AVANTIKA BOOK REVIEW SUMMARY IN HINDI

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अश्वत्थामा रहस्यकथा त्रय १

अवंतिका

चंद्रप्रकाश पाण्डेय द्वारा लिखित

रिव्यू –

किताब की पृष्ठभूमि अश्वत्थामा को मिले श्राप को लेकर लिखी गई है | कहानी फंतासी और रहस्यमय कहानिया लिए हुए है | किताब को पूरे पाँच स्टार मिल चुके है | क्यों न हो …. ? किताब बहुत ही अच्छी है | कही भी कोई अतिशयोक्ति नहीं है की किसी भी व्यक्ति , वस्तु , स्थल को लेकर अवास्तव वर्णन नहीं है | इसके कुछ अध्यायों के नाम हम आप को बता रहे है | जैसे की – वह जिंदा है , एक भयानक अनुभव ,नागवंशी ,विषकन्या , मृत्युग्रंथ इ. | किताब की कहानी तीन दौर मे चलती है और इसी के साथ इसके पात्रो के नाम भी बदल जाते है | पाँच हजार साल पहले के पात्रो के नाम है दिगम्बर ,चंद्रप्रभा , विषधर , द्रमुख , द्रोणवी , महर्षि कामत ,अवन्तिका , रानी रत्नावती , चक्रधर ई.

दूसरा दौर है – सन १९३० का | जब भारत पर अंग्रेजों का शासन हुआ करता था | इस दौर के पात्र है ,अंग्रेज सैनिक टुकड़ी का अफसर जॉर्ज , उसकी बीवी जेने लिया और उनका चौकीदार संतराम |

वर्तमान दौर के पात्र है – हकिमगढ़ के सरपंच , उनकी बेटी अवन्तिका , प्राइवेट जासूस गौरव ,इन्स्पेक्टर यशराज , दिव्यंका , हिस्ट्री के कुछ प्रोफेसर ,अविनाश कशिश और अल्तमश | कहानी मे दो महत्वपूर्ण समुदाय है – नागवंशी और कली समुदाय | इस किताब की कहानी आप को बिखरी – बिखरी लगेगी लेकिन दूसरी किताब पढ़कर आप को सबकुछ समझ आने लगेगा | किताब का दूसरा भाग भी बहुत अच्छा है |

लेखक कहते है की उनकी लिखने के स्पीड कम है | इसलिए उन्होंने अभी तक इसका तीसरा भाग नहीं लिखा है | इतनी अच्छी किताबे पढ़ने के बाद आखिर तीसरी किताब पढ़ने के लिए हम धैर्य कैसे रख सकते है ? हम और हमारे जैसे और वाचक आशा करते है की वह इस त्रय का तीसरा भाग जल्दी लिखकर हमे उसे पढ़ने का आनंद लेने दे | इसके लिए हमारी ओर से बहुत – बहुत शुभाकांनाए |इस अप्रतिम किताब के

लेखक है – चंद्रप्रकाश पाण्डेय

प्रकाशक है – थ्रिल वर्ल्ड

पृष्ठ संख्या है – 406

उपलब्ध – अमेजन , किन्डल पर

आईए चलते है इसके सारांश पर –

सारांश –

कहानी शुरू होती है वर्तमान दौर मे पचमढ़ी मे बसे एक गाँव से – जहां भूषण नाम का मूर्तिकार अचानक गायब हो जाता है | उसी केस की तहकीकात करने गाँव के सरपंच , गौरव नाम के डिटेक्टिव को हायर करते है | गौरव को छान – बिन मे पता चलता है की भूषण , शापित अश्वत्थामा की मूर्ति बना रहा था | किताब की कहानी तीन दौर मे चलती है | कहानी का जो भी पात्र किसी न किसी रूप से जब अश्वत्थामा के संपर्क मे आता है तो उसके साथ कोई न कोई अनहोनी जरूर हो जाती है |

