नीला स्कार्फ
अनु सिंह चौधरी द्वारा लिखित
रिव्यु और सारांश –
यह किताब भी कहानियो का गुच्छा है जिनकी अलग – अलग पृष्ठभूमि है | एक ही किताब में इतनी सारी कहानिया लिखते समय सबकी पृष्ठभूमि ,चरित्र , कहानी भिन्न – भिन्न लिखना | इससे सचमुच लेखिका के प्रतिभा के दर्शन हो गए | उनकी भाषा , रचना बहुत अच्छी है |
लेखिका – अनु सिंह चौदरी
प्रकाशक – हिंदी युग्म
पृष्ठ संख्या – १६०
उपलब्ध – अमेज़न
आइये देखते है इसका सारांश –
सारांश –
बिसेसर बो की प्रेमिका – गाँव के एक दंपत्ति की कहानी है जो अमीर घर में नौकरी करते है | ऐसे में अमीर आदमी की बुरी नजर बिसेसर बो की पत्नी पर पड़ती है | खुद बिसेसर बो का मालिक उसे यह बात बताता है | अब उसकी हालत क्या होती होगी ? वह खुद को कितना लाचार , मजबूर और बेबस समझता होगा……. जब वह मालिक के इरादों की बात अपने पत्नी को बताता है लेकिन बिसेसर बो की पत्नी खुद के आत्मसम्मान और चरित्र को बचाने के लिए , अच्छी खासी चलनेवाली जिंदगी को ठुकराकर मालिक को सही जवाब देने का निर्णय करती है | परिणाम………????
मालिक के हाथ की मार उसे खानी पड़ती है | खुद की रक्षा के लिए , वह जो जवाब मालिक को देती है | उसे जानकर बहुत सी स्त्रियों को उसपर गर्व होगा |
सहयात्री – एक ऐसे आदमी की कहानी है जो स्वभाव से बहुत रुखा है | किसी को भी बिना सोचे – समझे कुछ भी बोल देता है और मन में ग़लतफ़हमीया पलने लगता है | ट्रेन में सफ़र करते समय उसे अपने अन्दर की खामिया पता चलती है तभी उसे यह भी समझ में आता है की उसकी पत्नी उसे छोड़कर क्यों चली गयी ?
मुक्ति – यह भी एक साठ साल के आस पास के दंपत्ति की कहानी है जिसमे पत्नी ने बिना शिकायत किये अपनी गृहस्थी को 40 साल तक संभाला लेकिन अल्जाइमर की बीमारी के कारण पत्नी को सँभालने की बारी जब पति पर आयी तो ज्यादा दिन तक पत्नी की सेवा नहीं कर पाया | वह जल्दी ही चल बसा | पत्नी की सेवा करते समय उसे बार – बार याद आता रहा की उसने उसकी पत्नी के साथ बहुत बार कितना बुरा व्यवहार किया फिर भी उसके पत्नी ने शिकायत न करते हुए उसका हमेशा ख़ुशी से साथ दिया | यह मन के मजबूत होने , सहनशील होने का ही तो उदाहरण है की पत्नी अकेले ही 40 साल तक सबकुछ करते रही , सबकुछ सहते रही लेकिन उसका पति नहीं……..
किताब अच्छी है | जरूर पढ़िए……..!!!!!!!!
धन्यवाद !!
Wish you happy reading……………