गबन
मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित
रिव्यु –
यह प्रसिद्ध उपन्यास मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित है | मुंशी प्रेमचंद का परिचय इसके पहले के ब्लॉग “ निर्मला ” में हमने लिखा है | “गबन ” यह उनका और एक प्रसिद्ध उपन्यास है जिसमे उन्होंने महिलाओ का उनके पति पर होनेवाला प्रभाव दर्शाया है | कहानी प्रयागराज और कोलकाता की पार्श्वभूमी पर घटित होती है |शादी करते वक्त झूठ का सहारा लेकर खुद को अमीर बतानेवाले पति से पत्नी हर बार नए गहने बनवा देने की ख्वाहिश रखती है | झूठी शान के खातिर कर्ज चढ़े अपने परिवार को बचाने के लिए रमानाथ ( कहानी का नायक ) एक बार तो खुद अपने बीवी के गहनों की चोरी कर लेता है |
उसका झूठ उसके पत्नी के सामने न आ जाये इस डर से वह जहाँ काम करता है वहां पैसो की चोरी याने की गबन करता है | पुलिस ना पकड़ ले इस डर से वह प्रयाग छोड़कर , कोलकाता भाग जाता है | यहाँ कुछ सालो बाद , पुलिस उसके पिछले अपराध को ध्यान में रखकर और कोई छानबीन किये बगैर अपने फायदे के लिए या कहे गलत काम करने के लिए उसका उपयोग करते है |जिस कारण बहुत सारे निरपराध लोगों को सजा होती है |
सजा पाने वाले लोगों के घर के लोग दुख मे डूब जाते है और रमानाथ को कोसते रहते है |अपने पति का यह अक्षम्य अपराध जानकर रमानाथ की पत्नी जालपा प्रायश्चित करने का सोचती है | यहाँ गहनों और अमीरी से प्रेम करनेवाला उसका व्यक्तित्व एकदम बदलकर सती साध्वी का हो जाता है | अपने पति के द्वारा किये गए अपराध का प्रायश्चित करते – करते वह एकदम बूढी और कमजोर जान पड़ती है लेकिन चारित्र्य से उतनी ही ऊँची ………..
इस किताब के लेखक है – मुंशी प्रेमचंद
प्रकाशक – पुस्तक महल ( २०१३ पहला एडिशन )
पृष्ठ संख्या – २७२
उपलब्ध – अमेज़न , किनडल
चलिए बात करते है “गबन” और उसके पात्रों की ………
सारांश –
इस उपन्यास में विरोधाभासी भाग्यवाली दो औरतो की कहानी है | पहली है इस उपन्यास की नायिका “जालपा” जो दिखने में बहुत ही सुन्दर है | हाँ …. एक बात और बताना भूल गए वह ये की मुंशी प्रेमचंद के ज्यादा से ज्यादा कहानी की नायीका यह एक रमणी या सुंदरी होती थी इसकी वजह शायद यह रही होगी की मुंशी प्रेमचंद की पत्नी उनसे उम्र में बड़ी और बदसूरत थी | इसलिए शायद अपने सपनो की पत्नी को उन्होंने अपनी कल्पना में साकारा |
चलिए तो कहानी पता करते है | जालपा जो की बहुत सुन्दर है उसका पति रमानाथ इन दोनो की शादी के वक्त अपने अमीरी की बहुत डींगे मारता है इस कारण जालपा अपने ससुराल वालो को बहुत अमीर समझती है लेकिन हकीकत मे उनकी परिस्थिति इसके विपरीत रहती है |
अब जालपा का पति उसे खुश रखने के लिए आये दिन नए नए गहने बनवाकर देता है | इसी चक्कर में वह सरकारी दफ्तर मे जहां वह नौकरी करता है वहां “ गबन” करता है | पुलिस के पकड़ने के डर से वह शहर छोड़कर दुसरे शहर भाग जाता है | इसके बाद उसके साथ क्या – क्या होता है यह आप किताब पढ़ेंगे तो जान जाएंगे |
जालपा की एक बहुत ही घनिष्ठ सहेली बन जाती है उसका नाम है “रतन” | उसकी शादी एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति के साथ होती है जो पेशे से वकील है | वह अपनी वसीयत नहीं बनवा पाता | उसके मरने के बाद रतन के बहुत बुरे हाल होते है | उसके पति के रिश्तेदार उससे उसकी सारी जायदाद छीन लेते है | उसको भूखो मरने के लिए छोड़ देते है | ऐसे में वह जालपा के घर आश्रय लेती है | जिस घर में वह कभी मोटर में बैठकर आती थी |
जहाँ वह कभी पैसे – पानी से मदद किया करती | आज उसी घर में आश्रिता बनकर रह रही है | उस ज़माने में स्त्रियों की बहुत दुर्दशा हुआ करती थी | तब उनको उतने अधिकार नहीं थे | यह अधिकार और स्वतंत्रता उनको अपने पैरो पर खड़े होकर हासिल करनी होगी इसलिए उन्हे ज्यादा से ज्यादा शिक्षित होना होगा |
अपनी मौजूदगी बतानी होगी | अर्जुन ने दुशाशन के मौत के पहले कहा था की कलयुग में तो औरतो पर और ज्यादा अत्याचार होंगे | अभी दुष्टों को सजा देने के लिए और समाज के हित के लिए वह लोग युद्ध कर रहे है | पांचाली के तो पांच पति थे , वह भी शक्तिशाली.. वे उसके लिए लढ़े पर आज की नारी के लिए कौन लढे ? उसे खुद के लिए खुद ही लढना होगा|
इसलिए हम पुराने लेखको की किताबे पढ़ते है ताकि हमें “तब” और “अब” का फरक समझ में आये | हम अभी की इन सारी खुशियों को संभालकर रख सके क्योंकि हर एक ख़ुशी , अधिकार , स्वतंत्रता किसी ना किसी के संघर्ष के बाद ही अस्तित्व में आयी है | हमें उन्हें सहेजकर रखना चाहिए | मानवता के बहुत सारे पहलुओ को आप के सामने रखने वाली इस किताब को आप एक बार जरूर ,जरूर पढिए ………
इंडिया अभी अंग्रेजी बोलने वालों मे दूसरे नंबर पर है | कही ऐसा न हो की हमारी आने वाली पीढ़िया सिर्फ अंग्रेजी और उससे जुड़े चीजों को ही याद रखे | सारांश बुक ब्लॉग के माध्यम से हम हिन्दी और मराठी से जुड़े साहित्य को आप तक पहुंचाना चाहते है |चाहते है की , अच्छी किताबों के माध्यम से आप तक ज्ञान को पहुंचते रहे | किताबे ही है जो हमारे विचारों को परिपक्व बनाती है जिससे हम अपनी निजी और व्यावहारिक जिंदगी मे कामयाब हो सकते है | किताबों को जरूर पढिए | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते है और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ….
धन्यवाद !
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