जासूसी कथा सीरिज की तीसरी किताब है – डिकोड
राजीव रंजन सिन्हा द्वारा लिखित
रिव्यु –
इस किताब की कहानी के सूत्रधार सिद्धि विनायक नाम के पात्र है | वही अपने कार्यकाल के दौरान घटी एक स्पेशल केस की कहानी को वर्णन कर रहे है | चूँकि वह एक I.B. ऑफिसर है | उनकी कहानी भी देश की सुरक्षा के साथ जुडी हुई है | किताब एक बार पढ़ने लायक है | ना बहुत अच्छी ना बहुत बुरी |
लेखक ने ब हुत अच्छा प्रयास किया है लेकिन “डिकोड” नाम के हिसाब से यह बहुत बचकानी किताब लगती है | आज तक जितनी किताबे और फिल्मे देखि है उस हिसाब से हमें लगता था की डिकोड का मतलब होता है ऐसी पहेली जिसे सुलझाने के लिए दिमाग हिल जाये | लेकिन इस किताब में ऐसा कुछ नहीं है | कहानी में पहेली अगर आप देखोगे तो आप को वह बहुत आसान लगेगी |
हमें ऐसा लगता है की लेखक को आश्विन सांघी की किताबे और महाभारत का रहस्य यह किताबे एक बार जरूर पढनी चाहिए ताकि वह इससे बेहतर लिख सके |इस किताब के लेखक है –
लेखक – राजीव रंजन सिन्हा
उपलब्ध – अमेज़न पर हिंदी में
आइये इस किताब की कहानी का सारांश आप को बताये देते है –
सिद्धि विनायक के अंतर्गत संजय नाम का काबिल ऑफिसर है | वह इस स्पेशल मिशन में गृहमंत्री के कहने पर शामिल होता है | एक रात उसे एक लड़की मिलती है जो डॉक्टर है और ख़राब स्कूटी को किक मार कर स्टार्ट करने की कोशिश कर रही है | उसका नाम संजना है बाद में वही इस की नायिका का रोल निभाती है | कुछ लोग संजना को गुनाहगार साबित करते है | इस वजह से वह जेल जाती है तो संजय का क्रिमिनल लॉयर दोस्त राज खोसला उसे बाईज्जत बरी करवाकर अपने घर ले आता है | उसे अपनी बहण का दर्जा देता है | संजय को अपनी इन्वेस्टीगेशन में पता चलता है की संजना को जानबूझकर इस केस में फसाया गया है | लेकिन क्यों ? संजना का उन लोगो से क्या रिश्ता है ? वह संजना को क्यों मारना चाहते है ? इसी बीच संजय को एक कोड मिलता है जिसका देश की सुरक्षा के साथ बहुत ही बड़ा लेना देना है | लेकिन क्या और कैसे ? इन सारे सवालो के जवाब संजय अपनी टीम के साथ मिलकर ढूंढता है |
किताब एक बार पढ़िए जरूर…….
लेखक और किताब आप को निराश नहीं करेंगे |
धन्यवाद !
Wish you happy reading………