BAJIND BOOK REVIEW AND SUMMARY IN HINDI

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बाजिंद

पहिलवान गणेश मानुगड़े द्वारा लिखित

रिव्यु –

बाजिंद , छत्रपती शिवाजी राजे इनके जासूसी विभाग पर आधारित उपन्यास है | जिससे पता चलता है की उनका जासूसी विभाग और उसके लोग कितनी निष्ठा के साथ स्वराज्य की सेवा किया करते थे जिस कारण शिवाजी महाराज को इतना बड़ा राज्य संभालने में मदद मिलती |

बाजिंद एक रहस्यमयी पुरुष है जो जंगल में रहता है | उसके पास एक गूढ़ ज्ञान है | वह जंगल के जानवरों की भाषा समझता है , बोलता है | लोगो का कहना है की उसकी आत्मा उस जंगल में भटकती है | जंगल के सारे जानवर उसके इशारे पे काम करते है | बाजिंद के जंगल में जो कोई जाता है वह वापस नहीं आता |

लेखक एक पहिलवान है | “कुस्ती मल्लविद्या” नाम का facebook पेज चलाते है | कुस्ती से जुड़े लेख वह अलग – अलग सोशल साईट पर फ्री उपलब्ध करवाते है | वे यह लेख हर रोज पोस्ट करते है | उनके इस उपक्रम के लिए उन्हें 70 से भी ज्यादा पुरस्कार मिल चुके है | चूँकि लेखक एक पहिलवान है तो उपन्यास लिखते समय वह पहिलवानी के दाव पेचो के बारे में लिखने का मोह ना छोड़ पाए शायद …… | इसके बारे में बहुत अच्छे वर्णन उन्होंने किताब में दिए है |

उन्होंने कथानक को बहुत , बहुत , बहुत ही अच्छी तरह प्रस्तुत किया है | कभी – कभी किताब बहुत रहस्यमयी लगती है लेकिन कहानी में जब शिवाजी महाराज , जासूसी विभाग के प्रमुख बहिर्जी नाईक , उनके हात के निचे काम करने वाले वस्ताद्काका और वस्ताद्काका का शागिर्द , खंडेराया , खंडेराया की प्रियसी और अभी पत्नी सावित्री इन सब का जब एक साथ समावेश होता है तब कहानी अलग ही मोड़ लेती है | सारी कडीयाँ खुल जाती है | प्रस्तुत कहानी उस वक्त के भौगोलिक स्थिति के बारे में भी जानकारी देती है जैसे की तब जंगल बहुत घने हुआ करते थे और मानव बस्तियां बहुत कम…….

अभी सब इसका उल्टा है | प्रस्तुत कहानी यह भी बताती है की उन दिनों देश छोटे – छोटे वतनदारो में बटा हुआ था जो अलग – अलग सत्ताओ के सरदार हुआ करते | इसी के चलते अपने ही लोग अपनों से लड़ा करते | प्रत्येक राजा की अपनी एक शासन व्यवस्था हुआ करती जहाँ वह खुद और उनके न्यायाधीश लोगो को उनके अपराधों के अनुसार सजा दिया करते | ऐसी ही सजा के लिए शिवाजी महाराज की राजधानी राजगढ़ का टकमक टोक प्रसिद्ध था | प्रसिद्ध इसलिए क्योंकी यहाँ से स्वराज्य के दुश्मनों को निचे फेंका जाता था | यही से फेंके हुए लोग टकमक टोक के निचे बसे गाव में जा गिरते | वहां उन्हें जंगली जानवर खा जाया करते | जब टोक से बहुत दिनों तक किसी को नहीं फेंका जाता तो जंगली जानवर पास में ही बसे गाव के लोगो पर और उनके मवेशियों पर हमला कर देते | इसी की जानकारी देने गाव का सीताराम और और उसके तीन साथी राजगढ़ जाने के लिए यात्रा पर निकलते है | उस यात्रा के दौरान उनको कौन – कौन से अनुभव आते है उसी का ताना – बना यह किताब है | प्रस्तुत किताब के

लेखक है – पहिलवान गणेश मानुगड़े

प्रकाशक – मेहता बुक सेलर्स

पृष्ठ संख्या – १६२

उपलब्ध – अमेज़न , किनडल

हमने जिस सीताराम का जिक्र किया उसी सीताराम का वंशज , भारतीय जासूसी खाते के एक जासूस को यह कहानी बहिर्जी नाईक की समाधी के पास बैठकर सुनाता है |

