अर्थला
विवेक कुमार द्वारा लिखित
रिव्यू –
अर्थलाकी कहानी नए युग की है | बस्स , उसके पात्रो और स्थानो को पुराने युग का जामा पहेनाया गया है | कहानी वाकई बहुत रोचक है | इसका हर एक पात्र अपने आप मे दमदार है | यह बहुत सारे पात्रो को लेकर लिखा हुआ सागा है | कहानी मे ऐसे बहुत सारे शब्द है , जो आपने रियल लाइफ मे कभी नहीं सुने होंगे जैसे की भूमिसिद्धि , वायुसिद्धि , स्वर्णभस्म , काले ,नीले – पीले ऐसे पत्थर जो आपस मे टकराते है तो अलग ही एनर्जी निर्माण करते है | भूमिसिद्धी और वायुसिद्धी ऐसी शक्तियाँ है जो साधारण मनुष्यों को दैवीय जान पड़ती है लेकिन लेखक ने इसको विज्ञान के धरातल पर पूरी तरह समझाने की कोशिश की है | साथ मे यह भी कान्सेप्ट क्लीयर होते जाते है की धरती पर रहने वाले देव , दानव , असुर , नाग यह कोई अलग -अलग प्राणी नहीं बल्कि साधारण मनुष्य ही थे | बस , अलग – अलग मान्यताओ और आराध्य भगवानों के कारण उनके अलग – अलग नाम पड नून, । लणं vgगए | इन जातियों को जस्टीफ़ाई करते हुए उनके विवरण , लेखक ने बहुत अच्छे से बताए है जैसे की दानव दान देने मे अव्वल थे | देव अपने उन्नत विज्ञान के कारण सभी लोगों की मदद किया करते | इससे वह सब लोगों मे पूजनीय हो गए और उनका स्तर भी बढ़ गया | अब असुरों ने भी अपने विज्ञान को इतना उन्नत कर लिया था की वह भी देवो की बराबरी कर सके फिर भी उनके कुटील स्वभाव के कारण वह देवो की बराबरी नहीं कर सके | उनके इसी जलन के कारण देव और असुरों मे कितने ही देवसूर संग्राम हुए |
भारत देश को सबसे पहले जंबुद्वीप के नाम से जाना जाता था या फिर सिंधु देश के नाम से क्योंकि भारत की सबसे पहली संस्कृती इसी नदी किनारे बसी थी | इसीलिए शायद इस किताब की कहनी का नाम है – अर्थला – संग्राम सिंधु गाथा |
पहले पहल लगता है की विधान ही इस कहानी का नायक है लेकिन नहीं , विधान जैसे और भी नायक और नायिकाएं आपसे , कहानी आगे बढ़ने के साथ रूबरू होते जाएंगे | वैसे – वैसे आप उनके बुद्धी , स्वभाव और युद्ध कौशल से परिचित होते जाओगे | किताब मे बहुत सारे राज्यों की कहानी बताई गई है | इसी को समझने के लिए किताब के शुरुवात मे एक नक्शा दिया है | उसे आप जरुर देखिएगा ताकि आप को कहनी समझने मे आसानी हो | इस अद्भुत और अप्रतिम किताब के लेखक है – विवेक कुमार
प्रकाशक है – हिन्दी युग्म
पृष्ठ संख्या – 440
उपलब्ध – अमेजन , किन्डल
सारांश –
कहानी का सेंटर है अर्थला राज्य .. | यह कभी देवो की नगरी हुआ करता था | एक जमाने मे यह सबसे शक्तिशाली और समृद्ध राज्य था | अभी वक्त बिताने के साथ “अर्थला” कमजोर हो गया है और उसके प्रतिद्वंद्वी शक्तिशाली…. | वह अर्थला पर हमला कर के उसे नेस्त नाबूत करना चाहते है | इसीलिए अर्थला की रानी अभी अपने सहायक राज्यों और सिद्धीधारी लोगों को ढूंढ रही है ताकि वह आगामी युद्ध मे अर्थला की ओर से लड़कर उसकी रक्षा कर सके | इसमे ऐसे बहुत सारे पुराने सिद्धी धारी योद्धा है जिन्होंने अपने उत्तराधिकारी को चुन लिया है | उसमे से पहला है – विधान .. | उसे , उसके गुरु “काण” ने अपने भूमिसिद्धी का उत्तराधिकारी चुन लिया है | गुरु काण का सबंध अर्थला से है जब अर्थला को यह पता चलता है तो वहाँ के सेनापति , विधानको अपने साथ अर्थला ले जाते है | जब की विधान को इसके बारे मे कुछ भी नहीं पता | विधान के साथ उसका भाई सत्तू भी चल देता है जिसको नई – नई जानकारियाँ इकट्ठा करने का शौक है | अर्थला जाने के बाद विधान को अमरखंड मे शिक्षा लेने का अवसर मिलता है | इस अवसर के साथ विधान को और भी नई बाते पता चलती है जैसे की देव और उनकी प्रयोगशालाये , हिमालय पर रहनेवाले यति और बहुत कुछ .. | इन सब जानकारियों की वजह से विधान को लगता है की वह अब तक कितनी छोटी दुनिया मे रह रहा था | बाहर की दुनिया कितनी बड़ी है | यहाँ कितना कुछ है जानने के लिए .. |
