GODAN – PREMCHAND BOOK REVIEW

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रिव्यू –

गोदान का मतलब है – गाय का दान | हिंदू धर्म में गोदान का बहुत महत्व है | कहते हैं कि , हर हिंदू ने जीवन में एक बार तो भी एक गाय का दान जरूर करना चाहिए इससे उन्हे नरक मे स्थापित “वैतरणी ” नदी को पार करने मे आसानी होगी | वैतरणी नदी का जिक्र “गरूड पुराण ” मे किया गया है | यह बहुत मुश्किलों से भरी होती है और पापकर्म करने वालों के लिए इसे पर करना आसान नहीं होता |

पवित्र माने जाने वाली गाय को कामधेनु गौ माता के समान माना गया है | पुराणो के अनुसार कामधेनु गाय सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली है | अब बात करते है उपन्यास की ..

गोदान उत्कृष्ट हिंदी उपन्यासो में से एक है | यह 1936 को प्रकाशित हुआ था | यह उपन्यास भारत में किसानों की स्थिति को दर्शाता है | भारत में किसान को अन्नदाता का दर्जा प्राप्त है लेकिन इसी अन्नदाता के घर कभी अनाज भी खत्म हो जाता है | यह हम भूल जाते हैं |

किसानों के दशा पर आधारित , प्रेमचंद द्वारा लिखित यह श्रेष्ठ कृति है | किताब में गरीब परिवार की हृदय स्पर्शी कहानी है जिससे उन लोगों की समस्याए समझ में आती है | लेखक मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक हैं |

उनकी लिखी किताबें सर्वाधिक लोकप्रिय है | उनकी कहानिया पाठशाला की पुस्तकों में भी दिखाई देती है | मुंशी प्रेमचंद अपने लेखनी से उनके आसपास घटती घटनाओं को इस तरह लिखते हैं जैसे यह आप बीती ही हो ! उनका यही विशेषता , उनको एक सर्वोत्कृष्ठ लेखक बनाती है | लेखक मुंशी प्रेमचंद अपनी रचनाओं द्वारा समाज की कुप्रथाओं पर करारा प्रहार करते हैं तो भारतीय सामान्य जनजीवन को भी बड़ी सादगी के साथ सब के सामने रखते हैं |

गोदान की कहानी ऐसे लगता है जैसे आपके आसपास ही घटित हो रही हो | इसीलिए शायद दुनिया की लगभग सारी ही भाषाओं में इसका अनुवाद हुआ है | इसका कालजयी उपन्यास के –

लेखक है – मुंशी प्रेमचंद

प्रकाशक है – मनोज पब्लिकेशन

पृष्ठ संख्या है – 376

उपलब्ध है – अमेजॉन पर

होरी ने पूरे जीवन भर संघर्ष किया लेकिन कभी जीत नहीं पाया | फिर भी वह दोबारा हिम्मत बटोर कर संघर्ष के लिए तैयार रहता है | कोई दूसरा होता तो कब का मार खप गया होता | इतना फटे हाल होने पर भी उसने नीति का साथ नहीं छोड़ा | नहीं तो वह भी आज कुशल जिंदगी जी रहा होता लेकिन अपना स्वत्व खोकर |

वैसे होरी गांव के साहूकारों की मनमानी को सहन करता है तो एक प्रकार से अत्याचार ही सहन करता है | वह अन्याय के खिलाफ आवाज नहीं उठाता | अत्याचार के खिलाफ संघर्ष करके न्याय नहीं माँगता |

उपन्यास यही शिक्षा देता है कि जब तक हम अन्याय के खिलाफ आवाज उठाकर संघर्ष नहीं करेंगे , तब तक हमारा भला नहीं हो सकता | खुद की अच्छाई के लिए , खुद की अच्छी परिस्थितियों के लिए , हमें खुद ही प्रयत्न करने होंगे |

कहानी में कम से कम 50-60 पात्र होंगे और सबका विस्तृत वर्णन किया गया है | सबके मनोभावों को अच्छे से दर्शाया गया है | कहानी होरी और धनिया से शुरू होकर राय साहब तक पहुंचती है | कहानी शहर और गाव की पृष्ठभूमि लिए हुए है |

