MAGARMACHCH KA SHIKAR BOOK REVIEW

मगरमच्छ का शिकार
ओम प्रकाश शर्मा द्वारा लिखित
रिव्यू –
यह एक जासूसी उपन्यास है , जहाँ प्राइवेट जासूस “चक्रम” अपने “हवाबाज” नाम के कुत्ते के साथ मिलकर एक राजा की अपहरण की गई रानी का पता लगाते हैं | कहानी सिर्फ रानी के अपहरण होने तक ही सीमित नहीं रहती बल्कि इसके पीछे बहुत बड़ा षड्यंत्र खुलता है क्योंकि जहां लेखक ओमप्रकाश शर्मा द्वारा रचित चक्रम और जगत जैसे पात्र शामिल हो ! वहां छोटी-मोटी वारदातें कैसे हो ?
जी हां , इस कहानी में जगत भी शामिल है | आप इसे तो जानते हैं न ! हां , वही अंतरराष्ट्रीय ठग | यह पेशे से ठग जरूर है पर इनमें कुछ अच्छे भारतीय संस्कार भी पाए जाते हैं | जैसे कि , बड़ों का आदर करना और स्त्रियों के साथ व्यवहार करते वक्त अपनी मर्यादा में रहना |
वैसे हर नई कहानी में उनकी महिला संगीनी भी नई हीं होती है | बहेरहाल , प्रस्तुत कहानी में उलझे रहस्य को सुलझाने के लिए तो चक्रमजी और हवाबाज को बुलाया जाता है लेकिन केस का बहुत सा हिस्सा जगत की होशियारी और बहादुरी से सुलझता है |
चक्रम का कुत्ता हवाबाज एक तेजतर्रार , जासूसी में पारंगत कुत्ता है पर उसे कुत्ता कहना पसंद नहीं और इसी बात पर जगत हवाबाज को परेशान कर के छोड़ता है परंतु इस नोंकझोक में भी प्यार ही छुपा है |
अपहृत महारानी जगत और हवाबाज के बीच के इस मानवीय रिश्ते को देखकर अचंभित हो जाती है | वैसे तो जिन महाराज ने जगत और चक्रम को अपने महल में बुलाया है | उनको मगरमच्छ के शिकार का शौक है पर जिंदा मगरमच्छ पकड़ने का …
आजकल वह नाम के राजा रह गए हैं और इन्हीं मगरमच्छों को बेचकर अच्छा खासा पैसा कमा लेते हैं लेकिन बात यहाँ महाराज द्वारा किए गए शिकार की नहीं हो रही है | वह तो कोई और ही मगरमच्छ है | यही तो आपको पढ़कर जानना है | चलिए तो कहानी को संक्षिप्त मे देखते है सारांश मे ..
प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – ओम प्रकाश शर्मा
प्रकाशक है – साधना पॉकेट बुक्स
पृष्ठ संख्या – 148
उपलब्ध – अमेजन पर
सारांश –
प्राइवेट जासूस चक्रम को रौनकाबाद रियासत में राजाधिराज रावराजा गणपतसिंह के “सावन महल” मे जाना है जो पानी से घिरा है | यह महल पानी में टापू जैसा स्थित है | चक्रम इस जगह जाने के लिए जिस रेल्वे स्टेशन पर उतरते हैं |
वहां ड्राइवर से लेकर सब कुछ बाबा आदम के जमाने का है | वह कार से सिर्फ शाहीबाग तक ही जा सकते हैं | यहीं पर उन्हें जगत मिलता है | कुछ महीने पहले जगत महाराज के मित्र बन गए थे | इसीलिए महाराज ने उन्हें बरसात के मौसम में मगरमच्छ का शिकार करने अपने महल में बुलाया था |
इत्तिफ़ाक़ से उनकी रानी का अपहरण भी इसी वक्त हुआ और चक्रम का पदार्पण हुआ था | आखिर यह दोनों लोग नोंकझोंक करते हुए सावन महल पहुंचे | रानी की जानकारी हासिल की और घर के नौकरों से पूछताछ की | जैसा कि अमूमन घर के नौकरों पर ही सबसे पहले शक जाता है |
चक्रम का पूछताछ करने का तरीका ऐसा था कि सारे नौकर सहेम गए | अलबत्ता ! इसका एक कारण हवाबाज भी था | उसने एक नौकर को कांटा था | महाराज को उनके नौकरों से पूछताछ करना बिल्कुल पसंद नहीं आया क्योंकि महाराज पूरे महल में अकेले अपने परिवार से दूर रहते थे |
वह 50 की उम्र के थे और पूरी तरह नौकरों पर डिपेंड थे | वैसे उन्हे रानी के जाने का भी गम ज्यादा नहीं था क्योंकि वह एक युवती थी | राजा साहब उसके खुशी में ही खुश थे | अगर ! वह किसी के साथ चली गई हो तो ! परंतु महाराज अपनी रियासत के गुंडे भी थे | वह जानना चाहते थे कि आखिर उनके जागीर में उनसे बड़ा गुंडा कौन आ गया ?
