चानक्या’ज् च्यान्ट
आश्विन सांघी द्वारा लिखित
रिव्यु –
चाणक्य इस नाम को कौन नहीं जानता ? एक राजवंश को मिटाकर ,एक साधारण व्यक्ति को राजा बनाकर ,एक नए प्रबल राजवंश की स्थापना करनेवाले वह एक किंग मैकर थे | वह अर्थशास्त्र मे इतने होशियार थे की उनकी लिखी किताबे आज भी पढ़ी जाती है | पैसों के प्रबंधन पर जितनी भी किताबे आज तक लिखी गई है उनका ओरिजिन चाणक्य की किताबे ही है | वह राजनीति , कूटनीति इनमे मे भी पारंगत थे | उनके जैसी बुद्धि पाना असंभव ही है फिर भी उनके जैसी थोड़ी भी अक्ल अगर किसी को हो तो वह व्यक्ति अपने परिस्थितियों पर मात कर सफलता हासिल कर सकता है |
कोई भी चीज हासिल करने के लिए शास्त्रों मे मंत्र बताए गए है | इसी को आधार बनाकर लेखक ने इस किताब का विषय तैयार किया है | किताब के अनुसार चाणक्य के जैसी बुद्धी हसिल करने के लिए मंत्रों का जाप बताया गया है | किताब मे आधुनिक युग के चाणक्य और चन्द्रगुप्त की कहानी है |
आइए , थोड़ा लेखक के बारे मे जान लेते है |आश्विन सांघी पेशे से बिज़नसमेन है | इतिहास ,धर्म , राजनीती और पौराणिक कथाओ पर लिखना उनका शौक है | वह क्रिएटिव राइटिंग में शोध कार्य कर रहे है | उन्होंने सबसे पहला उपन्यास रोजबेल लाइन उनके छंदम नाम “शॉन डेगिंस” के नाम से लिखा | उनका प्रस्तुत उपन्यास भी वर्ल्डवाइड सेलिंग के लिस्ट में शामिल है | अश्विन सांघी की खासियत है की वह दो युगों को साथ में लेकर चलते है | जैसे एक पुरातन युग तो दूसरा आधुनिक युग |
इससे शायद पढ़नेवालो को अफ़सोस ना हो की वह कितने दिनों से गत युग की कहानी पढ़ रहे है या फिर कितने दिनों से सिर्फ आधुनिक युग की स्टोरी पढ़ रहे है | इनका उपन्यास पढ़ते समय ऐसा कोई गिला शिकवा नहीं रहता | दोनों युगों की कहानियां अपनी समानांतर रूप से चलती रहती है | ऐसे ही उनका उपन्यास है “चानक्याज मंत्र” | इसमें बताया गया है की एक देवी का मंत्र है जिसे ४००० दिनों तक ४०० बार जपने से जपनेवाले को चाणक्य की बुद्धि प्राप्त होगी | हालाकि ,यह असल में काम नहीं करता है क्योंकि यह बुक लेखक के कल्पना पर आधारित है |
वैसे वह मुख्यतः अंग्रेजी में लेखन करते है | उनके उपन्यास का हिंदी रूपांतरण श्रीमान नवेद अकबर करते है | इस उपन्यास से जुडा एक मंत्र है जो बार – बार उपन्यास में सामने आता है | उस मंत्र को संगीत दिया है प्रतिभावान संगीतकार अमीय नायक इन्होने | यह संगीत प्राचीन काल की याद दिलाता है और बाद में यही संगीत रॉक फ्यूज़न में बदल जाता है | यह गाना MP3 dowmload में उपलब्ध है | इसे सुनने के लिए आप www.chanakyaschant.com पे जा सकते है | वहाँ से इसे डाउनलोड कर सकते है | इसी लिंक पर आप इसका यू ट्यूब विडियो या ट्रेलर भी देख सकते है | इस उपन्यास के प्रकाशक है वेस्टलैंड लिमिटेड , चेन्नई | अंग्रेजी में इसका २०१० का संस्करण है तो हिंदी में यह २०१२ में प्रकाशित हुआ है |
आश्विन सांघी की लेखन शैली बहुत ही जबरदस्त है | पग – पग पर इसकी प्रचिती आती है की उन्होंने कितना सोच समझकर लिखा है | उनके सारे ही उपन्यास ३०० पेज के ऊपर होते है | कहानी इतनी रोचक होती है की लगता है जैसे अपने सारे काम निबटाकर फटाफट उपन्यास पढ़ने लग जाये | उनके उपन्यास पाठकों को एक अलग ही दुनिया में लेकर जाते है | हमें लगता है की कहानी का पात्र कितना चतुर है पर वास्तव में यह लेखक का चातुर्य होता है | इस किताब की लेखन सामग्री जुटाने के लिए उन्होंने जिन किताबो का , वेबसाइट्स का उपयोग किया है | उसकी जानकारी उन्होंने उपन्यास के अंत मे दी है | हमे उनके उपन्यास बहुत पसंद है | चलिए तो जानते है प्रस्तुत उपन्यास का सारांश………….