इसमें मुख्यतः दो वर्गों की कहानी बताई गई है | एक है गरीब किसानों की जिसका नेतृत्व होरी और धनिया करते हैं | दूसरा है – राय साहब और उनके मित्र मंडली की जो उच्च वर्ग से बिलॉन्ग करते हैं |

इनके वर्ग में है मेहता – जो फिलॉसोफर है | मालती लंडन रिटर्न डॉक्टर है | तंखा लोगों को चुनाव में खड़ा कर के पैसे कमाते हैं | खन्ना बैंकर है और शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करते हैं | ओंकारनाथ “बिजली” नाम के पत्रिका के संपादक है |

उच्च वर्ग के किसी की भी इमेज बनाना बिगड़ना उनके ही हाथ में है | मिर्जा पहलवान व्यक्ति है | होरी और धनिया को एक टाइम के खाने की फिक्र है , तो इन उच्च वर्ग के लोगों को सारे दुनिया की झूठी फिक्र है | दोनों ही पक्ष राय साहब के द्वारा जुड़े हैं |

ऊपर बताए गए सारे उच्च वर्गीय और शिक्षित लोग राय साहब की मित्र मंडली में शामिल है , तो यही राय साहब होरी और धनिया के गांव बिलारी के जमींदार भी है | होरी के गांव में भी दो वर्ग बताए गए हैं , पर यह अमीर गरीब नहीं बल्कि जातियों पर आधारित है |

प्रेमचंदजी की प्रत्येक किताब यह बयान करती है कि उस जमाने में जातीय व्यवस्था कितनी शोचनीय थी | यहां वैसे तो सब लोग मिलजुल कर रहते हैं लेकिन बात जब पैसे की आती है तो लोग दो वर्गों में बट जाते हैं | होरी के मामले मे देहाती भाषा का भी भरपूर उपयोग हुआ है |

राय साहब के ग्रुप के लोगों की बातें सुनकर लगता है कि यह लोग प्रगत भारत के नागरिक है | देश की स्थिति अच्छी नजर आती है | वही होरी के गाव मे पिछड़ेपन का अहेसास होता है | गरीबी प्रकटता से दिखाई देती है |

साहूकार सूद से पैसा देने के नाम पर किसानों का शोषण करते हैं , फिर चाहे वह दातादिन , नोखेराम , झींगुरी सिंह ही क्यों ना हो ? जो गांव के मुखियाओं में शामिल है और खुद को गांववालों के हितेषी बताते हैं | लगान के नाम पर उनका अत्यधिक शोषण किया जाता है | गांव के महाजन , साहूकार ब्याज के नाम पर उनकी पूरी फसल छीन लेते हैं और वह कुछ नहीं कर सकते | आइए अब देखते है इसका सारांश –

सारांश –

होरी और धनिया गरीब किसान दंपति है | उनके परिवार में एक बड़ा बेटा गोबरधन , दो बेटियां सोना और रूपा है | एक दिन होरी राय साहब के दरबार में हाजिरी लगाने जा रहा था तभी उसकी मुलाकात दूसरे गांव में रहने वाले भोला ग्वाले से होती है |

उसके पास की गाय देखकर होरी का मन ललचा जाता है | तब गाय को अपने घर में रखना शुभ – लक्षण माना जाता था | यह समृद्धि प्रदर्शन का भी एक तरीका था | गाय अगर होरी के घर में आ जाती है तो उसके बच्चों को दूध पीने को मिलेगा , घी और दही खाने को मिलेगा |

इसी से होरी और धनिया को बहुत संतोष पहुंचेगा लेकिन होरी यह गाय खरीदे कैसे ? पैसे तो उसके पास है नहीं और कर्ज भी वह नहीं ले सकता | वह पहले से ही कर्ज में डूबा हुआ है , फिर भी वह कुछ बातों की तिकड़म लगाकर भोला से गाय ले लेता है |

जैसे ही गाय उसके घर में आती है | सारा गांव उसे देखने के लिए आता है | होरी का भाई हीरा उस गाय को देखकर , होरी की समृद्धि से जलने लगता है | वह उस गाय को कुछ खिलाकर मार देता है और खुद कहीं भाग जाता है |

