आप मे चाणक्य
राधाकृष्णन पिल्लई द्वारा लिखित
रिव्यू –
बेस्ट सेलर किताब “कॉरपोरेट चाणक्य” के लेखक राधाकृष्णन पिल्लई द्वारा लिखित यह दूसरी किताब है | पहली किताब बेस्ट सेलर होने के बाद उन्होंने सोचा कि , दूसरी किताब किस पर लिखी जाए ? इसलिए फिर उन्होंने चाणक्य की बातों को अपने जीवन में कैसे उतारा जाए ? इसी बात को एक कहानी के रूप में लिखकर अपनी किताब मे प्रस्तुत किया |
अपना व्यवसाय चलाने के लिए भारतीय लोग पाश्चात्य स्कूलो की तरफ आकर्षित होते हैं | उनके ज्ञान को पढ़कर अपने व्यवसाय को सफल करने की कोशिश करते हैं लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि व्यवसाय के जिन सूत्रों को वह अभी पाश्चात्य स्कूलो और किताबों में पढ़ रहे हैं | उनकी नींव तो कब की हमारे देश में रखी जा चूंकि थी पर हम उन किताबों में लिखी संस्कृत भाषा और उसके गूढ अर्थ को समझ नहीं पाए | इसके बजाय अंग्रेजी सीखकर पाश्चात्य किताबे पढ़ डाली |
लेखक ने संस्कृत में मास्टर डिग्री ली है | इसी वजह से वह अर्थशास्त्र का सखोल अभ्यास कर पाए | उन्होंने चाणक्य के लिखे इस शास्त्र को गुरु – शिष्य परंपरा में सिखा क्योंकि किसी भी शास्त्र की पढ़ाई किसी गुरु के मार्गदर्शन में ही करनी चाहिए | उन्होंने अर्थशास्त्र की सिख को अपने जीवन में उतारा |
अर्थशास्त्र को अपनाकर वे अपने व्यवसाय और जीवन में सफल हुए हैं | वे अपने नेतृत्व कौशल से प्रख्यात उद्योगपतियों का मार्गदर्शन करते हैं | लेखक युवा पीढ़ी को संस्कृत सीखने के लिए प्रेरित करते हैं ताकि हम हमारे प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन कर सकें क्योंकि जरूरी नहीं कि मूल ग्रंथों में जो लिखा हो वह हमें भाषांतरित ग्रंथ में वैसा का वैसा मिल जाए |
अर्थशास्त्र हमें जीवन में जरुर सफलता दिलाता है क्योंकि चाणक्य के मार्गदर्शन में चंद्रगुप्त ने एक ऐसा राज्य स्थापित किया जिसमें समृद्धि पानी भरती थी | लोग खुशहाल थे | कलाओं का विकास हुआ | ज्ञान का प्रसार हुआ | इसीलिए वह युग इतिहास में “स्वर्ण युग” के नाम से दर्ज है | प्राचीन भारत हर चीज में आगे था |
हमारे ऋषि मुनि बड़े ज्ञानी थे | उन्होंने जो खोज की वह उन्होंने प्राचीन ग्रंथों में लिख छोड़ी | भारत की संस्कृति इतनी विकसित थी की उसका अध्ययन करने देश – विदेशों से लोग यहाँ आते थे | इसी विकसित संस्कृति को हम हमारे प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन कर के दुनिया के सामने ला सकते हैं लेकिन यह सारे ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखे हैं | इसीलिए लेखक संस्कृत भाषा सीखने पर जोर देते हैं |
