THE MOONLIGHT MURDER BOOK REVIEW HINDI

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5 जासूसी कहानियो वाली किताबे

उसमे से पहली है – द मूनलाइट मर्डर

रिव्यु और सारांश

     एकसाथ दे रहे है – यह अल्फा डिटेक्टिव सीरिज की पांचवी किताब है | जाहिर है अल्फा इसमें डिटेक्टिव है | इस किताब की कहानी में असली गुनाहगार का पता लगाने के लिए दत्ता जिसे की इस केस में पुलिस ने गिरफ्तार किया है | उसका भतीजा संजय अल्फा को बुलाता है | संजय कुछ साल पहले अल्फा का ही क्लासमेट था | अल्फा खुद को शरलोक होम्स नहीं बल्कि उसका शागिर्द मानता है | इसीलिए शायद उसकी सारी आदते शरलोक होम्स के जैसे ही है | जैसे की सामनेवाले को नजरंदाज कर के आंखे फाडे सोचते रहना , अपने आप में ही गुंग रहना , कई दिनों तक गायब रहना , तब तक ना खाना , ना सोना सिर्फ जागना और सोचना |

हमने अब तक तीन तरह की जासूसी कहनिया पढ़ी उसमे व्योमकेश बक्षी की कहानिया अजित लिखता है साथ में वह उनका साथीदार भी है | शरलोक होम्स की वाट्सन और अल्फा की उसका दोस्त प्रभाव या प्रभु लिखता है |

पर जो भी हो हमें यह कहानी और लेखक का अंदाज जो की थोडा मजाकिया भी है | हमें बहुत पसंद आया | इतने सीरियस केस जहाँ कुछ बुरा हुआ हो वहां भी आप की हंसी निकल जाये यह सचमुच काबिले तारीफ है | एक अव्वल दर्जे के जासूस के जैसे अल्फा यह केस सुलझा लेता है |

लेखक – सौरभ वागले

प्रकाशन –

पृष्ठ संख्या – १०७

उपलब्ध ( मराठी में )- अमेज़न और किनडल

किताब के पीछे लेखक का फोटो है | लगता है की शायद उन्होंने बहुत कम उम्र में ही लिखना शुरू किया है | वे अच्छा लिखते है | उनकी आनेवाली किताबो के लिए बहुत – बहुत शुभकामनाये…….

सारांश – चमकदार चाँद की रात में गाँव से वाडी की तरफ जानेवाले सुनसान रास्ते पर दो व्यक्ति चल रहे है | एक आगे है और एक पीछे……

पिछेवाला बहुत पीकर अपने होश में नहीं है आगेवाला पीकर भी होश में है | आगेवाला आदमी पहेलवान जैसा दिखता है और पीछेवाले आदमी के साथ उसका हमेशा का झगडा है फिर भी दोनों उस रात सुनसान रास्ते पर रात के 12:30 बजे चले जा रहे है | इतने में आगेवाले को जिसका नाम दत्ता है पीछे कुछ धप्प से गिरने की आवाज आती है | वह पलटकर देखता है तो पीछेवाला आदमी जिसका नाम विक्रम सपकाल है | धरती पर मरा पड़ा है | उसका सर पत्थर मारने की वजह से फुटा पड़ा है | जहाँ यह घटना हुई वहां दोनों तरफ खाली खेती की जमीन है | 

        पास ही एक 80 फूट की दूरी पर गन्ने का खेत है | अगर किसी ने पीछे से आकर विक्रम सपकाल का सर फोड़ा है तो वह भागते वक्त दत्ता को जरूर दीखता क्योंकी धप्प की आवाज आते ही दत्ता अगले दो सेकंड में ही पीछे पलटा था | लेकिन वहां उन दोनों के आलावा और कोई नहीं है तो क्या दत्ता ने ही विक्रम को मारा है ? सब लोग तो ऐसा ही समझते है | पुलिस ने दत्ता को गिरफ्तार भी किया है | दत्ता का कहना है की वह बेगुनाह है | तो क्या दत्ता सच कह रहा है या झूठ ? इसी का पता अल्फा केस की बारीकीया निकालकर लगा लेता है | कहानी बहुत रोचक है और उसकी तहेकीकात भी………..

किताब जरूर – जरूर पढ़िए | ऐसे से नए लेखको को हौसला मिलता है |

धन्यवाद !

wish you happy reading…….

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