अब होरी के घर गाय भी न रही और उसके पैसे भी कर्ज के रूप में बैठ गए | होरी के गाय के मरने की खबर वहां के इंस्पेक्टर को लगती है | वह गांव में आकर हीरा के घर की तलाशी लेना चाहता है |

वह जानबूझकर पैसे ऐठने लिए यह सब नाटक कर रहा है क्योंकि वह जानता है कि यहां के लोग यह अपमान बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे | अपना मन – सन्मान बचाने के लिए वह कुछ भी कर जाएंगे |

होता भी वही है | हीरा होरी का ही छोटा भाई है | गृहकलह की वजह से अलग रहता है लेकिन है तो उसी के परिवार का हिस्सा | उसके घर में रहते हुए होरी कैसे उसके घर की तलाशी लेने दे ?

सब मुखिया इंस्पेक्टर से मिले हुए हैं | वह इंस्पेक्टर को रिश्वत के रूप में देने वाले पैसे होरी को कर्ज के तौर पर देना चाहते हैं लेकिन धनिया के चंडी रूप के कारण सबका प्लान फेल हो जाता है |

फिर भी होरी पर कुछ कर्ज चढ़ ही जाता है | गाय भी मरी होरी की और कर्ज भी चढ़ा होरी पर .. | गाय के चक्कर मे गोबर और भोला की बेटी झुनीया एक दूसरे को पसंद करने लगते हैं | झुनीया जब मां बनने वाली रहती है तो गोबर उसे माता-पिता के डर से छोड़कर भाग जाता है |

झुनीया , होरी के घर में आश्रय पा लेती है | बिना विवाह के धनिया ने झुनिया को बहू मान अपने घर में जगह दी | इसके लिए भी गांव के मुखिया होरी पर फाइन लगाते हैं |

उसके लिए उसको अपना पुश्तैनी मकान गिरवी रखना पड़ता है | होरी और कर्ज में डूब जाता है | इधर गोबर लखनऊ शहर आकर हिसाब किताब में सयाना होता है | कुछ पैसे जोड़ लेता है | सूद पर पैसे देने लगता है | उसे सूद को लेकर कायदे कानून का भी पता है |

वह कुछ पैसे लेकर घर आता है | आज उसके पास पूरे 200 रुपये है , जो पूरे गांव में भी किसी के पास नहीं | इसी से वह पूरे उद्दंडता के साथ सबके साथ पेश आता है | शहर में जहां 12 आने ब्याज पर रुपए मिलते हैं | वही गांव में साहूकार अपने मन माने दर पर किसानों को रुपए देकर उनका शोषण करते हैं |

सरकार ने भी किसानों को कर्ज देने के लिए कोई योजनाएं अमल में नहीं लाई है | इसी ब्याज की दर के कारण होरी हमेशा कर्ज में डूबा रहता है | इस बारे मे वह गोबर की भी बात नहीं मानता क्योंकि वह सोचता है कि उसे इन्ही लोगों के साथ रहना है |

वक्त रहने पर यही लोग उसके काम आएंगे | पर ऐसा कभी नहीं होता | इसी बात पर मनमुटाव के कारण गोबर , झुनिया और अपने बच्चों को लेकर शहर चला जाता है कि वह अब होरी के गृहस्थी का भार नहीं ढोएगा |

वहीं दूसरी तरफ होरी की बेटी सोना है ,जो चाहती है कि उसके ससुराल वाले उसके पिता से दहेज ना ले क्योंकि वह तो ससुराल मे सुख से रहेगी लेकिन उसके माता-पिता कर्ज तले दबकर दुख का जीवन जिएंगे | यह वह कभी नहीं चाहती | लड़कपन में सोना से हर चीज में कंपैरिजन करने वाली रूपा भी अपने पिता होरी की बात मान एक अधेड़ उम्र वाले व्यक्ति से शादी करती है जो उसके पिता से सिर्फ 4 साल छोटा है और रूपा सिर्फ 16 – 17 साल की |