खैर , तफतीश चलती रही और चक्रम और हवाबाज को जहर देकर मारने की कोशिश की गई | अब फिर से एक बार नौकरों से सवालों का दौर चला | इन सब के बीच महाराज पर जानलेवा हमला हुआ | अब की बार जगत और चक्रम को पानी में जाती हुई एक मोटर बोट दिखाई दी | चक्रम ने तुरंत ही हवाबाज को उनके पीछे लगा दिया | यह तो आप जानते ही होंगे कि कुत्ते अच्छे तैराक होते हैं |
हवाबाज उनके पीछे जाकर उनका ठिकाना भी देखकर आ गया | दूसरे दिन चक्रम वहां पहुंचे | उस जगह को अब भूतिया महल से जाना जाता था | वह जगह किसी डाकू की थी | जिसकी वर्षों पहले मौत हो चुकी थी | इसीलिए सरकार ने उसको सीलबंद किया था |
वह हमलावर इस महल के पीछे के रास्ते से आना – जाना करते थे | लोगों का यह भी कहना था की रानी भूत विद्या जानती थी और इस महल में अपनी तांत्रिक प्रेक्टिस किया करती थी |
चक्रम जैसे होशियार इंसान को भी उस गिरोह के सरदार द्वारा पकड़ लिया जाता है पर चक्रम छूट जाते हैं | दूसरी बार जब महल में महाराज पर हमला होता है तो पुलिस भी इसमें इंवॉल्व होती है | तब भी यह लोग छूट जाते हैं क्योंकि इस सारी अफरा – तफरी में महल के आसपास जमा बाढ़ के पानी की परिस्थितियां जिम्मेदार है |
महल में हमला करनेवाले लोगों में से एक महिला को गिरफ्तार कर लिया जाता है , जिसने भूत जैसा भेस बनाया है | हवाबाज , चक्रम , जगत और पुलिस को भूतिया महल के पास ही एक छोटे से मंदिर में स्थित अपराधियों का एक खुफिया रास्ता पता चल जाता है |
इसी रास्ते से आनेवाले अपराधियों को जरिया बनाकर जगत अपनी होशियारी से उनके ठिकाने पर पहुंच जाता है | वहां उसे रानी दिखाई देती है | उसे देखकर ऐसा लगता है कि वह किसी के वश में है | लोग उस आदमी को जादूगर या जादूगर मगरमच्छ के नाम से जानते हैं |
रानी बताती है कि वह नाम के जैसे ही जादूगर है | वह लोगों को अपने वश में कर लेता है | जगत , रानी को उसके चंगुल से छुड़ा लेता है | रानी जगत को तीन बार मारने की कोशिश करती है पर चालाक जगत पर रानी की यह होशियारी नाकाम होती है |
अब आप पढ़ कर यह जानिए कि क्या जगत रानी को सबक सिखाता है या माफ कर देता है , या फिर रानी उस जादूगर के असर में यह करती है ? इस जादूगर की शक्ल उस मरे हुए डाकू से मिलती है | ऐसा इंस्पेक्टर का कहना है तो असलियत में वह जादूगर है या डाकू ?
चक्रम और जगत इन अपराधियों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं ? आखिर में महाराज रानी को स्वीकार करते हैं या नहीं ? या फिर उससे भी अग्नि परीक्षा लेकर महल से निष्कासित किया जाता है क्योंकि भारतीय समाज में पुरुषों के लिए अलग नियम है और स्त्रियों के लिए अलग पर दोनों के पाप पुण्य का लेखा – जोखा तो एक ही चित्रगुप्त रखते होंगे |
उनके पास तो स्त्री और पुरुषों के लिए अलग – अलग खाते नहीं होंगे | जासूसी , हास्य और व्यंग्य के साथ ही लेखक की कहानीयां कुछ सीख लिए होती है | देखा जाए तो कुछ हद तक यह सामाजिक भी होती है क्योंकि ऐसे पात्र भी समाज में मौजूद होते हैं |
अपने पात्रों और कहानियों के माध्यम से आपको कुछ न कुछ सीख देनेवाले जनप्रिय लेखक ओमप्रकाश शर्मा जी की इस किताब को भी जरूर पढ़िएगा | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ….
धन्यवाद !!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *