रिव्यू –
Read more
मुसाफिर कैफे आज के युवाओं की कहानी है जो अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से , अपनी शर्तों पर जीना चाहते हैं | वह प्यार में ना पडकर अपने करियर पर फोकस करते हैं | उन्हें स्वतंत्रता प्यारी है | इसलिए शायद वह विवाह जैसी संस्था में बंधना नहीं चाहते | इसीलिए आज के युग के युवाओं में “लिव – इन” का कॉन्सेप्ट ज्यादा प्रचलित हो रहा है |
इस कांसेप्ट को लेखक ने अपनी कहानी में उपयोग किया है | लेकिन क्या अपनी मर्जी से जीने वाले यह लोग एक उम्र ढलने के बाद जब बुढ़ापे की ओर अग्रसर होते हैं जहां उनको एक साथी की , अपने बच्चों की जरूरत महसूस होती है | क्या तब भी इनको अपना फैसला सही लगता होगा या उस पर अफसोस होता होगा ? इसी मुद्दे पर लेखक ने प्रस्तुत किताब लिखी है |
नए लेखकों की किताबों में फिर वह चाहे चेतन भगत हो , दिव्य प्रकाश दुबे हो या सत्य व्यास हो ! सब की कहानियों में आपको एक न एक स्त्री पात्र ऐसा मिलेगा जो शराब पिता है | सिगारेट पिता है |
कहानी मे सुधा का पात्र ऐसा ही है जिसका धर्मवीर भारती द्वारा लिखित “गुनाहों का देवता ” की सुधा से दूर – दूर तक कोई रिश्ता नहीं | लेखक ने सुधा और चंदर यह नाम इसलिए उपयोग मे लिए ताकि वह धर्मवीर भारती को आदरांजली दे सके | चंदर और सुधा यह नाम लेखक ने “गुनाहों का देवता” इस किताब से लिए है जिसके लेखक धर्मवीर भारती है |
लेखक पढ़ाई लिखाई से B.TECH ,MBA | इन दिनों वह एक टेलीकॉम कंपनी में AGM (असिस्टेंट जनरल मैनेजर है ) | प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – दिव्य प्रकाश दुबे
प्रकाशक है – वेस्टलँड लिमिटेड
पृष्ठ संख्या – 144
उपलब्ध है – अमेजॉन पर
आइए , देखते है इसका सारांश –
सारांश –
जैसे उस किताब में सुधा और चंदर के बीच एक अनकहा बंधन होता है वैसा ही इस किताब के सुधा और चंदर के बीच होता है |
सुधा और चंदर पहली बार एक कैफे में मिलते हैं | दोनों के माता-पिता ने उनको “ब्लाइंड डेट ” पर भेजा होता है | दोनों ही शादी नहीं करना चाहते फिर भी माता-पिता के कहने पर लड़के और लड़कियों से मिलते रहते हैं |
सुधा भी चंदर को रिजेक्ट कर देती है | चंदर को भी इस बात का कोई मलाल नहीं क्योंकि वह भी यही चाहता है | दोनों की आदतें ना मिलते हुए भी वह बार-बार मिलने लगते हैं | दोनों को एक दूसरे के साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है |
कुछ दिनों बाद सुधा चंदर के ही फ्लैट पर शिफ्ट हो जाती है | दोनों लिव – इन में रहने लगते हैं | धीरे-धीरे चंदर को सुधा की आदत होने लगती है | पहले फ्लैट से ऑफिस जाते समय वह सिर्फ एक मकान लगता था | अब सुधा के आने के बाद उस फ्लैट को कुछ-कुछ घर का एहसास होने लगता है |
जब चंदर , सुधा से शादी के लिए पूछता है तो वह मना कर देती है | वह कभी भी शादी नहीं करना चाहती क्योंकि वह खुद ही एक डायवोर्स लॉयर है | दिनभर कोर्ट में शादियां ही टूटते हुए देखती हैं |
उसके माता-पिता की शादी भी कोई खास नहीं थी | इसीलिए वह शादी के नाम से ही डरती है | अब तो वह माँ भी बनने वाली होती है | इससे चंदर को सुधा से और थोड़ी आशा की उम्मीद है | वह फिर से सुधा से शादी के बारे में पूछता है | वह फिर मना कर देती है | चंदर को जीवन की पूर्णता शादी में दिखती है लेकिन सुधा को नहीं |
वह अपनी मर्जी से जीना चाहती है | सुधा के इस फैसले से चंदर बेहद गुस्सा हो जाता है | अब वह सुधा के पास भी नहीं रहना चाहता | इसलिए फिर वह अपनी नौकरी छोड़कर , अपनी जिंदगी जीने निकल पड़ता है |
चंदर चाहता है कि सुधा उसे रोक ले लेकिन सुधा ऐसा नहीं करती | वह उसे बंधन में बांधकर नहीं रखना चाहती | चंदर आखिर अपनी यात्रा पर निकल पड़ता है | वह अलग-अलग जगह होते हुए मसूरी पहुंच जाता है जहां उसकी मुलाकात पम्मी से होती है |
वह भी सुधा के जैसे शादी से दूर भागती है | वह भी अपने सपनों की जिंदगी जीना चाहती है | वह मसूरी में एक “मुसाफिर कैफै “खोलना चाहती है | जहां लोग आए |सुकून से अपनी यात्राओं की योजना बनाएं | अपने भगदड़ भरी जिंदगी से कुछ पल सुकून के निकाले |
तो चंदर चाहता है कि , वह एक छोटी सी किताबो की दुकान खोले | लोग वहां आए | किताबें पढे | वह बच्चों को कहानीयां सुनाएं | मसूरी और बच्चों के कहानियों की बात हो और रस्किन बॉन्ड का नाम ना आए ! यह कैसे हो सकता है ?
तो उनका भी जिक्र यहाँ है | सुधा , चंदर को ना ही तो कभी फोन करती है और मैसेज भेजती है | इसीलिए फिर चंदर ही सुधा को फोन कर खैरियत पूछता है , तो सुधा उसे बताती है कि उसने अबॉर्शन करवा लिया है ताकि चंदर सुधा की तरफ से निश्चित हो जाए और अपनी लाइफ अपने तरीके से जीए |
वैसे भी उसके लाइफ में अभी पम्मी आ चुकी है | तो क्या चंदर का सुधा के लिए इंतजार खत्म हो गया ? क्या चंदर और पम्मी शादी कर लेंगे क्योंकि अभी दोनों एक ही मुसाफिर कैसे चलाते हैं और एक ही घर में रहते हैं | तीनों की जिंदगी में आगे क्या होता है ? क्या होगा जब चंदर को अपने बेटे के बारे मे पता चलेगा ? इस पर पम्मी का रिएक्शन क्या होगा | पढ़कर जरूर जानिए | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए ! मिलते है और एक नई किताब के साथ तब तक के लिए ..
धन्यवाद !