काला अंग्रेज
वेद प्रकाश शर्मा द्वारा लिखित
रिव्यू –
कहानी तब की है जब भारत पर ब्रिटिशों का राज था | यह ब्रिटिश काल से लेकर तो स्वतंत्र भारत तक का सफर तय करती है | कहानी , कहानी के मुख्य पात्र “नजीर एलिस” के साथ ही आगे बढ़ती है |
स्वतंत्र भारत में ताकतवर ख़ुफ़िया एजेंसी है जिसके जासूस जान हथेली पर लेकर भारत की सुरक्षा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं | इसी “सिक्रेट सर्विस” के जासूस है “विजय – विकास” | जो लोग इन पात्रों को जानते हैं और इनके दर्शन प्रस्तुत किताब में करना चाहते हैं .. उनको नाराजगी होगी .. क्योंकि उनकी एंट्री किताब के आखिर में होती है |
हमने भी उनके ही करनामें पढ़ने के लिए यह किताब पढ़ी | स्पेशली विजय की.. फिर भी कोई बात नहीं .. “फिरंगी” किताब में आप इनके जलवो से रूबरू हो जाओगे |
प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – वेद प्रकाश शर्मा
प्रकाशक है – तुलसी पेपर बुक्स
पृष्ठ संख्या है – 808
उपलब्ध है – अमेजॉन पर
लेखक ने प्रस्तुत कहानी के बारे में अपने विचार बताएं है कि उन्होंने यह कहानी न तो इतनी लंबी लिखनी चाही थी | नाही तो , इसके पार्ट बनाना चाहे थे लेकिन कहानी अपने आप ही इतनी लंबी होती गई |
यहाँ तेज रफ्तार से घटने वाली घटनाएं आप पढ़ पाओगे | बहुत बार ऐसा होता है की कहानी अगर लंबी हो तो उसकी घटनाएं धीरे-धीरे आगे बढ़ती है लेकिन लेखक ने ऐसा नहीं किया | इसका अनुभव आपको किताब पढ़ते समय आएगा |
कहानी ब्रिटिश काल की है जब हम अंग्रेजों के गुलाम थे और भगत सिंह , अशफाक उल्ला खान , सुभाष चंद्र बोस और चंद्रशेखर आझाद जैसे आजादी के सुरमा अपने जान को हथेली पर लेकर ब्रिटिश हुकूमत से लोहा ले रहे थे |
ब्रिटिशो ने भारत के लोगों पर बहुत जुल्म किए | नजीर एलिस ने भी ऐसा ही किया | उसने सारे क्रांतिकारियों को खत्म कर दिया | नजीर एलिस का पात्र “काला अंग्रेज” के नाम को सार्थक करता है |
भारत के सपूत “विजय, विकास ,विभा जिंदल , अल्फानसे ,सिंगही ,जैक्सन ,केशव पंडित जैसे लोग भी कहानी में नजर आएंगे | लेखक के अनुसार कहानी इतनी लंबी हुई कि यह लोग किताब के अंतिम पृष्ठों में ही नजर आए |
लेखक ने यह बात इसलिए बताई कि जिन लोगों को “विजय -विकास , अल्फानसे” जैसे किरदार पसंद है | वह उनसे जल्दी मिलने की आस ना करें !
प्रस्तुत कहानी में काले अंग्रेज का टकराव इन किरदारों से होता है | उसको मिली कुदरती शक्ति के बलबूते पर वह इन सब पर भारी पड़ता दिखाई देगा | पर काले अंग्रेज के यह सब करनामें आपको फिरंगी इस किताब में पढ़ने को मिलेंगे | चलिए तो फिलहाल काले अंग्रेज की कहानी को संक्षेप में देखते हैं “सारांश” में ..
