PANTHERS MOON REVIEW SUMMARY IN HINDI

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पैंथर्स मून
रस्किन बॉन्ड द्वारा लिखित

रिव्यू –
“रस्किन बॉन्ड” “ब्रिटिश – भारतीय” लेखक है | वह एक निसर्गप्रेमी व्यक्ति है | उनका पालनपोषण मसूरी और देहरादून जैसे निसर्गरम्य प्रदेशों में हुआ है | वह अपनी किताबों के माध्यम से इन जगहों के निसर्ग सौंदर्य का वर्णन करते हैं जिससे हमें भी वहां जाकर बसने की इच्छा होती है लेकिन जंगल की भी अपनी ही कुछ चुनौतियां होती है |
वहां बसे लोगों को इन सब का सामना करना पड़ता है | कभी-कभी तो वह अपनी जान भी गवा बैठते हैं | जंगली जानवर और इंसानों के बीच के इस तालमेल को लेखक ने प्रस्तुत किताब में उकेरा है |
लेखक का वहां के पंछियों से , जानवरों से , पेड़ – पौधों से गहरा नाता है | किताब मे गुजरे हुए ब्रिटिश जीवन की भी झलक देखने को मिलती है |
किताब में कुल 13 अध्याय है जैसे पैंथर्स मून , बंदरों का इंतकाम , दादाजी का बाघ , सुरंग में बाघ , बदला बिल्लोंरी ई . | “यू भाग निकला जावा से” यह रिपीट चैप्टर है जो इसके पहले हमने पढ़े एक दो किताबों में जरूर है | प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – रस्किन बॉन्ड
अनुवादक है – ऋषि माथुर
प्रकाशक है – राजपाल एंड संस
पृष्ठ संख्या – 192
उपलब्ध है – अमेजॉन पर

