PARINEETA BOOK REVIEW SUMMARY IN HINDI

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परिणीता

शरदचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखित

रिव्यु और सारांश –

     किताब छोटी सी है इसलिए रिव्यु और सारांश एकसाथ दे रहे है | यह किताब प्रसिद्ध लेखक शरदचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा लिखी गई है | वह एक उपन्यासकार और शोर्ट स्टोरी लेखक थे | वह बंगाल के रहनेवाले थे इसलिए उनकी लिखी किताबो में बंगाल की लाइफस्टाइल ,परेशानीयां , वहां के लोगो की जद्दोजहद , वहां की सामाजिक रचना ई. दिखाई देती थी | वह ऐसे लेखक थे जिनकी किताबो की कहानियो पर सबसे ज्यादा फिल्मे बनी | उनकी लिखी किताबे सबसे ज्यादा भाषांतरित की गई | वह मुख्यतः बंगाली में लेखन किया करते | उनकी लिखी देवदास , परिणीता , श्रीकांत यह उपन्यास बहुत प्रसिद्ध है | तो आइये जानते है प्रस्तुत किताब के बारे में –

लेखक – शरदचंद्र चट्टोपाध्याय

प्रकाशक – वायू एजुकेशन ऑफ़ इंडिया

पृष्ठ संख्या – 89

उपलब्ध – किनडल

परिणीता मतलब पाणिग्रहण की हुई लड़की अर्थात विवाहिता लड़की | पाणिग्रहण करना यह भारतीय रस्मोरिवाजो में से एक है | ऐसे ही एक परिणीता की यह साधी और सरल प्रेम कहानी है | जिसका नाम ललिता है वह महज १३ साल की है | माता – पिता न होने की वजह से वह उसके मामा के घर रहती है | उसके मामा और मामी स्वभाव से सरल व्यक्ति है और साथ में गरीब भी…….

उसके मामा का घर शेखर ( इस कहानी का पहला नायक ) के पिता के पास गिरवी रखा है | इसके बावजूद दोनों घरो में अच्छे सम्बन्ध है | ललिता बचपन से ही शेखर से पढाई सिखती है और उसका सारा काम भी वही करती है | एक पौर्णिमा की रात , ललिता अल्हड़पन में और शेखर होशोहवास में शादी कर लेते है |

      अब ललिता का मामा इस कहानी के दुसरे नायक के कहने पर ,अपना समाज छोड़कर पैसो की वजह से दूसरा धर्म स्वीकार करता है | दूसरा नायक इसलिए यह करता है ताकि वह ललिता से शादी कर सके | अब शेखर के सामने समस्या यह है की वह ललिता को कैसे अपनाये ? क्योंकि उस ज़माने में लोगो पे जाती का कुछ ज्यादा ही प्रभाव रहता था | यु कहे की वह इस सामाजिक बहिष्कार से डरते थे | इस किताब के माध्यम से आप बालविवाह के बारे में भी जान पाओगे |

       उस ज़माने में लडकियों की शादी उनसे कई बड़े लडको के साथ या कभी – कभी बुड्ढो से भी हो जाया करती | यह इसलिए बता रहे है क्योंकि इस कहानी का नायक भी पच्चीस साल का युवक है जब की नायिका सिर्फ तेरह साल की …. तब की परिस्थितिनुसार लडकियों का माइंड भी सेट होता था | अच्छा है, अभी विवाह को लेकर सारी परिस्थितिया बदल गई | अब ललिता का मामा अपने पुरे परिवार के साथ कहानी के दुसरे नायक के साथ दुसरे शहर चला जाता है | उसकी मृत्यु के कुछ साल बाद ललिता अपने परिवार के साथ फिर से अपने पुराने घर वापस आती है | शेखर को लगता है की ललिता ने दुसरे युवक के साथ शादी कर ली क्योंकि ललिता भी एक विवाहिता स्त्री के जैसे ही बर्ताव करती है |

         तो क्या ललिता ने शेखर को छोड़कर सचमुच दुसरे युवक से शादी कर ली ? इसका जवाब तो शेखर को किताब के अंत में मिल जाता है | लेकिन आप को इसका जवाब किताब पढ़कर ही मिलेगा | कहानी बहुत ही अच्छी है | पढियेगा जरूर…….

धन्यवाद !!

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