PARIGH BOOK REVIEW SUMMARY IN HINDI

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परिघ

रिव्यु –

    पैसे के कारण अगर एक आदमी बदल गया तो क्या वह पूरी दुनिया को बदलने की कुवत रखता है | जीवन मूल्यों के साथ जीना चाहिए या नहीं ? वक्त के साथ – साथ परिवर्तन को अपनाना चाहिए या नहीं ? लेखिका ने कहानी में आनेवाले पात्रो के जीवन में जो परिवर्तन हुए है उन्हें भी बखूबी पेश किया है | परिघ का मतलब व्यास होता है जैसे एक सर्किल के डायामीटर के अन्दर ही उसके ज्यादा से ज्यादा थेरम सिमटे होते है वैसे ही एक शादीशुदा महिला के जीवन का परिघ उसकी फॅमिली होती है |

      उसके बाहर उसका कोई जीवन नहीं | जब यह परिघ ही टूट जाता है तो साथ में वह भी टूट जाती है | उसे सँभलने के लिए महत्प्रयास करने पड़ते है | बस , जीवन के इन्ही बहुत सारे उतार चढावो को दर्शाती इस कहानी को आप जरूर पढ़े | इस कहानी की नायीका मृदुला कमजोर दौर से गुजरने के बाद एक सशक्त नारी के रूप में सामने आती है लेकिन हर एक विवाहिता लड़की मृदुला नहीं बन सकती |

      इसीलिए अगर आप को लगे की ऐसी मृदुला आप के आस पास कही है तो उसकी मदद जरूर करे | उन्हें मानसिक आधार की सबसे ज्यादा जरूरत होती है | भारतीय लडकियों के प्यार , समर्पण और जरूरत पड़ने पर खुद के लिए स्टैंड लेने की इस कहानी को सुधा मूर्ति द्वारा मूल रूप से कन्नड़ भाषा में लिखा गया है |

मराठी अनुवाद

– उमा कुलकर्णी

प्रकाशक – मेहता पब्लिशिंग हाउस

पृष्ठ संख्या -२२४

उपलब्ध – अमेज़न ,किनडल पर , मराठी ,कन्नड़ ,गुजराती

भाषा में उपलब्ध

आइये तो जानते है इस कहानी का सारांश –

सारांश –

     मृदुला एक छोटे से खुशहाल गाँव की , एक छोटे से जमीदार की बेटी है | पूरा गाँव ही एक परिवार के जैसा रहता है | मृदुला और उसके पिता भीमन्ना को बहुत बोलने के कारण सब को अपना बनाना आता है | स्वभाव से मृदुला अपने पिता पर गई है | एकदम साधी और भोली | उसे सारे अपने जैसे ही लगते है |

ऐसे मृदुला की शादी कम बोलनेवाले और इमानदार डॉक्टर से हो जाती है | भरे पुरे परिवार में रहनेवाली मृदुला अब सिर्फ अपने पति के साथ रहती है | अब मृदुला को अपना मन हल्का करने के लिए कोई नहीं है | हमें लगता है की नायक और नायीका की शादी होने के बाद वे हमेशा ही ख़ुशी – ख़ुशी रहते है | इसमे उनके पुरे २५ साल के वैवाहिक जीवन की कहानी है | कहानी में बताया गया है की कैसे परिस्थितिया , वक्त के थपेड़े इन्सान को बदल सकते है |

      वक्त के साथ कुछ व्यक्ति अपने जीवन मूल्यों के साथ समझौता करना सिख जाते है | ऐसे ही मृदुला का इमानदार पति जो कभी रोगियों की सेवा करना ही अपना धर्म समझता था | सरकारी नौकरी में अपने प्रति होनेवाले अन्याय के कारण वह नौकरी छोड़ अपनी खुद की प्रक्टिस शुरू करता है | वह दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की करता है | पैसेवाला होने के बाद मृदुला का यही पति पूरी तरह बदल जाता है | इस बदलाव का मृदुला के जीवन पर , खासकर उसके मन पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता |

यही संजय ( मृदुला का पति ) अपनी माँ और बहन के नाम पर ढेर सारी जायदाद खरीद लेता है जब की उसकी माँ ने पैसे होते हुए भी उसकी कभी मदद नही की तब मृदुला ही नौकरी कर के उसकी मदद किया करती | वह पढाई करने के लिए अपनी बहन के घर सिर्फ दो साल रहता है वह भी सिर्फ ताने सहते हुए फिर भी उसे बहन याद रहती है | उम्रभर साथ देनेवाली बीवी नहीं | ऐसा क्यों ?

किताब बहुत अच्छी है | पढ़िए जरूर…….

धन्यवाद !

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