BHOOTNATH REVIEW SUMMARY IN HINDI

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भूतनाथ – दुश्मन के देश में
ओम प्रकाश शर्मा द्वारा लिखित

रिव्यू –
“भूतनाथ” जनप्रिय लेखक “ओमप्रकाश शर्मा” द्वारा लिखित और एक जासूसी उपन्यास है | यह पात्र “चंद्रकांता” के लेखक “देवकीनंदन खत्रीजी” के उपन्यास “भूतनाथ” से प्रभावित है | भूतनाथ भी अपने जमाने का अव्वल नंबर का जासूस था | उसका कार्य क्षेत्र चुनारगढ़ था |
ओमप्रकाशजी के सभी जासूस पात्र उसे अपना गुरु मानते हैं जैसे लेखक ओमप्रकाश शर्मा , देवकीनंदन खत्रीजी को अपना गुरु मानते थे |
लेखक ओमप्रकाश शर्मा अपने लेखन से लोगों के बीच जनप्रिय बन गए | फिर उन्हे जनप्रिय लेखक के नाम से ही जाना गया | बहुत से लोग इतना जानते हैं कि वह सिर्फ जासूसी उपन्यास ही लिखा करते लेकिन यह सच नहीं !
वह ऐतिहासिक और सामाजिक उपन्यास भी लिखा करते | उनके उपन्यास उत्कृष्ट दर्जे के हुआ करते थे | इसीलिए उन्होंने अपार लोकप्रियता हासिल की | इसीलिए शायद सन 1996 में उनके देहांत के बाद भी उनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई |
उनके उपन्यासों की प्रशंसा बड़े-बड़े दिग्गज साहित्यकारों ने भी की है | “नीलम जासूस कार्यालय” उनके उपन्यासों को फिर से प्रकाशित करवा रहा है | किताब के प्रारंभ में उनका पता दिया है | वहां से आप उनके उपन्यास मंगा सकते हैं | इस बेहतरीन किताब के –
लेखक है – ओम प्रकाश शर्मा
प्रकाशक है – नीलम जासूस कार्यालय
पृष्ठ संख्या है – 106
उपलब्ध है – अमेजॉन पर

सारांश –
1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद विराम हुआ तो सारे जासूस अपनी-अपनी जगह वापस लौट आए | राजेश , जयंत और जगत नई दिल्ली लौट आए | घर आने पर राजेश को अपने एक सहपाठी के शादी की पत्रिका मिली | उनके यह मित्र काबुल में रहते थे | अब चूंकि शांति का दौर था तो जगत भी राजेश के साथ जाना चाहता था |
एक समारोह में इन सब का परिचय “गनी काबूली” नाम के व्यक्ति के साथ हुआ | वह काबुल में जन्मा था | दक्षिण अफ्रीका में व्यापार करता था | उसे हवाई जहाज उड़ाना बहुत पसंद था | अतः उनका खुद का हवाई जहाज था |
इसी व्यक्ति ने राजेश को अपने हवाई जहाज से काबुल छोड़ने का प्रस्ताव रखा लेकिन न जाने क्यों ? जगत को इस आदमी की शक्ल बार-बार खटक रही थी | अजीब लग रहा था उसे यह आदमी ! पर राजेश ने जगत की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया |
यह दोनों उसके प्लेन में बैठ गए | आखिर वही हुआ जिसका जगत को डर था | उसका प्लेन ऐन पाकिस्तान के ऊपर ही खराब हो गया | न चाहते हुए भी उन्हें प्लेन पाकिस्तान में उतारना पड़ा | इन दोनों को गनी काबूली ने न सिर्फ पाकिस्तान में उतारा बल्कि उसे ठीक करने के बहाने प्लेन सहित गायब भी हो गया |
अब पाकिस्तान में उतरने का मतलब था गिरफ़्तारी | वह भी एक भारतीय जासूस की .. | गनी काबुली का छोटा सा हवाई जहाज था जो सड़क पर भी उतारा जा सकता था | अतः प्लेन से उतरकर दोनों सुनसान रास्ते से चल ही रहे थे कि एक आदमी उछलकर उनके सामने आया |
वह एक पागल था | उसकी शक्ल पाकिस्तान के डिक्टेटर “अयूब” से मिलती थी | असल में वह “हवलदार रशीद” था | इसी पागल का पीछा करते-करते कुछ पुलिसमैन आए | उनकी नजर राजेश और जगत पर पड़ी | पर उन्होंने उन्हें कोई राहगीर ही समझा | अतः दोनों उन पुलिस वालों के साथ हो लिए |
यह दोनों युद्ध के तुरंत बाद ही पाकिस्तान पहुंचे थे | इसलिए इन्होंने देखा कि वहाँ अभी भी युद्धकालीन व्यवस्था ही चल रही थी | यह लोग अब रावलपिंडी में थे | “मजीद खान” वहां का इंचार्ज था | वह एक जासूस था और अमेरिका से ट्रेनिंग लेकर आया था |
उसके मातहत 100 जासूस थे जो दिन रात रावलपिंडी की अंदरूनी सुरक्षा देखा करते थे | बहुत लोग पागल “रशीद खां ” के बारे में नहीं जानते थे | उनको लगता था कि यह असली अयूब ही है जो भेस बदलकर अपने देश की असली स्थिति जानने निकले हैं जैसे पुराने जमाने में राजा लोग करते थे |
राजेश ने इस हमशक्ल रशीद का बाद में कैसे उपयोग किया ? यह हम बाद में बताएंगे | पहले यह जानते हैं कि राजेश और जगत ने पाकिस्तान में क्या-क्या कारनामें किये और वहां से बाहर कैसे आए ?
