हिडिम्बा
नरेंद्र कोहली द्वारा लिखित
रिव्यू –
उपन्यास ‘हिडिम्बा’ को केंद्र मे रखकर लिखा गया है | यह महाभारत का एक महत्वपूर्ण पात्र है जिसे अक्सर अनदेखा किया गया है | यह उपन्यास हिडिंबा के दृष्टिकोण से लिखा गया है |यह उपन्यास पाठकों के सामने कई प्रश्न खड़े करता है जैसे की हिडिम्बा जिसकी प्रवृत्ति राक्षसों की है | वह अपने ही भाई के हत्यारे के साथ शादी करने के लिए क्यों तैयार हो गई ? कुंती अपने बड़े बेटे युधिष्ठिर को छोड़कर भीम और हिडिम्बा के विवाह के लिए क्यों राजी हो गई और एक प्रसिद्ध राजघराणे की बहु होने के बाद भी हिडिंबा ,हस्तिनापुर न जाकर जंगल में ही रहना क्यों पसंद करती है ? इन सारे सवालों के जवाब देती यह किताब है |
लेखक ने हिडिंबा को एक मासूम वनकन्या के रूप में दर्शाया है जिसके हृदय में प्रकृति के लिए अनगिनत प्रेम है | भीम और हिडिम्बा प्रेम विवाह तो होता है | कुंती इसके लिए मान भी जाती है लेकिन सिर्फ जंगल मे क्योंकि उसकी आर्य संस्कृति, विवाह, परिवार, धर्म और न्याय जैसे जटिल विषयों पर हिडिंबा खरी नहीं उतरती |
लेखक नरेंद्र कोहली अपने पौराणिक उपन्यासों के लिए जाने जाते हैं | वे पौराणिक चरित्रों को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में देखते हैं और उनके माध्यम से समकालीन समाज की समस्याओं और उनके समाधान को प्रस्तुत करते हैं |
प्रस्तुत उपन्यास ‘हिडिम्बा’ और उसके भीम के साथ संबंधों की जटिलता को , उनके व्यक्तिगत संघर्ष और उस समय के सामाजिक-धार्मिक मानदंडों को गहराई से उजागर करता है | यह उन लोगों के लिए एक पठनीय उपन्यास है जो महाभारत के पात्रों को एक नए दृष्टिकोण से समझना चाहते हैं और जो इन पात्रो को चमत्कारी नहीं बल्कि मनुष्य के रूप मे देखते है | प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – नरेंद्र कोहली
प्रकाशक – वाणी प्रकाशन
पृष्ठ संख्या – ९५
उपलब्ध – अमेजन और किन्डल पर
सारांश –
यहाँ महाभारत के उस हिस्से का वर्णन है जहाँ पांडव और उनकी माँ वारणावत के लाक्षागृह से अपनी जान बचाकर हिडिम्ब वन में भाग जाते है | वहां हिडिम्ब वन का राजा हिडिम्ब अपनी बहण हिडिम्बा को पांडवो को मारने ले लिए भेजता है ताकि उसके बाद वह पांडवो को खा सके | लेकिन भीम को देखते ही हिडिम्बा को उससे प्रेम हो जाता है | वह मन ही मन उसे अपना पति स्वीकार कर लेती है और फिर कुछ सालो बाद भीम के बच्चे घटोत्कच को जन्म देती है | वह भीम से वादा करती है की वह घटोत्कच को एक वीर योद्धा बनाएगी न की पेड़ पर लटकनेवाला और नर मांस खानेवाला एक राक्षस…….
यह तो सौ फी सदी सही है | हिडिम्बा अपने बेटे को एक वीर योद्धा बनाती है | इसीलिए तो वह कुरुक्षेत्र के युद्ध में भाग ले पाता है और वीरगति को प्राप्त होता है
प्रस्तुत किताब में हिडिम्बा कैसी है ? उसके व्यक्तित्व के अनकहे पहलुओ को आप यहाँ पढ़ पाओगे | इसमें राक्षस जाती का और मानव जाती का फर्क बताया है | राक्षस जहाँ खुद का ही विचार करते है वहां मनुष्य अपने से पहले अपनों का विचार करते है | आज के समाज पर तो यह बात लागु होती है | आज राक्षस तो नहीं है पर उनके विचार धारण करनेवाले व्यक्ति समाज में बढ़ते ही जा रहे है |
यही विचार तो मनुष्य को मनुष्य से अलग करते है | यहाँ पांडव जिस ऋषि के आश्रम में सहारा लेते है | उन ऋषि और पांडवो की ( भीम को छोड़कर ) धर्म और न्याय को लेकर चर्चा भी यहाँ दी है | वैसे किताब बहुत छोटी सी है | आप इसे बहुत जल्दी पढ़कर ख़त्म कर सकते है |
धन्यवाद !
Wish you happy reading ………..
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