“झील के उस पार”
गुलशन नंदा द्वारा लिखित
रिव्यू –
गुलशन नंदा द्वारा लिखित उपन्यास “झील के उस पार” हिंदी साहित्य और प्रकाशन के इतिहास में एक बेहद लोकप्रिय और महत्वपूर्ण रचना है | यह एक सामाजिक और रोमांटिक उपन्यास है |
प्रचार और प्रसार –
यह उपन्यास अपनी ज़बरदस्त लोकप्रियता और अभूतपूर्व प्रचार के लिए जाना जाता है | कहा जाता है कि प्रकाशन के समय इसका प्रचार भारत भर के अखबारों, पत्रिकाओं, रेडियो और बिल बोर्डों पर बड़े पैमाने पर किया गया था | हिंदी प्रकाशन के इतिहास में इसकी बिक्री को एक बड़ी घटना माना जाता है |
दावा किया जाता है कि इसका पहला संस्करण ही लाखों प्रतियों का था, जिसने बिक्री के रिकॉर्ड बनाए थे | यह कहानी अमीर-गरीब मे अंतर, पारिवारिक साज़िशें और प्रेम के लिए संघर्ष जैसे विषयो पर आधारित है | इसी नाम से वर्ष 1973 में एक हिंदी फिल्म बनी थी | इस फिल्म में धर्मेंद्र ने समीर और मुमताज ने नीलू की मुख्य भूमिका निभाई थी | यह फिल्म भी बहुत सफल रही थी |
गुलशन नंदा अपनी कहानियों को फिल्मी अंदाज़ में लिखने के लिए जाने जाते थे, यही कारण था कि उनके कई उपन्यासों पर सफल फिल्में बनीं, जिनमें ‘कटी पतंग’, ‘खिलौना’, ‘नील कमल’ और ‘दाग’ जैसी प्रमुख फिल्मे शामिल हैं | ‘झील के उस पार’ उनके सबसे चर्चित उपन्यासों में से एक है | हम इसे पूरे 5 स्टार की रेटिंग देते है | हालांकि , यह कहानी आज के जमाने के हिसाब से थोड़ी पिछड़ी हुई है |
जुगनू का पात्र –
“झील के उस पार” में जुगनू का पात्र एक नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह का किरदार है | वह नीलू के लिए सकारात्मक तब तक है जब तक नीलू समीर के जीवन मे महत्वपूर्ण जगह नहीं पा लेती | जब समीर नीलू से प्रेम करने लगता है तो वह नीलू से ईर्ष्या करने लगती है और उसे रास्ते से हटाने कमी कोशिश करती है | उसके प्यार मे त्याग नहीं छीनना है | यह प्यार नहीं | स्वार्थ है | फिल्म में यह भूमिका अभिनेत्री योगिता बाली ने निभाई थी | समीर की माँ का पात्र एक परंपरावादी और अड़ियल रानी का दिखाया है |
संक्षेप में, जुगनू का पात्र प्रेम त्रिकोण में समीर और नीलू के रिश्ते में बाधा डालने का काम करता है | वह उपन्यास और फिल्म में ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा और सामाजिक श्रेष्ठता के भाव का प्रतिनिधित्व करती है | नीलू का पात्र पवित्रता, निर्दोषता और सहनशीलता का प्रतीक है |
नीलू का पात्र –
गुलशन नंदा के उपन्यास “झील के उस पार” और फिल्म में नीलू मुख्य नायिका और कहानी का केंद्रबिंदु है | उनका चरित्र भारतीय सिनेमा और साहित्य की पारंपरिक नायिका की छवि को दर्शाता है जो सादगी, त्याग और प्रेम के लिए संघर्ष करती है |
वह कहानी में अमीर और गरीब के बीच के वर्ग संघर्ष को उजागर करती है, और यह दिखाती है कि सच्चा प्यार इन सामाजिक बंधनों से ऊपर है | समीर की माँ और जुगनू उसे लगातार समीर से दूर रखने के लिए लगातार साज़िशें रचते हैं |
साज़िश के दबाव में, वह आँखें ठीक होने के बाद भी समीर को दूर रखने के लिए अंधे होने का नाटक करती है | उसका यह कृत्य बलिदान की भावना को दर्शाता है, क्योंकि वह मानती है कि उसका त्याग ही समीर के परिवार के लिए सही होगा |
, नीलू एक दुखियारी, पर दृढ़ निश्चयी नायिका है, जो अपनी सादगी और प्रेम की पवित्रता के कारण अंततः सभी मुश्किलों पर विजय प्राप्त करती है |
समीर राय का पात्र –
गुलशन नंदा के उपन्यास “झील के उस पार” और 1973 की फिल्म में समीर राय मुख्य नायक हैं | उनका पात्र कहानी का वह ध्रुव है जो प्रेम, पश्चाताप और पारिवारिक संघर्ष के बीच फँसा हुआ है |
