KANOON KA PANDIT REVIEW SUMMARY HINDI

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कानून का पंडित
वेद प्रकाश शर्मा द्वारा लिखित

रिव्यू –
यह वेद प्रकाश शर्मा द्वारा लिखित और एक सस्पेंस भरा उपन्यास है | यकीन मानिए , आप किताब के आखिर तक असली गुनहगार का पता लगाने में नाकामयाब रहेंगे | लेखक सचमुच बहुत प्रतिभाशाली है | उनके उपन्यास आप को कहानी से जोड़े रखते है |
इसीलिए तो हम एक के बाद एक लगातार उनके ही उपन्यास पढ़े जा रहे हैं | लेखक को शायद लिखने के लिए वरदान मिला था | इसीलिए शायद वह एक के बाद एक इतने सारे बेहतरीन उपन्यास लिख पाए | जहां कोई – कोई लेखक सिर्फ तीन चार किताबें ही लिखकर रुक जाते हैं | वही वह लगातार कितबे लिखते रहे |
लेखक ज्यादातर पल्प साहित्य लिखते हैं | यानी की जासूसी , मिस्ट्री और सस्पेंस वाले उपन्यास | वह भी साफ – सुधरी कहानियों के साथ .. की सारा परिवार पढ़ सके | इसीलिए लोग उनके उपन्यासों को बेहद पसंद करते हैं | शायद , इसीलिए वह सबसे ज्यादा बिकने वाले लेखक भी है | प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – वेद प्रकाश शर्मा
प्रकाशक है – तुलसी पेपर बुक्स
पृष्ठ संख्या है – 252
उपलब्ध है – अमेजॉन और किंडल पर

