DASHRATHKANYA SHANTA REVIEW IN HINDI

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दशरथ कन्या शांता

अंकुश शिंगाड़े लिखित

रिव्यू और सारांश –

दशरथ महाराज कौन है ? Read more यह तो आप जानते ही होंगे | अगर नहीं तो , आप को रामायण फिर से सुननी , पढ़नी या देखनी पड़ेगी | अगर हाँ , तो आप सही है | यह है भगवान श्रीराम के पिता , दशरथ महाराज | इनका बचपन का नाम नेमी था लेकिन बड़े होने के बाद अपने पराक्रम के कारण उनका रथ दशों दिशाओ मे दौड़ता था | इसलिए इनका नाम दशरथ पड़ा | प्रस्तुत किताब मे भगवान श्रीराम के जन्म के पूर्व की कहानी है | इस किताब मे बताए गए मुख्य पात्रों का श्रीराम जी से बहुत ही घनिष्ठ सबंध है लेकिन बहुत से लोग उनके माता – पिता को तो जानते है पर उनकी बहनों को नहीं जानते | आप सब सही पढ़ रहे है | भगवान श्रीराम को दो बड़ी बहने थी | पहली का नाम शांता था तो दुसरी का नाम कुकबी | शांता , कौशल्या माता की संतान थी | श्रीरामजी के बहुत पहले उनका जन्म हो चुका था |

जब से उनका जन्म हुआ था तब से अयोध्या मे अकाल पड़ा हुआ था | यह लगभग पाँच साल तक चला | इस कारण महाराज दशरथ इसका गुस्सा करने लगे थे | राज ज्योतिषी ने भी इसका ठीकरा शांता के ही सर फोड़ा था | वह वक्त ही ऐसा था की दुनिया मे या पुरुषों के जीवन मे घटने वाली सारी बुरी घटनाओ के लिए स्त्रियों को ही जिम्मेदार माना जाता था | इसी वजह से महाराज दशरथ ने शांता को अपनी साली वर्षिनी को गोद दे दिया जो राजा रोमपद की पत्नी थी और अंगदेश की रानी | शांता को गोद दे दिया क्योंकि वंश को बढ़ाने वाले तो लड़के होते है और शांता एक लड़की थी | यह सोच आज भी कायम है | इसके लिए लेखक ने स्त्रियों के सम्पूर्ण इतिहास के बारे मे जानकारी दी है जो आप को किताब मे पढ़ने को मिलेगी | शांता को दत्तक देने के मामले मे महाराज दशरथ ने कौशल्या माता को पुछा तक नहीं | वह अपनी को बेटी को अपने पास रखना चाहती थी लेकिन इस पुरुषप्रधान संस्कृती मे स्त्रियों के विचारो का मोल कहाँ ?

पुराणो मे इस बात का जिक्र मिलता है की , शांता दशरथ राजा के घर जन्म लेने के पहले श्रवण कुमार की बहन थी | हाँ , यह वही श्रवण कुमार है जिन्होंने अपने मरने के पहले महाराज को शाप दिया था की वह पुत्रवियोग मे मरेंगे | श्रवण कुमार के बारे मे लेखक ने यहाँ जो जानकारी दी है , वह शायद ही आप को कही और पढ़ने को मिलेंगी | लेखक अपनी किताबों के लिए बहुत सारी जानकारी इकठ्ठा करते है | इसके लिए वह ढेर सारी किताबे पढ़ते है | उनकी यह मेहनत वाकई सराहनीय है | इसलिए आप किताब जरुर पढिए |

शांता अपने नए पिता के घर मे बड़ी हो जाती है | शांता के नए पिता उसे बहुत प्यार करते है | वह उसका लालन – पालन बेटों के जैसा ही करते है | इसलिए वह राज्यकारभार मे भी होशियार हो जाती है | अपने राज्य को बचाने के लिए , वह एक ऋषि से शादी करती है | शांता के पती और उसके शादी की भी एक अलग कहानी है | यह भी आप किताब मे जरुर पढिए |

बहेरहाल , अयोध्या मे पुत्रकामेष्टी यज्ञ करने के लिए ,शांता के ही पती को बुलाया जाता है तब भी शांता के साथ महाराज दशरथ का व्यवहार चौंकाने वाला रहता है | पुत्रकामेष्टी यज्ञ होता है और अयोध्या मे चार बेटों का जन्म होता है | आगे की कहानी तो आप सब जानते ही है |कहानी के अंत मे भगवान राम सारी परिस्थितियों को सब को अच्छे से समझाते है जिस कारण एक दूसरे के मन मे बसी कटुता समाप्त हो जाती है | इस बेहतरीन किताब के –

लेखक है – अंकुश शिंगाड़े

प्रकाशक है – ई साहित्य प्रतिष्ठान

पृष्ठ संख्या – 86

उपलब्ध – यह ई. बुक पर मराठी भाषा मे उपलब्ध है |

आइए , सबसे पहले लेखक के बारे मे जानते है | लेखक नागपूर मे रहते है | किताब पढ़कर आप अपने विचार उनको बता सकते है | चाहे वह अच्छे हो या बुरे .. | आप उन्हे जरूर बताए | इसके लिए आप उनका व्हाट्स एप नंबर या फिर ई. मेल यूज कर सकते है जो किताब के शुरुवात मे आप को मिल जाएगा | लेखकों को दाद देना जरूरी है क्योंकि वह भी अपना पैसा और वक्त खर्च करके किताब लिखते है | अगर हम जैसे रीडर ही उन्हे नहीं बताएंगे तो उन्हे हौसला कहाँ से मिलेंगा | बहेरहाल , किसी भी माध्यम से आप उन्हे जरूर बताए |

आइए अब ई – प्रतिष्ठान के बारे मे आप को बताते है | यह एक ऐसा पब्लिकेशन है जो ऑनलाइन किताबे प्रकाशित करता है जहां नए लेखकों को अवसर भी दिए जाते है | यहाँ किताबे मुख्यतः मराठी भाषा मे उपलब्ध है जिन्हे आप फ्री मे पढ़ सकते है वह भी एक से बढ़कर एक .. | शर्त बस इतनी है की , किताबे पढ़ने के बाद आप को अपने विचार ई. साहित्य प्रतिष्ठान के ई. मेल पर भेजने होंगे | यहाँ आप अपना पता बताकर फ्री मे किताबे मँगवा सकतें है | जब कोई किताब हमे फ्री मे पढ़ने को मिल रही है तो वह हमे कैसी लगी यह तो हम बता ही सकते है | तो देर किस बात की , अगर आप को मराठी भाषा की किताबे पढ़ना अच्छा लगता है तो आज ही गूगल क्रोम से इस वेबसाईट पर जाकर फ्री मे किताबे डाउनलोड करे |

हमे तो इनमे से बहुत सारे लेखकों की किताबे अच्छी लगी | पढ़ी गई किताबों मे से हम एक – एक का रिव्यू आप के लिए लेकर आएंगे | तो पढ़ते रहिए क्योंकि ई. प्रतिष्ठान के जैसे हमारा भी यह मानना है की , किताबे पढ़ने वाले व्यक्ति विचारों से अधिक प्रगल्भ होते है |

धन्यवाद !

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