कृष्ण कुंजी
आश्विन सांघी द्वारा लिखित
रिव्यु –
पांच हजार साल पहले, वैदिक युग याने महाभारत काल मे पृथ्वी पर एक चमत्कारी व्यक्तित्व का जन्म हुआ जिनको हम “भगवान कृष्ण” के नाम से जानते है | उन्होंने मानवजाति के कल्याण के लिए अनगिनत चमत्कार किए । मानवजाति इस विचार से ही सिहर जाती थी कि कहीं कृष्ण भगवान मृत्यु को न प्राप्त हो जाएं ! लेकिन उन्हें ये दिलासा दिया गया कि भावी कलयुग में, जब आवश्यकता पड़ेगी तब कृष्ण एक नए अवतार में वापस आएंगे ।
आधुनिक युग में एक छोटा सा अमीर बालक इस विश्वास के साथ बड़ा होता है कि वही “कल्कि” अवतार हैं। लेकिन, वो तो बस एक सीरियल किलर है। गहरी रिसर्च के साथ लिखा गया यह उपन्यास वैदिक युग की एक अविश्वसनीय और रोमांचक कहानी प्रस्तुत करता है | यह एक थ्रीलर उपन्यास है जहां पौराणिक कथाओ का , वस्तुओ का और आधुनिक युग की घटनाओ का अच्छा ताना – बाना बुना गया है | कृष्ण के जीवन मे घटित कुछ – कुछ घटना को हाईलाइट किया गया है | उपन्यास खोज आधारित है | कहानी का हिस्ट्री प्रोफेसर आप को ड्यान ब्राउन की किताब का पात्र प्रोफेसर लँगडन की याद दिलाएगा | किम्बहुना , लेखक का उपन्यास कही ज्यादा अच्छा है | फिर भी हिन्दी के पाठकों को ऐसा उपन्यास हाथों – हाथ लेने के लिए और ज्यादा समय लगेगा |
यह उपन्यास भी आश्विन सांघी द्वारा अंग्रेजी में लिखा गया है जिसका हिंदी में अनुवाद नवेद अकबर इन्होंने किया है | वेस्टलैंड लि. इस किताब के प्रकाशक है | इस उपन्यास के पृष्ठों की संख्या भी ३०० के ऊपर ही है तो आइये देखते है इस उपन्यास का सारांश ………..
सारांश –
यह उपन्यास खोज आधारित है जिसे चार क्षेत्रो में काम करनेवाले चार वैज्ञानिक खोज बिन करते रहते है और पाचवे है इतिहास के प्रोफेसर | वह कृष्ण के बारे में इतनी बारीक़ से बारीक़ जानकारी जानते है की हर बार इन चारो को उनसे जानने की जरूरत पड़ती है क्योंकि कृष्ण व्यक्तित्व ही ऐसे है जिनके बारे मे अलग से पढ़ाई की जरूरत होती है फिर भी पूरी जानकारी नहीं जान पातें |
इनकी खोज मुख्यतः कृष्ण की द्वारका नगरी के अस्तित्व के बारे में चलते रहती है | उसकी खोज करते समय उनको कई दूसरी चीजे भी मिलती है | ऐसे ही एक वैज्ञानिक को ,समुद्र के निचे से चार सोने की मुद्राए मिलती है | इन्ही चार सोने की मुद्राओं के आस –पास उपन्यास की अस्सी प्रतिशत कहानी घूमते रहती है |
चार वैज्ञानिको में से एक है अनिल वार्ष्णेय , जो की एक पुरातत्त्ववादी है | जिसे पुराणी अलग –अलग भाषाए पढ़ने में महारत हासिल है | वह एक मुद्रा अपने पास रख बाकि तीन मुद्राए अपने मित्रो के पास रखता है | इसी मुद्रा को हासिल करने में अनिल वार्ष्णेय की हत्या हो जाती है और इसके इल्जाम में रविमोहन सैनी गिरफ्तार हो जाता है जो की अनिल का बचपन का मित्र है जिसके पास चार में से एक मोहर भी है | अब रविमोहन सैनी का दिमाग एक जासूस की तरह काम करने लगता है | रवि मोहन सैनी की असिस्टंट एक ४० – ४२ साल की महिला है जिसके पिता एक नामी वकील है | उनकी मदद से रविमोहन सैनी जेल से भाग जाता है अपनी बेगुनाही का सबूत तलाशने ..
इन सारे वैज्ञानिको की हत्याए एक लड़का करता है जो खुद को “कल्कि” अवतार मानता है जो की शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु का आखरी अवतार होंगे | वह ये हत्याए अपने गुरु के आदेश पर करता है जिसे वह माताजी कहकर पुकारता है | अब यह माताजी असल में कौन रहती है यह जानकार तो आपको धक्का ही लगेगा क्योंकि कहानी में और भी महिला पात्र है | लेखक ने कहानी में बड़ा ही रोमांचक मोड़ दिया है |
इस में यहाँ के पात्रो ने जिस चीज के बारे मे बात की उसकी सारी डिटेल आपको यहाँ मिल जाएगी क्योंकि ऐसे ही कहानी पहुंचते –पहुँचते उन चार सोने की मुद्राओं से आती है उस पत्थर पर जिसे सूर्यदेव ने सत्यव्रत को दिया था उनकी भक्ति से खुश होकर | यह पत्थर किसी भी चीज को सोने में बदल देता था | ढूंढते – ढूंढते उनको पता चलता है की यह पत्थर ताजमहल के गुबंद में है |
अब वह उन्हें मिलता है की नहीं ? सैनी खून के इल्जाम से बरी होता है की नहीं ? उनको इस पत्थर को पाने के लिए किन – किन मुसीबतों का सामना करना पड़ता है क्योंकि उनके दुश्मन कोई मामूली लोग नहीं रहते | वह पैसे से बहुत अमीर , दिमाग और शरीर में चुस्त – दुरुस्त तो फिर बिचारा सैनी जो की सिर्फ एक हिस्ट्री प्रोफेसर है | कैसे इनका सामना करता है ? यह सब जानने के लिए आपको यह उपन्यास पढ़ना होगा बस शर्त यह है की आपको थोडा ज्यादा वक्त देना होगा | अश्विन सांघी की इस रोमांचक थ्रिलर में, प्राचीन भारत के रहस्य उजागर होते हैं। क्या आप इस कुंजी के पीछे की सच्चाई जानने के लिए तैयार हैं? तो फिर इसे एक बार जरूर पढ़िए | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए |मिलते है और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ..
धन्यवाद् !