A-54 KI VAPSI BOOK REVIEW IN HINDI

saranshbookblog omprakashsharmabooks booksummaryinhindi

रिव्यू –

Read more 
लेखक ओमप्रकाश शर्मा अपने लेखन से ही लोगों के बीच जनप्रिय बन गए | उन्हें इसी नाम से पहचाना गया | बहुत से लोगों को यह लगता है कि वह सिर्फ जासूसी उपन्यास ही लिखा करते थे लेकिन उनकी यह जानकारी अधूरी है |
लेखक जासूसी उपन्यासों के साथ-साथ सामाजिक और ऐतिहासिक उपन्यास भी लिखते थे | अपने लेखनी के कारण उन्होंने अपार लोकप्रियता हासिल की | इसीलिए शायद 1996 में उनकी मृत्यु के बाद भी उनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई |
उनका हर एक उपन्यास मिल का पत्थर साबित हुआ है | उनके रचित पात्र देशप्रेमी है और अपने सामाजिक आदर्शों को भी साथ में लेकर चलते हैं | वह उन लोगों का भी जीवन संवारने की कोशिश करते हैं जो कभी अपराधी थे और अभी देश और समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं या फिर अच्छा जीवन जीना चाहते हैं |
लेखक के उपन्यासों की तारीफ बड़े-बड़े दिग्गजो ने की है | बहुत सारे साहित्यकार भी उनके इस हुनर के प्रशंसक रहे हैं | प्रस्तुत उपन्यास के –
लेखक है – ओम प्रकाश शर्मा
प्रकाशक है – नीलम जासूस कार्यालय
पृष्ठ संख्या है – 136
उपलब्ध है – अमेजॉन पर

