MAHABHARAT KE BAAD BOOK REVIEW HINDI

महाभारत के बाद

रिव्यु और सारांश

     भुवनेश्वर उपाध्याय द्वारा लिखित पुस्तक “महाभारत के बाद” महाभारत की कथा को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है | यह इस विचार पर आधारित है कि “जो महाभारत में नहीं है, वो कही नहीं | इसी विचारधारा से प्रभावित होकर लेखक ने महाभारत को समझा और महसूस किया है |
प्रस्तुत किताब महाभारत युद्ध के बाद , बचे हुए उन पात्रों के मन की दुविधाओं और भावनाओं को दर्शाती है, जिन्होंने युद्ध के बाद के जीवन को जिया | इसमें भीष्म पितामह, कुंती, द्रौपदी जैसे प्रमुख पात्रों के विचारों और उनके अनुभवों को दर्शाया गया है | लेखक ने वर्तमान समाज में देखी जानेवाली छोटी-छोटी “महाभारत” को समझने के लिए इतिहास के इस महाकाव्य का उपयोग किया है |
पुस्तक इस बात पर प्रकाश डालती है कि कैसे लोग छोटी-छोटी गलतियों का परिणाम भुगतते हैं और अक्सर अपने स्वभाव के कारण ही ऐसे कर्म करते हैं, जिससे उन्हें बाद में पछतावा होता है | यह एक आदर्शवादी दर्शन पर आधारित रचना है, जो पाठकों को अपने जीवन और कर्मों पर विचार करने के लिए प्रेरित करती है |

     यह उन दिनों की बात है जब महाभारत का कुरुक्षेत्र में 18 दिन लड़ा गया कौरव और पांडवो के बीच का युद्ध ख़त्म हो गया था | पांडव इस युद्ध में श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन में जीत गए थे | अब वह हस्तिनापुर वापस आ रहे थे | अब महलो की साजसज्जा ,धनवैभव वैसा ही था लेकिन उसमे रहनेवाले लोगो के मन पीड़ा और दुख से भरे हुए थे | सबने अपना बहुत कुछ खोया था | अब बचे हुए मुख्य लोगो में से सब अपने – अपने कृत्यों का अवलोकन करने में डूब गए थे | 

      इसीलिए अब वह अपने भूतकाल में किये गए कर्मो को याद करने लगे | उन गलतियों को देखने लगे जो उन्होंने भूतकाल में की थी | उनको लग रहा था की काश……….यह गलतियाँ उन्होंने ना की होती तो आज शायद यह युद्ध न हुआ होता , इतना विनाश ना होता……..यह सोचनेवाले व्यक्तियों में शामिल है – देवव्रत जो अपनी प्रतिज्ञा पालन के कारण भीष्म बने | इन्होने अपनी गलतियों को तब जाना जब यह बाणों की शय्या पर लेटे थे और सोचते है की वह यह युद्ध रोक सकते थे | इतनी सारी जानकारी देनेवाली इस किताब के लेखक है –

लेखक – भुवनेश्वर उपाध्याय

प्रकाशक – रेडग्रैब बुक्स व् एनीबुक

पृष्ठ संख्या – 139

उपलब्ध – किनडल

 महाभारत एक व्यापक ग्रन्थ है जिसमे सब पात्रों के अपने – अपने दृष्टिकोण है | बहुत सारे विद्वानों ने महाभारत को पढ़ा और अपने दृष्टिकोण लोगो के सामने रखे | इसमें भारत के विद्वानों मे शामिल है लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक , डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और भी है हमें फिलहाल इतने ही नाम याद आये |

       इनके दृष्टी से भी महाभारत के ग्रन्थ को जरुर पढ़िए | आपके ज्ञान का दायरा जरुर बढ़ जायेगा | मनुष्य से जुडी इर्ष्या ,प्रेम , सदभावना , प्रतिशोध , मान – अपमान यह सारी चीजे महाभारत में देखने को मिलती है |

किताब छोटी थी इसीलिए रिव्यु और सारांश एकसाथ दिया है | आशा है आप यह किताब पढेंगे |

धन्यवाद !

Wish you happy reading………

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