THE LAST FRONTIER BOOK REVIEW IN HINDI

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द लास्ट फ्रंटियर

अलिस्टर मक्लिन द्वारा लिखित

रिव्यु –

    इस किताब की कहानी में कुल मिलाकर १८ पात्र है | इसमें जितना नायक हुशार है उतना ही खलनायक भी ….

इसीलिए पूरी कहानी भर दोनों एक दुसरे को अपने बुद्धि चातुर्य से मात देने की कोशिश करते रहते है | यह जीत की रस्साकस्सी आखिर तक चलते रहती है | इसमें नायक को , जब वह अपने मिशन पर होता है तो कभी भाग्य साथ देता है तो कभी नहीं |

      वह कहानी का नायक है इसलिए उसे हर बार , हर काम मे सफलता मिले यह जरूरी नहीं | यातनाओ के डर से नायक भी काँप जाता है | जब खलनायक उसे मारता है तो उसे भी दर्द होता है जैसे हर सामान्य इन्सान को होता है |

जासूसी के लिए दी गयी ट्रेनिंग इन्सान को लोहा नहीं बना देती | बस मन और शरीर को थोडा ऊपर तक लेकर जाती है | नायक भी शरीर और मन थकने के कारण ,लगातार अपयश के कारण अपने मिशन को भी छोड़ने की सोचता है लेकिन अपने साथियों की मेहनत और क़ुरबानी को ध्यान में लाते ही वह फिर से अपने काम में जुट जाता है | इन सारी बारीक़ से बारीक़ सच्चाईयो को ध्यान में रखकर लेखक ने यह उपन्यास लिखा है जो बहुत ही काबिले तारीफ है | उपन्यास बहुत – बहुत अच्छा है | इस पर फिल्म भी बनी है | एक देश के दडपशाही कानून के खिलाफ , कुछ अच्छे लोगो की जंग , जो बहुत यातनाये सहकर भी दुश्मनों को माफ़ कर के , लोकशाही या स्वतंत्रता लाने के लिए प्रयासरत है | उन्ही लोगो की यह कहानी है –

किताब के लेखक है – अलिस्टर मक्लीन

मराठी अनुवाद – अशोक पाध्ये

प्रकाशक – मेहता पब्लिशिंग हाउस

उपलब्ध – अमेज़न , किनडल

लेखक परिचय – अलिस्टर मक्लीन इनका जन्म १९२२ साल में हुआ | इसलिए उनके उपन्यास उस समय के स्थिति पर लिखे गए है | लेखक बहुत ही उच्च प्रतिभा के धनी थे | आप उनके बारे में किताब के शुरुवात में ही पढ़ पाओगे | उनकी लिखी किताबो पर उनका नाम लिखा होने की वजह से वह हातोहात बिक जाती थी | इसलिए उन्होंने दो उपन्यास किसी दुसरे नाम से लिखे |

        वह भी पहले किताबो के तरह ही बिक गये | उन्होंने दिखा दिया की उनकी प्रतिभा ज्यादा बड़ी है | वैसे भी अंग्रेजी भाषा वर्ल्ड वाइड होने की वजह से अंग्रेजी उपन्यास जल्दी प्रसिद्ध होते है | लेखक की कहानी उत्तर आर्क्टिक के पृष्ठ भूमिपर आधारित है जिसमे प्रणय दृश्य कम ही वर्णित किये गए है जो कहानी को दर्जेदार बनाती है और स्पीड के साथ आगे बढाती है | यह कहानी कुल हप्तेभर की है | पुरे मिशन भर बर्फ ,ठंडी और बर्फीला तूफान है जिसमे रेनोल्ड्स अपने मिशन को अंजाम देता है | आइये देखते है इस कहानी का सारांश…….

सारांश –

      सीक्रेट सर्विस एजेंट रेनोल्ड्स को अपने ही देश के काबिल वैज्ञानिक प्रो. जेनिग्ज को अपने देश वापस वापस लाने की जिम्मेदारी सौपी जाती है | यह वैज्ञानिक सायंटिफिक मीटिंग के लिए किसी दुसरे देश में जाने वाला है | बस उसी देश में से उसे छुड़ाकर अपने देश लेकर आना है क्योंकि वहां सीक्योरिटी कम है | रेनोल्ड्स जब अपने मिशन के लिए उस देश में कदम रखता है तो उसकी मुलाकात काउंट , जोंस्की ,ज्युलिया ,स्यांडर इनके साथ होती है जो की उसी देश में रहते हुए , वहां की सरकार के खिलाफ छुपी लड़ाई लड़ रहे है क्योंकि वहां की सरकार खुद राज करना चाहती है |

       इसीलिए वहां की सरकार ने गुप्त पुलिस विभाग बनाया हुआ है | जिसके लोग चारो तरफ फैले हुए है | यह गुप्त पुलिस और उनके यातनाघर लोगो को यातनाये देकर मारने के लिए कुप्रसिद्ध है | वे लोग आम जनता को बिना मतलब के भी उठा कर ले जाते है | जब यह गुप्त पुलिस आम जनता को उठाने के लिए आते थे तो उनकी यातनाओ के डर से लोग पहले ही आत्महत्या किया करते | जब इन लोगो की दडपशाही गावो पर , शहरो पर चल रह थी तो तब हर रास्ता लाशो से पटा पड़ा था | गटारे लाशो से भर गयी थी | जहाँ भी किसी घर का कुछ हिस्सा या पेड़ की टहनी सामने निकली हुई होती तो लोग वहां पकडे जाने के डर से फांसी लगा लेते | 

      जब फांसी लगा लेने के लिए जगह नहीं बची तो लोग खुद का ब्लेड से गला काटकर आत्महत्या कर लिया करते | इसी पुलिस से बचकर रेनोल्ड्स और बाकी सब को प्रो. जेनिग्ज को वापस अपने देश लेकर जाने की जिम्मेदारी रेनोल्ड्स को निभानी है | इस चक्कर में रेनोल्ड्स , जोंसकी , प्रो. जेनिग्ज गुप्त पुलिस के यातनाघर भी पहुँच जाते है | वहां उनपर हुए अत्याचार और अपनी चालक बुद्धि से काउंट इन सबको बार – बार कैसे बचाता है | वह भी आप जरूर पढ़िए | इसी बीच रेनोल्ड्स और ज्युलिया एक दुसरे को पसंद भी करने लगते है | प्रत्येक पात्र के अपने विचार है | 

     जीवन जीने और मरने के लिए अपने दृष्टिकोण है | बार – बार संकट में पड़ने पर जीवन जीने की आशा छोड़ देना लेकिन आशा के बारीक़ धागे के साथ फिर से जीत हासिल कर लेना | एक मिशन के लिए कितने सारे लोगो की क़ुरबानी देना , यह सब लेखक ने बहुत अच्छे से अपने उपन्यास में लिखा है | किताब हाथ से निचे रखने की इच्छा ही नहीं होती | हर पल ऐसा लगता है की आगे क्या होगा ? क्योंकि यह जरूरी नहीं की वह नायक है तो जीत उसी की हो !

बहुत ही उम्दा उपन्यास…….

पढ़िए जरूर…….

धन्यवाद !

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