आईए , अब थोड़ासा लेखक के बारे में जान लेते हैं | लेखक राधाकृष्णन पिल्लई प्रबंधन और परामर्श में औपचारिक रूप से प्रशिक्षित हैं | वे संस्कृत में एम. ए. है | वे चाणक्य और अर्थशास्त्र के मान्यता प्राप्त शोधार्थी है | इस क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें 2009 में सरदार पटेल अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया | वे उनके ज्ञान का उपयोग नेतृत्व कौशल विकसित करने के विभिन्न कार्यक्रमों के निर्माण में करते हैं | वे एस. पी . एम . फाउंडेशन और मुंबई विश्वविद्यालय की टीम के सदस्य हैं | चाणक्य इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक लीडरशिप एक नेतृत्व कौशल अकैडमी है |
यह एकेडमी राजनेताओं और विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करती है | लेखक इसी संस्था के संस्थापक निदेशक है | वे आध्यात्मिक पर्यटन अभियान के संस्थापक है | उनकी लिखी पहली किताब “कॉर्पोरेट चाणक्य ” बेस्ट सेलर किताब रही | इसके बाद उन्होंने “सेवन सेक्रेट्स ऑफ लीडरशिप” लिखी |
लेखक को हमेशा कल्पना प्रधान कथा साहित्य में रुचि रही है | इसीलिए उन्होंने “आप मे चाणक्य” यह किताब उसी शैली में लिखी | कहानी लेखक के जीवन के कुछ अंश लिए हुए हैं | कहानी की सबसे मजेदार बात यह है कि कहानी में किसी भी पात्र का नाम नहीं है | ऐसे लगता है जैसे यह हम मे से ही किसी परिचित की कहानी हो | या फिर यह हमारी ही कहानी हो | कहानी का मुख्य पात्र अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने के लिए अपने दादाजी से प्रेरित हुआ | यही प्रेरणा उसने अपने पोते पोतियो दी जब वह खुद दादाजी बन गया |
यह चाणक्य के उस आधुनिक शिष्य की कहानी है जो गुरु – शिष्य परंपरा से अर्थशास्त्र का ज्ञान प्राप्त करता है | इसके पहले उसे अपने जीवन का उद्देश्य समझ में नहीं आता | अर्थशास्त्र की पढ़ाई के बाद उसे अपने जीवन का लक्ष्य मिल जाता है | एक उद्देश्य रहित युवा से वह विश्व का सबसे धनी व्यक्ति बन जाता है जैसे मौर्य साम्राज्य विश्व का सबसे ताकतवर साम्राज्य था | वह संपूर्ण देश को व्यवसाय में सफलता पाने के लिए संस्कृत भाषा और प्राचीन भारतीय साहित्य के अध्ययन की प्रेरणा देता है | यह किताब उसके संपूर्ण जीवन यात्रा के बारे में है | यह उन लोगों के बारे में भी हैं जिन्होंने उसे पग – पग पर मार्गदर्शन किया |
लेखक का कहना है कि हर व्यक्ति में चाणक्य है | बस उसे अपने आप में ढूँढने की जरूरत है | यह किताब आपको इस कार्य में मदद करेगी | इसे हमेशा अपने साथ रखिए जब तक कि यह आप के अंदर के चाणक्य को बाहर न निकाल दें | यह सभी तरह के लोगों के लिए है जैसे कि माता-पिता , युवा – वयस्क , उद्योगपति ई . |
जैसे चाणक्य , चन्द्रगुप्त को हर पग पर मार्गदर्शित करते रहे | उसी तरह चाणक्य आधुनिक युग के लोगों को किताब के माध्यम से मार्गदर्शन देते रहेंगे | जीवन में इसे अपनाकर आप सफलता जरूर पाएंगे | इस अप्रतिम किताब के –
लेखक है – राधाकृष्णन पिल्लई
अनुवादक है – डॉ. ओ. पी. झा.