सारांश –
सिकंदर खान आजादी का दीवाना है | वह एक क्रांतिकारी है | उसके और पांच साथी है | आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए इन्हें रुपए पैसों की जरूरत पड़ती है | इसलिए यह अमीरों को लूटते हैं | उन अमीरों को जो भारतीय होते हुए भी अंग्रेजों की तरफदारी करते हैं |
ऐसे ही एक अमीर है “सेठ दुलीचंद” | उनके पास एक पुश्तैनी मोर है जिसके ऊपर बहुत ही महंगे अलग-अलग मानिक , हीरे – पन्ने लगे हैं | इसीलिए इसकी कीमत बहुत ही ज्यादा है | यही मोर आजादी के दीवाने सिकंदर को चाहिए लेकिन दुलीचंद यह मोर सिकंदर को देने के बजाय बैंक आफ लाहौर में रखने के लिए लेकर आता है क्योंकि सिकंदर ने सेठ को तीन दिन का वक्त दिया था |
मोर उसने नहीं दिया तो सिकंदर , सेठ को जान से मार देगा | इसीलिए सेठ दुलीचंद इतना डर रहा था कि मोर के साथ दो गनधारी बॉडीगार्ड भी लेकर आया था |
बैंक के मैनेजर “गुल हसन” ने उस मोर को बैंक के बहुत ही सुरक्षा वाले लॉकर में रखा फिर भी दूसरे दिन मोर गायब हुआ और लंदन में सेठ दुलीचंद का कत्ल भी .. |
सेठ ने मोर को आजादी की लड़ाई को देने के बदले ब्रिटिश साम्राज्य को देना ठीक समझा | सिकंदर जो वादा करता था | उसे पूरा करता था | इसी वजह से “सिवाया” की जनता उसे चमत्कारी व्यक्ति के रूप में जानती थी |
“सिवाया” की जनता का सिकंदर और उसके साथियों को पूरा सपोर्ट था| इसी “सिवाया” की राजकुमारी थी “नाजुक” | नाजुक के पिता का नाम “अब्दुल गनी” था | नाजुक की शादी “जेम्स एलिस” नाम के अंग्रेज के साथ हुई थी |
अब अंग्रेज ने एक भारतीय लड़की के साथ शादी क्यों की ? इसके पीछे अंग्रेजों की अपनी राजनीति थी | बहुत सारी हिस्ट्री की किताबों से आपको पता चल जाएगा | “नाजुक”, “सिकंदर” की बहुत बड़ी प्रशंसक थी |
एक भारतीय होने के नाते वह भी अपने देश की आजादी चाहती थी लेकिन वह और उसका पिता “अब्दुल गनी” अपनी भावनाएं खुलकर नहीं बता सकते थे | नहीं तो ! एलिस उनकी बहुत बुरी हालत करता |
ऐसे में एलिस के हाथ सिकंदर की फौज के दो क्रांतिकारी लग जाते हैं | सिकंदर का पता जानने के लिए वह उनको बहुत ही बुरी तरह टॉर्चर करता है | इसके लिए वह उनमें से एक की बहन “कुंती” का इस्तेमाल भी करता है | अंतत तीनों की हत्या कर सिकंदर की बताई जगह पर उनको पहुंचाता है |
इसका बदला लेने के लिए “सिकंदर”, “जेम्स एलिस” की पत्नी “नाजुक” को अगवा करने की धमकी देता है | वह उसके साथ भी वही सलूक करना चाहता है जो एलिस ने कुंती के साथ किया था | एलिस ऐसा नहीं होने दे सकता | नहीं तो ! उसका प्रशासन लोगों के सामने कमजोर साबित होगा |
इसीलिए वह अब्दुल गनी के महल को पूरे सुरक्षा इंतजाम कर के एक सुरक्षित किले में तब्दील कर देता है | वह यह भूल जाता है कि सिकंदर के क्रांतिकारी जगह-जगह फैले हुए हैं | यहाँ तक की उसके अपने महल के सुरक्षा कर्मियों में भी ..
