिषमती का गुप्त राज एक डिब्बी मे अपने साथ बाहर लेकर आया है जो पट्टराय हासिल करना चाहता है |
शिवगामी और पट्टराय दोनों का एक ही प्लान है की स्कंददास के कार्यालय के पिछेवाली दीवार के उस पार किताब के लिए गुंडू रामू और गुप्त रहस्य के लिए हिडुम्बा खड़ा रहनेवाला है | दोनों ग्रुप एक दुसरे से अनभिज्ञ है |
महिष्मति राज्य में महामाघम 12 साल में एक बार मनाया जानेवाला उत्सव है | इस दिन माँ काली की भव्य मूर्ति को महिषी नदी मे विसर्जित किया जाता | यह सिर्फ जनता को दिखाने के लिए किया जाता पर असलियत में इस मूर्ति में ढेर सारे गौरीकान्त पत्थर छुपे होते थे जिसे बाद में माहिष्मती के गोताखोर मूर्ति से निकालकर महल के एक गुप्त जगह पर लेकर जाते |
जहां गौरीकान्त पत्थरों से गौरधूलि बनाने का काम किया जाता | यह गौरधूलि एक प्रकार का धातु था जो माहिष्मती के अस्त्र-शस्त्र बनाते वक्त मिलाया जाता | इससे सारे शास्त्र इतने ताकतवर बनते कि वह किसी भी कवच को भेद पाते और यही माहिष्मती के जीत का राज था | उसकी ताकत का रहस्य था | इसीलिए इन बातों को सब लोगों से गुप्त रखा जाता |
इन गौरीकान्त पत्थरों को पर्वत से खुदाई कर निकालने के लिए बच्चों की जरूरत थी | इसलिए जिमोता जो एक समुद्र डाकू था | वह माहिष्मती के दूरदराज के गांवो पर हमला कर वहां के बच्चों और युवतियों को अगवा कर लेता था | बाकी सब को जान से मार देता था और गांवो को नष्ट कर देता था |
वह बच्चों को भूमिपति हिडुम्बा को बेच देता | यह एक बौना आदमी था और स्वभाव से अत्यंत तक क्रूर था | यही बच्चों को गौरी पर्वत के खदानों में भेजता था और स्त्रियों को कलिका को बेच दिया जाता था |
इस तरह महाराज अपने ही जनता को धोखा दे रहे थे | इसलिए ऐसे महाराज को उसके ही भूमिपतियों द्वारा धोखा मिलनेवाला था | राजधानी में रहनेवाली जनता को अपना राज्य एक महान राज्य लगता था | इसी विचार का शिकार कटप्पा था | इसलिए तो वह बिज्जल देव और माहिष्मती के राजकुल को महान लोगों के रूप में देखता था जैसा की चारण और भाट गाते थे |
इसीलिए वह बिज्जल देव के दिए इतने अपमान और झिड़कियों के बावजूद भी वह उसकी जान बचाता है | इस चक्कर में वह कुछ वैतालिकों को घायल भी कर देता है | वैतालिक माहिष्मती के जंगलों में रहनेवाले मूल निवासी है | यह खुद को महिषमती के जंगलों के मालिक मानते है | इनका मुखिया भूतराय है जो बहुत ताकतवर इंसान है |
यह लोग गौरी माता की पूजा करते हैं और गौरी पर्वत को पूजनीय मानते हैं | इसलिए वह इसका खनन करके गौरीकान्त पत्थर नहीं निकालते पर माहिष्मती का सम्राट इसकी खुदाई कर इसका दोहन कर रहा है |
महाराज सोमदेव को रोकने के लिए वह अपनी सेना जमा कर रहे हैं ताकि महामाघम के दिन महाराज पर हमला कर उनका खात्मा कर सके और अपना जंगल वापस पा सके | इन्हीं के साथ शिवप्पा मिल जाता है क्योंकि उसे पता चलता है कि वह कोई गुलाम नहीं बल्कि एक वैतालिक है |
शिवप्पा चाहता है की उसका भाई कटप्पा उनके साथ आकर मिल जाए | इसीलिए वह कटप्पा को अगवा करते हैं पर इसके उलट कटप्पा ही शिवप्पा को लेकर भागने की कोशिश करता है | शिवप्पा को जैसे ही होश आता है वह कटप्पा को घायल कर नदी में फेंक देता है | कटप्पा बहते हुए उस टापू पर पहुंचता है | जहां अल्ली और जीमोता फँस चुके हैं |
अल्ली एक समुद्री वीर महिलाओं के सैन्य टुकडी की सदस्य है जिसकी मुखिया 70 वर्षीय अच्छी अच्ची नागम्मा है जो जिमोता जैसे लोगों द्वारा पकड़े गए बच्चों और महिलाओं को बचाती है |