उसी तरह भूषण भी अनहोनी का शिकार हो जाता है | डिटेक्टिव गौरव को स्टेशन से लाने के लिए सरपंच की बेटी “अवन्तिका” पहुँचती है लेकिन गाँव मे आते ही सरपंच की हवेली के गेट पर बहुत सारे लोग जमा देखकर गौरव की जिज्ञासा बढ़ती है | वह देखता है की जिस अवन्तिका ने उसे अभी –अभी ड्रॉप किया है | उसकी एक्सीडेंट मे मौत हो चुकी है और उसकी लाश हवेली मे रखी है | गौरव यह देखकर हिल जाता है | उसे समझ मे नहीं आता की यह क्या है ? तो क्या वह अवन्तिका का भूत था ? पर पढे – लिखे गौरव को यह बात हजम नहीं हो रही थी | इसका जवाब मिलता है इस त्रय की दूसरी किताब “विषकन्या” मे…. |

भूषण की प्रियसी है राधा | उसके पूरे परिवार की हत्या जो जाती है | जिसमे उसके माता – पिता और उसका छोटा भाई शामिल है | इन सब की एक खास तरह से हत्या होती है याने की माथे पर कील ठोंककर जैसे की 1930 मे जेनेलिया की होती है | इतिहास के प्रोफेसर और अवन्तिका की रूममेट की भी इसी तरह हत्या होती है | अब – गौरव ,इन्स्पेक्टर यशराज और दिव्यंका ,हिस्ट्री के कुछ प्रोफेसर मिलकर तहकीकात करते है | उन्हे पता चलता है की यह सब करनेवाला “कली समुदाय” है जो अश्वत्थामा को अपना आराध्य मानते है और दुनिया से छुपकर रहना पसंद करते है |

इसीलिए जो भी व्यक्ति उनके राज तक पहुंचता है | वे उसे कत्ल कर देते है | कली समुदाय के विरुद्ध है – नागवंशी कबिला | यह भी दुनिया से छुपकर रहना पसंद करता है | यह कबीला एक इच्छाधारी नागिन को अपना आराध्य मानता है जिसका चेहरा वर्तमान की “अवन्तिका” से हूबहू मिलता है | यह कबीला “मृत्युग्रंथ” नामक किताब की रखवाली करता है जिसमे मृत्यु के बाद के राज लिखे है जिससे किसी भी मृत व्यक्ति को जीवित किया जा सके |

अल्तमश एक और महत्वपूर्ण पात्र है जो एक कली है | अपने आराध्य के कहने पर हत्याए करता है | वह पूरी तरह कली समुदाय को समर्पित है | वह उसकी पत्नी कशिश से प्यार कर बैठने की गलती कर बैठता है | साथ ही अधर्म के गुस्से का पात्र भी बन जाता है | अब यह यहाँ पर पता नहीं चला की अश्वत्थामा और अधर्म एकही व्यक्ति है या फिर अलग ? क्योंकि अश्वत्थामा के जैसे ही अधर्म का चेहरा देखकर भी लोग पागल हो जाते है |

फिर है पाँच हजार साल पहले की कहानी | इसमे द्रोणवी और द्रमुख सपेरे है | उनका बेटा विषधर नामक युवक युद्धकला मे पारंगत है जब की उनकी जाती के लिए युद्धकला सीखना अवैध है | तो क्या वह सचमुच उनका बेटा है या फिर कोई राजकुमार ? अगर वह राजकुमार है तो कौन है उसके माता – पिता ?

पहले किताब के सारे सवालों के जवाब आपको “विषकन्या” इस दूसरी किताब मे मिलेंगे | पर पहले आप को यह किताब जरूर पढनी पड़ेगी तभी आप को दूसरी किताब समझेगी | यह किताब आप जरूर – जरूर पढे |

किताब सचमुच बहुत – बहुत अच्छी है | कभी – कभी मन को तरोताजा रखने के लिए लीक से हटकर भी किताब पढ़ लेनी चाहिए |

धन्यवाद !

Wish you happy reading ………….

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