सारांश –

टकमक टोक के कारण होनेवाले मुश्किल की जानकारी देने के लिए सीताराम अपने तीन दोस्तों के साथ राजगढ़ की राह पर निकल पड़ा है | जंगल के बीच में ही उन पर खतरनाक शेर हमला करता है जिससे उन्हें एक काले चेहरे वाला आदमी बचा लेता है | उसके गले में चांदी की एक पेटी बंधी है | वह खुद का नाम खंडोबा बताता है | खंडोबा उन चारो से कहता है की वह राजगढ़ पहुँचने में उनकी मदद करेगा क्योंकी राजगढ़ पर हर कोई नहीं जा सकता |

बीच – बीच में वह अपनी और सावित्री की प्रेमकहानी भी बताते जाता है | यह चारो हमेशा ही खंडोबा के साथ बात करते – करते सो जाते | यह चारो जहाँ सोते वह जगह और जहाँ इनकी नींद खुलती वह जगह हमेशा ही अलग – अलग रहती है जैसे की इन्हें रात में कोई उडाके वहां ले गया हो | एकदम घने जंगल में इन चारो की मुलाकात सावित्री से होती है तब खंडोबा गायब रहता है | खंडोबा से मुलाकात होती है तो सावित्री गायब रहती है | खंडोबा शिवाजी महाराज के जासूसी विभाग का एक जासूस है |

सावित्री के पिता मुग़ल सल्तनत के लिए काम करते है | राजे चाहते है की सावित्री के पिता स्वराज्य में सम्मिलित हो जाये | इसी काम के लिए खंडोबा को वहां पहिलवान बनाकर भेजा जाता है | चूँकि सावित्री के पिता को पहिलवानी करने का और पहिलवानो की कुश्ती कराने का बड़ा शौक है | खंडोबा पहिलवानो की कुश्ती जीतकर सावित्री के घर में जगह बना लेता है | अब आप यह पढ़कर जानिए की क्या खंडोबा अपने मकसद में कामयाब होता है ? क्या खंडोबा और सावित्री का प्रेम सफल होता है ? जंगल में रहनेवाला बाजिंद सचमुच एक गूढ़ पुरुष है की एक सामान्य व्यक्ति ?

अब जैसा की हमने बताया , तब यातायात के लिए रास्ते नहीं बनाये गए थे | सबको जंगल , नदी , दरे – खोरो से होकर गुजरना पड़ता था | वैसे ही सीताराम और उसके तीनो साथी खंडोबा की मदद से जंगल की सारी चुनौतियों का सामना करते – करते आखिर राजगढ़ पहुंचकर शिवाजी महाराज के आगे पेश होते है | शिवाजी राजे का वह राजसी और लुभावना रूप देखकर यह चारो धन्य – धन्य हो जाते है |

इन सबकी कहानी सुनकर शिवाजी महाराज ,वस्ताद्काका को कुछ लोगो के साथ सीताराम के गाव जाकर, वहां की परिस्थिति का जायजा लेने के लिए भेज देते है | वस्ताद काका वही जिन्होंने खंडोबा को छोटे से बड़ा किया | उसे जासूसी विभाग में अपने साथ रखा |

जब वह गाँव जाने के लिए निकलते है तब वस्ताद काका पूछते है की , “ तुम लोगो को यहाँ तक किसने पहुँचाया ?” वे जब खंडोबा का नाम बताते है तब वस्ताद काका गश खाकर एक जगह बैठ जाते है और रो – रो कर बोलते है की , “ यह कैसे मुमकिन है ? खंडोबा को तो टकमक टोक से निचे फेंककर मृत्युदंड की सजा मिल गयी थी | फिर वह तुम्हे यहातक कैसे ला सकता है ?” यह सब सुनकर सब के चेहरे पर एक ही सवाल दिखाई देता है | तो फिर वह कौन था ? यही तो पढ़कर आप को जानना है | कहानी सचमुच बहुत – बहुत अच्छी है | लेखक सचमुच बहुत अच्छा लिखते है | हमें उनकी और भी किताबे पढ़ने को मिले इसी आशा के साथ ………..

धन्यवाद !

wish you happy reading……..

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