राजेश और जगत जिन पुलिसवालों के साथ आ रहे थे | वे लोग पुलिस स्टेशन पहुंचे | वहां उन्होंने मजीद को देखा तो दौड़कर उसी के पास चले गए | इन दोनों पर ध्यान भी नहीं दिया | अब जगत वहां हो और कोई कारनामा न करे ! ऐसा कैसे हो सकता है ?
सो वह मजीद के ड्राइवर से उसकी प्रेमिका “लताफ़त बानो” के बारे में जान लेता है | जगत उस के घर जाकर खुद को मजीद का असिस्टेंट जासूस बताता है | वह बताता है कि मजीद ने लताफ़त बानो का वारंट जारी कर दिया है | जगत ने खुद को उसका शुभचिंतक बताया और उसे अपने साथ ले गया |
आगे जाकर राजेश को पागल के फिर से दर्शन होते हैं | उनको उस पर दया आती है | वह सोचते है की कभी ना कभी यह लोग इस पागल को मार ही देंगे | इसीलिए राजेश उसे अपने साथ ले लेते है | इन दोनों को जिस ड्राइवर ने छोड़ा | राजेश उसकी शक्ल देख कर दंग रह गए क्योंकि वह “गनी काबूली” था |
राजेश और पागल रशिद ने जिस मकबरे की शरण ली | वहाँ एक अनोखा चोर था | अनोखा इसलिए क्योंकि उसके चोरी के किस्से बड़े मजेदार है | आप किताब में पढ़ लीजिएगा | यह चोर एक तिजोरी उठा लाया था | चोर और उसकी गैंग पागल रशीद को अयूब समझकर भाग गई | राजेश को उस अलमारी से कुछ सिक्रेट पेपर मिले जिसे पढ़कर उनका दिमाग भन्ना गया | वह मित्रता की आड़ मे जारी किए गए ऑर्डर थे | इसने राजेश के गुस्से को और बढ़ा दिया |
अब तक तो वह सिर्फ वापस जाने के बारे में ही सोच रहे थे लेकिन इन कागजों को पढ़कर , अब उन्होंने , इन लोगों को सबक सिखाने की ठान ली | इसके लिए उन्होंने सदर अयूब के घर घुसकर प्रेसिडेंट का तैयार सूट चुराया | उसे पागल को पहनाया |
खुद उसके ड्राइवर की वर्दी पहन ली | पागल को पूरी तरह प्रेसिडेंट बना दिया | साथ में प्रेसिडेंट की गाड़ी भी चुरा ली | सुबह होते-होते वह रावलपिंडी के देहातो में जाने लगे | वहां उनको बताने लगे की सदर अयूब क्या चाहता है ?
