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नौकरी डॉट कॉम
वेद प्रकाश शर्मा द्वारा लिखित

रिव्यू –
हमें लगता है की किताब का नाम नौकरी डॉट कॉम नहीं होना चाहिए था | इसका कुछ और ही नाम जचता | इस बार लेखक किताब का सही नाम रखने से चूक गए शायद …. क्योंकि किसी नौकरी का इससे दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है बल्कि यह अंडरवर्ल्ड के डॉन “नारायण स्वामी “की बेटी नलिनी और उसे जुड़े लोगों की कहानी है | प्रस्तुत कहानी बताती है कि प्रतिशोध में जल रहे इंसान को उसकी नफ़रत हैवान बना देती है |
इससे पूरी की पूरी जिंदगीया तबाह हो जाती है | इसमें अनजाने ही नई पीढ़ियां , पुरानी पीढ़ी के नफरत का शिकार हो जाती है | नफरत में जलनेवाला साधारण इंसान भी डॉन से कम नहीं होता | इसका परिचय आपको “चंद्रप्रकाश” का किरदार पढ़ कर आएगा जो पूरी जिंदगी खुद को विक्टिम साबित करता रहा लेकिन असल में पूरा खिलाड़ी वहीं निकला |
लेखक भारत के सबसे ज्यादा बिकनेवाले लेखकों में से एक रहे हैं | ऐसा “दैनिक जागरण” के पेपर में भी छप कर आया था जो आपको किताब के मुखपृष्ठ पर भी दिखेगा |

प्रस्तुत किताब के –

लेखक है – वेद प्रकाश शर्मा
प्रकाशक है – तुलसी पेपर बुक्स
पृष्ठ संख्या है – 585
उपलब्ध – अमेज़न पर


