HARAVALELYAA MANDIRACHE RAHASYA REVIEW

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हरवलेल्या मंदिराचे रहस्य

रिव्यु –

   जैसा की हमने कहा था की हम कुछ बुक रिव्यु बच्चो के लिए भी देंगे | आखिर वही तो हमारे देश का भविष्य है | इसीलिए उनके ज्ञान को बढ़ानेवाली कुछ ज्ञानवर्धक किताबो में से आज हम एक किताब लेकर आये है | उसका नाम है | “हरवलेल्या मंदिराचे रहस्य” जो सुधा मूर्ति द्वारा लिखित मूलतः कन्नड़ भाषा में है | जिसका मराठी अनुवाद लीना सोहोनी द्वारा किया गया है | इस किताब के प्रकाशक है | मेहता पब्लिशिंग हाउस और पृष्ठ संख्या है – १७२

सुधा मूर्ति का जन्म १९५० को कर्नाटक में हुआ | उन्होंने computer science में m.tech किया है | Telco कंपनी में चुनी गई वह पहली इंजिनियर थी | वह इनफ़ोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष है | इस फाउंडेशन द्वारा चलाये जानेवाले समाजकार्य के लिए वह प्रसिद्ध है | कर्नाटक के गवर्नमेंट स्कुलो में कंप्यूटर और लाइब्रेरी शुरू करने का काम उन्होंने ही शुरू किया है | उन्हें बहुत से सम्मानों से नवाजा गया है |

प्रस्तुत पुस्तक बच्चो के लिए बहुत ही अच्छी है जो बच्चो को बड़ो का आदर करना समझाएगी , अपने सामान का ख्याल रखना , बुजुर्ग लोगो का ख्याल रखना , उनकी काम में मदद करना सिखाएगी | हमने आप को बताया की यह बुक आप को सिखाएगी इसका मतलब यह नहीं की यह आप को उपदेशो के बोझ तले दबा देगी बल्कि कहानी के माध्यम से यह सारी बाते आप को पता चलेगी जैसा की इस किताब की नायिका “अनुष्का” करती है | वह और उसके दोस्त इस किताब में बताये गए मंदिर को भी ढूढ़ निकलते है | वह कैसे इस किताब में पढ़िए | इस किताब के जरिये आप गाँव की भी सैर कर सकते है लेकिन किताब पढ़कर…….

सारांश –

 इस कहानी की नायिका “अनुष्का” जो की एक १३ साल की बच्ची है | सातवी क्लास में पढ़ती है और बंगलोर मे रहती है | उसकी मम्मी बैंक में ऑफिसर है और पापा डॉक्टर है | मम्मी – पापा को बहुत जरूरी काम होने की वजह से वह गर्मियों की छुट्टी में अपने दादा – दादी के पास उनके गाँव चली जाती है | यहाँ वह साइकिल चलाना सिखती है | अचार- पापड़ बनाने और उनको सुखाने में अपने दादी की मदद करती है | गाँव के बच्चो को अपना मित्र बनाकर उनके साथ नदी में तैरने के लिए जाती है | जंगल में जाकर नए – नए पौधों और पशु – पक्षियों के बारे में जानकारी हासिल करती है | सबसे बड़ी बात यह पढ़ने की है की वह जमीन में छुपे मंदिर को कैसे ढूंढ के निकालती है ? 

      जिसके बारे में उसके दादा-दादी और अन्य गाँव के लोग अलग – अलग कहानिया बताते है | बेसिकली अनुष्का गाँव में वह सारे काम करती है जो शहर के कामो से बिलकुल अलग है लेकिन उसे यह सारे काम करने में बड़ा मजा आता है | किताब बहुत – बहुत अच्छी है | इसे जरूर पढ़े | अभी तो सारा मार्किट खुल गया है तो आप इसे अपने घर के पास वाले बुक –स्टोर में सर्च कर सकते है | नहीं तो अमेज़न तो है ही……..

धन्यवाद !

wish you happy reading………..

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