चित्रलेखा
भगवतीचरण वर्मा द्वारा लिखित
रिव्यू –
“चित्रलेखा” भगवतीचरण वर्मा द्वारा लिखित हिंदी साहित्य का एक प्रसिद्ध और कालजयी उपन्यास है | उपन्यास की कहानी मौर्य कालीन Read more पृष्ठभूमि पर आधारित है | यह पहली बार 1934 में प्रकाशित हुआ था |
यह अपनी दार्शनिक गहराई और मनमोहक कथा के लिए प्रसिद्ध है | उपन्यास का मुख्य विषय है – पाप क्या है? इस प्रश्न का उत्तर खोजने के लिए गुरु रत्नाकर अपने दो शिष्यों, श्वेतांक और विशालदेव को एक वर्ष के लिए सन्यासियों की दुनिया से बाहर सांसारिक दुनिया में भेजते हैं |
एक शिष्य को सामंत बीजगुप्त के साथ रहने के लिए भेजा जाता है | बीजगुप्त , गुरु रत्नाकर के भूतपूर्व शिष्यों मे से एक है | वह सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य की सेना के युवा सेनापति है | यह अपनी विलासितापूर्ण जीवनशैली के लिए जाने जाते है | यह सामंत है | इसलिए धनी है |
यह इस उपन्यास की नायिका “चित्रलेखा” से गहरा प्रेम करते है | उससे विवाह रचाना चाहते है पर समाज एक नर्तकी को उनकी पत्नी के रूप मे स्वीकार नहीं करेगा |
दूसरे शिष्य को योगी कुमारस्वामी के पास भेजा जाता है | इन्होंने आध्यात्मिक मार्ग की तलाश में सांसारिक इच्छाओं का त्याग कर दिया है |
इन दोनों की जीवन शैलियां एक दूसरे के विपरीत है | इन्ही के जीवन के अनुभवों और अवलोकनों के माध्यम से उपन्यास पाप और पुण्य की जटिलताओं की जांच – पड़ताल करता है |
आखिर वह इस निष्कर्ष पर पहुंचता है की , मनुष्य के कर्म अक्सर परिस्थितियों से प्रेरित होते हैं | ना की उसके मन मे बसे अच्छाई या बुराई से | पाप और पुण्य मनुष्य के दृष्टिकोण और उन परिस्थितियों पर निर्भर होते है जिनमें वह खुद को पाता है | उपन्यास पारंपरिक धारणाओं को चुनौती देता है |
चित्रलेखा वह एक ऐसी महिला है जो अपने नियमों पर जीवन जीती है | अपने निर्णय खुद लेती है | वह अपने समय के सामाजिक मानदंडों को चुनौती देती है |
श्वेतांक और विशालदेव गुरु रत्नाकर के वे दो शिष्य है जो पाप की परिभाषा को जानने निकलते है | इसी प्रश्न के उत्तर की खोज प्रस्तुत उपन्यास की कहानी को फ्रेम करती है | वे बीजगुप्त और कुमारगिरि के जीवन को देखते हैं | वे लगातार अपनी नैतिकता की समझ पर सवाल उठाते है और उसका पुनर्मूल्यांकन करते जाते है |
वे बीजगुप्त और कुमारस्वामी के जीवन शैलियों को देखकर सवाल उठाते हैं कि कौन सा जीवन वास्तव मे सुख की ओर लेकर जाता है ?
“चित्रलेखा” को एक दर्शन-आधारित उपन्यास माना जाता है | यह पाठकों को अपने स्वयं के मूल्यों और धारणाओं के बारे में सोचने के लिए प्रेरित करता है |
लेखक साधी – सरल लेकिन गहेरी कहानी कहने की शैली का उपयोग करते है | उपन्यास अपनी संवेदनशील और प्रभावशाली भाषा के लिए प्रशंसनिय है | उपन्यास अपने प्रारंभिक काल मे आलोचना का पात्र रहा जिसमें खुद लेखक भी शामिल थे |
उन्होंने इसे “शब्दों का खेल” माना | हालांकि , “चित्रलेखा” ने अपार लोकप्रियता हासिल की और भगवतीचरण वर्मा को एक महत्वपूर्ण लेखक के रूप में स्थापित किया | फिर भी उन्होंने इसे अपना सर्वश्रेष्ठ कार्य नहीं माना था | इस पर बहुत बार फिल्मे भी बनाई गई | आईए , अब लेखक के बारे मे थोड़ा जान लेते है –
भगवतीचरण वर्मा हिंदी साहित्य के एक प्रमुख और सम्मानित साहित्यकार रहे हैं | वह विशेष रूप से अपने उपन्यासों के लिए ही प्रसिद्ध है | वह प्रेमचंदजी के युग के बाद के महत्वपूर्ण रचनाकारों में से एक माने जाते है | उनका जन्म 30 अगस्त, 1903 को उत्तर प्रदेश में हुआ |
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में की | उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.ए. और एल.एल.बी. की डिग्री प्राप्त की | उन्होंने वकालत करने की कोशिश की लेकिन उन्हे लेखक बनना ज्यादा अच्छा लगा |
