PRALAY BOOK REVIEW SUMMARY IN HINDI

रिव्यू –

प्रलय किताब के –

लेखक है – विनीत वाजपेयी

पृष्ठ संख्या है – 302

प्रकाशक है – ट्री शेड बुक

उपलब्ध – अमेजन पर

लेखक ने हिन्दू पुरानो के पात्रो और पृष्ठभूमि को लेकर कहानी गढ़ी है | इसलिए पुरानो के अनुसार उनका क्या महत्व है | यह हम आप को पहले बता देते है ताकि आप को कहानी और इनका तारतम्य समझ मे आए |

पुरानो के अनुसार विवस्वान सूर्य का ही एक रूप है | जो महर्षि कश्यप और अदिति के पुत्र है | उनके बेटे वैवस्वत मनु के नाम से जाने जाते है | क्योंकि वह विवस्वान और सरण्यु के बेटे है | उन्हे सत्यव्रत मनु भी कहाँ जाता है | पुरानो के अनुसार वह धरती पर आनेवाले पहले मानव है |

हिन्दू पुरानो के अनुसार मनु धरती के सबसे पहले राजा थे | और बाद के सारे राजाओ के पूर्वज थे | इनकी कहानी मत्स्य पुराण मे मिलती है | इसीलिए इन्हे भगवान विष्णु उनके मत्स्य अवतार मे मिलते है |

भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार ने उन्हे बताया की बहुत भारी बाढ़ आनेवालि है जिसमे सब बह जाएगा | इसलिए मनु को एक नाव बनानी चाहिए | और धरती पर मौजूद सारे प्रजाति के कुछ – कुछ अंश अपने साथ नाव पर रख लेने चाहिए | ताकि जब बाढ़ चली जाए तो धरती पर फिर से नए जीवन का आरंभ हो सके | मनु की नाव धरती की पहली नाव थी |

महाराज मनु वह है जिनसे मनुष्य की उत्पत्ति हुई | वह भगवान विष्णु के उपासक थे | जब सृष्टि का अंत करने के लिए 7 दिन बाकी थे तब भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप मे महाराज मनु को दर्शन दिया और उनसे नाव बनने के लिए कहाँ | उसके पहले उन्होंने हयग्रीव राक्षस को मार कर चारों वेदों को हासिल कर लिया था | हायग्रीव राक्षस ने चारों वेदों को समुंदर के गहेरे पनि मे डुबो दिया था | जब धरती पर पनि ही पनि था तब मनु ने अपनी नाव को एक रस्सी के सहारे मछली के सिंग मे बांध दिया | प्रलय काल के अंत तक वह तैरते रहे | तब तक उन्होंने वेदों को अपने मुह मे दबाए रखा | सृष्टि निर्माण के बाद उन्होंने वेदों को ब्राहमजी के हवाले किया | विवस्वान पुजारी सप्तऋषियों को मार देता है | अब देखते है की यह सप्त ऋषि कौन थे ? पुरानो के अनुसार इनके नाम इस प्रकार है |

कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और भारद्वाज, इन सात ऋषियों को सप्तर्षि कहा जाता है । इसमे से महर्षि कश्यप देव , असुर नाग , गरुड , गाय , बैल और जितनी भी प्रजातिया है | उनके पिता है | वसिष्ठ श्रीरामजी के गुरु थे | विश्वामित्र भी श्रीरामजी के कुछ काल तक गुरु रहे | गौतम ऋषि वे है जिनकी पत्नी अहल्या पत्थर की बन गई थी |

जमदग्नि ऋषि भगवान परशुराम के पिता थे | भारद्वाज ऋषि आचार्य द्रोण के पिता थे | यात्री ऋषि माता अनुसूया के पती थे | जिन्होंने त्रिदेवों को बच्चा बना दिया था | यह दोनों दत्तात्रय , ऋषि दुर्वासा और चंद्र के पिता थे |

हर काल में अलग-अलग सप्तर्षि होते हैं। ये सप्तर्षि मौजूदा काल के हैं। पद्मपुराण, विष्णु पुराण, मत्स्य पुराण समेत कई धर्म ग्रंथों में सप्तर्षियों का उल्लेख मिलता है। भगवान शिव के सबसे पहले भक्तों मे हिमालय की तरा ईयो मे रहने वाले सातलोग थे | यही बाद मे सप्तऋषि के नाम से विख्यात हुए | आशा है की अभी आप को कहानी समझने मे आसानी होगी |