वह एक कलाकर है | उसे चित्रकारी करना अच्छा लगता है | यह संवेदनशील और भावुक प्रकृति को दर्शाता है | वह दुनिया को एक अलग नज़रिए से देखता है | यह उसे उसकी माँ के रूढ़िवादी विचारों से अलग करता है | समीर वह रोमांटिक हीरो है जो अपने परिवार की अमीरी के बावजूद सादगी और सच्चाई को अपनाता है और अपनी प्रेमिका के लिए सामाजिक तथा व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना करता है |
प्रताप का पात्र –
गुलशन नंदा के उपन्यास “झील के उस पार” और 1973 की फिल्म में प्रताप का पात्र एक अत्यंत महत्वपूर्ण खलनायक है | फिल्म में यह भूमिका अभिनेता प्रेम चोपड़ा ने निभाई थी |
प्रताप का चरित्र कहानी में नकारात्मकता, लालच और दुर्भावना का प्रतिनिधित्व करता है | वह नायक समीर राय और नायिका नीलू के जीवन में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है |
समीर के भाई के सौतेले भाई के रूप मे वह राय परिवार की संपत्ति में हिस्सा लेने का हकदार होने का दावा करता है | वह एक लालची , शराबी, लंपट और आपराधिक मानसिकतावाला व्यक्ति है | उसका मुख्य उद्देश्य किसी भी कीमत पर समीर की विशाल संपत्ति को हथियाना है |
प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – गुलशन नंदा
प्रकाशक – हिन्द पॉकेट बुक्स
पृष्ठ संख्या – 214
सारांश –
प्रताप का अपनी पुश्तैनी हवेली मे आना –
कुंवर समीर पूरे 7 साल बाद अपनी पुश्तैनी हवेली और अपनी जमींदारी में वापस आया है | इस हवेली के सामने एक झील है | उस झील को देखकर उसकी पुरानी यादें ताजा हो आई है , जो दुःखद है और यही से कहानी का फ्लैश बैक शुरू होता है |
सात साल पहले जब वह यहां आया था | तो उसका मन एक जमींदार का नहीं , एक कलाकार का था | वह बहुत अच्छी पेंटिंग कर लेता था | ऐसे ही एक दिन झील के किनारे उसे एक अति खूबसूरत लड़की बैठी मिलती है | वह उसाक चित्र बनाता है पर उस लड़की की आंखों में कोई जान नहीं है क्योंकि वह लड़की अंधी है | उसका नाम “नीलू” है |
समीर के बाद में उसकी रानी माँ , उनका दीवानजी और उसकी बेटी जुगनू भी हवेली में आ जाती है | दीवान अपनी बेटी जुगनू को इस राजघराने की बहू बनाना चाहता है | समीर का एक सौतेला भाई है “प्रताप”| उसने इसी गांव की एक जमीन पर अवैध कब्जा जमा रखा है | रानी माँ वह जमीन वापस चाहती है जबकि समीर नहीं क्योंकि वह प्रताप को अपना सगा भाई ही मानता है |
नीलू के घर की स्थिति –
नीलू के पिता रसीला ने दूसरा विवाह किया ताकि नीलू की अच्छी देखभाल हो सके पर वह सौतेली माँ नीलू की अपनी कभी हो ना सकी | उसकी शादी के पहले का एक प्रेमी था | वह दोनों बुरी राह पर चलनेवाले व्यक्ति है | इसीलिए वह दोनों नीलू के अंधेपन का फायदा उठाकर , उसे प्रताप के हाथों बेच देते हैं |
नीलू जब मदद के लिए चिल्लाती है तो पास के ही राह से गुजरनेवाले समीर , जुगनू और रसीला उसकी आवाज सुनते है | समीर नीलू की मदद के लिए गुहार सुनता है | वह उसे बचा लेता है |
घर जाकर रसीला नीलू की सौतेली माँ की अच्छी खबर लेता है पर इस घटना से उसे पैरालिसिस हो जाता है | इसी सदमे मे वह चल बसता है | नीलू की सौतेली माँ भी घर से भाग जाती है | नीलू अब बेसहारा हो गई है | इसलिए समीर उसे अपनी हवेली लेकर आता है | इसलिए भी की नीलू का अंधापन उसी के पिता की देन है |
नीलू का त्याग –
समीर अब नीलू की आंखों का इलाज करवाता है | वह देखने तो लगती है पर डॉक्टर की मदद से यह बात छुपा लेती है क्योंकि अगर वह देखने लगती तो समीर उससे शादी कर लेता और जुगनू का दिल टूट जाता | वह ऐसा नहीं चाहती थी |
