कानून का बेटा
वेद प्रकाश शर्मा द्वारा लिखित
रिव्यू –
यह कहानी है “कानून का बेटा” कहे जाने वाले केशव की.. जिसकी रचना लेखक वेद प्रकाश शर्मा इन्होंने अपनी लेखनी से की | यह कहानी है उस केशव की जो कानून की कोई भी धारा तोड़े बगैर अपने दुश्मनों से बदला लेना चाहता है जिन्होंने 21 साल पहले उसके परिवार पर जुल्म ढाए और उसका इल्जाम उसके सर डालकर उसे सजा दिलवा दी |
केशव ने पूरे 21 साल तक कानून की किताबें पढ़ी | कानून की पूरी धाराओं को अपने जेहन में बसा लिया | इन्हीं धाराओं के बीच सुरंगे बनाकर वह अपना बदला लेता है लेकिन कोई कानून नहीं तोड़ता |
उसके इस बदले के बीच में आता है खतरनाक अपराधी संगठन “किंग कोबरा” | जिससे देश का प्रशासन भी डरता है | केशव और उसके साथियों को चीटियों की तरह मसल सकता है | तो क्या करेगा केशव ? इतने खतरनाक संगठन से टकराएगा ? टकराकर खत्म हो जाएगा ? या किंग कोबरा को ही खत्म कर देगा ? या फिर अपने बदले को भूल जाएगा ? किताब पढ़ कर जरूर जानिएगा | प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – वेद प्रकाश शर्मा
प्रकाशक है – तुलसी पेपर बुक्स
पृष्ठ संख्या है – 628
उपलब्ध है – अमेजॉन पर
लेखक ने अपने पाठकों से वादा किया था कि वह केशव पंडित को विषय बनाकर एक उपन्यास लिखेंगे जिसमें केशव कानून के खामियों पर चोट करता नजर आएगा लेकिन लेखक के लिए यह आसान नहीं रहा क्योंकि कानून एक बहुत ही जटिल विषय है | इसलिए लेखक निरंतर कानून की किताबों का गहन अध्ययन करते रहे | आखिरकार उनकी यह मेहनत रंग लाई और “कानून का बेटा” उपन्यास उनके पाठकों को पढ़ने को मिला |
सारांश –
कहानी केशव पंडित के अतीत से जुड़ी हुई है | अनुपम जुनेजा नाम के व्यक्ति ने पैसों के लिए अपनी पत्नी का कत्ल किया और चाहा की , इसके इल्जाम में उसके पत्नी का भाई पकड़ा जाए | पर होनी को कुछ और ही मंजूर था | उसके जुर्म का गवाह 14 साल का “केशव पंडित” निकला | सो उसने जुनेजा के खिलाफ गवाही दी |
उसको सजा हो गई | उसके केस की इन्वेस्टीगेशन भी एक ईमानदार इंस्पेक्टर तीरथ सिंह ने की | इससे तो जुनेजा को और परेशानी हुई | इससे वह केशव को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाया | हालांकि , इसके पहले उसने केशव पंडित के परिवार को बर्बाद करने की धमकी जरूर दी थी |
अब जुनेजा ने कोर्ट में एक धाकड़ और काबिल वकील खड़ा किया | जिसने झूठ को सच और सच को झूठ बनाकर जुनेजा को बेगुनाह साबित किया | जेल से छूटने के बाद जुनेजा , छटा हुआ गुंडा बब्बन ,बब्बन के गिरोह का एक आदमी सिक्का और उसके साथीयो के साथ केशव के घर आते है |
वहाँ उन्होंने कहर ढा दिया | केशव का पूरा परिवार बर्बाद हो जाता है | इसकी पूरी कैसेट केशव चुपके से बनाता है | यह कैसेट वह इंस्पेक्टर दुबे को देता है लेकिन वह भी जुनेजा और बब्बन के साथ मिला हुआ है |
14 साल का केशव उसकी चालबाजीयों मे फंस जाता है और कानून की जाल में अटक जाता है | जेल से भाग कर केशव उसके केस के वकील रहे “जैन वकील” के घर जाता है | जैन वकील की भतीजी थी सोनू |
सोनू और केशव एक दूसरे से बेहद प्यार करते थे | केशव का लाया हुआ रिवाल्वर छीनकर उसने केशव को कानून की किताब पकड़ा दी और कहा कि कानून का बेटा बनकर ही आना |
सोनू ने उसके हाथ से रिवाल्वर ली और उसी से उन पुलिस वालों का खून किया जो बब्बन के साथ मिले हुए थे | साथ में सिक्का और उसके पांच साथियों को भी मारा | उसकी पूरी सजा भी भुगत ली | अब वह आजाद है और बड़ी हो चुकी है |
यह सारी कहानी इलाहाबाद में घटी थी | केशव “कानून की किताब” लेकर दिल्ली आ चुका था | वह भी अब बड़ा हो चुका है | कानून का बेटा बन चुका है | उसने दिल्ली में “पंडित फाइनेंस” की कंपनी खोल ली है जिसमें लोगों को पैसे भरने होते है |
इस कंपनी की उसने इतनी एडवर्टाइज कराई की दिल्ली के हर एक व्यक्ति के जुबान पर इसी का नाम है | दिल्ली में उसके साथ उसके पांच साथी है जिनके नाम साजिद , वीणा ,शबीना , शेखर और मंगल है | इनको केशव ने कभी फांसी के फंदे से बचाया था | इसलिए यह अपनी जान केशव की अमानत मानते है | अतः उसके साथ ईमानदार है और उसके लिए जान भी दे सकते है |
21 साल तक दुबे जुनेजा , कुकरेजा और बब्बन को उस कैसेट का डर दिखाकर ब्लैकमेल करता है | तभी केशव “किंग कोबरा” बन कर जुनेजा से मिलता है और दुबे से छुटकारा दिलाने की बात करता है |
इसके लिए केशव उन तीनों से 30 लाख रुपए लेता है | यह पैसे लेकर केशव “किंग कोबरा” के अड्डे पर जाता है | वह भी अपनी जान खतरे में डालकर ..
