BELVAN BOOK REVIEW SUMMARY IN HINDI

बेलवण
व्यंकटेश माडगुलकर द्वारा लिखित

रिव्यू –
यह “बेलवण” नाम के गांव की कहानी है | नदी पर पुल बनाने को लेकर वहां के निवासियों में उत्साह है क्योंकि इससे उनके गांव की तरक्की होगी | उनका यह तरक्की की ओर पहला कदम है | बाकी गांवो ने भी स्कूल , पुल और ऐसे ही तत्सम चीजे बनाकर अपने गांव का विकास किया है |
यही सारी बातें अण्णा वाणी का उत्साह बढ़ा देती है | वह गांव के चौपाल में पंचायत बुलाकर लोगों के सामने यह प्रस्ताव रखता है | उसके इस प्रस्ताव पर लोगों की क्या क्रिया , प्रतिक्रिया होती है ? इसी का वर्णन प्रस्तुत किताब में किया गया है |
किताब मे ग्रामीण भाषा का भी भरपूर उपयोग हुआ है |
प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – व्यंकटेश माड़गुलकर
प्रकाशक है – मेहता पब्लिशिंग हाउस
पृष्ठ संख्या है – 17
उपलब्ध है – अमेजॉन और किंडल पर

अब थोड़ा लेखक के बारे में जान लेते हैं |
लेखक व्यंकटेश माड़गुलकर यह उत्कृष्ट मराठी कथाकार और उपन्यासकार थे |उनका जन्म 6 जुलाई 1927 को महाराष्ट्र स्थित सांगली शहर के माड़गुल में हुआ | उनका एजुकेशन दसवीं तक भी नहीं हुआ पर उन्हें साहित्य पसंद था |
इसलिए उन्होंने किताबें लिखना आरंभ किया | अंग्रेजी का अध्ययन कर विदेशी साहित्य भी पढ़ा | उनके द्वारा लिखित “मानदेशी माणसे” यह कथासंग्रह प्रकाशित हुआ |
उनमें रेखांकित पात्रों द्वारा उन्होंने ग्रामीण जीवन की जो वास्तविकता लोगों के सामने रखी | वह मराठी साहित्य के लिए नई थी | इसके बाद मुंबई आकर वह मराठी फिल्मों के लिए पटकथा लिखने लगे | साथ में उनका लेखन कार्य भी चलता रहा |
एक के बाद एक उनके अनेक उपन्यास प्रकाशित हुए | उन्हें वर्ष 1983 में “सत्तान्तर” उपन्यास के लिए “साहित्य अकादमी पुरस्कार” से सम्मानित किया गया | उनके द्वारा लिखित उपन्यास “बनगरवाड़ी” का अंग्रेजी , जर्मन और हिंदी के साथ कई अन्य भाषाओं में अनुवाद किया गया |
प्रसिद्ध अभिनेता , दिग्दर्शक , पटकथाकार , लेखक अमोल पालेकर के निर्देशन में “बनगरवाडी” पर आधारित फिल्म भी बनाई गई | लेखक एक महान लेखक थे | उनके बारे में लिखने के लिए बहुत कुछ है | उनके द्वारा लिखित और किताबों के रिव्यु के साथ हम उनकी जानकारी आपको देते रहेंगे | अभी जानते हैं प्रस्तुत किताब का सारांश –
सारांश –
कहानी “बेलगांव” और वहां के लोगों की है | बेलगांव के बाजू से ही “हीवरा” नाम की नदी बहती है | इसी नदी के एक तीर पर बेलगांव बसा है | जब भी जोरदार बारिश होती है | नदी में बाढ़ आ जाती है और सारी यातायात ठप हो जाती है |
इन सब से निजात पाने के लिए बेलगांव के लोग नदी पर पुल बनाने का सोचते हैं क्योंकि बाकी सारे गांवो ने भी सरकार की मदद से अपने-अपने गांव में सुधारना कर ली है | प्रगति की ओर अग्रसर हुए है |
यह लोग भी नदी पर पुल बांधकर आगे प्रगति करना चाहते है | गाँव मे सबसे पहले यह विचार अण्णा वाणी के मन में आता है | वह अपनी किराना दुकान संभालकर थोड़ी समाज सेवा भी कर लेता है |
वह गांव के लोगों की मीटिंग बुलाकर उनके सामने अपने विचार रखता है | उसका कहना है की ,उनका गांव इतना गरीब है कि सबके पैसे जोड़ कर और सरकारी मदद लेने पर भी वह लोग नदी पर पूल नहीं बना पाएंगे |
इसलिए उनको अपने -अपने हिसाब से मेहनत भी करनी होगी | यह सब सुनकर भीमा कोली बिफर ही जाता है | वह कहता है की , कोली होने के नाते नदी उसकी मां जैसी है | उसपर पूल नहीं बनाया जा सकता | इसीलिए तो लोग पवित्र गंगा नदी पर पुल बांधने के बजाय उस पर नाव चलाते हैं |
उससे यह काम नहीं होगा | यह कहकर वह वहां से चला जाता है | अब उसके विरुद्ध कोई जा नहीं सकता क्योंकि उसका डीलडौल ही ऐसा है कि सब लोग उसकी ताकत को देखकर ही डर जाते हैं | गांव का यूथ भी उसके साथ है |
सब पर उसका भारी दबाव है | इसीलिए सब लोग उससे डर कर ही रहते हैं | भीमा के दिए गए कारण को लोग सच मानकर एक-एक बहाना कर के वहां से चले जाते हैं | सारी चौपाल खाली हो जाती है लेकिन उन्हें क्या पता कि यही भीमा और उसके साथी लोगों को ठगकर एक तीर से दूसरे तीर पहुंचाने के बहुत पैसे लेते हैं |
ऐसा ही एक किस्सा किताब के मुखपृष्ठ पर भी आपको मिलेगा | भीमा जब अपनी बहन को लाने के लिए निकलता है तो बाढ़वाली नदी में छलांग लगा देता है | बाढ़वाली नदी में काम करना उसका रोज का काम है | अब आप पढ़ कर यह जानिए की रोज “हीवरा” नदी को अपने इशारों पर नचानेवाला भीमा क्या उस दिन भी उसे मात दे पाता है ?
नदी पर पुल बनाने का उसे फायदा होता है या नहीं ? सबसे बड़ी बात हीवरा नदी पर पुल बनता है या नहीं क्योंकि बेलवन गांव के लोगों की मानसिकता एक दूसरे को पीछे खींचनेवाली है जैसे एक बकेट में रखे केकडे ना तो खुद ऊपर आते हैं | नहीं तो किसी और को आने देते हैं | बेलवन के लोगों को ऐसी रस्साकस्सी करने में बड़ा मजा आता है | पढ़कर जरूर जानिए की ऐसी मानसिकता का क्या परिणाम निकलता है ? जरूर पढिए | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते है और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ..
धन्यवाद !!!!!

 

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