रुपया की शादी बिना दहेज के एक उम्र दराज व्यक्ति के साथ करने के लिए होरी का मन नहीं मानता लेकिन वह करें भी तो क्या ? झुनिया के लिए कर्ज के कारण उसके खेत और घर नीलाम हो रहे हैं | इससे उसका गांव में बचा – खुचा सम्मान भी जाता रहेगा |

इस परिस्थिति में रुपा का होने वाला पति उसे कर्ज देगा ताकि उसका घर और खेत बच सके | गांव में उसे कर्ज देने वाला कोई नहीं | उसने सबसे कर्ज ले रखा है | वह और धनिया कड़ी मेहनत करके फसल उगाते हैं लेकिन साहूकार कर्ज के नाम पर ,जमींदार और सरकार लगान के नाम पर उनका सब कुछ छीन लेते हैं |

धनिया भी हमेशा अपनी मनमानी करते दिखाई देती है | जब सोना का विवाह बिना दहेज के हो सकता था तब उसे अपने मान-सम्मान की पड़ी रहती है और रूपा के वक्त उसका यह मन -सन्मान कहां चला जाता है ? इसीलिए वर्तमान मे जीना अच्छा है लेकिन थोड़ा भविष्य के बारे मे भी सोच लेना चाहिए |

होरी और धनिया के गलत मैनेजमेंट की वजह से रूपा को उम्रदराज व्यक्ति के साथ विवाह करना पड़ता है | पूरा बचपन जरूरत की बातों के लिए तरसना पड़ता है | वही होरी थोड़ी व्यवहार कुशलता लाता | अपने झूठे मान – सम्मान के पीछे ना दौड़ता तो शायद अपनी गृहस्थी सुखी कर पाता |

अब तक रूपा के ब्याह के लिए गोबर और झुनीया शहर से गांव आ चुके हैं | गोबर को पिछले सालों में शहर ने अच्छा सबक सिखाया है | इसीलिए अभी वह अपनों की कीमत जानता है | अबकी बार वह होरी के पैर पड कर उसकी कर्ज चुकाने में मदद करना चाहता है तो होरी को दुनिया जीतने का एहसास होता है

साथ में उसका भाई हीरा भी वापस आकर होरी से माफी मांगता है | बस ,अब क्या होरी के जीवन की सारी अभिलाषाए पूर्ण हो गई | अब उसके पास गोबर के बेटे मंगल के तौर पर एक नई पीढ़ी भी है | होरी और धनिया के पास जीने की एक नई आशा है | तो क्या होरी और धनिया खुशहाली भरा जीवन जी पाएंगे या फिर से नियति के सामने हार जाएंगे ?

पढ़िएगा जरूर !

अब उच्च वर्ग के लोगों की बात करते हैं जिनके लिए जीवन के मूल्य और कर्तव्य अलग है | इन मूल्यों में स्वार्थपरकता ज्यादा है | होरी के लिए 200 रुपये का कर्ज भी बड़ा है तो उनके लिए लाखों का कर्ज भी कुछ नहीं |

ऊपरी तौर पर तो यह एक दूसरे के मित्र है लेकिन मन से शत्रुता निभाते हैं | राय साहब की मंडली के सारे लोग जिनके बारे में हमने पहले ही बताया है | वह राय साहब के घर धनुष यज्ञ के समय एकत्रित होते हैं | तभी से मालती , मिस्टर मेहता की तरफ आकर्षित होती है |

मालती एक स्वच्छंद स्वभाव की , पढ़ी-लिखी , मेकअप करने वाली , कपड़े – लत्तो से टॉप टिप रहने वाली और पुरुषों को अपने स्वार्थ का खिलौना समझने वाली युवती है |

उसमें जलन और ईर्ष्या भी है | इसका अनुभव मेहता को जंगल में शिकार के समय होता है जब मालती एक आदिवासी लड़की को लेकर मेहता के सामने अपनी ईर्ष्या का प्रदर्शन करती है | तभी से मेहता उसको नापसंद करने लगते हैं |