प्रकाशक है – जयको पब्लिशिंग हाउस
पृष्ठ संख्या है – 192
उपलब्ध – अमेजन , फ्री पीडीएफ़ के रूप मे भी |
इसमें पूरे 59 अध्याय है जैसे कि दादाजी की सलाह , आश्रम में प्रवेश , अंतिम व्याख्यान ई. | आइए , अब देखते हैं इसका –
सारांश –
कहानी के नायक का अर्थशास्त्र के साथ परिचय उसके दादाजी करवाते है | नायक के दादाजी बचपन में उसको कहानियां सुनाते हैं | इसतरह वह नायक में किताबों के प्रति प्रेम जागृत करते हैं | नायक को किताबों से लगाव हो जाता है | नायक के दादाजी अपना छोटासा पुस्तकालय नायक के लिए ही छोड़ जाते हैं |
अपने इसी पुस्तक प्रेम के चलते वह अर्थशास्त्र मे रुचि लेता है | वह अपने दादाजी की अर्थशास्त्र की किताब देखना है | उसमे उसके दादाजीने बहुत सारी टिप्पणियां लिखी होती है जो उसके समझ में बिल्कुल नहीं आती क्योंकि उसके दादाजी संस्कृत विशारद व्यक्ति रहते हैं | उसके दादाजी बताते हैं कि अर्थशास्त्र की पढ़ाई किसी गुरु के मार्गदर्शन में ही करनी चाहिए |
इसी गुरु के मार्गदर्शन का शोध उसे उसके गुरुजी तक पहुंचाता है | जो उसे गुरु -शिष्य पद्धति अनुसार आश्रम में रहेकर शिक्षा देनेवाले थे | इसके लिए वह छः महीने तय करते हैं | नायक छः महीनों के लिए अपने माता-पिता , मित्रों – रिश्तेदारों से दूर हो जाते हैं | आश्रम में उसकी उसके गुरुजी और आश्रम चलानेवाले भद्र व्यवसायी के साथ मुलाकात होती है जो जीवनपर्यंत नायक का मार्गदर्शन करते हैं | यह गुरुजी उनके विषय में इतने सिद्धहस्त होते है की उन्हें देश के मुख्यमंत्री अपनी टीम के सदस्यों को मार्गदर्शन करने के लिए बुलाते हैं और साथ में अन्य लोग भी व्याख्यान देने के लिए बुलाते रहेते हैं |
नायक को आखिरकार 6 महीनों के बाद आश्रम एक प्रमाणपत्र देता है | जो नायक को अर्थशास्त्र का एक मान्यताप्राप्त शोधार्थी बनाता है | यह प्रमाणपत्र नायक को जीवन के हर मोड़ पर बहुत काम आता है | इसी प्रमाण पत्र की वजह से उसे देश की सबसे विख्यात कंपनी में नौकरी मिलती है और बाद में प्रमोशन भी |
लेकीन उसके जीवन का उद्देश्य नौकरी करना नहीं बल्कि व्यवसाय करके विश्व का सबसे धनी व्यक्ति बनना है | वह नौकरी करनेवाला नहीं बल्कि नौकरी देनेवाला बनना चाहता है | इसके लिए उसी के कंपनी के चेयरमैन उसका मार्गदर्शन करते है क्योंकि नायक अर्थशास्त्र के अभ्यास के कारण उनके लिए एक विशेष व्यक्ति है |
नायक अपने एकेडमिक एजुकेशन के साथ-साथ अपना व्यवसाय भी अर्थशास्त्र के ज्ञान की वजह से अच्छे से संभालता है | जीवन के इस यात्रा में उसे उसके माता-पिता का साथ और मार्गदर्शन हमेशा ही उपलब्ध रहता है | उसकी पत्नी उसे पीएचडी करने के लिए प्रेरित करती है | वह अपनी सारी जिम्मेदारी संभालते हुए अपनी एचडी भी पूरी कर लेता है |
इसी के साथ सिलसिला शुरू होता है व्याख्यानों का .. .. युवाओ के मार्गदर्शन का | एक दिन वह विश्व का धनी व्यक्ति घोषित होता है जो उसकी इच्छा थी | नायक अपने इस यात्रा मे चाणक्य के अर्थशास्त्र का ज्ञान कैसे उपयोग मे लाता है | यह आप को जरूर पढ़ना चाहिए |नायक का एक उद्देश्यहीन युवा से विश्व का धनी व्यक्ति बनने का सफर आप इस किताब मे जरूर पढिए |
अब वह भी दादाजी के पद पर पहुँच गया है | वह भी अपने पोते – पोतियों मे अर्थशास्त्र के ज्ञान का बीज बो रहा है | इसके बाद सिलसिला फिर से शुरू होगा | फिर से चक्र घूमेगा |
अपने जीवन मे सफल होने के लिए अर्थशास्त्र को जरूर पढिए |
धन्यवाद !