इधर मजीद , पागल को पकड़ने के लिए जाल ही बिछाता रहा क्योंकि यह बात अब उसकी आन-बान शान पर जो आ चुकी थी | राजेश और जगत ने जो – जो किया | उसका सारा ठिकरा मजीद के सर फोड़ा गया | इससे वह बहुत ज्यादा परेशानी में आ गया |
गनी काबूली ही मजीद को फर्जी मैसेज दे जाता है | पाकिस्तान में अमेरिकी दूतावास में “रॉबर्ट होम्स” नाम का बुड्ढा खूसट जासूस रहता है | पूरी वारदातों पर नजर रखने के बाद वह इस नतीजे पर पहुंचता है कि यहां कोई अवल दर्जे का हिंदुस्तानी जासूस मौजूद है | अब राजेश और जगत को पकड़ने के लिए रॉबर्ट होम्स भी मैदान में उतरता है |
जगत को रास्ते में कुछ बेघर लोग मिले | उन लोगों को नमाज पढ़वाने के लिए सरकार की तरफ से एक मौलवी आता था | लताफ़त बानो ने उसे पहचान लिया कि वह एक नामी गुंडा है | फिर क्या ? भीड़ ने उसे अच्छा सबक सिखाया |
इसे गुंडे को , जगत ने , लताफ़त बानो का इस्तेमाल कर के मजीद के खिलाफ भड़का दिया | राजेश ने भी पागल रशीद का इस्तेमाल कर के सदर अयूब के खिलाफ लोगों के मन में जहर भर दिया | रॉबर्ट की मदद से राजेश और पागल का पता चल जाता है | पागल उनके हाथ लग जाता है |
राजेश उसे छुड़ाना चाहते हैं क्योंकि अब तक उनको पागल से लगाव हो गया था | जब वह पागल को छुड़ाने कोतवाली पहुंचे तो उन्हें फिर से गनी काबूली ड्राइवर के भेस में मिला | राजेश ने काबूली के पास के हथियारों से पागल को छुड़ा लिया |
राजेश , गनी कबूली और पागल रशीद बिसवे मिल पर पहुंचते हैं जहां जगत और लताफत बानो उनका इंतजार कर रहे थे | गनी काबुली को देखकर जगत तो जैसे उछल ही पड़ा.. और हद तो तब हो गई जब गनी काबूली ने जगत की सच्चाई लताफत बानो को बताई ..
“गनी काबूली” अब उन्हें पाकिस्तान से महफूज निकाल लेना चाहता था | वह भी अपने प्लेन से.. सबको हवाई जहाज में बैठाने के बाद सिवाय लताफ़त बानो के , उसने प्लेन उड़ाया |
उसने सुनसान पहाड़ी प्रदेश में प्लेन को उतारा | वहां से निकट ही एक कस्बा था जो खैबर दर्रे की राह पर था | वहां एक सराय थी | “गनी काबूली” ने दूर से ही राजेश को वह सराय दिखाई और वहां जाने के लिए कहा | वहां पहुंचते ही चौकीदार ने उनको पहचान लिया जैसा कि वह पहले से ही उनको जानता हो !
सुबह राजेश और जगत को पागल रशीद ने जगाया | वह पूरी तरह ठीक हो चुका था | “गनी काबूली” रात को उसके सपने में गया और उसे आगे क्या करना है ? यह बताया | “गनी काबूली” सबके सपने में जा जा कर सब को कुछ ना कुछ बता रहा था |
बाद में राजेश को यह भी पता चला कि वहां “बेगम गुलनार” ठहरी है जो राजेश के मित्र की पत्नी है | इस मित्र के जनाजे में शामिल होने के लिए राजेश हिंदुस्तान से यहां आए हैं | राजेश को जब पता चला की लाश “गनी काबूली” की है तो उनके जैसे होश ही जाते- जाते बचे | देश के अव्वल नंबर के जासूस “राजेश ” के सामने अब यह पहेली थी की अगर गनी काबुली पाँच दिन पहले मरा तो दिल्ली से पाकिस्तान तक उनके साथ कौन था ?
दुश्मन के देश में उन्होंने अनूठा रहस्य देखा था | बाद में उन्होंने जाना की इन पांच दिनों में अलग-अलग अनेक चमत्कार हुए | जब वे प्लेन से दिल्ली जा रहे थे तो उनके सपने में वह आता है जो “गनी काबूली” के शरीर में था और चमत्कार कर रहा था |
उनकी बातों से ऐसा लगता था कि राजेश उसे जानते हैं | तो अब आप ही पढ़कर जानिए कि राजेश उसे पहचान पाए या नहीं ? पहचान पाए तो कौन था वह ? क्या वह वारदात सचमुच हुई थी या किसी का भ्रम था ? पढ़कर जरूर जानिए | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहीए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ..
धन्यवाद !!!!!

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