बुकर टी. वॉशिंगटन
थॉमस हैंपर द्वारा लिखित
रिव्यू –
बुकर टी. वॉशिंगटन एक प्रमुख अमेरिकी शिक्षाविद्, लेखक और वक्ता थे | वह 19वीं सदी के आखिर मे और 20वीं सदी की शुरुआत में अफ्रीकी अमेरिकी समुदाय के एक प्रमुख नेता के रूप मे उभरे | उनका जन्म लगभग 1856 में वर्जीनिया के फ्रैंकलिन काउंटी में गुलामी में हुआ था | उन्हें अपनी सही जन्मतिथि या अपने गोरे पिता की पहचान कभी पता नहीं चली |
उनके नेतृत्व में, टस्केगी एक छोटे से स्कूल से एक प्रमुख शैक्षिक संस्थान बन गया | छात्रों ने सक्रिय रूप से परिसर के निर्माण में भाग लिया, व्यापार और कृषि कौशल सीखे |
टस्केगी के पाठ्यक्रम में व्यावसायिक , औद्योगिक प्रशिक्षण पर जोर दिया गया, जिसमें बढ़ईगीरी, मुद्रण, खेती और घरेलू कला जैसे व्यावहारिक कौशल सिखाए गए |
वॉशिंगटन का मानना था कि यह व्यावहारिक शिक्षा अफ्रीकी अमेरिकियों को आर्थिक आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और श्वेत समाज से सम्मान प्राप्त करने में सक्षम बनाएगी |
वॉशिंगटन का दर्शन, जिसे अक्सर “समझौतावादी” कहा जाता है, नागरिक अधिकारों के लिए सीधे राजनीतिक आंदोलन करने के बजाय आत्मनिर्भरता, कड़ी मेहनत और आर्थिक सशक्तिकरण के माध्यम से अश्वेतों की प्रगति को जरूरी मानता था |
इस दर्शन की उनकी सबसे प्रसिद्ध अभिव्यक्ति उनके 1895 के “अटलांटा समझौता” भाषण में आई | उन्होंने सुझाव दिया कि सामाजिक मामलों के तहत अश्वेत और गोरे लोग “उंगलियों की तरह अलग हो सकते हैं, फिर भी आपसी प्रगति के लिए सभी आवश्यक चीजों में एक हाथ की तरह हो सकते हैं | “
इस सार्वजनिक रुख को समर्थन और आलोचना दोनों मिलीं | जबकि कई गोरे उनके दृष्टिकोण को आकर्षक मानते थे | विशेष रूप से दक्षिण अफ्रीका मे | कुछ अश्वेत बुद्धिजीवियों ने जैसे की डब्ल्यू.ई.बी. डू बॉयस, ने इसकी कड़ी आलोचना की |
डू बॉयस ने तर्क दिया कि वॉशिंगटन का व्यावसायिक प्रशिक्षण पर जोर और अलगाव की उनकी स्पष्ट स्वीकृति नस्लीय असमानता को बनाए रखेगी और अश्वेतों की राजनीतिक और सामाजिक उन्नति में बाधा डालेगी |
हालांकि, ऐतिहासिक शोध से यह भी पता चला है कि वॉशिंगटन ने गुप्त रूप से अलगाव और मताधिकार से वंचित करने के प्रयासों के लिए कानूनी चुनौतियों को वित्तपोषित किया और समर्थन दिया | जो उनके सार्वजनिक बयानों की तुलना में एक अधिक जटिल और सूक्ष्म रणनीति का संकेत देता है |
1895 से 1915 में अपनी मृत्यु तक ,वे संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे प्रसिद्ध अफ्रीकी – अमेरिकी थे | जिन्होंने राष्ट्रपतियों (थियोडोर रूजवेल्ट सहित, जिन्होंने उन्हें व्हाइट हाउस में भोजन के लिए आमंत्रित किया था ) को सलाह दी और नस्लीय मामलों पर राष्ट्रीय नीति को प्रभावित किया |
उनकी आत्मकथा “अप फ्रॉम स्लेवरी” (1901), एक क्लासिक और व्यापक रूप से पढ़ी जानेवाली अमेरिकी आत्मकथा बन गई | उन्होंने अश्वेत जीवन और इतिहास पर अन्य किताबें भी लिखीं |
वे “नेशनल नीग्रो बिजनेस लीग” के संस्थापकों में से एक थे | जो अश्वेतो के उद्योगों और आर्थिक विकास को बढ़ावा देते थे |
टस्केगी इंस्टीट्यूट की स्थापना शायद उनकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, जिसने हजारों अफ्रीकी अमेरिकियों के लिए एक महत्वपूर्ण शैक्षिक अवसर प्रदान किया और व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए एक मॉडल बन गया |
वे एक अत्यधिक सफल धन उगाहने वाले व्यक्ति थे जिन्होंने टस्केगी और अन्य अश्वेत शैक्षिक संस्थाओ के लिए एंड्रयू कार्नेगी और जॉन डी. रॉकफेलर जैसे श्वेत परोपकारी लोगों से महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्राप्त की |
बुकट टी. वॉशिंगटन की विरासत जटिल और विवादास्पद बनी हुई है | उन्हें एक गहरे विभाजित समाज में अफ्रीकी अमेरिकियों के लिए शिक्षा और आर्थिक उत्थान के प्रति उनके समर्पण के लिए याद किया जाता है |
जबकि उनके “समझौतावादी” दृष्टिकोण ने आलोचना को आकर्षित किया | खासकर उन लोगों को जो तत्काल नागरिक अधिकारों की वकालत कर रहे थे |