पुरानो के ही अनुसार हरप्पन सिवलिज़ैशन के वक्त सरस्वती नदी भी धरती पर मौजूद थी | जो हरप्पा के लोगों की जीवन दायिनी थी | अब बात करते है किताब प्रलय की – तो

किताब के शुरुवात में ही बड़े – बड़े दिग्गजों के कमेंट आप को पढ़ने को मिलेंगे | लेखक के लेखन में उनकी मेहनत साफ़ झलकती है | जल्द ही इन पर फिल्म और वेब सीरीज भी बनने जा रही है | ऐसा किताब के मुखपृष्ट पर ही लिखा है | किताब पढने में ही इतनी दिलचस्प और रोंगटे खड़े कर देने वाली है तो फिल्म और वेबसीरिज तो अलग ही लेवल पर होगी |विनीत को उनकी आनेवाली रचनाओ के लिए बहुत – बहुत शुभकामनाये ……तो अभी प्रलय का सारांश हम आपको बताने जा रहे है | आशा करते है आप को पसंद आएगा……….

चलिए तो शुरूकरते है –

सारांश –

   प्रलय हड़प्पा के आगे की कहानी बयां करती है |इसमें विवास्वन पुजारी के बेटे सत्यव्रत मनु की कहानी है जो अपने पिता के कारावास में जाने के बाद हड़प्पा सिपाहियों से लड़ते हुए घायल हो जाता है और उसके पिता के एकमात्र हितैषी अभियंता सोमदत्त के कहने पर पूर्व की दिशा में काले मंदिर को ढूंढने जाता है जहाँ उसे विष्णु के सबसे पहले अवतार मत्स्य का आशीर्वाद , प्रेम और मार्गदर्शन प्राप्त होता है |

इधर विद्युत पर भी रोमी परेरा और कुछ किराये के गुंडे बनारस में जानलेवा हमला करते है जो की न्यू वर्ल्ड आर्डर के हाथो के खिलौने है | इसमें विद्युत का जिगरी दोस्त बाला भी शामिल है | इसी बाला को मठ में मारने के लिए बनारस का शक्तिशाली तांत्रिक अपनी सेना के साथ मठ में आता है | इस त्रिजट का , उसकी दो साथी महिलाओ का और इनसे जुडी हर एक चीज का वर्णन लेखक ने इतना डिटेल में किया है की पढ़ते – पढ़ते डर सा लगता है फिर भी और – और पढने की इच्छा होती है |

यहाँ विद्युत के परदादाजी की ताकत भी खुलके सामने आती है जिससे पता चलता है की क्यों वह इतने प्रसिद्ध मठ के मठाधीश है |

यहाँ नैना का वर्णन है लेकिन हमें लगता है की नैना का करैक्टर जबरदस्ती जोड़ा गया है | वह कहानी में नहीं भी होती तो भी कहानी वैसे ही आगे बढती जैसे अभी चल रही है |

न्यू वर्ल्ड आर्डर के बारे में लिखते समय लेखक के जनरल नोलेज का अच्छा – खासा परिचय आता है | इसमें कुछ – कुछ बाते कोरोना की परिस्थिति से मेल भी खाती है जैसे की हर २०० साल में एक महामारी का आना जिससे की लोकसंख्या कम हो जाये | इसमें उस राजा का जिक्र है जिसने पूरी दुनिया का एक ही धर्म चाहा | जिससे की न्यू वर्ल्ड आर्डर का जन्म हुआ |

इस कहानी में विवास्वन पुजारी हड़प्पा के लोगो से जो की उसके अपने ही लोग है बदला लेने के लिए असुर सूरा की मदद लेता है | सप्त ऋषियों को मारता है | इसके कारण सरस्वती नदी विवस्वान पुजारी और उसकी आनेवाली पीढियों को श्राप देती है | यह श्राप क्या है ? यह हड़प्पा को पूरी तरह निगल जानेवाली , इस संस्कृति को पूरी तरह ख़त्म कर देने वाली और पूरी पृथ्वी को पानी मे डुबो देनेवाली इस बाढ़ की , इस प्रलय की कहानी को आप जरूर पढ़े | किताब बहुत – बहुत अच्छी है |

धन्यवाद !

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