इसी में से एक है “अमरिंदर सिंह” वह सिकंदर के बारे में नाजुक के विचारों को जान जाता है | वह नाजुक से उसी के अपहरण के लिए मदद मांगता है | नाजुक भी अपने आइडियल सिकंदर से मिलना चाहती है | उसे देखना चाहती है क्योंकि आज तक कभी किसी ने भी सिकंदर को देखा नहीं होता है |
आखिर नाजुक “अमरिंदर सिंह” और बैंक मैनेजर “गुल हसन” की मदद से किडनैप हो जाती है | इधर जब से बैंक लॉकर से मोर गायब होता है तब से जेम्स एलिस को गुलहसन पर शक रहता है | तभी से इंस्पेक्टर सिद्दीकी और उसका असिस्टेंट उसकी निगरानी करते हैं |
तभी उनको पता चलता है कि बैंक लॉकर से मोर खुद सिकंदर ने नहीं बल्कि गुलहसन ने चुराया था | इसी से वह गुल हसन को सिकंदर का साथी समझने लगे थे | सिकंदर उसके जरिए जेम्स एलिस के लिए ऐसा जाल बिछाते हैं कि आपका दिमाग सन्न रह जाएगा |
अब गुलहसन तो उसका साथी रहता नहीं फिर क्यों वह उसका साथ देता है ? यह तो आप को ही जानना होगा | नाजुक के अगवा होने के बाद अमरिंदर सिंह भी पकड़ा जाता है | सिकंदर के साथियों के बारे में यह प्रसिद्ध रहता है कि उन्हें कितना भी टॉर्चर कर लिया जाए | वह कभी टूटते नहीं | चाहे वह मर ही क्यों न जाए !
इसलिए टॉर्चर गुरु बलबीरा ऐसी चाल चलता है कि अमरिंदर सिंह खुद ही उनके हेड क्वार्टर का पता जेम्स एलिस को बता दे ! सिकंदर के साथियों की खास बात यह भी रहती है कि वह सिकंदर की आज्ञा का अक्षरशः पालन करते हैं फिर वह खुद को गोली मारना ही क्यों ना हो !
इसी का फायदा बलबीरा अपने साजिश में लेता है | नाजुक के अपहरण के बाद उसके विचारों का पता सिकंदर और उसकी टीम को लगता है | इसीलिए फिर वह उसे एलिस की पत्नी होते हुए भी कुंती के जैसे टॉर्चर नहीं करते | वह भी उनका साथ देती है | जब जेम्स एलिस बहुत सारे सैनिक और स्टीमर लेकर उनके हेड क्वार्टर पर हमला करता है तो वह लोग नाजुक की मदद से भागने में कामयाब हो जाते हैं |
इस घटना के 9 महीने बाद नाजुक , जेम्स एलिस के बेटे को जन्म देती है | एलिस उसे अपना बेटा मानने से मना कर देता है | वह उसे सिकंदर का बेटा मानता है | इससे नाजुक के चरित्र पर उंगली उठती है | नाजुक एक पतिव्रता भारतीय नारी है | वह यह इल्जाम सहन नहीं सकती |
वह सिकंदर को इसका स्पष्टीकरण देने को कहती है लेकिन सिकंदर ऐसा नहीं करता क्योंकि वह जेम्स एलिस जैसे अंग्रेज को ताउम्र तड़पते हुए देखना चाहता है | इस वजह से नाजुक सिकंदर से नफरत करने लगती है |
उधर जेम्स एलिस , नाजुक को बेवफा मान कर उससे नफरत करने लगता है | वह नाजुक के बेटे नजर अली से भी नफरत करता है | अब आप ही पढ़कर यह जानिए की उसे “काला अंग्रेज” क्यों कहा जाता है ? यह सस्पेंस हम ऐसा ही रहने देते हैं |
जेम्स , नजर को कही जान से ना मार दे ! इस डर से नाजुक उसे 14 सालों के लिए कोलकाता के एक मदरसे में रखती है | जहां उसे हर तरह की तालीम दी जाती है | यहां तक के युद्ध कौशल की भी .. नजर एलिस की आंखों में जादुई शक्ति है | जो भी उसकी आंखों में देखता है | उसकी आधी ताकत नजर के शरीर में चली जाती है जैसे रामायण के “बाली” की आंखों में देखने से होता था |
नजीर जिसे चाहे उसे हिप्नोटाइज कर के उसके पूरे वजूद पर कब्जा कर लेता है | फिर वह इंसान वही करता है जो नजर एलिस चाहता है | वह राजमहल मे वापस आता है | उसी दिन सिकंदर और उसके साथी ,नजर एलिस के नाना अ”ब्दुल गनी” का कत्ल कर देते हैं |