विधान के पास जो भूमिसिद्धि है | वह उसमे परिपक्व नहीं है | उसके लिए उसे और भी ज्यादा ज्ञान की जरूरत है | इसलिए उसे अर्थला के सेनापति उग्रकेतु , अमरखंड नामक शैक्षनिक संस्थान मे भेजते है जहां विधान को उसकी भावी जीवन संगिनी मिल जाती है | अमरखंड के भूतपूर्व मेधावी विद्यार्थी रहे नागप्रमुख जो की अर्थला की रानी के भाई भी है , विधान से भेंट करते है | इसमे अर्थला की रानी महापराक्रमी बताई है | उनके पास भी युद्ध के लिए एक अलग ही विद्या है | असुर देश का युवराज और अभी महाराज भी बहुत चालाक और बहादुर बताया है | वह असंभव दिखने वाले काम भी संभव कर दिखाता है | दक्षाण के पिता का अंगरक्षक जो अकेला ही पूरी सेना को हरा दे | उसके रहते दक्षाण के पिता का कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता | इसी अंगरक्षक को दक्षाण अपने जाल मे ऐसे फसाता है की , वह खुद ही अपने महाराज की हत्या कर देता है | इसी दक्षाण के अंगरक्षक के पिता एक महाबली व्यक्ति है जो ताकत मे गुरु काण के बराबर है | एक समझौते के तहत गुरु काण के कुंडल इन्ही के राज्य मे है | अब विधान को अपनी भूमिसिद्धि
की शक्ति बढ़ाने के लिए इन्ही कुण्डलों की जरूरत है | इसलिए उसे असुरों की नगरी छुपकर जाना होगा या फिर युद्ध करना होगा | युद्ध होगा तो अर्थला और कमजोर हो जाएगी और छुपकर जाने की परमिशन अर्थला की रानी देगी नहीं | इसलिए विधान , नागप्रमुख और उनका बालसखा जो अयोध्या का राजा है | तीनों मिलकर दक्षाण की नगरी जाते है | इसके लिये उन्हे घने बांस के जंगलों से गुजरना होता है जिसके नीचे दलदल है और दलदल से जुड़ी परेशानियाँ भी | अब वह लोग इस बांस के जंगल को कैसे पार करते है ? उसका वर्णन आप जरूर- जरूर पढे | उसके बाद वहाँ पहुंचकर वह तीनों जो लड़ाई लड़ते है | उसका भी वर्णन आप जरुर – जरूर पढिए | इसमे विधान को अपनी भूमिसिद्धि की ताकत का एहसास होता है की वह इसे कहाँ तक उपयोग मे ला सकता है | वह इसे स्तरों मे यूज करता है | हर स्तर के साथ उसकी तीव्रता बढ़ती जाती है | यह तीनों सही सलामत अर्थला पहुँच ही जाते है लेकिन कैसे ? जो व्यक्ति इन तीनों को बेहोशी की हालत मे अर्थला की सरहद पर छोड़ता है उसके बारे मे इन लोगों को कुछ नहीं पता | इस व्यक्ति के बारे मे जानने के लिए भी आप को यह किताब पढ़नी चाहिए | इस व्यक्ति का वर्णन भी बडा दिलचस्प है | यह तो हमने सिर्फ विधान से जुड़ी कहानी या कहे बाते बताई है लेकिन इस कहानी मे और भी बहुत सारे पात्र है जिनकी अपनी ही अलग – अलग कहानियाँ है | वैसे भी गुरु काण की मृत्यु का राज जानने मे आपको उत्सुकता तो होगी क्योंकि गुरु काण उन शक्तिशाली लोगों मे से थे जो अकेले ही पूरी सेना को हरा दे | जो कभी अर्थला राज्य की शक्ति थे | फिर क्यों ? वह विधान के छोटे से गाँव मे कुटिया बनाकर रहते है और इतने शक्तिशाली होने के बावजूद क्यों वह साधारण सिपाहियों के हाथों मारे जाते है | अर्थला के सेनापति कहते है की यह उनकी इच्छा मृत्यु थी ? लेकिन कैसे ? क्या आप को इसका उत्तर जानने की उत्सुकता नहीं है ? अगर है, तो यह किताब पढ़ना मिस मत कीजिए | किताब की हर एक लाइन हर एक शब्द , पढ़ने मे आप को मजा आएगा | वैसे भी अच्छी किताबे नहीं पढ़ोगे तो अच्छे विषय से चूक जाओगे |
किताब पढ़िएगा जरूर | एक बार हमारे यू ट्यूब चैनल को भेट अवश्य दे जो की सारांश बुक ब्लॉग के नाम से ही है |
धन्यवाद !
Wish you happy reading……….!!