कृष्ण की आत्मकथा ( नारद की भविष्यवाणी ) भाग १
रिव्यु –
यह मनु शर्मा द्वारा लिखित एक महाकाव्यात्मक उपन्यास है | यह एक एपिक नॉवेल है और पुरे आठ भागो में लिखा है | किसी भी प्रांतीय भाषा में कृष्णचरित को लेकर इतने विशाल और प्रशस्त लेखन का उपयोग नहीं किया गया है | इस किताब के प्रकाशक है “ प्रभात प्रकाशन , दिल्ली ” | इस किताब की पृष्ठ संख्या है ३७० | लेखक ने इस तरह कल्पना कर के लिखा है जैसे -किताब मे घटीत घटनाये कोई दिव्य चमत्कार नहीं बल्कि सामान्य मानवो द्वारा घटित हुई परिस्थितियां हो !
उपन्यास में उस दौर का वर्णन है जब कंस को कृष्ण के जन्म का पता चलता है से लेकर तो वह कृष्ण को मथुरा बुलाने के अक्रूर को मनाते है | लेखक ने कृष्णजन्म के कहानी को एक आधुनिक कहानी के रूप में लिखा है जो सायंस के तर्को पर खरी उतरती है | इसमें रचे पात्रों का नाम भी बहुत कम लोगो को पता होगा |
इसमें हजारो पात्र है | उनके अपने सामाजिक , वैयक्तिक रिश्ते है | उन रिश्तो का वर्णन , उनकी भावनाए , कृष्ण को लेकर उनके अच्छे – बुरे विचार , व्यवहार इन सबका चित्रण इन उपन्यासों में लेखक ने बड़े ही कल्पनाशीलता के साथ किया है जो की प्रचुर मात्रा में उनके पास थी क्योंकि कृष्ण के अनगिनत आयाम है | वह एक अच्छे योगी भी है , नर और नारायण भी | रणछोडदास है तो युद्ध में दुश्मनों को पानी पिलानेवाले भी | वह चक्रधर भी है तो मुरलीधर भी | इतने सारे पह्लुवाले कृष्ण के चरित्र का वर्णन कोई साधारण काम नहीं |
उनकी लेखनशैली जबरदस्त है | जो सारी घटनाये दैवीय थी उनको सायंटिफिक तरह से सही हो इस तरह से लिखना बहुत अच्छा प्रयास है | लगता है की किसी पुराणी कहानी को रीमिक्स का नया तड़का लगाकर लिखा हो | इसमें मथुरा के उस दौर का वर्णन है जब उसमे अशांती, अराजकता ,विद्रोह घर कर गया था | बिचारी मथुरा कंस के क्रूरता के निचे दबी अपने मुक्तिदाता के इंतजार में एक तार के ऊपर चलनेवाली कसरत के जैसा जीवन जी रही थी | तो इस उपन्यास की स्टोरीलाइन जानने के लिए देखते है इसका सारांश……….
सारांश –
नारद एक अच्छे भविष्यवक्ता है और साथ में एक अच्छे ज्योतिषी भी | उनके द्वारा जब देवकी के आठवे संतान के रूप में कंस की मृत्यु के आने की भविष्यवाणी होती है तो कंस एक भाई से एक क्रूर भाई के रूप में परिवर्तित हो जाता है | देवकी और वासुदेव को कारगार में डालने के बाद भी वह हर पल मृत्यु से डरते रहता है | इसी वजह से वह मथुरा में अपने ससुर , जरासंध की सेना बुला लेता है जिससे मथुरा के लोगो पर उसका अत्याचार बढ़ जाता है | वह अपने ही पिता को कारागार में डालकर खुद राजा बन जाता है |
अपने पिता के साथ वफादार रहे लोगो के परिवार , घर तबाह कर देता है | ऐसे ही लोगो में एक है छंदक | छंदक वह व्यक्ति है जो कंस के राजा बनने के बाद तो उसकी मृत्यु तक सारी राजनितिक घटनाओं के लिए जिम्मेदार है जो भी मथुरा में घटती है | उसी के प्लान के मुताबिक प्रद्योत , सुवासिनि के साथ मिलकर कृष्ण को नन्द के घर पहुंचाते है | यहाँ वासुदेव उच्च कोटि के तैरक बताये गए है जो खड़ी तैराकी करते है |
नन्द उनके मित्र है जो की कंस के सामंतो में से एक है | पूतना कोई राक्षसी नहीं बल्कि प्रद्योत की ही पत्नी रहती है जिसे कंस मजबूर कर के कृष्ण को मारने भेजता है पर बिचारी वह मानसिक बीमारी से ग्रस्त होने के बावजूद भी कृष्ण को न मारकर खुद जहर खाकर मर जाती है | तृणावर्त कोई राक्षस नहीं बल्कि जंगल के पक्षी पकड़कर बेचनेवाला है | इस उपन्यास में ऐसे ही राक्षसों की कहानियाँ है जो किसी भी तरह से कोई चमत्कारिक व्यक्ति नहीं लगते है | कसं के अन्याय से पीड़ित व्यक्ति है |
नन्द एक ऐसे पिता है जो कृष्ण को हमेशा प्रोटेक्शन में रखते है | कृष्ण के आगे – पीछे हमेशा बॉडीगार्ड घूमते रहते है | इससे कृष्ण हमेशा अपने शत्रुओ से बचे रहते है | आठवी संतान होने के बाद देवकी और वसुदेव को रिहा कर दिया जाता है तो फिर वह छुप – छुप कर कृष्ण से मिलने आते रहते हैं | इससे कृष्ण को पता होता है की उनके असली माँ और पिताजी कौन है |
फिर कृष्ण का राधा के साथ के प्रेम प्रसंगों का भी वर्णन है और साथ ही साथ कृष्ण के वृंदावन में एक किशोर नेता के रूप में किये गए कुछ कार्यो का वर्णन भी है | तो कुल मिलाकर मथुरा की उस दौर की स्थिति , नई कहानी, एक नया अध्याय आपको इसमें पढ़ने को मिलेगा | पढियेगा जरूर……..
धन्यवाद !
Wish you happy reading……….