“किंग कोबरा” केशव की हरकत और बातों से बहुत प्रभावित होता है | वह किंग कोबरा के लेटर पैड का एक पेपर केशव को देता है जिसे दिखाकर केशव दुबे से वह कैसेट ले लेता है फिर कोर्ट से दुबे के घर की तलाशी लेने के आर्डर ले लेता है ताकि कोर्ट दुबे को कैसेट हड़प करने के इल्जाम में पकड़ ले |
दुबे , केशव की चाल में फंसकर उस पर गोली चलाता है | इसके जवाब में ईमानदार तिरथसिंह उसे मौत के घाट उतार देता है | इसके बाद केशव खुद को इलाहाबाद पुलिस के हवाले करता है ताकि वह खुद को बेगुनाह साबित कर सके | इस काम के लिए वह अदालत से 6 महीने का टाइम मांगता है लेकिन उसे सिर्फ मिलता है 4 महीने का वक्त ..
इसके बाद कोर्ट सीन चलते रहते हैं जिसमें केशव बड़े ही दिलचस्प अंदाज में अपनी बातें सामने रखते जाता है | उसके इस कारनामें से सारे अखबार उसी की तारीफ से अटे पड़े होते हैं | इससे वह यह भी चाहता है कि उसकी बचपन की दोस्त “सोनू”उसके बारे में पढ़कर उस से मिलने चली आए लेकिन सोनू नहीं आती |
केशव ही कोबरा गैंग की मदद से उस तक पहुंचता है | अब सोनू के साथ-साथ केशव को अपने चाहने वालों में जैन वकील और इंस्पेक्टर तिरथसिंह भी मिलते हैं | सोनू को लेकर केशव पंडित दिल्ली आ जाता है |
इधर जुनेजा ने बब्बन को केशव के पीछे इलाहाबाद भेजा | वहाँ केशव ने जो कारनामा किया | उसे सुनकर कुकरेजा , जुनेजा और बब्बन के तो होश ही उड़ गए | तब उन को पता चलता है कि “किंग कोबरा” बनकर जो शख्स उनसे मिला था | वह केशव था |
वह केशव जिसके परिवार पर इन लोगों ने 21 साल पहले जुल्म ढाए थे और केशव की बेगुनाही का सबूत वह कैसेट गायब कर दी थी जिसे खुद केशव ने रिकॉर्ड किया था |
अब यह तीनों केशव से बचने के लिए “कोबरा संगठन” की मदद लेते हैं | किंग कोबरा भी एक करोड रुपए में तीनों के जान की गारंटी लेता है और इस तरह केशव और उसके दुश्मनों के बीच किंग कोबरा की एंट्री होती है |
“किंग कोबरा” अपना मैसेज केशव तक पहुंचाता है कि, वह अपनी जान की खैर चाहता है तो कुकरेजा , जुनेजा और बब्बन से दूर रहे लेकिन केशव डरने के बजाय किंग कोबरा के साथ जंग का ऐलान कर देता है |
केशव के इस फैसले में उसके सारे साथी उसके साथ है | सिवाय मंगल के.. क्योंकि वह जानता है की “कोबरा संगठन” की ताकत क्या और कितनी है | अतः वह केशव और उसकी टीम से अलग हो जाता है | जंग के पहले केशव के अतीत के बारे में उसके सारे साथियों को पता चल जाता है |
इस लड़ाई में केशव का एक रूल है कि , वह कानून की कोई धारा नहीं तोड़ेगा | इसके बाद केशव कुकरेजा के घर जाता है | वहां केशव खुद को ही चाकू से घायल करता है और पुलिस स्टेशन जाकर इसका इल्जाम कुकरेजा पर लगाता है | अब अदालत मे वही होता है जो केशव चाहता है |
कुकरेजा को सजा हो जाती है | कुकरेजा की आधी उम्र गुजर चुकी है | केशव उसको आजीवन कारावास की सजा दिलाना चाहता है ताकि वह कभी जिंदा बाहर ही ना सके | अब कुकरेजा को यह एहसास होगा तो वह तिल- तिल कर के मरेगा | यही केशव चाहता है | किंग कोबरा वैसे तो केशव से बहुत इंप्रेस है लेकिन अपने संगठन पर दाग भी नहीं लगने देना चाहता है |
इसीलिए वह उसके फील्ड ऑफिसर कोबरा डफरिन को वह सारे अधिकार देता है जो एक किंग कोबरा के पास होते है ताकि वह केशव और उसकी टीम को खत्म कर सके या उन्हें उनके इरादे में कामयाब न होने दे !
