हेनरी फोर्ड
अश्विनी बर्वे द्वारा लिखित
रिव्यू –
हेनरी फोर्ड (Henry Ford) एक अमेरिकी उद्योगपति थे | उन्होंने “फोर्ड मोटर कंपनी” की स्थापना की थी | उन्हें आधुनिक युग मे mass production के लिए उपयोग मे लाई जानेवाली “असेंबली लाइन” तकनीक के जनक के रूप में जाना जाता है | फोर्ड ने एक “मॉडल टी” कार बनाई जिसे मध्यम वर्ग के अमेरिकी भी खरीद सकते थे |
यह उनकी सफल कार थी जिसने यातायात और अमेरिकी उद्योग में क्रांति ला दी | फोर्ड ने असेंबली लाइन तकनीक को विकसित किया और लोकप्रिय बनाया | इससे कारों का उत्पादन कम समय मे और कम लागत में संभव हो गया |
इस तकनीक ने औद्योगिक उत्पादन के तरीकों में क्रांति ला दी | उन्होंने अपने कर्मचारियों को उच्च वेतन दिया | उनके काम के 8 घंटे के शिफ्ट की शुरुआत की | इससे कर्मचारियों का जीवन स्तर बेहतर हुआ और काम में उनकी उत्पादकता भी बढ़ी|
उनकी दूरदर्शिता और नव विचारों ने न केवल ऑटोमोबाइल उद्योग को बदल दिया बल्कि आधुनिक औद्योगिक समाज को भी एक नई दिशा दी | प्रस्तुत किताब की –
लेखिका है – अश्विनी बर्वे
लोग ऐसा मानते हैं कि हेनरी फोर्ड ने ऑटोमोबाइल का आविष्कार किया पर यह आविष्कार जर्मन आविष्कारक कार्ल बेन्ज़ के खाते में जाता है | |
उन्होंने ही सबसे पहली बार कार को ईएमआई पर उपलब्ध कराया | इसके लिए उन्होंने एक क्रेडिट कंपनी भी खोली | आईए उनके जीवनवृत्तान्त को जानते है सारांश मे –
सारांश –
उनका जन्म 30 जुलाई 1863 को हुआ | वह मिशिगन के डिअरबर्न में रहते थे | उनका सारा परिवार खेतों में काम करता था पर उन्हें यह काम पसंद न था | उन्हें मशीनरी में रुचि थी | उनका पसंदीदा विषय मैथ्स था | इसी का उपयोग उन्होंने नई मशीन के डिजाइन में किया |
17 साल की उम्र में हेनरी फोर्ड ने पहले नौकरी की | वह थी फ्लॉवर मशीन शॉप में , लेकिन यह भी उनको पसंद नहीं आई | अगली नौकरी उन्होंने स्टीम इंजन तैयार करनेवाली कंपनी में की |
साल 1882 में वह सर्टिफाइड मशीन मिस्त्री बन गए | वह हमेशा वजन में हल्का और काम में शक्तिशाली इंजन बनाने का सपना देखते थे | हेनरी के इंजन बाबत ज्ञान के कारण थॉमस एडिसन ने उन्हें “एडिसन इल्यूमिनेटिंग कंपनी” में चीफ इंजीनियर की नौकरी दी |
साल 1894 में उन्होंने पेट्रोल पर चलनेवाली कार बनाई | उन्होंने अपने इंजन को चार चक्के पर रखकर उसमें यात्रा की | लोगों ने उस गाड़ी को बिना घोड़ेवाली गाड़ी कहा क्योंकि तब सारी गाड़ियां घोड़े खींचा करते |
उनकी बनाई गाड़ीयां बिकना शुरू हो गई | उन्हें अब अपने कारोबार पर ज्यादा ध्यान देना था | इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी | जून 1903 को उन्होंने “फोर्ड कंपनी” नाम से डेट्रायट में एक छोटी फैक्ट्री शुरू की | इसमें पहले केवल 10 लोग काम करते थे |
हेनरी फोर्ड ही वह व्यक्ति है जिन्होंने चक्केवाली गाड़ी से पहली बार यात्रा की | उनकी पहली मॉडल – A कार एक महीने में बनकर तैयार हो गई | इसकी कीमत 850 डॉलर थी | बाद में वह एक दिन में 15 कारे बनाने लगे |
हेनरी ने अपने 10 कर्मचारियों के साथ मिलकर बहुत मेहनत की | उनके इस मेहनत के कारण उनका कारोबार इतना बढ़ा कि, उनको नया कारखाना लेना पड़ा | जो पहले कारखाने के मुकाबले 10 गुना ज्यादा बड़ा था |