वह “इंटरनेशनल खिलाड़ी” जैसे फिल्मों के लेखक रहे हैं | उनकी लिखी “दुल्हन मांगे दहेज” इस पर भी फिल्म बन चुकी है | लेखक के बहुत से उपन्यासों में एक न एक पुलिस पात्र इतना सशक्त और होशियार होता है की घटनाओं के क्रम को देखकर , उन्हें जोड़कर सारी परिस्थिति भांप जाता है | यहां तक के सामनेवाले किरदार के दिमाग में क्या चल रहा है ? यह भी ..
ऐसा ही यह पात्र है “इंस्पेक्टर अबोध” | हमें यह पात्र अच्छा लगा | यह होशियार होने के साथ-साथ ईमानदार और नेक है | अच्छाई की राह पर चलना , लोगों की मदद करना उसे अच्छा लगता है | कहानी में अलग-अलग सीन , अलग-अलग जगह घटते हैं जिस की वजह से कहानी बिखरी -बिखरी लगती है | बाद में सब सिरे जुड़ जाते हैं और कहानी समझ में आती है और साथ में यह भी की किस किरदार के मन में किसके लिए क्या भाव है ?
हमें उपन्यास में यह कमतरता लगी की जिस किरदार से अंडरवर्ल्ड का डॉन भी डरता है | जो किरदार इतना खौफनाक बताया गया है | वह महज सिर्फ चार मामूली गुंडो के हाथों मारा जाता है | यह बात हमें कुछ हजम नहीं हुई | जब “विश्वमोहन को पता था कि “चंद्रशेखर” उससे नफरत क्यों करता है ? तो क्यों नहीं वह चंद्रशेखर को सच बताकर उनके बीच की गलतफहमी दूर करता है |
दो-तीन ऐसी कमियों को छोड़े तो बाकी कहानी लाजवाब है | आईए , इन किरदारों को डिटेल में जानते हैं | हमें सबसे ज्यादा हास्यास्पद कैरेक्टर इस कहानी का सेंटर “नीलिमा” लगी | एक तो इसका कमजोरों के जैसा कत्ल हो जाता है | दूसरा की इसको “पामिस्ट्री” का इतना अधिक सटीक ज्ञान रहता है कि यह अपनी और अपने प्रियकर की मौत कैसे होगी ? यह बात बता देती है लेकिन यह क्यों होगा ? कौन इसके पीछे होगा ?
यह जानने की वह कोशिश भी नहीं करती जबकि उसके और अविनाश के रिश्ते को पाँच साल हो गए है | हमारे ख्याल से इतना वक्त काफी है | उन दोनों के आसपास के लोगों की जानकारी निकालने के लिए क्योंकि अक्सर ऐसा धोका पास के लोग ही करते है | आईए , अब जानते है इसका –
सारांश –
“इंस्पेक्टर अबोध” के पास “नारायण स्वामी” का राइट हैंड “मिस्टर हांडा” आता है | “नीलिमा” की एक तस्वीर लेकर .. नीलिमा की कार का तीन बार एक्सीडेंट हो चुका है और वह तीनों ही बार बच चुकी है | स्वामी उस हमलावर का पता इंस्पेक्टर अबोध के जरिए लगाना चाहता है पर तीनों ही बार नीलिमा , अबोध को वापस लौटा देती है |
शायद , वह इन लोगों से खुद ही बदला लेना चाहती हो क्योंकि वह मुंबई के अंडरवर्ल्ड डॉन “नारायण स्वामी” की बेटी है | उस पर हाथ डालने से पहले सब सोचते हैं फिर भी ऐसा कौन है जिसने उस पर हमला किया ?
दूसरे सीन में “माला” ,”चंद्रशेखर” के प्रति नफरत के भाव लेकर बोलती है | वह भी “नीलिमा” के मौत की तलबगार है | वह चंद्रशेखर और अविनाश को भी खत्म कर देना चाहती है | इसके लिए वह अपने ही बेटे “पृथ्वी” को इस्तेमाल करती है | उसने “पृथ्वी” को सुपारी किलर बनाया है | क्यों ? जबकि वह चाहती तो उसे पढ़ा – लिखाकर अच्छा आदमी बना सकती थी |
फिर क्यों उसने “पृथ्वी” के साथ ऐसा किया जबकि वह उसका अपना सगा बेटा है | इसके पीछे “माला” की “पृथ्वी” के लिए नफरत है जिसका पता पृथ्वी को भी नहीं है | वह ऐसा कौन सा राज है ? आप किताब में जरूर पढ़िएगा |
नीलिमा , अविनाश से बेहद प्यार करती है | उससे शादी करना चाहती है | अविनाश , चंद्रशेखर का बेटा है | अविनाश और नीलिमा की शादी से चंद्रशेखर को भी कोई ऐतराज नहीं | नीलिमा से गुलशन भी बहुत प्यार करता है | उसका कहना है कि नीलिमा अगर उसकी नहीं हुई तो वह उसे मार डालेगा |
गुलशन , विश्वमोहन का बेटा है | “विश्वमोहन” राजनीति में एक जानीमानी शख्सियत है | उनका कहना है कि अविनाश को नीलिमा के साथ खुशी की जिंदगी जीने दिया जाए | गुलशन उसके बीच ना आए क्योंकि चंद्रशेखर और विश्वमोहन का पुराना रिश्ता है |
नीलिमा , गुलशन का एक बार अपमान करती है | गुलशन अपने दोस्तों के साथ मिलकर इसका बदला लेना चाहता है | उसके तीन दोस्त है | राजेश , मलिक , दत्त | तीनों छठे हुए बदमाश है | अगले दिन नीलिमा का कत्ल हो जाता है | यह भी पता चलता है कि चार लोगों ने उसके साथ कुकर्म किया |
उसके हाथ में सबूत के तौर पर गुलशन के मित्र “राजेश सचान” की स्किन मिलती है जिसके आधार पर पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती है पर उनका कहना है कि उन्होंने यह अपराध नहीं किया | अब अविनाश पर नीलिमा के कातिलों से बदला लेने का जुनून सवार हो जाता है |
इसके लिए वह अपनी सबसे पहली शिकार गुलशन की बहन “ज्योति” को बनाता है | वह गुलशन को मार देता है | बाद में एक-एक कर के गुलशन के तीनों दोस्तो को भी खत्म कर देना चाहता है | गुलशन को खत्म करने के बाद “विश्वमोहन” नहीं चाहता कि अविनाश और खून करें !
इसलिए वह इन तीनों को पुलिस सरेंडर करने के लिए कहता है ताकि वह सुरक्षित रहे | वह उनका केस भी “घोषाल” नाम के फिसड्डी वकील को देता है ताकि वह केस हार जाए और वह तीनों जेल से बाहर न आ सके लेकिन “चंद्रशेखर” उसके दोस्त “तरुण भट्टी” की मदद से “रमेश जोशी” जैसा घाघ क्रिमिनल लॉयर हायर करता है | वह जानबूझकर घोषाल को केस जितवा देता है | गुलशन के तीनों दोस्त छूट जाते है और अविनाश उनको खत्म कर देता है साथ में ज्योति भी अपने पिता से बगावत कर अविनाश और मोहन को मारने जाती है पर खुद ही गोली लगकर मर जाती है |
विश्वमोहन की पूरी दुनिया ही तबाह हो जाती है फिर भी वह अविनाश की भलाई चाहता है | पर क्यों ? ऐसा क्या राज छिपा है उसकी ऐसी सोच के पीछे ? यह तो आप किताब पढ़कर ही जान पाएंगे |
अपने 25 साल पुराने प्रतिशोध का बदला लेने के लिए “चंद्रशेखर”, “अविनाश” को अपना हथियार बना लेता है क्योंकि चंद्रशेखर को अविनाश के जन्म की सच्चाई मालूम नहीं | इसीलिए वह अविनाश की बर्बादी पर इतना खुश है लेकिन जब उसे असलियत मालूम पड़ती है तो वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता |
उसकी जिंदगी भर की यही सजा है कि वह अपने गुनाहों के लिए जिंदगी भर तड़पता रहे | चंद्रशेखर और विश्वमोहन का आखिर एक दूसरे के साथ क्या रिश्ता है ? पढ़कर जरूर जानिए | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते है और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ..
धन्यवाद !!

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