नाजुक को भी कत्ल करने की धमकी देते हैं | अब तक तो आपको पता ही चल गया होगा कि सिकंदर भी जो धमकी देता है | उसे पूरी करता है | बहेरहाल , इस बार नाजुक की सुरक्षा का जिम्मा नजीर एलिस लेता है | सिकंदर और उसके साथी नाजुक और नजीर एलिस को अपने साथ लेकर जाते हैं |
अब वह महल के इतने कड़क सुरक्षा बंदोबस्त के बावजूद भी महल में कैसे पहुंचते हैं ? वह कहां से और कितनी सुरंगे बनाते हैं ? यह तो आप किताब पढ़ कर ही जानिएगा जब की महल में सारे अंग्रेज तैनात है | वहां से तो उनको कोई भी मदद मिलने से रही |
किताब पढ़कर ही पता कर लीजिएगा | नजीर एलिस के आगे नाजुक को मार दिया जाता है | इस वाक्या से नजीर एलिस के मन में इंकलाबियों के लिए जहर भर जाता है | वह इन सबको खत्म करने की कसम खाता है | गुफा के बाहर जब सिकंदर और उसके साथी जेम्स एलिस से मिलते हैं तब पता चलता है कि वह फेस मास्क लगाए नकली सिकंदर और उसके साथी थे |
असल में वह छह लोग अंग्रेज थे और यह सारा प्लान जेम्स एलिस का था | अब यह बात नजर एलिस को कौन बताए ? वह तो सिकंदर के खिलाफ नफरत भरा बैठा है | “सिवाया” की जनता भी सिकंदर से नाराज है क्योंकि वह अपनी प्यारी राजकुमारी नाजुक को बेहद प्यार करती थी |
इंकलाबियों की असल ताकत जनता ही है | इसीलिए जनता को फिर से अपनी तरफ करने के लिए क्या किया जाना चाहिए ? इसके लिए पूरे संगठन के लोगों की हेड क्वार्टर में मीटिंग बुलाई जाती है | इसी गुप्त जगह पर सिकंदर के संगठन के व्यक्ति खुद को नजर एलिस बताकर , सिकंदर के सारे साथियों को एक-एक करके मार देते हैं |
इस हेडक्वार्टर में नजीर एलिस और जेम्स एलिस भी पहुंचते हैं | निखार के हाथों “जेम्स एलिस” मारा जाता है | “सिकंदर” उसके संगठन के लोगों के हाथों ही मारा जाता है | बाकी सारे संगठन के लोग नजर एलिस के हाथों मारे जाते हैं |
वह पूरे हेड क्वार्टर को तबाह कर देता है | इस तरह नजीर एलिस वह अंग्रेज बन जाता है जिसने अपने राज्य से पूरे क्रांतिकारियों का सफाया कर दिया | इसके कुछ ही साल बाद आजादी मिल जाती है | भारत दो अलग मुल्कों में बँट जाता है |
नजीर एलिस का “सिवाया” पाकिस्तान में चला जाता है | वह अपने सिवाया में ही रहना चाहता है लेकिन अंग्रेज होने के नाते लोग उसे ब्रिटेन वापस भेजना चाहते हैं | इसके बाद कहानी 26 साल आगे बढ़ जाती है | नजर एलिस नाम बदलकर अभी “शहजाद पठान” बन गया है | वह पाकिस्तान आर्मी का जनरल है |
उसने सत्ता हथिया ली है | पूरे पाकिस्तान पर अब उसी की हुकूमत है | वह फिर से भारत और पाकिस्तान को एक करना चाहता है | वह पूरे भारत पर हुकूमत करना चाहता है ताकि लोग उसकी मां को एक पतिव्रता नारी स्वीकार करें | तभी उसकी मां की आत्मा को शांति मिलेगी |
इसके लिए वह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री से मिलता है | मिलकर वह क्या करना चाहता है ? इसकी भनक “सीक्रेट सर्विस” के जासूस “विजय – विकास” को लगती है | इसी के साथ उनकी एंट्री इस कहानी में होती है | उनकी मुलाकात किताब के एकदम अंत में होती है | अब इसके बाद की कहानी “फिरंगी” इस उपन्यास में दी है | पढ़कर जरूर जानिए कि आगे की कहानी क्या है ? तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ..
धन्यवाद !