आईए देखते हैं इसका सारांश –
सारांश –
पूनम , “सिद्धार्थ बाली” नाम के स्पेस साइंटिस्ट की पत्नी है | सिद्धार्थ बाली एक बहुत ही प्रसिद्ध और पैसे वाले व्यक्ति है | एक दिन उनके घर में “ललित जाखड़” नाम का व्यक्ति आता है | वह विज्ञान से संबंधित पत्रिका का पत्रकार है |
वह पूनम को देखते ही , उसे अपनी पत्नी कहने लगता है | वह ऐसे सबूत पेश करता है जिससे पूनम उसकी पत्नी साबित हो जाए | फिर भी पूनम चीख – चीख कर बताती है कि, वह ललित को पहली बार देख रही है और उसकी पत्नी नहीं है | तब तक सिद्धार्थ बाली अपने घर पहुंच जाता है | अपने घर में यह सारा तमाशा देखकर वह सारी बातें पहले तो पूनम से पूछता है | बाद में इंस्पेक्टर देशमुख से..
इंस्पेक्टर देशमुख एक देशभक्त पुलिस वाला है | उसकी टीम में है – लेडी इंस्पेक्टर मिस मंजू मेहता , हवलदार अनोखेलाल और अन्य दो हवलदार | सिद्धार्थ के आने के पहले पूनम ललित को अपना पति स्वीकार कर लेती है जबकि उसके पहले दिन वह इसी बात से इंकार करती है |
यह सबकुछ ललित के पूनम से मिलने के बाद होता है | उसके बाद ही पूनम के व्यवहार में तब्दीली आती है | इंस्पेक्टर देशमुख को समझ में नहीं आता कि वह पूनम की कौन सी बात पर विश्वास करें ? इन सारी बातों के बीच में कोर्ट के परिसर में एक ऐसे इंसान की चर्चा आम हो जाती है जो खुद को “कानून का पंडित” कहता है लेकिन उसके पास कानून की कोई भी डिग्री नहीं है |
लोग उसे अपने परेशानी का हल पूछने जाते हैं | उनमें कोर्ट के बहुत सारे वकील भी है | लोग उसे अपना वकील भी अप्वॉइंट कर सकते हैं क्योंकि वह कोर्ट में ऐसी जिरह करता है कि सामने वाले के छक्के छूट जाते हैं |
यह पात्र “केशव पंडित” नहीं लेकिन यह सारा वर्णन उनके द्वारा निर्मित और एक पात्र केशव पंडित से जुड़ता है | यहां सिद्धार्थ बाली के केस में पूनम , सिद्धार्थ और ललित अपनी – अपनी कहानीयां बताते हैं |
इंस्पेक्टर देशमुख जो खुद को “शरलॉक होम्स” समझता है | इस केस में उलझ कर रह जाता है | उसके पहले सारी बातें जानकर सिद्धार्थ बाली अपना आपा खो बैठता है | वह पूनम को जान से मारने की कोशिश करता है | सिद्धार्थ के इस कोशिश से इंस्पेक्टर देशमुख घबरा जाता है क्योंकि अगर सिद्धार्थ बाली खूनी बन गया तो जेल चला जाएगा और एक अपराधी को “अमेरिकी स्पेस शटल” में जाने का मौका नहीं दिया जाता |
चूंकि सिद्धार्थ बाली युवक वैज्ञानिकों में काबिलियत पर पहले नंबर पर है | उसका नाम “अमेरिकी स्पेस शटल” के लिए नामांकित है | अगर वह सेलेक्ट हो जाता है तो देश का नाम ऊंचा होगा | अतः वह “राष्ट्रीय धरोहर” है | इसीलिए देशभक्त इंस्पेक्टर देशमुख नहीं चाहते कि देश का कोई नुकसान हो !
यह सब ड्रामा चल रहा होता है तभी सिद्धार्थ बाली के पिता “रमन्ना बाली” वहां पहुंचते हैं | सिद्धार्थ की हालत देखकर वह उसे बेहोश कर देते हैं | इसका कारण वह इंस्पेक्टर को यह बताते हैं कि अभी की स्थिति के अनुसार सिद्धार्थ के दिमाग को टेंशन से बचाना जरूरी था क्योंकि उसका दिमाग देश की धरोहर है |
साथ में यह भी कि भले ही वह और उनका परिवार पूनम को पसंद न करते हो ! फिर भी , सिद्धार्थ की भलाई के लिए पूनम को उसके पास ही रहना चाहिए ताकि सिद्धार्थ का दिमाग क्रैश ना हो ! वह अपनी ट्रेनिंग पूरी करके अंतरिक्ष यान में जाए और अपने और सब के सपने पूरे करने के साथ-साथ देश का नाम भी ऊंचा करें |
इंस्पेक्टर देशमुख देश की खातिर बार-बार पूनम से रिक्वेस्ट करते हैं लेकिन उसे ना मानना था और वह नहीं मानती | वह अपने पहले पति ललित के साथ चली जाती है | पूनम का कहना था कि “रमन्ना बाली” से बदला लेने के लिए उसने “सिद्धार्थ बाली” को अपना निशाना बनाया | इसीलिए वह उसकी जिंदगी में आई थी |
अब जबकि स्पेस शटल की ट्रेनिंग के लिए सिर्फ 15 दिन रह गए हैं तो वह सिद्धार्थ को छोड़कर जा रही है ताकि वह अपसेट होकर किसी काम का ना रहे | सिद्धार्थ के पिता रमन्ना बाली का भी यही कहना है कि हमारे देश की तरक्की रोकने के लिए यह किसी दुश्मन देश की चाल हो सकती है या फिर सिद्धार्थ के ऐसे दुश्मन का षड्यन्त्र जो उसकी तरक्की से जलता हो ! पूनम और ललित इनमे से ही किसी के हाथ की कठपुतली है जो सिद्धार्थ को बर्बाद करना चाहते है |
सिद्धार्थ बाली से जुड़ी इन गुत्थीयों को सुलझाने के लिए इंस्पेक्टर देशमुख “कानून के पंडित” से मिलने जाता है | “कानून के पंडित” को देखकर इंस्पेक्टर देशमुख उछल ही पड़ता है क्योंकि वही पूनम का पहला पति “ललित जाखड़” है |
अब तो उसे पूरा यकीन हो जाता है कि ललित और पूनम झूठे हैं | उनकी कभी कोई शादी नहीं हुई थी | अब इंस्पेक्टर देशमुख , ललित और पूनम के खिलाफ सबूत इकट्ठा करना चाहता है ताकि देश के दुश्मन का पता लगा सके |
इस शक के दायरे में है सिद्धार्थ के बचपन का मित्र और बाली परिवार का सदस्य “आलोक धवन” , राम तरनेजा और उसका बेटा प्रमोद तरनेजा | आलोक धवन भी “स्पेस साइन्टिस्ट” है | काबिलियत मे यह दूसरे नंबर पर है | प्रमोद तरनेजा भी स्पेस साइंटिस्ट है | वह तीसरे नंबर पर आता है |
किताब में एक सिख अच्छी बताई गई है कि अपने हमपेशा लोगों से कभी भी ईर्ष्या और जलन नहीं रखनी चाहिए बल्कि अपनी काबिलियत से आगे जाने की प्रतिस्पर्धा जरूर रखनी चाहिए | रमन्ना बाली अपने बेटे सिद्धार्थ बाली को दुश्मन के षड्यंत्र के बारे में बताते हैं और यह भी कि उनके जाल में फंसने के बजाय उनका मुंह तोड़ जवाब देना चाहिए |
उनका मुंह तोड़ जवाब यही है कि वह अपनी सारी काबिलियत लगाकर अंतरिक्ष यान में अपनी जगह कंफर्म करें और देश का नाम रोशन करें | सिद्धार्थ यही करता है | इधर पूनम और ललित पर केस फाइल होकर कोर्ट में जीरह शुरू हो जाती है | इंस्पेक्टर देशमुख अपने मिशन में कामयाब हो जाता है |
जब जज साहब दोनों को सजा सुनाने ही वाले रहते हैं कि एक ऐसा शख्स वहां प्रकट हो जाता है जो सारी बाजी ही पलट देता है जिससे षड्यंत्रकारी बेगुनाह साबित हो जाते हैं | पर कैसे ? कौन है वह व्यक्ति ? जो बाजी पलट देता है | क्या सचमुच षड्यंत्रकारी बेगुनाह है ? क्या उन्हें उनके गुनाह की सजा मिलनी चाहिए या नहीं ?
क्या होता है कानून के पंडित के उस दावे का.. कि वह कानून की कोई भी धारा नहीं तोड़ता ! जबकि वह तो कटघरे में खड़ा है | ऐसे ही दिलचस्प सवालों के जवाब पाने के लिए पढ़िए .. प्रस्तुत कीताब “कानून का पंडित” | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ.. तब तक के लिए ..
धन्यवाद !

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