जासूसों की दुनिया में एक ऐसा जासूस था जो भेजा तो गया था दुश्मन देश को तबाह करने लेकिन वहां के लोगों की दयनीय दशा देखकर उसका मन पसीज गया और उसने उन्ही लोगों की मदद की | ऐसा ही प्रस्तुत किताब की जासूस नायिका करती है | इसीलिए फिर उसके काम को बाकी जासूस A-54 की वापसी के नाम से जानते हैं |
यह जगत – बगरोफ सीरीज है | 1971 में प्रकाशित हुआ यह उपन्यास सन 1968 का हाल बयां करता है | कहानी पश्चिम जर्मनी , चेकोस्लोवाकिया , प्राग , अमेरिका, शिकागो ,टोरंटो में घटित होती है |
सारांश –
कहानी का सारांश बताने से पहले कहानी के नायक जगत और बागारोफ का परिचय हो जाए | जगत एक अंतरराष्ट्रीय ठग है | कहीं पुलिस और जासूस उस के मित्र है तो कहीं यही उसके जान के दुश्मन बन बैठे है | वह जीवन को नाटक और दैनिक दिनचर्या को मजाक समझता है | वह साहसी है , चतुर है , वह शतरंज के खिलाड़ी की भांति अपनी हर चाल अचूक चलता है |
इसलिए जासूस और पुलिसों का उसका नाम सुनते ही हाजमा खराब हो जाता है | अब जगत अमेरिका पहुंच गया है | वहां उसने देखा की एक हृष्ट – पुष्ट इंसान पर सात फायर किए गए और उसने सर्कस के आदमी की तरह उछल – उछल कर सारे फायर नाकाम कर दिए जैसे कि यह सर्कस का ही कोई तमाशा हो !
यह थे प्रसिद्ध रूसी जासूस बागारोफ ! जगत और बगरोफ की जान – पहचान थी | जगत प्यार से उन्हे “चचा” कहा करते | बातचीत के बाद जगत को पता चला कि बागारोफ अमेरिका में स्थित 231 क्लब का पर्दाफाश करने आया है |
यही उसका मिशन है | जाहिर है जासूस है तो मिशन पर ही होगा | ऐसे मे षडयंत्रों के जाल में जगत अपने चचा को अकेला कैसे छोड़ दे ? इसलिए वह भी फिर इस मिशन में साथ हो लेता है |
बागारोफ ,जगत को जर्मन जासूस लड़की के पीछे लगा देता है | अब आप तो जगत को जानते ही है | जहां खूबसूरत लड़की दिखाई दी | वहां वह पहले पहुंच जाता है |
क्लब जिस नाम पर स्थापित हुआ था | वह 231 कानून की एक धारा थी जिसे सन 1948 के पहले राजनैतिक बंदियों को दंडित किया जाता था | इसी कानून के नाम पर इस क्लब की स्थापना हुई थी |
यह क्लब जुल्म और नाइंसाफ़ी के विरुद्ध एक संगठन है | दूसरी ओर इसके बारे में यह भी अफवा थी की यह अमेरिकी धन से निर्मित और अमेरिकी जासूसों के दिमाग से संचालित एक देशद्रोहियों की संस्था है | वह जर्मन जासूस इसी क्लब के लोगों की विश्वासपात्र बन गई थी |
जगत को अंतरराष्ट्रीय भाषाए भी आती थी | इस जासूस की जानकारी पाने के लिए बागारोफ ने जगत की मदद से पत्रकार मार्विन के फ्लैट का ताला तोड़कर , उसकी तिजोरी में से पैसे चुरा कर , उसी को दिए और पत्रकार को यह पता भी ना चला |
बागरोफ ने अपने तरीकों से जगत को जर्मन जासूस “नोरा ” तक पहुंचाया | नोरा ने अपने बॉस “न्यूमेन” तक | न्यूमेन एक बुड्ढा खूसट इंसान था | नोरा और न्यूमेन जिस क्लब में रुके हुए थे | उसका मैनेजर भी उनका ही आदमी था |
जगत ने अपने आप को बागारोफ का दुश्मन दिखाया | इसलिए उन्होंने जगत को अपने साथ रखना चाहा | उसकी सहमति के बाद उसे अपने साथ “प्राग” ले गए |
हर न्यूमेन हिटलर के जमाने का जी 777 खुफिया एजेंट था | अब उसको A- 9 के नाम से पहचाना जाता था | बागारोफ अभी भी भेस बदल कर इन लोगों के पीछे था | वह अरबी सौदागर के भेस में प्राग पहुंचकर टैक्सी ड्राइवर का भेस ले लेता है |
यह ऐसा वक्त था जब अनगिनत यात्री प्राग में पहुंच रहे थे | ऐसे में बागारोफ के लिए यह समस्या थी कि इन सब लोगों में से दूसरे देशों के जासूसों को कैसे पहेचाना जाए ?
अमेरिकन जासूस चेक देश के नौजवानो को प्रजातंत्र का सपना दिखाकर रूसी लोगों के खिलाफ भड़का रहे थे लेकिन चेक देश की पुरानी पीढ़ी यह जानती थी कि जब वह जर्मनी के पैरों तले रौंदे जा रहे थे तब उन्होंने रूस से मदद मांगी क्योंकि वह जीना चाहते थे |
रूस ने भी उनकी मदद की | उनके स्वतंत्रता के लिए रूस ने अपने लाखों सैनिकों के प्राण गवा दिए | क्यों ? क्योंकि रूस भी चेक देश को अपना मित्र मानता था और चेक देश की पुरानी पीढ़ी भी ..
नोरा अपने अभियान के लिए चेक नागरिकता चाहती थी | इसलिए वह न्यूमेन के कहने पर हर उस व्यक्ति से संबंध बनाती थी जो उनके मिशन में काम आ सकता है लेकिन एक दिन उसके साथ ऐसा हादसा होता है कि वह न्यूमेन का साथ छोड़कर जगत के कहने पर बागारोफ का साथ देती है |
दरअसल ! अमेरिका , पश्चिम जर्मनी का मुखौटा लगाकर चेकोस्लोवाकिया को हड़पना चाहता है | बागारोफ को इस षड्यंत्र का पता चल जाता है | वह इससे जुड़ी सूचनाओं को निरंतर “मास्को” भेज रहा था लेकिन वह लोग इनकी कोई मदद नहीं कर रहे थे |
बागारोफ जानता था की सिचुएशन कितनी सीरियस है | अब अपने देश के लिए बागारोफ को ही कुछ करना था | अब नोरा , बागारोफ का साथ दे रही थी | क्यों ? क्योंकि उसे जिंदा रहने के लिए रूस मे शरण चाहिए थी जो वह बागारोफ के जरिए ले सकती थी |
उसे अपनी प्रामाणिकता साबित करने के लिए ऐसे सबूत देने होंगे जो यह साबित करें कि वह रूस देश की मित्र है | इसीलिए वह चेक देश में बुने गए षड्यंत्र के कागजात बागारोफ को दिलाने का वादा करती है | वह कागजात “बोन ” शहर के मुख्य ऑफिस में थे | नोरा इसके चप्पे – चप्पे से वाकिफ थी | वह , बागारोफ और जगत मिलकर यह कागजात हासिल करते हैं |
इस काम को अंजाम देने के बाद वह “बोन” शहर से , खतरों से खेलते हुए , सही सलामत कैसे बाहर आते हैं ? यह आप किताब में जरूर पढ़ें |
जर्मनी की बॉर्डर पार करने के बाद नोरा और जगत के रास्ते अलग-अलग हो जाते हैं क्योंकि जगत रूस जाकर नोरा के साथ बस नहीं सकता चूंकि वह घुमक्कड़ आदमी है | एक जगह टिकता ही नहीं |
नोरा , बागारोफ के साथ रूस चली जाती है | इधर जगत चलता है नई गर्लफ्रेंड की तलाश में .. आखिर जगत नोरा को A-54 के जैसा जासूस बनाने में कामयाब हो ही जाता है जैसा की कहानी की शुरुआत में बागारोफ ने उससे कहा था !!!!
तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए..
धन्यवाद !!

Check out our other blog post CHHOTI MACHHALI BADI MACHHALI

Check out our youtube channel

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *