Gulshan Nanda: ‘EK NADI DO PAT’ Book Review in Hindi”। सारांश

"गुलशन नंदा के उपन्यास 'एक नदी दो पाट' की कवर फोटो, जिसका रिव्यू ब्लॉग में दिया गया है।"

एक नदी दो पाट
गुलशन नंदा द्वारा लिखित
रिव्यू –
प्रस्तुत उपन्यास “एक नदी दो पाट” के लेखक गुलशन नंदा है | यह एक प्रसिद्ध हिंदी उपन्यास है जिसकी पृष्ठभूमि भावनात्मक, सामाजिक और ऐतिहासिक है | यह कहानी द्वितीय विश्व युद्ध के समय की है |
लेखक का परिचय हम उनके द्वारा लिखित “कांच की चूड़ियां” इस बुक के रिव्यू मे बता चुके है | आप उस ब्लॉग को एक बार जरूर चेक करे |
बात करे प्रस्तुत उपन्यास की तो यह वह समय है जब द्वितीय विश्व युद्ध बर्मा और मलाया की सीमाओं तक पहुँच चुका था | विनोद बतौर इंजिनियर सेना में भर्ती हो चुका था और तीन वर्षों की सेवा के बाद भारत लौट रहा था |
उपन्यास सामाजिक मूल्यों, पुरुष मानसिकता, और स्त्री की स्थिति पर भी गहरी टिप्पणी करता है | आज भी लड़के शादी करते वक्त सुंदरता को ही प्रधान्यता देते है , न की मन के सौन्दर्य को |
विनोद अपनी पहली पत्नी कामिनी जो दिखने मे औसत है , को धोके मे रखकर माधवी से विवाह करता है जो की नैतिक रूप से गलत है | यह विनोद की भावनात्मक कमजोरी को दिखाता है | इसी भ्रम में वह गलत निर्णय लेता है | विनोद कामिनी से भावनात्मक रूप से जुड़ता तो है लेकिन भीतर ही भीतर वह उसे पूर्ण पत्नी नहीं मानता क्योंकि वह उसकी “खूबसूरत पत्नी” की कल्पना पर खरी नहीं उतरती |
शायद इसीलिए वह कामिनी को धोखे में रखकर माधवी से विवाह करता है परंतु वह कामिनी के लिए व्यक्तिगत धोखा नहीं, बल्कि स्त्री होने के नाते उसके आत्मसम्मान और पहचान पर चोट है | प्रस्तुत उपन्यास इस बात पर सवाल उठाता है कि क्या स्त्री का मूल्य केवल उसकी सुंदरता से तय होता है ?
कामिनी , विनोद से सच्चा प्रेम करती है, समर्पित रहती है, लेकिन उसे त्याग दिया जाता है | यह उसकी अदृश्य पीड़ा है | अब तक की देखी बातों के अनुसार आप को कामिनी एक नायिका लग सकती है लेकिन उसके परिवारवालों ने विनोद के साथ धोका किया | उन्होंने खूबसूरत लड़की दिखाकर , कामिनी की शादी विनोद से करा दी | कामिनी उससे कितना भी सच्चा प्रेम करती हो पर धोके से ही उसे विनोद की पत्नी बनाया गया था |
अगर विनोद केवल सुंदरता के आधार पर विवाह करना चाहता था, तो यह उसकी भावनात्मक अपरिपक्वता और सतही सोच को दर्शाता है| विवाह केवल रूप से नहीं, भाव, समझ और समर्पण से जुड़ा होता है |
विनोद की गलती यह लगती है की उसने कामिनी को स्वीकार कर के फिर उसे धोका दिया | अगर उसे कामिनी नापसंद थी तो वह पूरी जिंदगी उसे स्वीकार न करता | तो शायद कामिनी को उससे कोई शिकायत न होती |
माधवी जिसने पूरी जिंदगी विनोद से बिना शर्त प्रेम किया | अपना सच छिपाकर , विनोद ने उसे धोका दिया | यह घटना “एक नदी दो पाट” के सबसे गहरे और पीड़ादायक मोड़ों में से एक है | यह केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि उस समाज की भी है जो सच्चाई से भागने, सौंदर्य को प्राथमिकता देने, और स्त्री के त्याग को स्वाभाविक मानने का आदी हो चुका है |
विनोद प्लेन क्रैश मे मरा हुआ मान लिया जाता है | कामिनी और उसका बच्चा उसे मृत समझकर जीवन की कठिनाइयों से जूझते हैं | विनोद के धोके की वजह से कामिनी एक अकेली माँ बन जाती है | वह भावनात्मक, सामाजिक और आर्थिक संघर्षों से जूझती हुई अपने बेटे को बड़ा करती है |
रमन अपने पिता विनोद के बिना बड़ा होता है जबकि उसका पिता जीवित है, लेकिन उसने उन्हें छोड़ दिया है | विनोद आत्मग्लानि, भय और सामाजिक दबाव के कारण सच्चाई से भागता है लेकिन यह उसकी कायरता है, न कि परिपक्वता |
गुलशन नंदा के उपन्यास “एक नदी दो पाट” का पात्र विनोद एक जटिल, बहुपरतीय और नैतिक रूप से चुनौतीपूर्ण चरित्र है | वह नायक है, लेकिन क्या वह नायकत्व के योग्य है ?
