CHHOTI MACHHALI, BADI MACHHALI REVIEW

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रिव्यू – 

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प्रस्तुत उपन्यास 1970 मे प्रकाशित हुआ है | लेखक ओमप्रकाश शर्मा ने हाड़ – मांस के बने आम आदमी को ही अपना नायक बनाया | उसी के माध्यम से भारत देश के आदर्शों को प्रस्तुत किया और प्रोत्साहन दिया | राजेश ,जगत ,जगन ,जयंत ,बागारोफ , भुवन ,गोपाली ई. उनके द्वारा रचित पात्र है जो आपको अपनी दुनिया में लेकर जाते हैं |
लेखक इतने लोकप्रिय थे की बहुत सारे लोगों ने इन्हीं के नाम से नकली उपन्यास लिखें और ढेर सारे पैसे कमाए | हिंदी पढ़ने -लिखने वालों के लिए इन्होंने सिंपल सीधी भाषा में साहित्य की रचना की |
इसीलिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इन्हें “उपन्यास सम्राट” का सम्मान दिया गया | इन्होंने 400 से अधिक जासूसी उपन्यास लिखे | इसके अलावा सामाजिक उपन्यास भी लिखे | आज के जमाने के अनेक प्रसिद्ध लेखक गर्व से उन्हें अपना गुरु मानते हैं |
प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – ओम प्रकाश शर्मा
प्रकाशक है – नीलम जासूस कार्यालय
पृष्ठ संख्या है – 215

यह “बंदूकसिंह सीरीज” का रोमांचक उपन्यास है | उन्होंने उस समय हिंदी में उपन्यास लिखे जब अंग्रेजी के उपन्यासों की नकल हो रही थी या फिर अनुवादित उपन्यास लिखे जा रहे थे |
किताब की कहानी बनारस , बिहार , काठमांडू , कोलकाता के पृष्ठभूमि पर आधारित है | कहानी 1970 के दशक में लिखी गई है | इसीलिए कहानी में आपको आज के जैसे हाई-फाई गैजेट्स नहीं दिखेंगे | एक दूसरे तक संदेश पहुंचाने के लिए पत्र का उपयोग दिखेगा या व्यक्तियों का .. |
कहानी एक ऐसे तस्कर की कहानी है जो तस्करी को एक व्यापार की तरह करता है | वह किसी की जान नहीं लेता | लोगों की मदद करता है और एकदम साधारण व्यक्ति जैसे रहता है | भारत की केंद्रीय खुफिया एजेंसी के कुछ जासूस जब उसके पीछे लगते हैं तो वह अपना रास्ता बदल लेता है क्योंकि वह जानता है कि भारत की केंद्रीय खुफिया एजेंसी बहुत ही बड़ी है | यानी बड़ी मछली है जो उसके जैसे छोटी मछली को खाकर समाप्त कर सकती है |
उसके पीछे लगने वाले जासूस है “जयंत”| यह जासूसों के सरगना राजेश के चेले हैं | इसीलिए उनके जैसे ही डीसेंट है | वह अपनी ही पद्धति से छानबीन करते हैं | उनकी मदद के लिए आते हैं जगन और बंदूकसिंह |
यह अंतरराष्ट्रीय ठग “जगत” के चेले हैं | इसीलिए उन्ही के जैसे तिकड़म लगाकर काम करते हैं लेकिन है दोनों जासूसी विभाग में .. | जयंत और जगत एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते लेकिन मुसीबत में एक दूसरे का साथ भी नहीं छोड़ते | यह उन दोनों के बीच हुए वार्तालाप से पता चलता है |
यहां दोनों , दोनों क्या ,चारों ही राजेश का बहुत सम्मान करते हैं | उनके सामने जुबान नहीं खोलते और उन्हें बड़े भाई का सम्मान देते हैं | जगत है तो ठग पर जब देश को या कहे इन जासूस मित्रों को जब भी उसकी मदद की जरूरत पड़ती है तो वह हमेशा ही उपलब्ध होता है |
लेखक ओमप्रकाश शर्मा ने अपनी कलम से इन सारे पात्रों को जीवित कर दिया है | कहानी पढ़ते वक्त लेखक पाठको को उनकी ही दुनिया में लेकर जाते हैं | हमें ऐसा भास होता है कि यह सारे पात्र हमारे आसपास ही मौजूद हो !
आइए , सारांश मे देखते है – कहानी कि छोटी सी झलक |
सारांश –
जब सारे बड़े स्मगलर जेल के अंदर है तब “राजा साहब” नाम का अधेड़ उम्र का आदमी वह भी एम. ए. पढ़ा हुआ तस्करों के गिरोह का सरगना बन जाता है |
इसका जाल बहुत दूर तक फैला हुआ है | इसके ग्रुप में लड़कियां भी है जिनको देवी कहा जाता है | उनको उनके हिस्से का ही काम पता होता है | उन्हें भी पता नहीं कि उनका सरगना कौन है ? परिणाम ,सब लोग हाथ मलते रह जाते हैं |
इसीलिए जासूस जयंत के हाथ अभी तक कुछ नहीं लगा | वह डिसएप्वाइंट हो जाए ! उसके पहले उनकी मदद को जगन और बंदूकसिंह को भेजा जाता है | इन दोनों को उनके खबरियों से यह पता चलता है की तस्करी का कारोबार काठमांडू के तराइयों के जंगल में चल रहा है तो यह दोनों वहीं पहुंच जाते हैं |
राजा भी बराबर उनकी खबर लेते रहता है | वह भी साधु के भेस मे इनको खूब ठगता है | काठमांडू से ही जगत भी इस केस में जुड़ जाता है | वह अपनी तरह से तहकीकात करता है | बदमाशों का पता बदमाश ही लोग जानते हैं |
जगत को भी ऐसी ही एक महिला के बारे में पता चलता है जो राजा को अच्छे से जानती है | राजा ने इस महिला की भी मदद करके इसको अच्छा जीवन – यापन करने में मदद की है जैसे उसने और बाकी लोगों का जीवन संवारा |
इसमें प्रभा नाम की लड़की भी शामिल है लेकिन वह एहसान फ़रामोश है और राजा का असिस्टेंट श्याम भी | यह लोग जासूसों को खत्म कर देना चाहते हैं और उसका इल्जाम राजा पर लगाना चाहते हैं | इसीलिए यह लोग जगन और बंदूकसिंह को उठाकर अपने ठिकाने पर लाते हैं ताकि उनके प्राण ले सके |
इस घटना की जानकारी और उस जगह का पता राजा जगत और जयंत को बताता है | जगत और जयंत , जगन और बंदूक सिंह की जान बचा लेते हैं | यह चारों राजा साहब को गिरफ्तार नहीं कर पाते क्योंकि इनके पास सबूतो का अभाव है |
अपने ही लोगों द्वारा दिए धोखे से राजा टूट जाता है और खुद को कानून के हवाले कर के एक नया जीवन शुरू करना चाहता है जब की यह चारों ऐसा नहीं चाहते | अब आप किताब पढ़ कर जानिए की क्या राजा अपने मकसद में कामयाब होता है या नहीं ? जरूर पढिए | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते है और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ..
धन्यवाद !!

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