उनका जीवन और कार्य , नस्लीय समानता की खोज में , अफ्रीकी – अमेरिकी नेताओं द्वारा नियोजित विविध रणनीतियों को रेखांकित करता है | प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – थॉमस हैम्पर
पृष्ठ संख्या है – 23
सारांश –
बुकर टी. वॉशिंगटन 7 साल की उम्र में हेल्स फोर्ड, वर्जीनिया में रहते थे | वह एक गुलाम की जिंदगी व्यतीत कर रहे थे | तब गुलामो का स्कूल जाकर पढ़ाई – लिखाई करना , कानून के विरुद्ध था | वह अपने मालिक की बेटी की किताबों को पकड़कर , उसे छोड़ने स्कूल तक जाते |
उनके मालिक की बेटी का नाम मिस एलेन था | वापस आकर वह अपने फार्म के काम में लग जाते क्योंकि वह फॉर्म में ही रहते थे | वह फार्म के मजदूरों को पानी पिलाने का काम करते थे |
बुकर टी. वॉशिंगटन को पढ़ाई से लगाव था | इसलिए वह कभी-कभी एलेन की किताबें लेकर जाते | उन्होंने गोरे बच्चों को स्कूल में पढ़ते हुए देखा था | उनको देखकर उन्हें भी स्कूल जाने की इच्छा होती | वह पढ़कर स्कूल में पूछे हुए सवालों के जवाब देना चाहते थे |
जब वह 9 साल के थे तब सिविल वॉर खत्म हो चुकी थी | सारे गुलाम राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के प्रयासों से मुक्त हो गए थे | अब उनका परिवार पश्चिम वर्जिनिया में चला गया | उनके लिए गुलामी से मुक्ति का एक ही अर्थ था कि वह अब स्कूल जा सकते थे | पर उनके सौतेले पिता उनसे काम करवाना चाहते थे |
उनको नमक भरने के काम पर रखा गया लेकिन वह पढ़ना चाहते थे | इसीलिए उन्होंने खुद ही पढ़ना शुरू किया | 12 वर्ष की उम्र में वह कोयले की खदान में काम कर रहे थे | जहां कभी भी विस्फोट हो सकता था |
वहां भी वह पढ़ाई के लिए वक्त निकाल ही लेते | इसी खान में उन्होंने किसी दो व्यक्तियों से हैंपटन इंस्टिट्यूट के बारे में सुना जो अश्वेत अमेरिकी लोगों के लिए था | जहां गरीब बच्चे भी पढ़ सकते थे और अपना खर्चा निकालने के लिए स्कूल में काम भी कर सकते थे |
यह सुनकर वह वहां जाना चाहते थे पर उनको पता भी नहीं था कि “हैंपटन इंस्टिट्यूट” है कहा ? और कितनी दूर है फिर भी उन्होंने वहां जाने का निश्चय किया |
खान से छुटकारा पाने के लिए उन्होंने मिसेज वाइयोला रफ्फ्नर के यहां काम स्वीकारा | वह बहुत खड़ूस महिला थी पर देखा जाए तो उनकी इसी कठोरता ने बूकर को साफ सफाई का महत्व पता चला और इसी एक आदत ने उनको हैंपटन विश्वविद्यालय में प्रवेश दिलवाया |
हैंपटन स्कूल में जाने के लिए उन्हे 16 साल तक इंतजार करना पड़ा | आखिर बहुत लंबी यात्रा, कठिनताए , मुसीबतें झेलकर , लंबे अंतराल के बाद वह हैंपटन विश्वविद्यालय पहुंचे | अब वहां उन्हे प्रवेश कैसे मिला और रास्ते में उन्हें कौन सी मुसीबतें झेलनी पड़ी ?
यह तो आपको किताब पढ़ कर ही जानना होगा | यह एक प्रेरणादायी किताब है | छोटी सी है और फ्री पीडीएफ के रूप मे भी | उन्होंने 3 वर्ष तक हैंपटन स्कूल में पढ़ाई की | उसके बाद उन्होंने अफ्रीकी बच्चों को पढ़ाया |
उन्होंने अपने गृह नगर याने के वर्जिनिया में 2 वर्षों तक बच्चों को पढ़ाया | उसके बाद वह पढ़ाने के लिए हैंपटन स्कूल लौट गए | अलबामा में अश्वेत बच्चों के लिए एक स्कूल था | सन 1881मे उन्हे इस स्कूल प्रिंसिपल बनाया गया |
अमेरिका स्थित टसकीगी इंस्टिट्यूट उनके मार्गदर्शन मे एक प्रसिद्ध स्कूल बन गया | इसी स्कूल को अमेरिका के धनकुबेर कारनेगी ने बहुत सा धन प्रदान किया | इस विद्यालय की सफलता के कारण वह अश्वेतों के प्रिय नेता बन गए |
जाहिर है नेता अच्छे वक्त भी होते हैं | वह भी थे | श्वेत और अश्वेत लोग मिलकर कैसे रह सकते हैं ? वह इसके बारे में बात किया करते | वह एक अच्छे नेता और वक्त के रूप में याद किए जाते हैं |
मानव जीवन का मूल्य क्या है और उसमें शिक्षा का कितना महत्व है ? यह जानने के लिए यह किताब जरूर पढ़िए | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहीए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए …
धन्यवाद !!
BOOKER T. WASHINGTON BOOK REVIEW HINDI