सारांश –
इस उपन्यास में दो चाणक्यो की कहानी है | एक है असली चनकपुत्र चाणक्य जिन्होंने प्रचुर मात्रा में राजनीती , षड़यंत्र , कूटनीति कर के चन्द्रगुप्त मौर्य को सिहासन पर बिठाया क्योंकि उनका उद्देश्य सम्पूर्ण बिखरे हुए भारत को एक करना था | जो की एक अच्छा उद्देश्य था |
नए ज़माने का चाणक्य है गंगासागर , चाणक्य इसलिए क्योंकि उसकी बुद्धि भी चाणक्य के जैसी ही काम करती है | वह अपनी राजनीति , षड्यंत्रों से चांदनी नाम की एक स्लम एरिया में रहनेवाली गरीब लड़की को पूरी तरह तैयार करके प्रधानमंत्री के पद पर बिठाता है |
चाणक्य भारत के इतिहास में एक ऐसी शख्सियत रहे है जिनके कूटनीति और राजनीति का लोहा सिकंदर भी मानता था | जिनकी अर्थशास्त्र पर लिखी किताबे आज भी प्रसिद्ध है | चाणक्य का असली नाम विष्णुगुप्त था | उनके पिता का नाम चनक था इसलिए फिर उन्हें चाणक्य कहा जाने लगा | कहा जाता है की सबसे पहले विषकन्याओं का निर्माण भी चाणक्य ने ही किया था |
उनके गुप्तचर सम्पूर्ण भारत मे फैले हुए थे | धनानन्द एक आततायी राजा था | उसने चाणक्य के पिता की हत्या करवाकर उनका मस्तक पेड़ पर टांग दिया था और चनक के मित्र को यातना कक्ष में भेज दिया था | चाणक्य के बचपन की प्रियसी को धनानन्द के अमात्य ने अपने पास रख लिया था | बाद में धनानंद उसे अमात्य से छिनकर अपने पास रख लेता है | चाणक्य के भी प्राण खतरे में रहते है इसीलिए वह भागकर पाटलिपुत्र आ जाता है जहाँ चनक का और एक मित्र चाणक्य की मदद करता है |
चन्द्रगुप्त की तल्लख बुद्धि देखकर चाणक्य उसे भावी सम्राट बनाने का विचार करते है और फिर चन्द्रगुप्त को एक कुशल राजा में परिवर्तित करने का काम शुरू होता है | यहाँ पग – पग पर राजनीती और कूटनीति का सहारा लेते हुए चाणक्य , पोरस को मरवा देते है क्योंकि मगध के सिहासन का लालच देकर चाणक्य उसे अपने साथ मिला लेते है | बाद में एक – एक कर के वह सिंहासन के सारे दावेदारों को अपने रस्ते से हटाते जाते है |
वह यह काम एक अच्छे उद्देश्य के लिए करते है | आधुनिक कहानी में गंगासागर है जिसकी बुद्धि चाणक्य के जैसी चलती है | जो एक गरीब लड़की को पंतप्रधान पद पर आसीन करने के लिए न जाने कितनी राजनीती करता है , कूटनीति अपनाता है पर उनका चाणक्य के जैसा कौनसा अच्छा उद्देश्य रहता है यह तो कहानी में समझ में नहीं आया | बाकि आश्विन सांघी की लेखन कला दमदार है | कुछ – कुछ शब्द बहुत ही बोल्ड है | उन्होंने कहानी को बहुत ही अच्छे से गढा है | जिन्हें राजनीती पसंद है या फिर ऐसे विषय पसंद है उनके लिए यह एक अच्छी बुक है | उनके उपन्यास को पढने के लिए आप को थोडा ज्यादा समय देना होगा | हमें यह किताब अच्छी लगी | आप भी यह किताब पढियेगा जरूर …….तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहिए | मिलते है और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए …
धन्यवाद !
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