फटकेवाली
संयम बागायतकर द्वारा लिखित
फटकेवाली इस किताब की पात्र आपको सीधे अंदमान के जंगलों से निकलकर मुंबई जैसे शहर में मिलेंगी | साथ में अपने साथ लेकर आएगी अंडमान के तौर तरीके.. | शहर के लोग पहले तो ना नुकूर करेंगे फिर उसे उसकी आदतों के साथ अपनाएंगे | ऐसी ही यह पात्र हैं फटकेवाली | पहले तो हमें लगा कि यह कोई सर्कस में काम करने वाली रिंग मास्टर होगी या फिर जिस महिला के चर्चे चाबुकवाली के नाम से कभी होते थे | यह वही होगी | यही सोचते ,सोचते किताब बार-बार पढ़ते हुए रह जाती थी | लेकिन जब इस किताब को पढ़ा तो पूरी तरह से तृप्त हो गए जैसे कभी ययाति , मृत्युंजय जैसे किताबें पढ़ने के बाद हो जाते थे | इस बेहतरीन और लाजवाब किताब के –
लेखक है – संयम बागायतकर
प्रकाशक है – ई. साहित्य पब्लिकेशन
संख्या है – 325
उपलब्ध है – ई. साहित्य की वेबसाइट पर ( मराठी मे )
कहानी दो समय के अंतराल में चलती है | एक है 1995 में चलने वाली फटकेवाली की कहानी , तो दूसरी है उसके लगभग 40 साल बाद चलने वाली कहानी | इन दोनों कहानियों के पात्र एक दूसरे के साथ संबंध रखते हैं यह कहानी के आखिर में पता चलता है | फटकेवाली का उदाहरण सामान्य व्यक्तियों में छुपे उन बहादुरों को आगे लेकर आता है जो अन्याय के खिलाफ खड़े होने की ताकत रखते हैं और अपने जैसे ही बेचारे बेबस लोगों को न्याय दिलाते हैं |
इतनी अच्छी किताब ई. साहित्य की टीम ने पाठकों के लिए फ्री में उपलब्ध करवाई उसके लिए हमें उनका शुक्रगुजार होना चाहिए | उनको हमारा बहुत-बहुत धन्यवाद और लेखक को भी क्योंकि उन्होंने बिना कोई शुल्क लिए यह किताब ई. साहित्य को दी |
सारा , सलमा , सरला यह तीन पक्की सहेलियां जो अलग-अलग गांव से मुंबई में अपना भविष्य बनाने आई है | तीनों अति सामान्य परिवार से है | गरीबी और पैसे की तंगी को रोज झेलती है | यह तीनों “आंग्रे भवन ” के हॉस्टल के एक कमरे में रहती है | यहां एक “कडू ” नाम की लड़की है जो हॉस्टल के गरीब लड़कियों पर अपनी धाक जमाए रखती है |
उसका बॉयफ्रेंड भी गरीब लड़कियों बुरी नजर रखता है | जो लड़की उसकी बात नहीं मानती उस पर ऐसिड फेंक कर उनका चेहरा बदसूरत करता है | इस बात का उसे कोई गम नहीं क्योंकि उसके पिता राजनीति में बहुत बड़े पद पर आसीन है | कडू हॉस्टल के संचालक की रिश्तेदार है इसलिए उसने भी अपनी तरफ से लड़कियों का जीना बेहाल करके रखा है | सारा , सरला और सलमा भी उसके अन्याय से अछूती नहीं |
इन तीनों सहेलियों में से किसी एक को उनके मैडम के कमरे से एक डायरी मिलती है जो की किसी रवि आंग्रे नाम के व्यक्ति की है जो उसने सन 1995 में लिखी थी | डायरी के लेखन का फॉन्ट अलग है और अक्षरों का रंग नीला | सारा , सलमा और सरला इन के जमाने की कहानी का कलर काला .. | इससे आपको कहानी समझने में आसानी होगी कि कब रवि की डायरी के पन्ने शुरू हुए और कब खत्म .. |
किताब वैसे तो बहुत अच्छी है लेकिन पात्रों की भाषा कभी-कभी बोर फ़ील देती है | जैसे कि इन तीनों सहेलियों की भाषा .. ना तो ठीक से मराठी है .. ना तो ठीक इंग्लिश | ऊपर से जब यह अपने गांव जाती है तो सारा कि माँ उसके साथ पूरा का पूरा वार्तालाप कोंकणी भाषा में करती है | अब इतनी कोंकणी किसको आती है भई .. ? ऐसे ही सारा और उसके फॅमिली का वार्तालाप .. | बाकी किताब बहुत अच्छी है |
वैसे इन तीन सहेलियों से जुड़ी कुछ चीजों का संबंध रवि और छाया से है | उन्मे से एक है वह पुलिस वाला जो इन तीनों की तहकीकात करने आता है वह बचपन में कभी “छाया” के साथ खेला करता था | डायरी में जो कहानी रवि ने नहीं लिखी थी वह उन्हें बताता है | फिर और एक बार शुरू होती है इन चारों की तहकीकात .. उनके खिलाफ जिन्होंने रवि और छाया के खिलाफ षड्यंत्र रचा था | तो क्या पाते है यह चारों अपनी तहेकीकत में… | क्या रवि और छाया दोनों जिंदा है या मर गए या फिर मार दिए गए ? राहुल धुरंधर और चांदनी जैन का रवि और छाया से क्या रिश्ता है ? क्योंकि इन दोनों का नाम भी बार-बार डायरी की कहानी में आता है | चलिए तो इसका उत्तर सारांश मे ढूँढने की कोशिश करते है | मिलता है क्या ?