सारांश –
यह पहाड़ी इलाके में रहनेवाले बिसनु और उसके वफादार कुत्ते की कहानी है | बिसनु पढ़ाई करने उसके घर से दूर जाता है | बीच में जंगल पड़ता है | वह जहां भी जाता | उसका कुत्ता उसके साथ रहता | बिसनु को पढ़ाई करना अच्छा लगता था | उसे लगता था कि जीवन में तरक्की करना है या बाहर की दुनिया देखनी है तो पढ़ाई करना बहुत जरूरी है |
इसीलिए वह एक भी दिन नागा किए बगैर अपने स्कूल जाता था | हालांकि , उसका स्कूल उसके घर से काफी दूर केंपटी में बसा , ईसाई पादरियों द्वारा चलाया जानेवाला स्कूल था |
तभी उसे पता चला कि उनके इलाके में एक तेंदुआ आया है जो लोगों के पालतू जानवरों का शिकार करता है क्योंकि शिकारीयो ने उसे गोली मारकर घायल कर दिया था | वह एक पैर से अपाहिज हो गया है और अभी उसमें जंगली जानवरो का शिकार करने की हिम्मत नहीं बची है |
वही तेंदुआ बिसनु के कुत्ते “शेरु” का भी शिकार कर लेता है | इस प्रकार बिसनु से उसका दोस्त बिछुड़ जाता है | वह बहुत दुखी होता है पर लोगों को इस बात की खुशी है कि वह आदमखोर नहीं है जैसे पास के गांव में एक तेंदुआ है |
परंतु , इन सब लोगों का भ्रम तब टूट जाता है जब उनके गांव का डाकिया तेंदुए द्वारा गायब कर दिया जाता है | यही तेंदुआ एक दिन बिसनु पर भी हमला कर देता है | अब बिसनु उससे कैसे बचता है ?गांववालों को परेशान करनेवाले उस आदमखोर तेंदुए को लोग मार देते हैं या फिर वह गांव छोड़कर कहीं और चले जाता है ? इसे आप किताब में जरूर पढ़े |
“कभी किसी बंदर को नहीं मारना चाहिए” ऐसा कहते हैं क्योंकि वह अपना इंतकाम लेते हैं | ऐसे ही एक बंदर को “मिसेज फेयर चाइल्ड” ने अपनी बंदूक से मार दिया था क्योंकि बंदर उनके बगीचे को तहस-नहस कर देते थे |
उनके पास छह अलग-अलग नस्ल के कुत्ते थे | जब बंदरों के झुंड ने “मिसेज फेयर चाइल्ड” पर हमला किया तब वह जोर-जोर से चिल्ला रही थी | साथ मे उनके कुत्तों के भौंकने की आवाजे भी आ रही थी | वह बंदरों का जंगल में दूर तक पीछा भी कर रहे थे |
रस्किन को यह सारा शोरगुल रात के अंधेरे में सुनाई दे रहा था | उन्होंने जाकर देखा | उन्हें मिसेज फेयर चाइल्ड के कुत्ते दिखाई दिए | इसके बारे में उन्होंने सुबह उनके पड़ोस में रहनेवाले “कर्नल फेन शॉ ” से पूछा तब उन्हें पता चला कि , श्रीमती फेयर चाइल्ड और उनके कुत्तों की बरसों पहले मौत हो चुकी है और रस्किन अभी जिस घर में रह रहे हैं | वह कभी मिसेज फेयर चाइल्ड का हुआ करता था | तो क्या ? इन सारी घटनाओं को देखने के बाद रस्किन भूत – प्रेतों पर विश्वास करेंगे ?
रस्किन के दादाजी फॉरेस्ट ऑफिसर थे | उन्हें जंगल के साथ-साथ जानवरों से भी काफी लगाव था | इसीलिए वे आए दिन नए-नए जानवरों को पालने के लिए अपने घर लाया करते | इसी के चलते एक बार उन्होंने बाघ के बच्चे को घर लाया |
उसका नाम “टिमथी” रखा गया | जब वह छोटा बच्चा था तो दूध पिकर गुजारा करता था | पर जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया | उसकी आदतें बदलती गई | अब वह छोटा प्यारा बच्चा नहीं रह गया था | वह आजकल उसी आदमी को खाने के लिए दौड़ता जो उसकी देखभाल करता |
इसीलिए रस्किन के दादाजी ने उसे एक सर्कस में दे दिया | बहुत दिनों बाद जब वह उस बाघ से मिलने गए तो उन्होंने उसे लाड प्यार से पूचकारके ढेर सारा प्यार जताया | बाद में शेर की देखभाल करनेवाले आदमी ने उन्हें बताया कि यह उनका बाघ “टिमथी” नहीं था | उसकी तो कुछ दिन पहले ही मौत हो गई थी |
यह दूसरा शेर था जो बहुत खूंखार था | किसी पर भी झपट्टा मारने की तैयारी में रहता था लेकिन रस्किन के दादाजी को उसने बड़े प्यार से लाड़ करने दिया | रस्किन के दादाजी के लिए वही बाघ अब “टिमथी” था |
“कौवे के रंग अनेक” में एक ऐसे कौवे की कहानी है जो रस्किन के दादाजी के घर में काफी उधम मचाया करता था | जिससे सब लोग परेशान रहते थे | इसी कारण रस्किन के “केन अंकल” ने बंदूक से उस कौवे को मार डाला लेकिन उन्होंने गलत कौए को मारा और इसी के साथ उन्होंने कौव्वो के साथ अपने दुश्मनी का आगाज कर दिया | अब कौव्वो ने उन्हें किस हद तक परेशान किया | यह आप किताब मे जरूर पढे | आप हंसते-हंसते लोटपोट हो जाओगे |
एक ऐसा बाघ जो भैंसों का शिकार किया करता था | यह उसकी मजबूरी थी क्योंकि शिकारी ने उसे घायल करने के बाद छोड़ दिया था | अब वह तेज भागनेवाले जानवरों का शिकार नहीं कर पाता था | इसीलिए वह पालतू जानवरों पर अपना गुजर – बसर करता था |
पालतू जानवरों को मारने से उन जानवरों के मालिक , “इंसान” उसको मारने के लिए दौड़ते थे | इससे भी उसे अपनी जान का खतरा बना रहता था | इसलिए जहां भैंसों के आसपास इंसान होते थे | वहां वह शिकार करने से बचता था | इंसानों की अपने जानवरों को बचाने की जद्दोजहद और बाघ की शिकार करने की जद्दोजहद , दोनों को आप इसमें पढ़ पाओगे |
पहाड़ी इलाकों के जंगलो में बाघ , तेंदुआ , हाथी इनका राज होता है तो आकाश में “बाज” का राज होता है | उसे भी अपने परिवार के पालन पोषण के लिए शिकार की जरूरत होती है | इसीलिए फिर वह भेड़ों पर अपनी नजरे गड़ाए रखता है | जो भेड़ अपने ग्रुप से अलग हो जाती है | वह उन पर झपट्टा मारता है और अपने बड़े-बड़े पंजों में उन्हें उठाकर ले जाता है |
“बाज की नजर” इस कहानी मे भेड़ों की देखभाल करने के लिए “झबरू” नाम का कुत्ता है | यह सारी भेड़े “जय” नाम के लड़के की है | अब “जय” के साथ-साथ “झबरू” का काम भी भेड़ों की देखभाल करना है |
ऐसे में एक बार भेड़ों को बचाने के चक्कर में “झबरू” बाज के साथ उलझ कर घायल हो जाता है | इसीलिए अब जय अकेला ही जाने लगा है | जय भी बच्चा ही है | इसीलिए उसके घरवालों को उसकी चिंता सताती है | जब “जय” पर दूसरा बाज हमला करनेवाला होता है तभी “झबरू” अपने एक पैर पर लंगड़ाते हुए ,एक डंडा लेकर जय की मदद करने चला आता है और इस तरह जय घायल होने से बच जाता है |
इसी तरह की बाकी कहानीयां है | रस्किन की कहानिया आपको जंगल ,पेड़ – पौधे ,जानवर , पंछी , निसर्ग इन सब के बीच ले जाती है | कंक्रीट के इन महलों से आप किताबों के माध्यम से ही सही निसर्ग के करीब पहुंच जाते हो !
जिससे सुकून मिलता है | इसीलिए शायद रस्किन की किताबें बहुत प्रसिद्ध है और वे भी .. उनकी किताबों को पढ़िएगा जरूर .. तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ..
धन्यवाद !

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