उसको त्याग की मूर्ति पत्नी के रूप में चाहिए जैसे खन्ना की पत्नी गोविंदी है | खन्ना एक बैंकर है | उनकी शक्कर मिल भी है | वह बहुत अमीर है | वह मालती पर जान छिड़कते हैं लेकिन यह रिश्ता भी स्वार्थ पर ही टिका हुआ है

खन्ना की पत्नी गोविंदी इतने अमीरी के रहते हुए भी सात्विकता का जीवन जीती है | उसका पति ही उसके लिए पूरी दुनिया है | वह उसके लिए सब कुछ त्याग सकती है | उसके इस त्याग ने मेहता के मन में उसके लिए बड़ा सम्मान पाया है |

वह खुद के लिए वैसे ही पत्नी चाहता है लेकिन इतनी अच्छी पत्नी के रहते हुए भी खन्ना उद्दंड है | आए दिन अपने पत्नी को पीटना और उसका अपमान करना उसकी आदत बन चुकी है |

इसका फल उसे उसकी शक्कर की मिल जल कर मिलता है | वह पूरी तरह बर्बाद हो जाता है | शास्त्रों में सही लिखा है | || यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते | रमन्ते तत्र देवतः || याने जहां नारी की पूजा होती है | वहां देवता वास करते हैं | देवताओ की कृपा मतलब समृद्धि |

मिर्जा खुरशेद शक्कर मिल में हड़ताल को लेकर सक्रिय है | उनके पास भी पैसा नहीं टिकता | हालांकि वह जब चाहे तब ढेर सारे पैसे कमा सकते हैं | ऐसे बहुत सारे गुर उन्हें पता है |

तंखा हर किसी को चुनाव में खड़ा करके अपने पैसे बनाता है | इसी से वह कभी मालती को भी खड़े रहने के लिए उकसाता है लेकिन वह उसकी बातों में नहीं आती | अलबत्ता वह बहुत सारे सामाजिक कार्यों में आगे है | जिसे समाज को कोई फायदा नहीं | वह सिर्फ अमीर लोगों के चोंचले हैं |

तंखा अपनी यह इच्छा राजा प्रताप सूर्य सिंह को राय साहब के खिलाफ खड़ा करवा कर ही मानता है | राय साहब को एक ही मोर्चे पर तीन काम संभालने हैं | उन्हें चुनाव भी लड़ना है | बेटी की शादी भी करनी है और ससुराल वाले जायदाद पर केस भी फाइल करना है |

वह इन तीनों कामों में सफल हो जाते हैं | वह मंत्री बन जाते हैं | उनका रुतबा बहुत बढ़ जाता है | वह किसानों की लगान बढ़ाकर उन्हें परेशान नहीं करना चाहते लेकिन वह अपनी पुश्तैनी सोच के कारण मजबूर है | वह लगान नहीं लेंगे तो इस ठाट – बाट के साथ कैसे रहेंगे ?

यह उनसे छोडा नहीं जाता | वह चाहते हैं कि ,उनके बेटे की शादी राजा सूर्य प्रताप सिंह के बेटी के साथ हो जिससे उनकी साख और भी बढ़ जाए और उनके बेटे का जीवन खुशहाल हो जाए लेकिन उनके बेटे ने अपनी खुशी मालती की छोटी बहन सरोज में ढूंढ ली है |

राय साहब , बेटे के इस फैसले से आहत है | राय साहब और सूर्य प्रताप सिंह तंखा को भी उसकी असली जगह दिखा देते हैं | मालती ,मेहता के प्यार में पड कर खुद को बदलाव के मार्ग पर ले चलती है | इस मार्ग में उसके अंदर के अच्छे गुण उभर कर आते हैं |

वह गरीबों की सेवा निशुल्क करती है | इस दौरान त्याग और ममता के जो दर्शन मेहता को मालती मे होते हैं | उससे वह गदगद हो जाते हैं | वह मालती के इस उच्च आदर्शो को देखकर , उसके पैरों पर गिर जाते हैं इस बार मेहता , मालती के सामने विवाह का प्रस्ताव रखते हैं | क्या मालती इसे स्वीकार कर पाती है या नहीं ? खन्ना ,गोविंदी की रीस्पेक्ट करने लगता है या नहीं ? पढ़कर जरूर जानिएगा |

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