विनोद का पात्र हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या प्रेम केवल सौंदर्य पर आधारित होना चाहिए? क्या एक पुरुष को अपने अतीत से भागने का अधिकार है? और सबसे ज़रूरी की क्या त्याग करने वाली स्त्रियाँ हमेशा मौन रहें ?
प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – गुलशन नंदा
प्रकाशक है – भारतीय साहित्य संग्रह
पृष्ठ संख्या है – 214
उपलब्ध है – अमेजॉन पर
सारांश –
विनोद की शादी एक खूबसूरत लड़की दिखाकर बदसूरत कामिनी के साथ कर दी जाती है | वह यह धोखा पचा नहीं पाता है क्योंकि उसने अपनी पत्नी के रूप में हमेशा ही एक खूबसूरत लड़की की कल्पना की रहती है |
अपना सपना ऐसे चूर-चूर होता देख वह गुस्से से पागल हो जाता है | वह कामिनी से छुटकारा पाना चाहता है | इसलिए वह अपनी ट्रांसफर बर्मा करवा लेता है | वह एक इंजीनियर है | इसलिए उसे बर्मा में एक-दो दिन में ही पोस्टिंग मिल जाती है क्योंकि वहां जापानियों के साथ ब्रिटिशों का युद्ध शुरू है |
वहां जगह-जगह पर पुल बनाने के लिए इंजीनियरों की सख्त जरूरत है | यह कहानी तब की है जब भारत पर ब्रिटिश राज था | उसके इस नई पोस्टिंग की जगह कामिनी जबरदस्ती आ जाती है | वह उसे कितना ही दूर झिड़कता है पर वह ऊफ् तक नहीं करती |
वह बस उसकी सेवा करना चाहती है | आखिर विनोद उसे अपना लेता है | अब ब्रिटिश शासन उसे पुल बनाने के लिए बर्मा के अंदरूनी एरिया में भेजना चाहता है , जहां वह कामिनी को अपने साथ नहीं रख सकता |
अतः उसे अपनी भाभी और भैया के पास अपने पुश्तैनी घर लाहौर में छोड़ देता है | जब वह ट्रेन में बैठकर जा रहा होता है तब उसे पता चलता है कि कामिनी और वह माता-पिता बननेवाले हैं | अब पूरे तीन साल के बाद वह हवाई जहाज में बैठकर अपने घर वापस जा रहा है |
उसकी साइडवाली सीट पर माधवी नाम की खूबसूरत लड़की बैठी हुई है | थोड़ी सी जान – पहचान के बाद ही वह एक दूसरे पर इतना विश्वास करने लगते हैं जैसे कि जन्मों से एक दूसरे को जानते हो !
माधवी बर्मा में रहनेवाले एक अति धनाढ्य व्यक्ति मिस्टर बर्मन की इकलौती संतान है | बर्मा में युद्ध के आसार नजर आने लगे थे | इसीलिए उसके पिता ने उसे अपने भाई के पास पटना भेजा है | वह अकेले ही रहते हैं और वह भी एक धनाढ्य व्यक्ति है |
माधवी तो अपने बारे में सच-सच बता देती है पर विनोद शादीशुदा होने की और पिता होने की बात उससे छिपा लेता है | उनका हवाई जहाज कुछ तकनीकी खराबी के कारण आसाम में उतरा जाता है |
अब वह दोनों मिस्टर बर्मन की चाय बागान की एस्टेट देखने निकल पड़ते हैं जो मिस्टर बर्मन ने कंपनी सरकार को किराए पर दे रखी है | इस चक्कर में इन दोनों का हवाई जहाज छूट जाता है | अगले दिन पता लगता है कि वह हवाई जहाज भयंकर दुर्घटना का शिकार हुआ |
सारे यात्री मारे गए | इन दोनों का भी नाम उस लिस्ट मे था | अब विनोद अपनी मृत्यु की आड़ लेकर माधवी के साथ दूसरा विवाह करके नए जीवन का आनंद लेता है | वह एक बार चुपके से अपने घर भी होकर आता है | तब उसकी मुलाकात अपने छोटे बच्चे से बाहर ही हो जाती है |
उसको थोड़ी देर के लिए कामिनी और अपने बेटे के लिए बुरा तो लगता है पर वह उन विचारों को झटककर माधवी के पास वापस चला जाता है | अब उसने अपनी पहचान भी बदल ली है ताकि मिलिट्रीवाले आकार उसे वापस न ले जाए |
