मुठ्ठी भर यादे
रस्किन बॉन्ड द्वारा लिखित
रिव्यु और सारांश –
21 साल की उम्र होती है पुराने रास्ते छोड़कर नए रास्ते खोजने की , प्यार मे पड़ने की , अपने सपनों को सच करने की , सपनों के लिए रिस्क लेने की | मुठ्ठी भर यादें कहानी है ऐसे ही एक नौजवान की , रोचक बात यह है की रस्किन बॉन्ड इन्होंने यह कहानी तब लिखी जब वह उम्र के 60 बसंत पर कर चुके थे | कहानी है 21 वर्षीय युवा की जो लेखक बनना चाहता है लेकिन उसके लक्ष्य से भटकानेवाले बहुत सारे लुभावने आकर्षण उसके सामने आते रहते है | चाहे फिर वह मगदौर की महारानी के रूप मे हो या सीताराम जैसा गले पड़ने वाला लड़का हो ! पढ़कर जरूर जानिए की वह लेखक बन पाता है या नहीं ?
किताब के मुखपृष्ठ पर दो लड़के अपने ही जगत में खोये हुए , खुशीसे सराबोर दिखाए गए है | उनमे से बड़ा लड़का 21 साल का रस्टी है तो दूसरा कुछ पंधरा – सोलह साल का सीताराम है |
सीताराम जो उनका पक्का मित्र व हमदर्द बन गया था | उनके अनुसार वह गुजरे ज़माने के एक सफल बॉलीवुड अभिनेता रह चुके है | जिन्होंने अपने अच्छे दिनों में रस्किन को अपने साथ रहने के लिए मुंबई बुलाया था | जिनका नाम न देते हुए रस्किन ने बस कुछ ही हिंट्स दिए है | अब हमें ही उन्हें पहचानना पड़ेगा | उनके अनुसार यह एक छोटा उपन्यास है और अंग्रेज प्रकाशक इस उपन्यास की ओर देखेंगे भी नहीं क्योंकि उन्हें लम्बे उपन्यास पसंद आते है | यह उपन्यास उन्होंने मसूरी के लैंडोर में बैठकर सन 2009 में लिखा था |
इस बेहतरीन किताब के
लेखक है – रस्किन बॉन्ड
हिंदी अनुवादक है – रचना भोला “यामिनी” |
प्रकाशक है – राजपाल एंड संस |
पृष्ठ संख्या – 98
उपलब्ध – अमेजन , किन्डल पर
इस बार रस्टी एक किराणे की दुकान पर बने एक फ्लैट जैसे कमरे में रहता था जिसके आगे एक छोटी बालकनी थी | जैसे की हमने बताया , रस्टी की यह उम्र थी प्यार में पड़ने की तो उसे स्कूल के दिनों से ही मगदौर की दौलतमंद महारानी की बेटी इंदु से प्यार हो जाता है लेकिन महारानी को प्यार हुआ रस्टी से ……..
यहाँ पर रस्टी के और भी दो – चार दोस्त है जो अमीर होते हुए भी रस्टी पर ही आश्रित है | किताब के अंत में उन सारे दोस्तों का हाल आप को जानने को मिल जायेगा | इस किताब का दूसरा मुख्य किरदार है सीताराम…….
जो रस्टी के घर के बगल में ही अपने माता – पिता के साथ रहता है | उसके माता – पिता का लांड्री का काम है | इसी के चलते वह रस्टी को लगनेवाली नई चादर , तो कभी पहने वाले नए कपड़ो की जरुरत को पूरा करता है | अपने माता – पिता के हमेशा के झगडे के कारण अब सीताराम , रस्टी के ही रूम में रहने लगा है | अब उन दोनों का एक दुसरे के साथ आत्मीयता का रिश्ता बन चूका है | सर्कस की एक लड़की के प्यार में पड़कर सीताराम भी सर्कस में काम करने लगता है |
बाद में पता नहीं क्यों वह रस्टी के पास वापस आ जाता है | अपने अलग – अलग कामो के चलते वह बॉलीवुड में काम करने लगता है | बाद में वह एक सफल अभिनेता बन जाता है | अब वह कौन है यह आप पढ़कर जानिये ! अगर जान पाए तो !!
बहेरहाल , 60 साल की उम्र में , अपनी जवानी की कुछ मुठ्ठी भर यादे , लेखक ने उपन्यास में उड़ेली है | पढ़िए जरूर ……
धन्यवाद !
Wish you happy reading…….
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