उन्होंने पत्रकार के रूप मे ‘विचार’ नामक साप्ताहिक पत्रिका का संपादन किया , कलकत्ता में फिल्म कॉर्पोरेशन में काम किया, बम्बई में फिल्म कथा लेखन से जुड़े रहे और दैनिक ‘नवजीवन’ का संपादन भी किया | इसके साथ – साथ आकाशवाणी के विभिन्न केंद्रों में भी कार्य किया | 1957 से उन्होंने स्वतंत्र लेखन की शुरुवात की |
उनकी प्रमुख रचनाओ मे शामिल है –
उपन्यास-
चित्रलेखा , भूले-बिसरे चित्र , टेढ़े-मेढ़े रास्ते , पतन , तीन वर्ष (1936) , अपने खिलौने (1957),
वह फिर नहीं आई (1960)
सामर्थ्य और सीमा (1962)
सबहिं नचावत राम गोसाईं (1970)
प्रश्न और मरीचिका (1973)
धुप्पल
चाणक्य |
=) कहानी-संग्रह मे शामिल है – दो बांके (1936)
मोर्चाबंदी
इंस्टालमेंट
मुगलों ने सल्तनत बख्श दी |
=) कविता-संग्रह मे शामिल है – मधुकण (1932)
प्रेम-संगीत
मानव
=) नाटक मे शामिल है – वसीहत |
रुपया तुम्हें खा गया |
सबसे बड़ा आदमी |
अपने लेखन मे वह यथार्थवादी चित्रण करते है | वे न तो उपदेशक बनकर आते हैं और न ही आदर्शवादी नेताओं की तरह समस्याओं का आदर्शवादी समाधान सुझाते हैं |
उनके पात्रों का चित्रण गहरा और प्रभावी होता है, जो पाठकों के मन में उतर जाता है | वे पात्रों के अंतर्मन का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण भी करते हैं |
उन्हे साहित्य अकादमी पुरस्कार (1961) मे मिला | उनके उपन्यास ‘भूले-बिसरे चित्र’ के लिए |
पद्मभूषण सम्मान मिला जो भारत के सर्वोच्च सम्मानों में से एक है |
वे राज्यसभा के मानद सदस्य रहे है |
उन्हे साहित्यिक वाचस्पति की उपाधि (1969) मे मिली |
हिंदी साहित्य में उनका योगदान अमूल्य है | उनकी रचनाएं आज भी पाठकों को प्रभावित करती है , प्रेरित करती हैं | प्रस्तुत किताब के –
लेखक है – भगवतीचरण वर्मा
प्रकाशक है – राजकमल प्रकाशन
पृष्ठ संख्या है – 136
उपलब्ध है – अमेजन पर
सारांश –
गुरु रत्नाकर के वर्तमान में दो शिष्य है | एक है श्वेतांक और दूसरा है विशालदेव | पाप क्या है ? इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने के लिए श्वेतांक को बीजगुप्त के पास और विशालदेव को कुमारस्वामी के पास भेजा जाता है |
चित्रलेखा और बीचगुप्त एक दूसरे से प्रेम करते हैं पर चित्रलेखा नर्तकी होने के कारण बीजगुप्त की पत्नी नहीं बन सकती क्योंकि समाज इस रिश्ते को स्वीकार नहीं करेगा |
“यशोधरा” एक अमीर सामंत प्रमुख की बेटी है | यशोधरा के पिता यशोधरा का विवाह बीजगुप्त के साथ करना चाहते हैं क्योंकि बीजगुप्त सम्राट चंद्रगुप्त के दरबार में सामंत पद पर विराजमान है | यशोधरा के लिए वह एक उपयुक्त लड़का है |
यशोधरा के जन्मदिन के अवसर पर बीजगुप्त, कुमारस्वामी , चित्रलेखा , श्वेतांक , विशालदेव यह सारे लोग पधारते है | यशोधरा को पहली बार देखते ही श्वेतांक उससे प्रेम करने लग जाता है |
कुमार स्वामी भी यशोधरा को एकटक निहारता है | यद्यपि वह इस संसार को त्याग चुका है , फिर भी उसका मन यशोधरा को देखकर डोल जाता है | तो कुमारस्वामी को देखकर चित्रलेखा उस पर मुग्ध हो जाती है | यशोधरा बीजगुप्त साथ विवाह करना चाहती है |
चित्रलेखा तो बीजगुप्त को वैसे ही छोड़ना चाहती है पर वह यह बहाना बनाती है कि बीजगुप्त को अपने अच्छे भविष्य के लिए यशोधरा के संग विवाह कर लेना चाहिए | वह कुमारस्वामी के पास जाकर उससे दीक्षा लेगी और संन्यास का मार्ग अपनाएगी….
वह ऐसा ही करती है पर क्या कुमारस्वामी उसे दीक्षा देगा ? या यशोधरा के प्रेम के लिए वह सन्यास धर्म त्याग देगा ? क्या यशोधरा बीजगुप्त का प्रेम जीत पाएगी ? क्या श्वेतांक अपने प्रेम को पाने मे सफल होगा ? यशोधरा का विवाह किसके साथ होता है ? कहानी का अंत बहुत ही रोचक है | जरूर पढ़िएगा और यह भी की …
श्वेतांक और विशालदेव के नजरिए से पापी कौन है ? विशालदेव या बीजगुप्त | इन सारे प्रश्नों के उत्तर आपको किताब पढ़ने के बाद जरूर मिल जाएंगे | किताब एक बार अवश्य पढ़िएगा | बहुत ही रोचक किताब है | तब तक पढ़ते रहिए | खुशहाल रहीए | मिलते हैं और एक नई किताब के साथ | तब तक के लिए ….
धन्यवाद !!
CHITRALEKHA BOOK REVIEW AND SUMMARY