यह 1905 में खोला गया था | मॉडल – ए कार की सफलता के कारण उनको पता चला कि कार निर्मिती में अच्छा भविष्य है | अब उन्होंने सस्ती कार तैयार करने की सोची ताकि सारे लोग कार खरीद सके |
1908 में बनी मॉडल – टी कार ने अमेरिका का चेहरा ही बदल दिया | यह कार बहुत ही सफल हुई | अब उन्होंने विश्व का सबसे बड़ा कारखाना खोलने का विचार किया | उनके नए कारखाने में बहुत सी खिड़कियां थी | इस कारखाने का नाम “क्रिस्टल रॉयल पैलेस” प्रसिद्ध हुआ |
यह 1910 में शुरू हुआ | इसी कारखाने में उन्होंने असेंबली लाइन शुरू की जिससे उनके कार का उत्पादन बढ़ गया | मॉडल – टी कार के यश ने हेनरी फोर्ड को अमीरों की लाइन में लाकर खड़ा कर दिया लेकिन कुछ वक्त के बाद यह कार स्पर्धा में टिक नहीं सकी और इसी के साथ फोर्ड कंपनी की बिक्री भी घट गई |
अब मुनाफा कमाने के लिए उन्हें नए मॉडल की कार तैयार करना लाजमी था पर वह मॉडल – टी कार का मोह छोड़ नहीं पा रहे थे | उन्होंने मॉडल – टी कार के डेढ़ करोड़ मॉडल बनाए थे | इस कार के अंतिम मॉडल से उन्होंने सवारी की |
मॉडल – टी के बाद उन्होंने सुधारीत मॉडल – ए कार बनाई | यह भी लोगों को खूब पसंद आई | 1928 तक कंपनी रोज की 6400 कारे बनाती थी | सन 1929 को अमेरिका में आए मंदी के दौरान सबके बिजनेस धूल में मिल गए लेकिन इस परिस्थिति में भी अगले दो वर्ष तक फोर्ड कंपनी ज्यों कि त्यों खड़ी रही |
बाद में बिक्री में घट के कारण 1931 का साल कंपनी के लिए बहुत बुरा गया | इस दौरान उन्होंने v- 8 नाम की नई कार बनाई | यह खूब बिकी | फोर्ड कंपनी फिर से मुनाफा कमा रही थी |
7 दिसंबर 1941 को जापान ने अमेरिका के पर्ल हार्बर पर हमला किया | अब अमेरिका दूसरे विश्व युद्ध में शामिल हो गया था | अमेरिका को जापान और जर्मनी से लड़ने के लिए टँक्स और ट्रको की जरूरत थी |
ऐसे में हेनरी ने कार बनाना बंद कर के युद्ध उपकरण बनाने शुरू किए | उन्होंने डेट्रायट के पास एक कारखाना खोला | उसमें हर महीने 650 बॉम्बर बनाए गए |
हेनरी की तबीयत खराब रहने के कारण उनके पोते ने सन 1943 में कंपनी की बागडोर संभाली | उनका नाम हेनरी द्वितीय रखा गया था | फोर्ड ने भी अपने पैसों का उपयोग लोगों की मदद करने के लिए किया |
जब उनके पोते ने पूरी मेहनत के साथ कंपनी को आगे बढ़ाया तब उन्होंने अपना सारा ध्यान उनके द्वारा स्थापित फोर्ड फाउंडेशन में दिया | इस फाउंडेशन ने स्कूल , म्यूजियम और कई अन्य सामाजिक संस्थाओं को मदद की |
सन 1947 को 84 साल की उम्र में उनका देहांत हुआ | उन्होंने अपना ज्यादातर पैसा फोर्ड फाउंडेशन के लिए रखा | यह पैसा सामाजिक कार्यों के लिए खर्च किया गया | “फोर्ड फाउंडेशन” अमेरिका की सबसे बड़ी दान देनेवाली संस्था है |
हेनरी फोर्ड को लोग हमेशा एक अद्भुत आविष्कारक के रूप में याद रखेंगे जिन्होंने संपूर्ण दुनिया में कार के रूप में नवीनता लाई | अगर आप ने भी कभी फोर्ड कार का उपयोग किया है | तो उसके बनानेवाले की कहानी जानने के लिए जरूर पढिए – हेनरी फोर्ड की जीवनी |
तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए .. धन्यवाद !!
HENRY FORD BIOGRAPHY BOOK REVIEW HINDI