RAAVAN BOOK REVIEW SUMMARY IN HINDI

रावण – आर्यवर्त का शत्रु

बाई अमिश त्रिपाठी

रिव्यु –

    यह अमिश द्वारा लिखी गई राम चन्द्र शृंखला की तीसरी बुक है | इस सीरिज की पहली बुक का ब्लॉग राम –इश्वाकू के वंशज आप को हमारे वेबसाइट पर मिल जायेगा | so please go through that . यह किताब आज के दौर के प्रख्यात लेखक अमिश त्रिपाठी द्वारा लिखी गई है | आज के दौर में उनको कौन नहीं जानता | अमिश मुख्यतः शिव की नगरी बनारस से बीलोंग करते है | वह आय. आय. एम.( कोलकाता ) से प्रशिक्षित है | उन्होंने अपना १४ साक का बैंकर का जॉब छोड़कर फुल टाइम राइटिंग को अपना कैरियर बना लिया है | अमिश मुख्यतः अंग्रजी में लिखते है | प्रस्तुत पुस्तक की जानकारी इस प्रकार है –

लेखक – अमिश त्रिपाठी

प्रकाशक – वेस्टलैंड पब्लिकेशन ,

किताब का प्रकाशन वर्ष – १ जुलाई २०१९

पृष्ठ संख्या – ४००

पुस्तक प्रकार – मायथोलोजीकल फिक्शन

ऑनलाइन साइट्स पर उपलब्ध

उपलब्ध भाषा – अंग्रेजी , हिंदी , मराठी

राम और रावण यह किताब अमिश इन्होने बहुत ही अच्छी लिखी है | रावण तो बहुत ही अच्छी है | यहाँ उन्होंने रावण का बचपन , उसका पहला प्रेम , प्रतिशोध लेनेवाला रावण और गोदी में काम करनेवाले लेबर से तो लंकाधिपति रावण बनने का सफ़र रेखांकित किया है |

इसके साथ – साथ रावण एक अच्छा संगीतकार ,अच्छा वादक , अच्छा चित्रकार , कुटिल रणनीतिकार , अच्छा योद्धा और भगवान शिव का भक्त है | अमिश ने रावण के इन सारे पहलुओ को भी उजागर किया है |

जब भी कोई घटना रावण के जीवन में घटित होती तो अमिश उसको कितना समय बीत गया , तब रावण कितने साल का था इसका ब्यौरा जरूर देते | उसकी वजह से कहानी समझने में आसानी होती |

अमिश ने पौराणिक तथ्यों को लेकर एक अलग अंदाज में इस कहानी को लिखा है | इसलिए इतने महान – महान लोगो ने उनकी तारीफ की है | वह सचमुच इस तारीफ के काबिल है | बहुत सारे पात्रो को लेकर कहानी का ताना – बाना बुनना बहुत कठिन होता है | अमिश इसमें कामयाब रहे | इसलिए एक बार फिर से उनका अभिनन्दन……..

चलिए तो देखते है “ रावण ” इस किताब का सारांश………..

सारांश –

    रावण नौ साल का है , उसकी माता केकसी कुम्भकर्ण को जन्म देती है | रावण और कुम्भकर्ण दोनों ही नागा है इसलिए आश्रम के लोग कुम्भकर्ण को मारना चाहते है | रावण , कुम्भकर्ण , केकसी और केकसी का भाई मारीच चारो अपनी जान बचाने के लिए वहां से भाग जाते है |

कुम्भकर्ण अपने भाई रावण से बेइंतहा प्यार करता है | उसका हर मोड़ पर साथ देता है | उसके मन को समझता है और रावण के रहस्यों में भागीदार भी रहता है | केकसी और रावण का हर बात में झगडा होता है | बिभीषण और शूर्पणखा , रावण के सौतेले भाई – बहन है |

रावण को बचपन में कन्याकुमारी मिलती है | अब कन्याकुमारी और नागा क्या होता है यह तो आप को अमिश की बुक पढ़कर ही समझ में आएगा | इस कन्या कुमारी को कुछ सालो बाद युवान रावण मिलता है | उसके कहने पर रावण अच्छा बनने के लिए और अच्छाई करने के लिए तैयार भी होता है लेकिन कन्याकुमारी के साथ ऐसा कुछ होता है की रावण बुरा….. और बुरा हो जाता है |

फिर सिलसिला शुरू होता है रावण का सप्तसिंधु से बदला लेने का | समुद्र के व्यापार पर पकड़ पाने के लिए उसकी रची हुई कुटिलता , तेजगति से दौड़ने वाले उसके जहाजो का रहस्य , सीता को किडनैप करने का रहस्य , मंदोदरी से शादी करने का रहस्य , सीता से वह क्यों शादी करना चाहता है ? समीची जो सीता की बेस्ट फ्रेंड है वह रावण को इरैवा यानी खरा स्वामी क्यों कहती है ? सीता को देखने के बाद रावण और कुम्भकर्ण हतप्रभ क्यों हो जाते है ? इन सारे – सारे सवालो के जवाब इस किताब में पढ़िए | मानो अमिश ने यहाँ सारी कड़ीयो को जोड़ दिया हो |

यहाँ उस लॉकेट का भी जिक्र है जिसे रावण वक्त – वक्त पर अपने हाथो में पकड लेता है | उससे उसका बहुत ही गहरा नाता है |

यह किताब सचमुच बहुत………बहुत अच्छी है | इसे जरूर,जरूर पढ़िए |

धन्यवाद !

Wish you happy reading………

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