यह तीनों उसे टापू पर पहुंचते हैं जहां बच्चे काली माता के मूर्ति में गौरीकांत पत्थर भर रहे हैं | यही अल्ली और कटप्पा को सारी सच्चाई का पता चलता है फिर भी कटप्पा अपने स्वामी बिज्जल देव को बचाने के लिए माहिष्मती की ओर दौड़ लगाता है क्योंकि महामाघम का दिन आ चुका है |
इसी दिन वैतालिक और शिवप्पा महाराज पर हमला करनेवाले हैं | पट्टराय के प्लान के मुताबिक बिज्जलदेव स्कंददास को उसके कार्यालय पहुँचाने मे सफल होता है | इसके बदले “केकी” उपहार के जगह कामाक्षी को बिज्जलदेव के पास पहुंचा देती है |
कामाक्षी का पीछा करता हुआ शिवप्पा बिज्जलदेव के कमरे तक पहुंचता है पर कमरे के बाहर कटप्पा से उसकी मुलाकात होती है | कटप्पा और शिवप्पा की लड़ाई होती है | इसकारण शिवप्पा , कामाक्षी के पास पहुँच नहीं पाता | हालांकि , कटप्पा बाद मे कामाक्षी को बचाने मे कामयाब होता है पर कामाक्षी , शिवप्पा को मृत समझकर ,ऊपर से उसी के पास छलांग लगा देती है |
वह शिवप्पा के पास ही जाकर गिरती है | अब ठीक होने के बाद शिवप्पा क्या करेगा ? वह बिज्जलदेव को तो मारेगा ही पर क्या कटप्पा को भी मारेगा ? इस बार कटप्पा शिवप्पा की बात मान लेता है तो कामाक्षी जिंदा होती फिर भी बिज्जलदेव को बचाने के लिए कटप्पा और शिवप्पा की लड़ाई तो होती ही !
स्कंददास के कार्यालय मे शिवगामी छिपी हुई है और उसकी हत्या होते हुए देखती है | जिस गुप्त रहस्य को स्कन्ददास ने डिब्बी मे बंद रखा था | उसे और किताब को लेकर शिवगामी भाग जाती है |
वह किताब तो दीवार के पार फेंकती है पर डिब्बी नहीं | जान बचाने के लिए वह अंतपुर में चली जाती है | हजन वैतालिकों ने आक्रमण किया है | उनकी आड़ मे शिवगामी महाराज को मारने के लिए तलवार उठाती है | परंतु नाकामयाब रहती है |
उसकी इस हरकत को बृहन्नला देख लेती है जो महारानी के मुख्य सेविका है पर वह असलियत में कुछ और है और उसकी कटार को शिवगामी | वह शिवगामी की असलियत देखकर भी उसका साथ देती है | पर क्यों ? शिवगामी महाराज के प्राण बचाने के लिए जिस आदमी को नीचे धकेलती है | जिसे अब शिवगामी को ही उसे मृत्युदंड देना है पर उसे देखते ही शिवगामी के होश उड़ जाते हैं | उधर गुंडू रामू किताब के साथ हिडुम्बा के हाथ लग जाता है | शिवगामी समझती है की वह गुंडु रामू और कामाक्षी सहीसलामत अनाथालय पहुँच गए होंगे | क्या होगा जब उसे इन दोनों के बारे मे पता चलेगा ?
दूसरे दिन पारितोषिक समारोह मे शिवगामी , भूमिपति जैसे बड़े पद पर असिन होती है | सब को कुछ न कुछ मिलता है पर राज्य के लिए अपने प्राण न्योछावर करनेवाले स्कंददास के बारे मे कोई कुछ नहीं बोलता | क्यों ?
इन सारे ट्विस्ट के साथ कहानी में आगे क्या होगा ? जानने के लिए जरूर पढ़िए | “राइज ऑफ शिवगामी” आनंद नीलकंठन द्वारा लिखित | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए …
धन्यवाद !!
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FAQs SECTION मे आप का स्वागत है |
सवाल है ? जवाब यहाँ है | (FAQs SECTION)
Q.1.”राईज ऑफ शिवगामी” की कहानी क्या है ?
A.यह एक मामूली लड़की शिवगामी से तो माहिष्मती साम्राज्य की शक्तिशाली भूमिपति बनने की कहानी है |
Q.2.मार्च 2017 में प्रकाशित भारतीय ऐतिहासिक फिक्शन उपन्यास ‘द राइज़ ऑफ़ शिवगामी’ के लेखक कौन है ?
A.आनंद नीलकंठन |
Q.3 शिवगामी का पति कौन है ?
A.बिज्जलदेव |