अगर केशव कामयाब हो गया तो वह केशव को सारे फील्ड कोबराओ के सामने सम्मानित करेगा | किंग कोबरा दूर से ही उनके खेल का मजा लेगा | कोबरा गैंग केशव और उस के टीम की हर पल की खबर रखते हैं |
इसके बाद केशव जंग का ऐलान करता है | वह अपने साथियों को एक-एक मोर्चे पर लगाता है | साजिद और शबीना को छोड़कर सारे लोग गायब हो जाते हैं | केशव का पता जानने के लिए कोबरा गैंग शबीना को उठा लेते हैं | अगले दिन शबीना की लाश दिल्ली के रोड पर बहुत ही बुरी हालत में मिलती है |
उसकी अगली सुबह कोबरा गैंग के सात मेंबरों की लाश दिल्ली के अलग-अलग रास्तों पर पाई जाती है | सब लोगों को लगता है कि उनके ही टीम के किसी मेंबर ने यह किया होगा लेकिन उनकी टीम का ऐसा कोई नहीं जिसने यह किया हो क्योंकि यह करने के लिए उन्हें केशव के आदेशों का उल्लंघन करना होगा जो कि वह नहीं करना चाहते |
कोबरा गैंग की कड़ी सुरक्षा में रहने के बावजूद भी केशव बब्बन का कत्ल करने में कामयाब हो जाता है | बब्बन के कत्ल में वह शेखर को गिरफ्तार करवाता है | यह उनकी प्लानिंग का एक हिस्सा है | फिर वह शेखर का केस लड़ने के लिए सोनू के जैन अंकल को कहता है |
साथ में शेखर को बेगुनाह साबित करने वाले सबूत भी देता है | कुकरेजा की जमानत हो जाती है | कुकरेजा की वजह से केशव का कोई खेल ना बिगड़ जाए | इस डर से साजिद और वीणा , कुकरेजा को अदालत परिसर में ही गोलियों से भून देते हैं |
इसके बदले कोबरा गैंग उन दोनों को भी गोलियों से छलनी कर देती है | इससे केशव बहुत टूट जाता है | अब वह फील्ड कोबरा डफरिन के पास जाकर जुनेजा से मिलने की बात करता है |
डफरिन नहीं मानता तब केशव बताता है कि उसका बेटा “निमेष” उसके कब्जे में है | केशव ने सोनू को यही काम सौंपा था | केशव जुनेजा से मिलने में कामयाब हो जाता है |
केशव ने जुनेजा की बेटी को पूरी तरह अपने जाल में फसाया है | जुनेजा उन दोनों के बारे में जानकर आगबबूला हो जाता है | वह कोयल को बेहोश होने तक मारता है | हद तब होती है जब डफरिन उसे एक वीडियो फिल्म देता है जो उसे केशव ने दी थी |
जुनेजा यह फिल्म देखकर पगला जाता है | वह अपनी ही बेटि को गोलियों से भून देता है और बाद में खुद को भी शूट कर देता है | ठीक उसी तरह जैसे 21 साल पहले केशव के पिता ने अपनी बेटी खुशबू को मारा था |
केशव का बदला इस तरह पूरा होता है | वह कैसेट गायब करवा देता है ताकि लोगों को जुनेजा की मौत के सच का पता ना लग सके | अब मंगल के बारे में बताते हैं | शबीना पर हुए अत्याचार के बारे में सुनकर मंगल कोबरा गैंग लोगों को मारता है | वही मंगल बम की खदान बन कर डफरिन के मुख्य ऑफिस को उड़ा देता है |
इस तरह केशव यह लड़ाई जीत जाता है लेकिन क्या यह जीत केशव देख पाएगा ? क्या किंग कोबरा सचमुच उसका सम्मान करेगा या बौखलाकर केशव को खत्म कर देगा ? आप किताब पढ़कर जरूर जाने |
यह तो हमने केशव के कारनामे शॉर्ट में आपको बताएं है | अगर आप इसे डिटेल में पढ़ोगे तो मजा ही आ जाएगा | वैसे किताब लगभग 600 पृष्ठों की है | तो इतना रिव्यू तो बनता है | चलिए तो किताब को जरूर पढ़िए और लेखक की किताबों का आनंद उठाईए | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ .. तब तक के लिए ..
धन्यवाद !
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