DARK HORSE REVIEW AND SUMMARY IN HINDI

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रिव्यु –

डार्क हॉर्स

डार्क हॉर्स के लेखक है नीलोत्पल मृणाल जो कभी I.A.S. की तैयारी के लिए दिल्ली के फेमस मुखर्जी नगर में रहा करते थे | इस किताब के प्रकाशक है वेस्टलैंड पब्लिकेशन लिमिटेड ,चेन्नई | यह किताब १५३ पृष्ठों की है |

उन्होंने अपने जिंदगी के कुछ कीमती साल I.A.S. की तैयारी में दिए | इस दौरान उन्होंने यहाँ की दुनिया , यहाँ की जिंदगी को बडी ही नजदीकी से देखा |

इसलिए उन्होंने अपने जिंदगी के पहले उपन्यास में अपने यही अनुभव साझा किये है | उन्होंने यहाँ के अनुभव को जस का तस उतारा है | उसमे कोई भी साहित्यिक ताना – बाना नहीं डाला गया है | यहाँ तक के चरित्रों की बोली भी उन्होंने वही रखी है | यहाँ लोग अपने साथ कितने सपने लेकर आते है | उन सपनो को पूरा करते वक्त उनको किस – किस परेशानियों से गुजरना पड़ता है |

अपने हार का कितना मेंटल स्ट्रेस रहता है | इसका बड़े ही बारीकी और संवेदनशीलता के साथ उन्होंने वर्णन किया है | किताब पढ़ते वक्त ऐसे लगता है जैसे हम भी वही मुखर्जी नगर में कही आस – पास मौजूद हो | दिल्ली के कुछ जाने – माने इलाको का नाम बार – बार उपन्यास में आता है |

नीलोत्पल मृणाल के मित्र जो अभी आई.ए.एस. बन चुके है | उनके शानदार कमेंट्स आपको किताब के शुरुवात में पढ़ने को मिलेंगे | जिन्होंने कभी वहां रहकर तैयारी की थी | वहां रह चुके लोगो को अपने पुराने दिन याद आये बगैर नहीं रहेंगे | किसी – किसी को तो अपने कॉलेज और हॉस्टल के दिन याद आ जायेंगे | कहते है कॉलेज और हॉस्टल के दिन हमारे जीवन के सुनहरे पलो में से एक होते है जिसे हम बार – बार जीना चाहते है तो इस किताब को पढ़ते वक्त आप अपने उस दौर में पहुँच जायेंगे | सचमुच लेखक ने किताब बहुत अच्छी लिखी है | कई अपने सपनो का झोला समेटकर दिल्ली को गुडबाय कहते है तो कुछ ही अपने सपनो को साकार करने में कामयाब हो जाते है |

सारांश –

यह कहानी ऐसे ही एक लड़के संतोष और उसके कुछ मित्रो की है | जो आई .ए.एस. बनने का सपना लिए पिछले सात – आठ सालों से दिल्ली में रह रहे है | संतोष ने इसी साल दिल्ली में कदम रखा है | रायसाहब जो की कुछ सालो से दिल्ली में रहकर सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे है संतोष को भी दिल्ली का रास्ता दिखा देते है | रायसाहब दिल्ली छोड़कर वापस अपने घर चले जाते है | गुरु और मनोहर के भी सारे चांस ख़त्म हो जाते है |

ऐसे में क्या संतोष अपने सपनो को साकार कर पाता है क्योंकि उसने प्रण लिया था की वह एक ही साल में अपने सपनो को पूरा कर लेगा | पंडित ने भी कहा था की उसके हाथो में आई.ए.एस. की रेखा नहीं है | ऐसे में वह बहुत निराश हो जाता है | वह अपने हाथो पर स्याही लगाकर उन रेखाओ को ही मिटा देता है जिसमे I.A.S. बनना नहीं लिखा था और अपनी मेहनत पर भरोसा करके तैयारी में जुट जाता है | तो पढ़कर जानिए की उसका भाग्य बड़ा होता है की उसकी मेहनत रंग लाती है |

किताब का नाम लेखक ने डार्क – हॉर्स इसलिए रखा क्योंकि डार्क – हॉर्स रेस का वह घोडा होता है जिसपर कोई दांव नहीं लगाता क्योंकि उसके जितने की कोई उम्मीद नहीं होती है | तो पढिये इस किताब में डार्क – हॉर्स कौन है ? तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते है और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए …. 

धन्यवाद !

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