इसी के साथ जानते है , इन दो समयों मे चलनेवाली कहानी का सारांश और इनके चरित्रों का परिचय ….
सारांश – रवि की डायरी पढ़कर यह तीनों सहेलियों को पता चलता है की रवि आंग्रे कॉलेज के प्रोफेसर है जो अंडमान में रहने वाली जनजाति के लोक जीवन के विशेषज्ञ है | इसी के चलते कुछ वैज्ञानिक उसे अपने साथ अंडमान लेकर जाते हैं | वहां जाने के बाद उसे पता चलता है कि उन लोगों ने उसके साथ धोखा किया | वह लोग अंडमान के आदिवासियों के जीवन की स्टडी करने नहीं बल्कि उन्हें अपने साथ ले जाने के लिए आए थे ताकि वह उन पर रिसर्च कर सके जैसे कि वह लोग कोई एलीयन हो |
रवि को जब इस बात का पता चलता है तब वह इसका विरोध करता है | वह लोग उसको बोट पर ही बांध कर रखते है | वह कुछ लोगों को अपने साथ लेकर ही जाने वाले होते हैं कि समुद्र के पानी से एक काली आकृति बहुत तेजी से निकलकर आदिवासियों को बचा लेती है और साथ में रवि को भी .. | बोट जलकर राख हो जाती है |
रवि को जब होश आता है तो उसे पता चलता है कि यह लोग नरभक्षी भी है | उसके अलावा बोट पर जो अन्य तीन वैज्ञानिक थे उनको यह आदिवासी मारकर खा गए | यह जानकर रवि फिर से बेहोश हो जाता है | यह इतना वाक्या हमने आपको इतने विस्तार से बताया क्योंकि इसी बात को आधार बनाकर शहर के कुछ लोग फटकेवाली के खिलाफ रवि के मन में जहर भर देते है | उसे उससे दूर करने मे कामयाब हो जाते है |
अंडमान के नरभक्षी जमात की वह लड़की रवि को पसंद करने लगती है जब की , वह रवि की भाषा भी नहीं समझती | इसी के लिए वह उसकी जान बचाती है | रवि को अपने घर वापस भेजने के चक्कर में वह अपने ही लोगों से दुश्मनी ले बैठती है | अब उसकी जान बचाने के लिए , उसे अपने साथ मुंबई लाने के अलावा रवि के पास दूसरा कोई चारा नहीं | वह उसे अपने साथ मुंबई ले आता है |
अब मुंबई लाने के बाद क्या-क्या होता है | यह तो आप को किताब पढ़कर ही जानना होगा क्योंकि छाया का रहने का अंदाज कैसा है ? यह तो संक्षेप मे हम आप को बता ही चुके है |
रवि उसे ” छाया” कहता है क्योंकि वह पूरी तरह काली है और अपने शरीर पर काले – लाल रंगों से धारिया बनाती है | उसके कमर में हमेशा एक चाबुक बंधा रहता है | कपड़े तो वह पहेनती ही नहीं | उसके हिसाब से जब कभी अन्याय की बारी आती है तो वह अपना यह चाबुक लहराती है और गुनहगार पर उसके वार करती है | इससे वह “फटकेवाली” के नाम से मशहूर हो जाती है | सुसंस्कृत कहे जाने वाले सभ्य लोगों जैसी सोचने समझने और षड्यंत्र करने की शक्ति छाया के पास नहीं |
वह सामनेवाले व्यक्ति को मित्र या शत्रु इन दो तराजुओ मे ही तोलती है | रवि , छाया से शादी करता है | यह सभ्य समाज तो उसे एक व्यक्ति के तौर पर उसकी आदतों के साथ स्वीकार कर लेता है लेकिन एक प्रतिष्ठित परिवार की बहू के तौर पर कैसे स्वीकार करेगा ? इसी के चलते उसके खिलाफ षड्यंत्र रचा जाता है | अब किताब पढ़कर आपको जानना होगा कि रवि और छाया मिलकर इस षड्यंत्र था पर्दाफाश करते हैं या फिर इसका शिकार बनते हैं और इस षड्यंत्र में कौन-कौन शामिल है ? किताब जरूर पढिए | आप लेखक के सोच की दाद देने लगेंगे |
अब आते हैं – सारा , सलमा और सरला इन तीनों सहेलियों के कहानी पर .. | फटकेवाली की कहानी पढ़कर यह तीनों अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए तैयार हो जाती है | इसलिए वह छाया का ही नाम इस्तेमाल करती हैं | जब वह अपने अपने गांव जाती है तब खुद के ही परिवार पर अमीरों के द्वारा अत्याचार होता देख वह फिर से छाया का भेष अपनाने पर मजबूर हो जाती है |
इसके लिए वह कौन कौन सी तिकड़म लड़ाती है ? अन्याय करने वालों को सबक सिखाने के लिए कौन-सी प्लानिंग करती है ? पैसों का इंतजाम कैसे करती है ? यह तो आपको किताब पढ़ कर ही जानना होगा | यह बता कर हम आपका किताब पढ़ने का मजा किरकिरा नहीं करना चाहते | तो देर किस बात की आज ही वक्त निकालकर किताब जरूर पढे | यह फ्री है पाठकों ! साथ में अपने रिश्तेदारों और फ्रेंड सर्कल को भी ई. साहित्य के बारे मे जरूर बताए |
धन्यवाद !
Wish you happy reading ……!!