खैर , नीलू को अपने रास्ते से हटाने के लिए और समीर को पाने के लिए जुगनू , प्रताप के जाल में फंस जाती है | वह उसे रानी माँ के लॉकर से एक लिफाफा चुरा कर देती है जिसमें लाखों की संपत्ति के पासबुक है | इसकी जानकारी सिर्फ जुगनू के पिता को थी |
नीलू यह चोरी होते हुए देखती हैं पर किसी को बताती नहीं | उधर प्रताप की प्रेमिका “माया” का पति “बलराज” हवाई जहाज की दुर्घटना में मर जाता है | अब उसके इंश्योरेंस के पैसे और शेयरों के पैसे माया के होनेवाले हैं | वह इन पैसों के साथ प्रताप को लेकर विदेश में बसना चाहती है |
प्रताप भी इसीलिए वह लिफाफा हासिल करता है क्योंकि रानी माँ ने उससे उसकी जमीन छीन ली है जिससे उसके पास अब जीवन यापन का कोई जरिया नहीं बचा है |
माया और बलराज की करतूत –
प्रताप की कहानी में एक ट्विस्ट यह है कि माया का पति बलराज जिंदा है | वह भी अपने पैसे वापस पाना चाहता है | जब प्रताप और माया , बलराज को धोखा देकर भागने ही वाले रहते हैं कि बलराज , प्रताप की हत्या कर देता है |
वह दोनों उसकी लाश को उसी महल के पासवाली झील में फेंकने जाते हैं | उन्हे अंधेरे में नीलू देख लेती है क्योंकि उसने तब तक समीर की माँ के कहने पर हवेली छोड़ दी थी और वह अपनी पहाड़ियोंवाली बस्ती में वापस जा रही थी |
माया और बलराज की करतूत देखकर , वह रात भर चलकर शहर पहुंचती है | यहाँ वह उस डॉक्टर के यहां आती है जिसने उसका ऑपरेशन किया था | यहीं पर उसे माया और बलराज की तस्वीर भी दिखती है क्योंकि वह दोनों डॉक्टर के रिश्तेदार है |
फिर भी पूरी हकीकत जानने के बाद डॉक्टर पुलिस को खबर कर उन दोनों की जानकारी देते हैं | उनको गिरफ्तार किया जाता है | इसके बाद नीलू समीर की जिंदगी से दूर चली जाती है |
अब नीलू का आगे क्या होगा ? क्या समीर उसे ढूंढ पाएगा ? राजघराने की बहू नीलू बनेगी या जुगनू ? और सात साल के बाद भी समीर की उस झील से जुड़ी ऐसी कौन यादे है जिसे याद कर वह अब इस जगह से कोई रिश्ता नहीं रखना चाहता ?
वह इस हवेली को बेचना चाहता है ? पढ़कर जरूर जानिएगा | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहीए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ….
धन्यवाद !!
Check out our other blog post WAAPASI
गुलशन नंदा पर आधारित फ़िल्मों और उनके उपन्यासों पर और चर्चा देखने के लिए, आप हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करे |
सवाल है ? जवाब यहाँ है | (FAQs SECTION)
Q.1: “झील के उस पार” उपन्यास के लेखक कौन हैं?
A : इस सामाजिक और रोमांटिक उपन्यास के लेखक गुलशन नंदा हैं। वह हिंदी साहित्य में अपनी फिल्मी और लोकप्रिय लेखन शैली के लिए जाने जाते थे |
Q.2: यह उपन्यास किस विषय पर आधारित है?
A.2: यह उपन्यास मुख्य रूप से अमीर-गरीब के बीच के अंतर, पारिवारिक साज़िशों, और नायक समीर राय तथा अंधी लड़की नीलू के बीच संघर्षपूर्ण प्रेम पर आधारित है |
Q.3: क्या “झील के उस पार” पर कोई फिल्म बनी है?
A.3: हाँ, इसी नाम से 1973 में एक हिंदी फिल्म बनी थी | फिल्म में धर्मेंद्र ने समीर और मुमताज ने नीलू की मुख्य भूमिका निभाई थी |
Q.4: जुगनू और प्रताप के पात्र कहानी में क्या भूमिका निभाते हैं?
A.4: जुगनू एक नकारात्मक पात्र है जो समीर से प्रेम करती है और नीलू से ईर्ष्या के कारण उसे रास्ते से हटाने की साज़िश करती है | प्रताप (समीर का सौतेला भाई) एक लालची और आपराधिक मानसिकता वाला खलनायक है जिसका मुख्य उद्देश्य राय परिवार की संपत्ति हथियाना है |
Q.5: समीक्षक ने इस किताब को कितनी रेटिंग दी है?
A.5: हमने गुलशन नंदा के इस क्लासिक उपन्यास को 5 स्टार की रेटिंग दी है |