वह अब मिस्टर मुखर्जी हो गया है | वह माधवी के साथ आसाम में स्थायिक हो गया है | वह अब मिस्टर बर्मन के चाय बागानों की देखरेख करता है | यहाँ उसकी मुलाकात मिस्टर विलियम से होती है | पहले तो वह विनोद के साथ अच्छे से पेश आता है लेकिन जैसे-जैसे विनोद चाय बागानों के मजदूरों के हक के लिए आवाज उठाता है | वैसे-वैसे कंपनी सरकार और उसमें शत्रुता बढ़ती जाती है |
विनोद मजदूरों के साथ मिलकर विलियम की असलियत भी सामने लाता है | विलियम चाय बागानों के मजदूरों पर बहुत जुल्म करता था और गांव वालों की बहू बेटियों पर भी बुरी नजर रखता था | इसलिए विनोद उसे अच्छा सबक सिखाता है |
खैर , इन सब में कंपनी सरकार गरीब मजदूरों को पैसों का लालच देकर इसाई बनाना शुरू रखती है ताकि वह अपने मूल संस्कारों और संस्कृति को भूल जाए | विनोद उनका नेता बनकर उनके हक के लिए लड़ता है ताकि उनका जीवनस्तर बढ़े | यह वही विनोद है जो औसत दिखनेवाले और मैले -कुचैले कपड़े पहननेवाले मजदूरों के लिए अपने प्राण तक दाव पर लगा देता है लेकिन औसत दिखनेवाली अपनी पत्नी को स्वीकार नहीं कर पाता |
आखिर वह दिन भी आता है जब वह माधवी के द्वारा अपने चाय के बागान कंपनी सरकार को किराए पर देने से मना कर देता है | अब वह खुद ही खेती करने लगा है | उसने नदी के किनारेवाली उपजाऊ जमीन पर भी खेती की पर ब्रह्मपुत्रा नदी अपने बाढ़ में सब कुछ ले गई | गांवो को तबाह कर दिया | इसलिए विनोद नदी पर बांध बनाना चाहता है | वह ब्रह्म ब्रह्मपुत्र नदी को अपने काबू में करना चाहता है |
वह नदी के पीने योग्य पानी को समंदर में मिलकर खारा होने से बचाना चाहता है | अब उसका एक ही सपना है | नदी पर बांध बनाना | इस एक सपने ने उसे रात – दिन जगाए रखा | वह पूरा वक्त नक्शे बनाते रहता और ज्यादा से ज्यादा समय नदी किनारे वह जगह ढूंढने में बीता देता | जहां पर बांध बनाया जा सके |
इन सब में माधवी ने उसका पूरा-पूरा साथ दिया | उसने अपने नक्शे कंपनी सरकार को दिखाएं पर उन्होंने मना कर दिया | मना ही करते …. क्योंकि डैम बन जाता तो भारत देश की तरक्की होती | आखिर वह एक पराए देश की तरक्की क्यों चाहते ? विनोद अकेला बनाने जाता तो करोड़ों की लागत थी | इसलिए उसने कम लागत के प्लान बनाकर रखे थे |
आखिर देश आजाद हो गया और एक दिन सरकार की तरफ से एक इंजीनियरों की टीम भेजी गई | विनोद उनसे मिला और अपना प्लान बताया | उनमें रमन नाम का एक युवक था जो अभी-अभी कॉलेज पास कर इंजीनियर बना था | उसने विनोद का प्लान सरकार तक पहुंचा दिया | विनोद ने अपना सपना रमन के हवाले किया |
विनोद भी अब उस टीम का एक हिस्सा बन गया | दोनों मिलकर अपना सपना पूरा करने लगे | मेल – जोल बढ़ गया | दिल्ली आने पर विनोद को पता चला की रमन कोई और नहीं बल्कि उसी का बेटा है | उसको देखकर कामिनी भी उसे पहचान गई |
विनोद और माधवी की कोई संतान नहीं थी | इसीलिए वह रमन को ही अपना बेटा मान उस पर अपना सारा प्यार न्योछावर कर रहे थे | यह सब देखकर कामिनी ने रमन को उनके यहां जाने से रोका | एक दिन वह विनोद की असलियत रमन को बता देती है | यह सच अनजाने में माधवी भी सुन लेती है | अब यह असलियत चारों को पता चल गई है | तो अब क्या होगा ?
इस असलियत का चारों के रिश्ते पर असर क्या होगा ? क्या रमन विनोद रूपी नदी पर पुल का काम करेगा ? जिसके दो तटो के रूप में एक और उसकी माँ है तो दूसरी और सौतेली माँ माधवी | नदी के दो तट साथ तो चल सकते हैं पर कभी मिल नहीं सकते | विनोद के एक धोखे का असर सबकी जिंदगियों पर क्या होगा ? पढ़कर जरूर जानिएगा | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ….
धन्यवाद !!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *